“हमें आज रात ही वापस लौटना होगा।” मेल्विन ने पीटर से कहा जब वो सुबह साढ़े छह बजे उसके फ्लैट पर पहुंचचा।
“गूगल मैप के अकॉर्डिंग पुणे यहां से 180 किलोमीटर दूर है। हमें हाईवे पर 60 की स्पीड से बाइक भगानी होगी। पीटर ने कहा ट्रैफिक का साथ मिला तब हम शायद 4 घंटे में अपनी मंजिल पर होंगे।”
“एक और प्रॉब्लम है पीटर।” मेल्विन ने कहा।
“अब कौन सी प्रॉब्लम है मेल्विन?” पीटर ने पूछा। उसके चेहरे पर परेशानी के भाव थे।
“मां कल मुंबई आ रही है।”
“बहुत बढ़िया! अब यही बाकी रह गया था।” पीटर ने कहा, “तुमने उन्हें रोका नहीं?”
“मैंने बहुत कोशिश की। लेकिन उनका इरादा पक्का है।” मेल्विन ने कहा, “मैंने उनसे कुछ चीजें मागें थीं। उन्हें वे मिल चुकीं हैं जिसे देने के लिए वे यहां आ रही है।”
“वैसे इसमें इतना परेशान होने की बात नहीं है।” पीटर ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, “आज हम वैसे भी वापस लौट आएंगे। कल तुम्हें उन्हें रेलवे स्टेशन जाकर रिसीव कर लेना। कल तो संडे भी है।”
“मुझे डर लग रहा है।” मेल्विन ने कहा, “मां की सोच मेरी सोच से बहुत अलग है। एक तरफ मेरी जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव आने वाला है और दूसरी तरफ अगर मां को इस बारे में खबर लगी तो शायद उन्हें ये बिल्कुल पसंद नहीं आएगा।”
“तुम बेकार में इतना आगे का सोच रहे हो मेल्विन।” पीटर ने कहा, “इस समय दोनों केस को आपस में मत उलझने दो। दोनों को अलग-अलग हैंडल करो। आज मिस रेबेका को हैंडल करो तो कल अपनी मां को। कोई भी प्रॉब्लम आएगी तोहम उससे निपट लेंगे।”
मेल्विन और पीटर बाइक से मुंबई–पुणे हाईवे पर आ चुके थे। मेल्विन के दिमाग में अब भी यही ख्याल आ रहा था कि आखिर रेबेका ने उसे अकेले बाइक पर क्यों बुलाया है।
दूसरी तरफ रामस्वरूप जी डॉक्टर ओझा और लक्ष्मण इसी विषय पर चर्चा कर रहे थे।
लक्ष्मण मेल्विन की समझदारी पर अब भी सवाल उठा रहा था।
“वर्किंग डे, 10 घंटे की बाइक राइड, एक अजनबी लड़की की कॉल और मेल्विन सबकुछ भूलकर उसके पीछे भाग रहा है।” लक्ष्मण ने मेल्विन पर हंसते हुए कहा, “मुझे यकीन नहीं आता कि मेल्विन का दिमाग आखिर कहां खास चरने चला गया है।”
“तुम्हें ये बात समझ में भी नहीं आएगी बेटे।” रामस्वरूप जी ने कहा, “मेल्विन और उसके काम को समझने के लिए उसकी तरह सूचना पड़ेगा तुम्हें, जो तुम्हारे पास की बात नहीं है लक्ष्मण। अगर मुझे पता होता कि पढ़ –लिखकर तुम्हारा कॉमन सेंस तुम्हारा साथ छोड़कर इस तरफ भाग जाएगा तो मैं कभी भी तुम्हें सीए नहीं पढ़ाता। सीए एग्जाम पास करने की दौड़ में तुम कहीं पीछे रह गए लक्ष्मण।”
“इसमें आखिर मेरे दिमाग की बात कहां से आई पिताजी?” लक्ष्मण ने पूछा, “हम मेल्विन और उसकी जिंदगी की बातें कर रहे हैं।”
“हम नहीं, तुम बातें कर रहे हो मेल्विन के बारे में।” रामस्वरूप जी ने आगे कहा, “लेकिन अफसोस की बात ये है कि तुम मेल्विन को जानते ही नहीं। इसमें शायद तुम्हारी इतनी गलती है भी नहीं। ये हमारे लिए भी कहीं न कहीं हैरानी वाली बात है। क्योंकि 200 किलोमीटर बाइक पर राइड करके जाना और उसी दिन वापस आना एक पागलपन है। लेकिन आखिर इसी पागलपन को तो प्यार कहते हैं न लक्ष्मण? तुम्हारी उम्र वाले क्या किसी और प्यार को जानते हैं?”
