देविका शिवम से कहती है कि उसके पास अभी भी एक उम्मीद बाकी है, जिससे उसे लगता है कि वह मानव से शादी की उलझन से बाहर निकल सकती है। शिवम को कोई अंदाजा नहीं है कि देविका क्या कहने वाली है, तब वह उससे पूछता है, मगर ऐसा क्या सोच रही हो तुम, जिससे तुम्हें लगता है कि तुम्हारे घर वाले इस शादी के लिए मना कर देंगे? इस पर देविका उससे कहती है कि उसके घर वाले इस शादी के लिए मना नहीं करेंगे, बल्कि वह खुद ऐसा करेगी। शिवम को यह सुनकर झटका लगता है और वह उससे पूछता है, मगर ऐसा कैसे होगा? तुमने तो कहा कि तुम्हारे घर वाले इस शादी के लिए हाँ कर चुके हैं, तो ऐसे में उस लड़के के घरवाले तुम्हें मना क्यों करेंगे? यह बात मेरी समझ के तो बाहर है!
तब वह उसे बताती है कि वह मानव के घरवालों से नहीं, बल्कि खुद मानव से मिलकर इस शादी के लिए मना करेगी। मगर तुम जानती हो न, इसके लिए तुम्हें उसे कोई ऐसा कारण देना होगा, जिससे वह मान जाए! देविका शिवम की इस बात पर उसे बताती है कि उसे लगता है कि वह मानव से मिलकर उसे कहेगी कि वह उसे, यानी कि शिवम को पसंद करती है, मगर उसके घर वाले ज़बरदस्ती उसकी शादी मानव से करवा रहे हैं।
देविका जैसे ही ऐसा कहती है, शिवम की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वह खुशी के मारे जोर-जोर से हँसना चाहता है। जो अभी देविका ने उससे कहा है, वह उसके बारे में सारी दुनिया को बताना चाहता है। शिवम इस समय जैसे अपने होश खो बैठता है। उसे लगता है वह जो सपना कब से देख रहा था, वह अब पूरा होने जा रहा है। उसके चेहरे पर आई खुशी, देविका को साफ-साफ नजर आती है। वह शिवम के मन में उसके लिए फीलिंग्स को पहले से ही जानती थी, इसलिए उसके लिए यह शिवम के चेहरे पर आए रिएक्शन शॉकिंग नहीं थे। जबकि देविका के मुँह से निकले शब्द उसकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं। यही सोचकर, शिवम अपनी खुशी को छुपाते हुए उससे पूछता है, मगर मेरे बारे में तुम ऐसा कैसे कह सकती हो? मेरा मतलब है, तुम मुझे पसंद करती हो!
इस पर देविका अंजान बनते हुए उससे कहती है,
देविका: प्लीज शिवम, अब तुम इस पर कुछ मत कहना क्योंकि अगर तुम मुझे ऐसा करने से रोकोगे, तो मेरे पास और कोई रास्ता ही नहीं बचता है कि मैं मानव से शादी के लिए मना कर पाऊं।
शिवम जो खुशी से फूला नहीं समा रहा है, वह उससे कहता है कि अगर उसका नाम लेने से देविका की प्रॉब्लम सॉल्व होती है, तो उसे उसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है। देविका यह बात पहले से ही जानती थी, उसे बस शिवम को उसके और मानव के रास्ते से हटाना था। वह अपनी बात कहने के बाद शिवम से कहती है,
देविका: शिवम, तुम्हें अंदाजा भी नहीं है कि तुमने मुझे कितनी बड़ी मुसीबत से बचाया है।
यह सुनकर, शिवम उससे कहता है, मैंने तो कुछ नहीं किया देविका! यह तो तुम्हारा विश्वास है कि तुम ऐसा कहोगी तो बात संभल जाएगी।
देविका: हाँ शिवम! मैं जानती हूँ यह बात गलत है, मगर मेरे पास…
