"यह क्या हो रहा है?" जैसे ही यह शब्द कविता के कानों में पड़ते हैं, उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है। और वह पीछे पलट कर देखती है कि मीनू उसकी पीछे खड़ी खुशबू आंटी के सामने ऐसा कह रही है। कविता झट से पलटती है और उससे कहती है, अरे बेटा, तुम यहाँ कब आई? मीनू अपनी माँ को देखती है और वह फिर से उनसे वही सवाल करती है, यह सब क्या हो रहा है माँ? जब वह लोग अभी रोके के लिए तैयार नहीं हैं, तो आपको किस बात की जल्दी है?
यह सुनते ही कविता अपनी जगह से खड़ी होती है और मीनू से कहती है कि वह घर चलकर इस बारे में बात करेंगे। मीनू समझदार लड़की है, इसलिए अपनी माँ की बात पर कोई जवाब नहीं देती और चुपचाप अपने कदम वापस लेते हुए घर की तरफ जाती है। उनके वहाँ से निकलते ही कविता भी झट से खड़ी होती है और मीनू के पीछे चल देती है।
खुशबू आंटी अभी तक इस बात से अंजान हैं कि कविता मानव को बिना बताए इस रिश्ते को करना चाहती है। वह मीनू और कविता की बात सुनकर थोड़ा हैरान होती है, मगर कुछ रिएक्ट नहीं करते हुए अपने कामों में बिजी हो जाती है। यहाँ, दिया की गली से निकलकर मानव और जीत दुकान की तरफ जाते हैं कि तभी मानव को किसी का फोन आता है और उसके चेहरे का रंग बदल जाता है। वह फोन पर कहता है,
मानव: मगर आप मेरी बात तो सुनिए... अरे नहीं ऐसा कैसे कर सकते हैं आप?... लेकिन मुझे... हाँ मैं वही तो... अरे लेकिन...
मानव के ये आधे-अधूरे वाक्य और उसके चेहरे का उड़ा हुआ रंग जीत को टेंशन में डाल देता है। तब वह उससे पूछता है,
जीत: क्या हुआ यार? कोई टेंशन है क्या?
मानव जीत को हेल्पलेस नजरों से देखता है और हाँ में सिर हिलाते हुए उससे कहता है,
मानव: जीत, यार इस महीने मैं अभी तक राजू भाई की इंस्टॉलमेंट के पैसे नहीं जमा कर पाया हूँ। सोचा था पार्ट-टाइम जॉब में ज्यादा टाइम देकर कमीशन बना लूंगा, मगर अब समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूँ? कैसे होगा सब?
जीत मानव की बात को समझ नहीं पाता और तब वह उससे पूछता है,
जीत: मगर हुआ क्या है भाई? क्यों नहीं कर पाएगा?
इस पर मानव उससे कहता है,
मानव: यार, जिस डिलीवरी कंपनी में मैंने पार्ट-टाइम जॉइन किया था, उसी के बॉस का फोन था। कहता है, "कल से मत आना, आज आकर अपना हिसाब कर लो!"
यह सुनते ही जीत का पारा चढ़ जाता है और वह मानव से कहता है,
जीत: यह क्या तरीका हुआ भाई! वह किसी को नौकरी से ऐसे कैसे निकाल सकता है? उसे पता नहीं है क्या कि तू कितनी मेहनत करता है उसके यहाँ!
यह सुनकर जीत, नहीं में सिर हिलाता हुआ उससे कहता है,
मानव: जीत, मैं उसके यहाँ नौकरी नहीं करता भाई, यह पार्ट-टाइम जॉब है और इन जॉब्स में ऐसा ही होता है।
जीत: मगर कल से मत आना! यह तो गलत बात है, कम से कम थोड़ा टाइम तो देना चाहिए न!
मानव जीत की बात सुनता है, मगर इस समय उसके दिमाग में बस एक ही बात चल रही है कि वह आखिर किस तरह से राजू भाई का ब्याज देगा। तब वह जीत से कहता है,
मानव: जीत, गलत तो बहुत कुछ है यार इस दुनिया में, मगर हम सब कुछ नहीं बदल सकते हैं न! इसलिए बेहतर यही है कि सच का सामना करें और आगे बढ़ें!