“अब आप मुझ पर उंगली उठा रहे हैं पिताजी।” लक्ष्मण ने कहा, “मैं मेल्विन की बात कर रहा हूं। इस समय वही है जिसकी चर्चा हम कर रहे हैं। मुझे ये चर्चा पसंद नहीं है लेकिन क्योंकि आप लोग मेल्विन की हमेशा तारीफ करते रहते हैं इसलिए मैंने इस टॉपिक को आज उठाया।”
“लक्ष्मण तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? इस बार डॉक्टर ओझा ने सीधे-सीधे लक्ष्मण से सवाल करते हुए पूछा, “तुम आखिर मेल्विन के हर बात में विरोध क्यों करते हो?*
“नहीं डॉक्टर साहब, आपको कोई गलतफहमी हुई है।” लक्ष्मण ने कहा, “मैं मेल्विन का कभी भी विरोध नहीं करता। मैं तो बस इतना कह रहा हूं कि मेल्विन जो कुछ भी करता है आप सब लोग मिलकर उसका साथ देने लगते हैं। फिर चाहे वो कितना ही बचकाना क्यों न दिखाई दे। आखिर ऐसा क्यों करते हैं आप?”
“हम ऐसा इसलिए करते हैं लक्ष्मण क्योंकि हम आपस में अच्छे दोस्त हैं। मेल्विन की उम्र मुझसे 14–15 साल कम ही होगी। इतनी उम्र काफी होती है जेनरेशन गैप के लिए। लेकिन मेल्विन की सोच किसी 55–60 साल के आदमी की तरह है। काफी मैच्योर और सुलझी हुई।”
“अगर आज मेल्विन खाली हाथ पुणे से वापस लौटेगा तबी भी क्या आप मेल्विन की इतनी ही तारीफ करेंगे?” लक्ष्मण ने सवाल किया, “क्या तब भी आप मेल्विन की हर बात में हां कहेंगे? या फिर मेल्विन के काम पर भी आप सवाल उठाने शुरू कर देंगे?”
“तुम हमें चैलेंज कर रहे हो लक्ष्मण?” डॉक्टर ओझा ने पूछा, “तुम क्या मेल्विन को वाकई कुछ भी नहीं समझते। चलो, मैं कहता हूं, अगर मेल्विन आज रेबेका से दोस्ती किए बिना लौट आया तो मैं अब से मेल्विन की बजाय तुम्हारी बात को फॉलो करुंगा। मैं जब भी किसी मुसीबत में पड़ूंगा, मेल्विन की जगह तुम्हारी मदद लूंगा।”
लक्ष्मण इस बात पर न जाने क्यों बहुत खुश हो गया।
“क्या आप ये बात बिल्कुल सोच–समझकर कह रहे हैं डॉक्टर साहब? क्योंकि फिर आपको मेल्विन से अपने दोस्ती शायद तोड़नी भी पड़ जाए।” लक्ष्मण ने कहा।
“इसकी नौबत नहीं आएगी लक्ष्मण। तुम इसकी फिक्र मत करो।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “तुम्हें इस बार जरूर पता चल जाएगा की हम मेल्विन पर इतना यकीन किस लिए करते हैं।”
“डॉक्टर साहब आप बेकार में लक्ष्मण की बातों में आ रहे हैं।” रामस्वरूप जी ने कहा, “इसका दिमाग ही खराब है। जहां तक मेल्विन की बात है तो मैं जानता हूं वो कोई ईश्वर तुल्य व्यक्ति नहीं है। वो एक बेहतरीन कार्टूनिस्ट है जो जीवन को हमसे बेहतर समझता है। हमसे बेहतर उसका आकलन करता है। इतनी सी बात है जो मेल्विन हमेशा हमारी उम्मीदों पर खरा उतरता है। आज जो कदम मेल्विन ने उठाया है वो मेल्विन का रोजाना का काम नहीं है। तब भी मुझे उस पर पूरा यकीन है कि वो कामयाब होकर लौटेगा। लेकिन इसके लिए इस तरह की शर्त लगाना शायद ठीक बात नहीं है।”
“नहीं पिताजी, आप डॉक्टर साहब के दिमाग में अपनी बात मत डालिए। ये बात तय रहा कि अगर आज मेल्विन नाकामयाब होकर लौटता है तो डॉक्टर ओझा उस पर अंधविश्वास करना बंद कर देंगे और फिर मेरी सलाह को तवज्जो देंगे।” लक्ष्मण ने कहा, “इस चीज से आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए।”
“प्रॉब्लम मुझे नहीं, तुम्हें हो जाएगी लक्ष्मण।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “क्योंकि एक शर्त मेरी भी है।”
“कैसे शर्त?” लक्ष्मण ने पूछा, “इस तरह की कोई बात नहीं हुई है हमारी।”
“तुम क्या एकतरफा खेलना चाहते हो लक्ष्मण?” डॉक्टर ओझा ने मुस्कुराते हुए पूछा, “अगर मैंने तुम्हारे साथ इतना बड़ा शर्त लगाया है तो तुम्हें भी तो सामने से कुछ शर्त माननी पड़ेगी।”
“लक्ष्मण, हर बार तुम अपने हिसाब से नहीं चल सकते।” रामस्वरूप जी ने भी कहा, “शर्त अगर जीतने के चांसेस बनते हैं तो हारने के चांसेस भी उतने ही बनने चाहिए। जो चीज शर्त हारने पर डॉक्टर ओझा खो रहे हैं उसी के बराबर शर्त हारने पर तुम्हें भी तो खोना पड़ेगा।”
“बिल्कुल राम स्वरूप जी। मैं यही कह रहा हूं। डॉक्टर ओझा ने कहा, “तो बताओ लक्ष्मण, तुम मेरी शर्त सुनने के लिए तैयार हो?”
