एपिसोड – 26: मुंबई से पुणे

 “इससे पहले कि ये सस्पेंस मेरे दिमाग पर चढ़कर विस्फोट कर जाए, मुझे बताओ कि ये सब क्या चल रहा है?” पीटर ने कहा, “मेल्विन, इसे समझो कि मेरा गुस्सा कितना खराब है।”

“और भी कुछ कहने की जरूरत है रसल और माइकल?” मेल्विन ने कहा, “या मैं पीटर से कहूं कि वो अपने कुछ पैंतरे तुम्हें दिखाएं।”

“नहीं–नहीं, मैं बताता हूं।” आखिरकार माइकल ने अपना मुंह खोलते हुए कहा, “आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। ये हम तीनों का ही प्लान था। एक्चुअली, ये रेबेका का प्लान था जिसमें उसने हम दोनों को भी शामिल कर लिया।”

“कैसा प्लान?” पीटर ने पूछा। इससे पहले कि माइकल या रसल में से कोई कुछ कहता मेल्विन ने कहा, “एक मिनट रुको। पीटर, लक्ष्मण, रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा को भी यहीं बुला लो। इससे हमें उन्हें दोबारा ये सारी कहानी नहीं सुनानी पड़ेगी।”

मेल्विन के इतना कहते ही पीटर तुरंत स्टेज की ओर चला गया। उसने इशारे से उन तीनों को ऊपर बुला लिया। अगले ही पल वे तीनों भी मेल्विन और पीटर को ज्वाइन कर चुके थे।

“क्या चल रहा है यहां मेल्विन?” रामस्वरूप जी ने पूछा।

“यहां बुला लिया हमें।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “क्या ये अपनी जबान नहीं खोल रहा है? दो–चार हाथ लगाऊं इसे। या कुत्तों को देने वाला इंजेक्शन ही ठोंक दूं। है मेरे बैग में।”

“नहीं डॉक्टर साहब, इन सब चीजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसे आप कुत्तों को लगाने के लिए रखे।” मेल्विन ने कहा, “ये सबकुछ बताने को तैयार है। मैं बस ये चाहता था कि इनका प्लान आप भी सुन ले।”

“अब बताओ, क्या प्लान था तुम्हारा?” पीटर ने पूछा।

“परसों रात में रेबेका का कॉल मेरे पास आया था।” रसल ने कहा, “उसने फोन पर मुझसे कहा कि मैं माइकल को भी बुला लूं। हम तीनों यही ऑडिटोरियम में ही मिले थे। उसने हमें तुम्हारे बारे में हमें बताया था। उसके बाद हमने ये प्लान बनाया कि हम रेबेका के मिसिंग होने का नाटक करेंगे।”

“ये प्लान रेबेका ने क्यों बनाया?” मेल्विन ने पूछा, “और वो इस समय है कहां?”

“रेबेका इस समय इस शहर में नहीं है।” रसल ने बताया, “वो पुणे में है। अपनी एक दोस्त के पास।”

“पुणे में!” मेल्विन ने हैरानी से कहा, “पुणे में रेबेका की कौन सी दोस्त है?”

“दरअसल पुणे में रेबेका की नानी का घर है।” रसल ने आगे बताया, “वहां उसकी एक बचपन की दोस्त रहती है। वो अपनी नानी के यहां न रहकर उसी दोस्त के यहां रुकी हुई है।”

“इस समय अगर रेबेका से कॉन्टैक्ट करना हो तो कैसे किया जा सकता है?” मेल्विन ने पूछा, “क्या उसकी फ्रेंड का नंबर है तुम्हारे पास?”

“हां, एक नंबर है हमारे पास।” माइकल ने कहा, “हम रेबेका से इसी नंबर पर कॉन्टैक्ट करते हैं।”

माइकल ने अपना फोन निकाल कर वो नंबर मेल्विन के साथ शेयर किया।

“मेल्विन, क्या तुम अपने फोन से उसे कॉल करके बात करने वाले हो?” रामस्वरूप जी ने पूछा, “इससे वो अलर्ट नहीं हो जाएगी? और हो सकता है वो बात भी न करें। कोई नई ही कहानी न गढ़ने लगे।”

“भांडा फूट चुका है।” मेल्विन ने कहा, “दो आरोपी सामने खड़े हैं। कोई नई कहानी उनके काम नहीं आएगी।”