जीत उसकी मजबूरी को समझते हुए उससे पूछता है,
जीत: तो फिर! अब क्या करेगा भाई?
मानव कुछ सोचता है और फिर जीत से कहता है,
मानव: मैं अब इतने कम समय में क्या करूँगा यह तो नहीं पता, मगर इतना जानता हूँ कि मैं जो सोच रहा हूँ भगवान न करे मुझे वह करना पड़े!
मानव की यह बात जीत को चौंका देती है और वह उससे पूछता है,
जीत: ओए! कुछ उल्टा-सीधा तो नहीं चल रहा है न दिमाग में... देख, मानव, मैंने राजू पहलवान से पैसा लेने से पहले ही तुझे कहा था कि यह बहुत बड़ा रिस्क है और अब जो तू ऐसी बातें कर रहा है, वह मुझे सच में डरा रही हैं।
जीत के डर को देखकर, मानव उसे शांत रहने के लिए कहता है और अपनी बात पूरी करते हुए उससे कहता है,
मानव: अरे नहीं यार! मैं क्या उल्टा-सीधा करूँगा! मैं तो बस यह कह रहा था कि मैंने शास्त्री अंकल के लिए जो पैसे लिए थे, वह अभी तक पूरे खर्च नहीं हुए हैं। उसमें एक बड़ा अमाउंट बचा हुआ है। मैं सोच रहा था कि...
मानव अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाता कि जीत तभी उसे बीच में रोकते हुए कहता है,
जीत: क्या पागलपना है, मानव! अगर राजू का पैसा तेरे पास बचा हुआ है, तो तू उसको लौटा क्यों नहीं देता? कम से कम तेरा ब्याज कुछ तो कम हो जाएगा न!
मानव उसकी बात सुनता है और हाँ में सिर हिलाते हुए उससे कहता है,
मानव: हाँ यार जानता हूँ! मगर... शास्त्री अंकल अभी घर पर हैं, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। उनके चेक-अप्स और दवाईयों पर लगातार खर्च हो रहा है। डॉक्टर ने मुझे साफ कहा है कि जब तक उनके सारे बचे हुए टेस्ट नहीं हो जाते, हमें यह मानकर चलना होगा कि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है।
यह सुनते ही जीत का मुंह खुला का खुला रह जाता है और वह उससे कहता है,
जीत: यार तू यह सब कहां उलझ गया है, मानव! मुझे सच में तेरे और तेरे परिवार पर बहुत दया आने लगी है।
मानव उसके कंधे पर हाथ रखते हुए हाँ में सिर हिलाता है और आगे चलता है।
यहाँ, दिया सुरु के साथ झट से उस लोकेशन पर पहुँचती है जहाँ आज क्रिकेट के मुकाबले पर सट्टेबाजी होने वाली है। यह बहुत ही आम सी कॉलोनी में बना आम सा घर है, जो कि अंदर से बहुत ही शानदार बना हुआ है। घर के अंदर घुसते ही एक रास्ता बेसमेंट की ओर जाता है, जहाँ आलिशान गाड़ियों का डेरा लगा हुआ है। फूलों की क्यारियों से सजा बग़ीचा और अंदर जाने के लिए मार्बल के पत्थर का रास्ता देखकर सुरु को ऐसा लगता है जैसे वह स्वर्ग में आ पहुंची है। अंदर जाते समय खाने की बेमिसाल खुशबू उसका ध्यान आकर्षित करती है, उसका मन लालच में आता है और वह जैसे ही दिया से कुछ कहने लगती है कि उसकी नज़र एक बड़े से लकड़ी के नक्काशी किए दरवाज़े पर पड़ती है, जहाँ पर दिया कुछ डॉक्युमेंट्स दिखा रही है।