“बिल्कुल मैं तैयार हूं।” लक्ष्मण ने कुछ देर सोच–विचार करने के बाद कहा, “बताइए, क्या शर्त है आपकी?”
“मेरी एक नहीं, दो शर्तें है लक्ष्मण।” डॉक्टर ओझा ने कहा तो लक्ष्मण ने तुरंत उन्हें टोका, “दो-दो शर्त क्यों? मैं ए तो सिर्फ एक ही शर्त रखी है।”
“नहीं लक्ष्मण, तुमने भी दो ही शर्त रखी है। पहली शर्त तुम्हारी ये है कि अगर मेल्विन आज नाकामयाब होकर लौटता है तो मैं उसकी बात कभी नहीं सुनूंगा। तुम्हारी दूसरी शर्त ये है कि अगर मेल्विन नाकामयाब हुआ तो मैं तुम्हारी सलाह को ज्यादा तवज्जो दूंगा।”
डॉक्टर ओझा ने जब इतना कहा तो लक्ष्मण ने हां सर हिला दिया, “ठीक है, आप अपनी शर्ट बताइए डॉक्टर साहब?”
“अगर मेल्विन कामयाब होकर लौटता है तो फिर तुम्हें मेल्विन पर आज के बाद प्रश्न उठाने का हक नहीं रहेगा। उसके पहले तुम्हें मेल्विन पर इतने सवाल उठाने के लिए उससे हाथ जोकर माफी भी मांगनी होगी।”
“माफी! माफी किस बात की डॉक्टर साहब?” लक्ष्मण ने तुरंत विरोध करते हुए पूछा।
“तुमने मेल्विन को हमेशा उल्टा–सीधा कहा है। जवाब में मेल्विन ने तुम्हें कभी भी उल्टा नहीं बोला। उन सब की माफी तो तुम्हें मांगनी चाहिए लक्ष्मण।”
थक–हारकर लक्ष्मण ने डॉक्टर ओझा की दोनों शर्तें मान ली।
“वैसे भी मुझे इसमें डरने की जरूरत नहीं है डॉक्टर साहब, क्योंकि मैं ये शर्त हारने वाला नहीं हूं।” लक्ष्मण ने कहा, “मुझे तो मेल्विन पर तरस आ रहा है। काश, आज पीटर भी यहां होता तो मजा आ जाता।”
“खैर मनाओ कि पीटर आज यहां नहीं है लक्ष्मण।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “मैंने तो तुम्हारे सामने बस इतना सही शर्त रखा है। अगर पीटर यहां होता तो शायद तुम्हें इस कंपार्टमेंट में आने से ही मना कर देता।”
“ऐसे कैसे मना कर देता डॉक्टर साहब? ये लोकल ट्रेन उसके बाप की थोड़ी है। मैं जहां जाऊं वहां आ–जा सकता हूं।” लक्ष्मण ने गुस्से में कहा।
“बिल्कुल आ–जा सकते हो लक्ष्मण। लेकिन शर्त भी कोई चीज होती है। अगर तुम्हारी शर्त मानने को सामने वाला मजबूर हो सकता है तो तुम्हें भी उसकी शर्त मानने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
“फिलहाल तो मजबूर होने के लिए आप तैयार हो जाइए डॉक्टर साहब। देखते हैं मेल्विन क्या करके लौटता है।”
उधर ऑफिस में महेश अपने बॉस मिस्टर कपूर के केबिन में पहुंचा।
“मे आई कम इन सर?” केबिन के दरवाजे पर खड़े महेश ने मिस्टर कपूर से पूछा।
“एस, कम इन महेश।” मिस्टर कपूर ने उसे अंदर आने की इजाजत देते हुए कहा, “कहो, क्या बात है महेश?”