इतना कहकर मेल्विन ने फटाफट उस नंबर पर डायल किया।

“क्या नाम है उसकी दोस्त का?” मेल्विन माइकल से पूछा।

“हमें रेबेका की उस दोस्त का नाम नहीं मालूम।” माइकल ने बताया।

तब तक मेल्विन ने वो नंबर डायल कर दिया था। 2–3 घंटी बजने के बाद दूसरी तरफ से कॉल पिक किया गया।

“हेलो, कौन बोल रहा है?” दूसरी तरफ से फोन उठाते ही पूछा गया।

“मैं मेल्विन बोल रहा हूं।” मेल्विन ने कहा, “क्या मेरी बात मिस रेबेका फर्नांडीज से हो सकती है? उनसे कहिए कि उनका प्लान फेल हो चुका है। हम जान चुके हैं कि वो मिसिंग नहीं है बल्कि पुणे में जाकर बैठी हुई हैं।”

“प्लान फेल नहीं हुआ है मिस्टर मेल्विन फर्नांडीज।” तभी दूसरी की तरफ से रेबेका की आवाज आई, “हमारा प्लान शत–प्रतिशत कामयाब हो गया है। अब प्लान का दूसरा हिस्सा मैं आपके साथ शेयर करने वाली हूं।”

“दूसरा हिस्सा!” मेल्विन ने कन्फ्यूज होते हुए कहा, “कौन सा दूसरा हिस्सा? आखिर ये चल क्या रहा है रेबेका?”

“आपको क्या लगा, आप में एक स्केच बना लेंगे तो मैं आपको इस परीक्षा में पास कर दूंगी? नहीं मेल्विन साहब, अभी तो कई पड़ाव पार करना है आपको।”

“जैसे?” मेल्विन ने पूछा। उसे रेबेका का ये चैलेंज मंजूर था।

“आपको तुरंत पुणे आना होगा। बाकी बातें आपको पुणे आने पर ही बताई जाएगी। याद रखिए, आपको अकेले ही आना होगा। आपके दोस्त मुझे वहां नहीं चाहिए।”

“पुणे!” मेल्विन हैरानी से कहा, “मैं पुणे जाकर क्या करूंगा?”

“ये सब मैं फोन पर नहीं, आपके पुणे आने पर बताऊंगी।” रेबेका ने कहा, “आपको पुणे बाइक पर आना होगा।”

“ये क्या शर्त हुई किसी से दोस्ती करने के लिए?” मेल्विन ने पूछा, “आप तो मेरा सचमुच इम्तिहान लेने लगी हैं।”

“इम्तिहान सचमुच ही होता है मेल्विन साहब।” रेबेका ने कहा, “अब मैं फोन रखती हूं। मुझे उम्मीद है कि कल दोपहर तक आपसे पुणे में मुलाकात होगी।”

रेबेका ने इतना कहकर फोन कट कर दिया। फोन कट होते ही मेल्विन हैरानी से कभी पीटर को देखता तो कभी रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा को।

“क्या बात है मेल्विन?” पीटर ने पूछा, “तुम इतने हैरान क्यों दिखाई दे रहे हो। क्या कहा मिस रेबेका ने?”

“उसका शायद दिमाग खराब हो गया है।” मेल्विन ने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि मैं अपनी नौकरी छोड़ू या फिर ये दोस्ती का चक्कर।”

“बात क्या है ये तो बताओ?” डॉक्टर ओझा ने पूछा, “तुम पुणे जाने के बात क्यों कर रहे थे?”

“रेबेका कल मुझे पुणे बुला रही है।” मेल्विन ने बताया, “उसका कहना है कि अब तक जो भी हुआ वो उसके प्लान का पहला हिस्सा था। मुझे पुणे बुलाना उसके प्लान का दूसरा हिस्सा है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं आखिर क्या करूं।”

“इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है मेल्विन?” पीटर ने पूछा, “चलो, हम सब पुणे चलते हैं। वैसे भी तुम अपनी छुट्टी पूरी करने से पहले ही चले आए थे।”

“यही तो प्रॉब्लम है पीटर।” मेल्विन ने कहा, “रेबेका ने कहा है कि मुझे पुणे अकेले जाना होगा। उसकी दूसरी शर्त भी है।”

“दूसरी कौन सी शर्त है?” राम स्वरूप जी ने पूछा।

“उसने मुझे बाइक पर पुणे बुलाया है।” मेल्विन ने बताया।

“बाइक पर!” पीटर हैरान होता हुआ बोला, “अकेले वो भी बाइक पर। आखिर वो करना क्या चाहती है? क्या तुम कल ऑफिस फिर नहीं जाने वाले?”