वह अपनी बात कह ही रही होती है कि तभी शिवम उसकी बात बीच में ही काटते हुए उससे कहता है, तुम इतना मत सोचो देविका! मुझे तुम्हारी समझ पर बहुत भरोसा है। मुझे पता है तुम सब कुछ बहुत अच्छे से संभाल लोगी और अगर फिर भी कुछ ऊपर-नीचे हुआ, तो... तो मैं हूँ न! शिवम जैसे ही ऐसा कहता है, देविका के शरीर में जैसे बिजली सी दौड़ जाती है, मगर वह उसे कुछ नहीं कहती और चेहरे पर झूठी मुस्कराहट लिए उसका धन्यवाद करती है और वहाँ से निकल जाती है।
यहाँ, सुरु, दिया के पीछे-पीछे जैसे ही अंदर जाती है, वह यह देखकर दंग रह जाती है कि यहाँ बहुत ही पढ़े-लिखे लोगों का हुजूम दिख रहा है। दिया इस भीड़ को चीरते हुए अंदर जाती है। सुरु भी लगभग भागते हुए दिया के पीछे-पीछे जाती है। अंदर रखे बड़े-बड़े सोफे, जिनमें स्टोन जड़े हुए हैं... बड़ी-बड़ी कांच की टेबल्स... लाखों रुपए के फर्श पर बिछे आलीशान कालीन... ऊपर छत पर झूलते हुए झूमर और हवा में तरह-तरह के परफ्यूम की खुशबू के साथ बहता संगीत, सुरु को पागल कर देता है। वह बचपन से इसी तरह की जिंदगी जीने की कल्पना करती आई है, मगर यह सब अभी उसकी पहुँच से बहुत दूर है। जिसे देखकर वह मन ही मन सोचती है,
सुरु: सुरु... देख ले यह है तेरा भविष्य... बस इसी तरह की आलीशान चीजों की आदत डाल ले! क्योंकि बहुत जल्द तेरे नसीब में यह सब आने वाला है।
ऐसा सोचते हुए, सुरु दिया के पीछे जाती है और देखते ही देखते अंदर की तरफ जाती है। यहाँ एक बड़ा सा हॉल है, जहाँ बहुत बड़ी स्क्रीन लगी है, जिस पर आज होने वाला मैच शुरू होने वाला है। उसके ठीक सामने दर्जनों राउंड टेबल्स रखी हैं, जहाँ जो पहले पहुँच रहा है अपनी सीट ले रहा है। यह देखते ही, दिया एक ऐसी टेबल पर जा बैठती है, जहाँ दो कुर्सियों पर कोई नहीं बैठा है। सुरु भी उसके साथ बैठ जाती है।
सुरु ने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ पहले कभी नहीं देखा था। वह यह देखकर हैरान हो जाती है कि उसी की उम्र की दिया यह सब इतनी आसानी से कैसे कर पा रही है। जब तक लोग आकर उन सीट्स पर बैठते हैं, तब तक सुरु उस हॉल के हर एक कोने को बहुत ध्यान से देखती है। दिया से जैसे ही सुरू अपने मन में उठ रहे सवालों के जवाब पूछने लगती है कि तभी वहां माइक पर एक आवाज आती है, जो सबका ध्यान आकर्षित करती है।
वहीं, मानव और जीत जैसे ही दुकान पर पहुँचते हैं, वह देखते हैं कि उनकी दुकान के बाहर कुछ लोग जमा हैं। जिन्हें देखते ही इन दोनों के कदम अपने आप रुक जाते हैं। तब जीत उन्हें देखते हुए, मानव से कहता है,
जीत: मानव, कहीं ये लोग राजू भाई के लोग तो नहीं हैं!
मानव, जिसका ध्यान अभी भी उन्हीं पर बना हुआ है, वह उन्हें देखकर उनसे कहता है,
मानव: नहीं जीत, राजू भाई अपने आदमियों को यहाँ क्यों भेजेंगे! अभी तक मैंने उनका ब्याज टाइम पर दिया है। मुझे लगता है ये शायद नए लोग हैं, जो जागरण के लिए बात करना चाहते हैं या फिर शायद...
जीत: या फिर शायद ये वही लोग हैं, जो तुम्हें ढूंढ रहे थे?