सुरु: क्या करती है यार... यहाँ कब आई बताना चाहिए था न! अभी मैं बाहर ही रह जाती।
सुरु जानती है कि वह जिस जगह पर आई है, वहां पर कोई भी ऐसे ही आ जा नहीं सकता। इसके साथ ही दिया ने जुगाड़ करके ऐसे पेपर्स बनवाए हैं, जिनके हिसाब से दिया और सुरु बालिग हैं। अगर दिया उन पेपर्स के साथ अंदर चली जाती और सुरु नहीं जा पाती, तो उसके लिए इस जगह में अंदर जाना नामुमकिन हो जाता।
सुरु की बात सुनकर, दिया भी उसके कान में धीरे से कहती है, हम दोनों में से कोई भी ऐसा कोई काम नहीं कर सकता जिससे हमारी क्लास और उम्र के बारे में कोई जान सके। अगर ऐसा हुआ तो हम पकड़े जाएंगे, जानती हो न तुम! दिया की बात सुनकर, सुरु चेहरा बनाते हुए हाँ में सिर हिलाती है और देखते ही देखते दोनों अंदर जाते हैं।
यहाँ, शिवम देविका के मैसेज को पढ़कर भागा चला आता है और देविका से पूछता है कि उसे इतना जल्दी क्यों बुलाया है। देविका अभी तक समझ ही नहीं पा रही थी कि उसे शिवम को क्या जवाब देना है, मगर तब ही उसके दिमाग में एक आइडिया आता है और वह शिवम से कहती है,
देविका: शिवम, आई एम सॉरी, शायद मुझे तुम्हें इस तरह से नहीं बुलाना चाहिए था, मगर क्या करती, मेरी एक बहुत बड़ी मजबूरी है जो मुझे लगता है कि मुझे तुमसे शेयर करनी चाहिए।
शिवम मन ही मन जानता है कि देविका उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती और वह बहुत जल्दी किसी मानव से शादी करने वाली है। इसके बावजूद, वह उसकी बात सुनने को तैयार होता है और उससे कहता है, हाँ बोलो देविका! क्या कहना चाहती हो?
देविका: वो... मुझे सच में समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या और कैसे बोलूं शिवम, मगर मैं कोशिश करती हूँ...
देविका: शिवम, मेरी शादी होने वाली है।
शिवम इस बात पर ऐसे रिएक्ट करता है जैसे उसे पता ही नहीं है कि देविका किस बारे में बात कर रही है, इसलिए वह उससे कहता है, अरे वाह! यह तो बहुत खुशी की बात है, देविका... इस पर तुम इतना टेंशन क्यों ले रही हो? उल्टा मैं तो कहूँगा, इस बात पर तुम्हें खुश होना चाहिए कि तुम शादी के बाद यहाँ से जाओगी तो तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा। शिवम के ऐसा कहने पर, देविका अपनी भौंहें चढ़ाती है और उससे कहती है,
देविका: यार तुम्हें कैसे बताऊँ शिवम, आज के ज़माने में मेरे घर वाले मुझे किसी ऐसे इंसान के साथ बांधना चाहते हैं, जिसे... जिसे मैंने बस देखा है, मगर उसे जानती बिल्कुल भी नहीं हूँ! तुम बताओ, यह कहाँ तक ठीक है? कहाँ होता है आजकल ऐसा? कैसे कर लूं मैं उससे शादी?
यह सुनकर, शिवम बहुत ही नॉर्मल ढंग से उससे कहता है, हाँ अजीब तो है! मगर जब तुम्हें पता है कि तुम ऐसे किसी लड़के से शादी नहीं कर सकती, जिसे तुम नहीं जानती हो, तो... तुम अपने घरवालों को मना क्यों नहीं कर देती?