“इन्हीं सारे सवालों से इस समय मैं जूझ रहा हूं पीटर। तुम सब मिलकर मुझे बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए?” मेल्विन ने पूछा, “अगर मैं रेबेका की बात नहीं मानता तो वो मुझसे दोस्ती नहीं करेगी और फिर मुझे नॉर्मल लाइफ में लौटने में न जाने कितना समय लग जाए। दूसरी तरफ अगर मैं कल ऑफिस नहीं जाता तो मिस्टर कपूर शायद मुझे इस बार ऑफिस से निकाल ही फेंके।”

“मैं अभी तुम्हें बताया न कि तुम अपनी छुट्टी पूरी होने से पहले ही लौट आए थे। यही बहाना करके तुम कल पुणे होकर चले आओ।” पीटर ने आइडिया देते हुए कहा।

“एक काम अधूरा है पीटर जिसे कल खत्म करके मुझे बॉस को देना है।” मेल्विन ने कहा, “दरअसल वो काम मुझे आज ही खत्म करके उन्हें देना था लेकिन उसमें कुछ कमियां रह गई थीं। उन्हीं को ठीक करना है।”

“क्या महेश तुम्हारे लिए वो काम नहीं कर सकता?” पीटर ने पूछा, “उसकी मदद लेकर देखो।”

“क्यों नहीं! बिल्कुल, महेश मेरे लिए ये काम कर सकता है।” मेल्विन ने खुश होते हुए कहा, “लेकिन पुणे जाने वाली बात पर मेरा दिमाग अब भी काम नहीं कर रहा है। आखिर उसने मुझे बाइक पर पुणे क्यों बुलाया है?”

“ये सब सोचने का आखिर फायदा ही क्या है?” इस बार लक्ष्मण ने पूछा, “तुम्हें जाना है या नहीं जाना ये तुम सोच–विचार करो। फिर तुम्हें अकेले ही जाना है तो हम तुम्हें क्या ही सलाह दे सकते हैं। इस उम्र में प्यार करने चले हो तो अब हमारी उम्र के लड़कों वाली नखरे उठाओ।”

“नहीं लक्ष्मण।” पीटर ने उसे टोकते हुए कहा, “ये तुम्हारी उम्र वाले नखरे नहीं है। रेबेका मुझे ऐसी तो नहीं दिखती कि 20-22 साल की लड़कियों वाले नखरे करें। निब्बा–निब्बी वाली ऐसी कोई बात मुझे दिखाई नहीं देती। आपको क्या लगता है डॉक्टर साहब और राम स्वरूप जी?”

“एक्जेक्टली।” डॉ ओझा ने कहा, “मुझे भी यही लगता है। अगर रेबेका ने कल पुणे बुलाया है तो मेल्विन को जरूर जाना चाहिए।”

“ठीक है, मैं महेश को काम समझा देता हूं जो बॉस ने मुझे दिया था।” मेल्विन ने कहा, “वैसे भी अब सोचने–समझने का ज्यादा वक्त नहीं है हमारे पास।”

वे सभी शिवाजी मंडल ऑडिटोरियम के बाहर आ गए थे।

“मेल्विन, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।” पीटर ने मेल्विन कहा।

“कहो पीटर! तुम्हें कोई भी बात कहने के लिए इस लाइन की जरूरत नहीं है।” मेल्विन ने कहा, “तुम्हारी सलाह ज्यादातर मेरे काम आती है।”

“अगर रेबेका ने तुम्हें बाइक पर बुलाया है तो मैं भी तुम्हारे पीछे-पीछे पुणे तक आऊंगा। पुणे यहां से काफी दूर है मेल्विन और जहां तक मैं जानता हूं तुम्हारे पास बाइक भी नहीं है। तुमने काफी टाइम से बाइक राइडिंग भी नहीं की है शायद।”

“तुम्हारा अंदाजा बिल्कुल सटीक है पीटर। बाइक मैंने आखिरी बार कब चलाई थी मुझे खुद को याद नहीं। मुझे शायद हाईवे पर बाइक लेकर चलने में भी डर लगे।” मेल्विन ने बताया।

“तो फिर ऐसा करते हैं कि एक बाइक पर बैठकर यहां से रवाना होते हैं। पुणे पहुंचने के तक मैं तुम्हें बाइक सिखा भी दूंगा और हम दूसरी बाइक रेंट पर लेकर मिस रेबेका से मिलने भी चले जायेंगे।” पीटर ने अपना प्लान बताया।