जीत के ऐसा कहने पर, मानव उसकी तरफ देखता है और फिर कुछ सोचते हुए उन लोगों की तरफ बढ़ता है। जीत उसे रोकने की कोशिश करता है, मगर अब वह समझ जाता है कि मानव नहीं रुकने वाला। इसलिए वह भी मानव के साथ उसके पीछे-पीछे जाता है। मानव को देखते ही, वह सभी लोग जो उसकी दुकान के ठीक बाहर खड़े हैं, वह उसे देखते हैं और आपस में कुछ बातें करने लगते हैं। मानव बेझिजक उनके बीच जाकर खड़ा होता है और उनसे उनके आने का कारण पूछता है। वह जैसे ही ऐसा पूछता है, उस भीड़ में खड़ा एक बुजुर्ग आदमी उससे कहता है, बेटा, काम की बातें इस तरह से रोड पर नहीं करनी चाहिए, इससे काम की रिस्पेक्ट कम होती है।
उनके ऐसा कहते ही, मानव मुंह बनाते हुए उन्हें देखता है और उनसे कहता है,
मानव: ओह! आप जागरण की बात कर रहे हैं।
उसके ऐसा कहते ही, उस भीड़ में से एक नौजवान अपनी बुलंद आवाज में उससे कहता है, हाँ, मानव भाई! वरना आपकी दुकान के आगे यूं डेरा डालकर आपका इंतजार थोड़े न कर रहे होते! बहुत सुना है आपके बारे में, इसलिए इतनी दूर आपसे बात करने के लिए आए हैं। मानव को यह बात थोड़ा चौंका देती है। वह जब तक कुछ कहता, कि उस नौजवान की बात के कहते ही, वहां पर खड़े बाकी लोग मुस्कुराने लगते हैं।
जीत, जो मानव के पीछे खड़ा यह सब देख रहा था, अब थोड़ी राहत महसूस करता है और वह भी उस भीड़ के साथ दुकान के अंदर जाता है। मानव उन लोगों से होने वाले जागरण के बारे में डिटेल के साथ बात करता है, जिसमें उसे पता है कि वह लोग जागरण के साथ कोई फैमिली फंक्शन भी करवाना चाहते हैं। मानव की खुशी का ठिकाना नहीं रहता और देखते ही देखते वह उन लोगों के साथ डील फाइनल करता है। डील फाइनल होते ही, वह लोग वहां से जाते हैं। उनके जाते ही, मानव अपने खिले हुए चेहरे के साथ जीत से कहता है,
मानव: अब सब ठीक हो जाएगा यार!
यह सुनते ही, जीत भी बहुत खुश होता है, मगर अचानक ही उसका चेहरा उदास हो जाता है। जिसे देखकर, मानव उससे उसकी उदासी की वजह पूछता है, तब वह उससे कहता है कि जो लोग अभी मानव के साथ डील फिक्स करके गए हैं, वह यह जानते हैं कि उनके जागरण का काम मानव संभाल लेगा, मगर भजन मंडली का वह क्या करेगा? मानव इस समय जिस तरह के मानसिक दबाव में है, वह बस कहीं से भी काम पाने की इच्छा रखता है। ऐसे में, किसी पार्टी का आना और एक बड़ी डील फिक्स कर देना, उसे यह सोचने का मौका ही नहीं देता कि वह आखिर शास्त्री जी की जगह किसे भजन गाने के लिए कहेगा। क्योंकि जो बात शास्त्री जी में है, वह दूसरों में नहीं है। इसीलिए, जो लोग उसके पास यहाँ थे, वह उससे पूरे फंक्शन के लिए डील करके गए हैं।
यहाँ, देविका से बात करने के बाद, शिवम की खुशी का ठिकाना नहीं है। वह आज इतना खुश है कि वह सारी दुनिया को देविका के बारे में बताना चाहता है। हालांकि वह जानता है कि देविका सिर्फ मानव से शादी न करने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल करेगी, मगर उसे इस बात की भी बहुत खुशी है। वह जैसे ही अपने घर जाता है, वह खुद को आईने में देखकर कहता है, यह कोई इत्तेफाक नहीं है शिवम! यह प्रकृति का एक इशारा है तेरे लिए कि देविका सिर्फ तेरी है! अगर उसे किसी और का ही होना होता, तो अपने घरवालों के इतने प्रेशर में आकर वह चुपचाप उस छछुंदर से शादी कर लेती न! मगर नहीं! वह ऐसा नहीं करना चाहती!... इस बात का तो साफ सा मतलब है शायद वह भी मुझे पसंद करती है।