“सर, आज मेल्विन ऑफिस नहीं आएगा।” महेश ने एप्लीकेशन नोट मिस्टर कपूर को थमाते हुए बताया, “वे आज किसी खास काम से पुणे जा रहा है।”
मिस्टर कपूर ने एप्लीकेशन नोट अपने हाथ में लेकर उसे पढ़ा।
“आई कांट बिलीव इट!” मिस्टर कपूर ने एप्लीकेशन नोट टेबल पर फेंकते हुए गुस्से में कहा, “मेल्विन ऐसा कैसे कर सकता है। आज उसे एक जरूरी काम करके मुझे देना था। मेल्विन ने मुझसे वादा किया था कि वो आज पहले घंटे में काम करके मुझे दे देगा।”
“सर, वो काम मैं कर देता हूं। वैसे भी फर्स्ट हाफ में मेरे पास कम काम है।” महेश ने कहा।
“वो सब तो ठीक है महेश, लेकिन मेल्विन इस तरह गैर जिम्मेदार कैसे हो सकता है?” मिस्टर कपूर ने पूछा, “आखिर वो आजकल किन चक्करों में पड़ा हुआ है?”
“सर, इसके बारे में तो मुझे कोई खास जानकारी नहीं है।” महेश ने मिस्टर कपूर से छुपाते हुए कहा, “कल मेल्विन आएगा तो आप उससे ही पूछ लीजिएगा।”
“वो तो मैं जरूर पूछूंगा महेश!” मिस्टर कपूर ने कहा, “लेकिन अब मुझे सचमुच कोई स्ट्रिक्ट एक्शन लेना होगा मेल्विन के अगेंस्ट।”
“स्ट्रिक्ट एक्शन क्यों सर?” महेश ने पूछा, “मेरा मतलब, मेल्विन ने क्या इतनी बड़ी गलती की है कि आपको स्ट्रिक्ट एक्शन लेना पड़े?”
“मेल्विन पिछले 17 साल में कभी भी इतना गैर जिम्मेदार नहीं हुआ महेश। 12 साल से तो तुम भी उसे जानते हो।” मिस्टर कपूर ने कहा, “क्या तुम किसी ऐसे आदमी को अपने साथ काम करने के लिए रखोगे जो अपना काम छोड़कर कोई दूसरा काम करें?”
“माफ कीजिएगा सर, लेकिन मेल्विन गैर जिम्मेदार तब होता जब वो काम मुझे सौंप कर नहीं जाता।” महेश ने कहा, “मेल्विन ने जाने से पहले अपना काम मुझे सौंप दिया था। ऐसा काम सिर्फ एक जिम्मेदार एंप्लॉय ही कर सकता है।”
“तुम तो उसकी तरफदारी करोगी ही महेश। आखिर वो तुम्हारा जिगरी है दोस्त जो ठहरा।” मिस्टर कपूर ने मुस्कुराते हुए कहा, “फिलहाल ये काम मैं तुम्हें पूरा करने की जिम्मेदारी देता हूं। मुझे उम्मीद है कि मैं इस काम में जो चाहता हूं मुझे वो मिलेगा।”
“मैंने मेल्विन से इस बारे में डिस्कस कर लिया है सर। मैं बिल्कुल आपकी उम्मीद के मुताबिक काम करूंगा।” महेश ने कहा।
“ठीक है, अब तुम जा सकते हो।” मिस्टर कपूर के इतना कहते ही महेश केबिन से बाहर चला गया।
महेश जब केबिन से बाहर चला गया तब मिस्टर कपूर अपने लैपटॉप पर कुछ टाइप करने लगा। वो मेल्विन का रेजिग्नेशन लेटर टाइप कर रहा था।
“आई एम सॉरी मिस्टर मेल्विन फर्नांडीज। लेकिन शायद हमारा यही तक का साथ था। अब देखता हूं कि तुम अपनी नौकरी कहां जाकर ढूंढते जाते हो।”
क्या मिस्टर कपूर मेल्विन को सचमुच अपने ऑफिस से निकाल देगा? आखिर वो इतनी सी बात को लेकर मेल्विन को ऑफिस से क्यों निकल रहा था? क्या उसने ये इरादा काफी पहले मना लिया था? क्या मेल्विन अपने पुणे की यात्रा में कामयाब होकर लौटेगा?
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