“ये आइडिया अच्छा है मेल्विन।” राम स्वरूप जी ने कहा, “बाइक भी चलाना सीख जाओगे और तुम्हें एक साथ में मिल जाएगा इतने लंबे सफर का।”

पीटर उसके साथ आ रहा है ये सोचकर मेल्विन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी। उसके दिमाग पर एक बोझ की तरह ये घूमने लगा था कि वो कल का ऑफिस छोड़कर रेबेका से मिलने शहर से बाहर कैसे जा पाएगा। पीटर ने खड़े-खड़े उसके दोनों प्रॉब्लम को सॉल्व कर दिया था।

“मैं कल सुबह 6 बजे बाइक लेकर तुम्हारे फ्लैट के बाहर मिलूंगा मेल्विन!” पीटर ने कहा, “तुम्हें किसी भी बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं है। 3 घंटे की बाइक राइडिंग के बाद हम पुणे पहुंच जाएंगे। वहां तुम मेरी बाइक लेकर आगे चले जाना और मैं एक बाइक रेंट पर लेकर तुम्हारे पीछे-पीछे चलता रहूंगा।”

सुबह 6 बजे ही मेल्विन की मां का फोन आया।

“हेलो बेटा, कैसे हो? तुम्हारे उस दोस्त का कुछ पता चला?” मेल्विन की मां ने उसके फोन उठाते ही पूछा।

“हां मां, वो मिल गई है।” मेल्विन ने नींद में अपनी मां से कहा तो उसकी मां ने हड़बड़ाते हुए पूछा, “क्या कहा तुमने? वह मिल गई है? मेल्विन, सचमुच वो तुम्हारा कोई दोस्त ही है न?”

“हां मां, मेरा दोस्त ही है।” मेल्विन ने कहा, “तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो?”

“क्योंकि तुमने अभी-अभी कहा कि वो तुम्हें मिल गई है। अगर वो तुम्हारा दोस्त होता तो तुम ऐसा कहते कि वो तुम्हें मिल गया है। आखिरी ये सब क्या चल रहा है मेल्विन?” मेल्विन की मां ने पूछा।

“मैं अभी-अभी सोकर उठा हूं मां। या तो आपने कुछ गलत सुन लिया या फिर मैं फिर मैंने ही कुछ गलत बोल दिया होगा। तुम कुछ भी उल्टा–सीधा मत सोचा करो मां।”

“अच्छा सुनो, मैंने आज एक खास वजह से फोन किया है।” मेल्विन की मां ने कहा, “मैं कल तुमसे मिलने मुंबई आ रही हूं।”

“क्या! मेल्विन ने चौंकते हुए कहा। वो जैसे नींद से पूरी तरह जाग चुका था, “तुमने अभी-अभी क्या कहा मां?”

“मैं कल मुंबई आ रही हूं मेल्विन।” मेल्विन की मां ने फिर कहा, “मैं पिछले दिनों तुम्हारे मामा के यहां गई थी। वही पुणे में। मैं वहां से तुम्हारे पापा की कुछ यादें ले आई हूं। इसमें कुछ पुराने लिखे हुए खत है और कुछ फोटोज हैं। तुम देख लेना और जो भी जानकारी तुम्हें चाहिए इकट्ठी कर लेना।”

“मां, इस समय मुंबई आना जरूरी है?” मेल्विन ने पूछा, “मैं अपने काम में बहुत व्यस्त हूं। तुम्हें मैं कहां से समय दे पाऊंगा?”

मैं तुम्हारा समय लेने नहीं आ रही हूं मेल्विन “बेटे!” मेल्विन की मां ने कहा, “मैं तुमसे मिलने आ रही हूं। तुम्हारा टाइम लेने नहीं। पिछली बार जब तुम आए थे तो अपनी छुट्टी पूरा होने से पहले ही वापस चले गए थे। अब मुझे भी तो तुम्हारा मुंबई का घर देखने दो।”

मेल्विन अपने आपको फंसता हुआ महसूस कर रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब इस नई समस्या का वो क्या हाल निकाले।

क्या मेल्विन पुणे जाकर रेबेका से मिल पाएगा? आखिर मेल्विन को रेबेका ने पुणे में क्यों बुलाया है? क्या मेल्विन की मां को रेबेका के बारे में पता चल जाएगा?

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