अब वह एक लड़की है, शायद खुलकर मुझसे यह सब नहीं कह सकती! मुझे वैसे तो कई बार इस बात का एहसास हुआ है, मगर आज तो मेरी देवू ने खुद अपने मुँह से ऐसा कहा है कि वह मुझे पसंद करती है, इसलिए वह उससे शादी नहीं करेगी। खुद को शीशे में निहारता हुआ, शिवम इस समय जैसे सातवें आसमान पर है। वह देविका की बातों में इस कदर आ गया है जैसे वह उसे एकदम सच मान बैठा है।
शिवम जैसे ही खुद को शीशे में देखकर ऐसा सोचता है, कि तभी उसके दिमाग में कुछ आता है और वह झट से अपने घर से निकल जाता है।
यहाँ, सुरु जैसे ही दिया से अपने मन में चल रही बातों के बारे में पूछने लगती है, कि तभी माइक पर एक दमदार आवाज आती है, जो सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। एक लगभग 6 फुट कदकाठी वाला व्यक्ति, जिसका गठीला बदन, दमदार भारी भरकम आवाज और उसके उस शरीर पर क्रीज़ किया हुआ सूट, चमचमाते हुए जूते पहनकर, हाथों में महंगी शानदार घड़ी का प्रदर्शन करते हुए वहाँ बैठे हर व्यक्ति का अभिनंदन करता है। यह व्यक्ति देखने में स्पोर्ट्स प्लेयर दिखता है, जिसे शायद कोई नहीं पहचानता, मगर हर किसी को लगता है जैसे उसने वैसे ही व्यक्ति को कहीं देखा है।
उस हॉल में बैठा हर व्यक्ति उसके आते ही तालियों से उसका स्वागत करता है। दिया के चेहरे पर उस व्यक्ति को देखकर चमक आ जाती है, जिसे सुरु नोटिस करती है और उससे उसके बारे में पूछताछ करती है। दिया उसे बताती है कि वह एक बड़ी क्रिकेट टीम का प्लेयर रह चुका है, मगर किसी कारणवश उसे क्रिकेट छोड़ना पड़ा था, इसलिए वह अब गेस्ट कोच के रूप में अलग-अलग जाकर क्रिकेटर्स को प्रशिक्षण देता है।
यह सुनते ही, सुरु के कान खड़े हो जाते हैं और वह उसे ऊपर से नीचे देखती रह जाती है। वह व्यक्ति बिना समय गंवाए वहाँ बैठे हर शख्स को आज के होने वाले इस महामुकाबले के बारे में बताता है, और साथ ही बहुत सारे रूल्स और रेगुलेशन्स की बात करता है। वह अपनी बात रखते हुए कुछ ऐसा कहने लगता है कि वहाँ सबको अपनी टेबल पर रखे नोटपैड उठाने पड़ते हैं और जिस स्पीड से वह कुछ कैलकुलेशन समझाता है, उसे लिखना पड़ता है।
दिया को देखते हुए, सुरु भी उसकी बातों को फॉलो करते हुए कुछ नोट्स बनाने लगती है, मगर कुछ ही मिनटों में वह कैलकुलेशन सुरु के सिर के ऊपर से जाती है और वह चिढ़ कर नोटबुक साइड पर रखते हुए दिया को देखती है, जो उस शख्स के हिसाब से कुछ लिखती ही चली जा रही है। सुरु, दिया को देखकर हैरान होती है, तब वह नज़रें घुमा कर अपने चारों ओर देखती है और उसे हर कोई ऐसा ही करता हुआ दिखता है। वह यह सब देखकर चौंक जाती है और मन ही मन में सोचती है,
सुरु: बेटा सुरु! यह सब जो तुझे इतना आसान दिख रहा था, वह अब नहीं लगता है कि इतना आसान होगा।
सुरु मुंह बनाते हुए ऐसा सोच ही रही होती है कि तभी उस हॉल में सायरन की गूंज होती है, जिसे सुनते ही हर कोई बुरी तरह से डर जाता है। सुरु भी इस आवाज की गूंज से हिल जाती है और थरथराने लगती है। उसके होंठ कांपने लगते हैं और आँखों में आंसू की बूंदें चमकने लगती हैं। सबकुछ इतनी शांति और तरीके से हो रहा था। दिया के हिसाब से यह सट्टेबाजी बहुत ही सेफ होती है, तो ऐसे में यह किसका सायरन है जो सबके पसीने निकाल देता है?
क्या वहाँ कोई हादसा हुआ है जिससे लोग अंजान हैं या फिर यह पुलिस की रेड है, जिसके लपेटे में आज यहाँ बैठा कोई आने वाला है! आखिर क्या होता है इसके आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए!
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