देविका: यही तो प्रॉब्लम है। जब मैंने अपने घरवालों से इस बारे में बात करना चाहा, तो उन्होंने बताया कि जब हम करोल बाग़ में रहते थे, तब उनके घरवालों ने मेरे घरवालों की मुश्किल टाइम पर बहुत मदद की थी। वह कहते हैं जब कोई हमारी मदद नहीं कर रहा था, तब मानव और उसका परिवार ही था जो उनके लिए सब कुछ कर रहा था। और वह इस एहसान को कभी नहीं भूल सकते।
यह सुनकर, शिवम थोड़ा चौंकते हुए देविका से कहता है, तो उन्होंने अपने एहसानों के बदले में तुम्हारा रिश्ता माँगा है? यह सुनकर, देविका नहीं में सिर हिलाते हुए उसे खुशबू आंटी के बारे में सब बताती है। वह बताती है कि कैसे उनके पास मानव का रिश्ता आया और उन्होंने उसके घरवालों को जब इस बारे में बताया, तो वह खुशी से फूले नहीं समाए और उन्होंने इस रिश्ते के लिए तुरंत हाँ कर दिया! शिवम को देविका की इस बात पर भरोसा हो जाता है और वह तब उससे कहता है, तो अब? अब क्या सोचा है तुमने? क्या करोगी? इस पर देविका अपने नाखूनों को चबाने लगती है और शिवम को देखकर मुंह बनाते हुए कहती है,
देविका: यही तो समझ नहीं आ रहा शिवम, मैं क्या करूँ? क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो, प्लीज?
यह सुनते ही शिवम के चेहरे पर चमक आ जाती है और वह एक झटके में वहां से जाने लगता है। तब देविका का माथा चढ़ जाता है और वह उसे रोकते हुए पूछती है,
देविका: अरे कमाल करते हो! मैं तुमसे मदद मांग रही हूँ और तुम पतली गली से निकल रहे हो?
यह सुनते ही, शिवम के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है और वह उससे कहता है, पतली गली से नहीं निकल रहा देविका... बल्कि मैं तुम्हारे घर जा रहा हूँ। शिवम जैसे ही ऐसा कहता है, देविका के हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं और उसके माथे पर चमकता पसीना साफ-साफ उसके चेहरे पर आए डर को दिखाता है। जिसे देखते ही, शिवम उससे पूछता है, क्या हुआ तुम ठीक हो न? देविका नहीं में सिर हिलाते हुए, शिवम से कहती है कि उसे उसके घर नहीं जाना चाहिए क्योंकि इस मुद्दे को लेकर उसके घर में पहले ही बात हो चुकी है और उसके घरवालों ने देविका से इस पर दोबारा बात करने के लिए मना किया है।
जिस पर, शिवम उससे कहता है कि वह उसके घर में फैमिली मेंबर की तरह है, वह जानता है किससे क्या और कैसे बात करनी है। इसलिए देविका को बेकार की चिंता नहीं करनी चाहिए, वह संभाल लेगा। इस पर देविका उसके आगे लगभग हाथ जोड़ते हुए कहती है,
देविका: नहीं शिवम, तुम समझ नहीं रहे हो... मेरे परिवार ने इस पर बात करने से मना किया है। इसका साफ़ साफ़ मतलब यह है कि उन्होंने इस बारे में सारे रिश्तेदारों को बता दिया है... तुम तो जानते ही हो, ऐसी बातें कैसे आग की तरह फैलती हैं। ऐसे में अगर तुम मेरे घरवालों से मेरे लिए बात करोगे, तो तुम्हें अंदाजा भी नहीं है वह मुझे कितना प्रेशर देंगे, कसमें चढ़ाएंगे और न जाने क्या-क्या नाटक होगा। और अल्टीमेटली होगा वही जो वह चाहते हैं।
देविका की बात सुनकर, शिवम वहीं रुक जाता है और उससे कहता है, तो ऐसे तो तुम्हारे पास उस मानव से शादी करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता! शिवम यह कहता है, तो उसकी आँखों में नफरत झलकती है, जिसे देविका साफ़ देख सकती है। वह जानती है कि अगर उसने इतनी आसानी से शिवम के आगे यह कह दिया कि वह मानव से शादी करना चाहती है, तो वह मानव को छोड़ेगा नहीं। इसलिए वह उससे कहती है,
देविका: नहीं शिवम! मेरे पापा हमेशा कहते हैं जब कोई रास्ता नहीं होता, तब भी कहीं न कहीं कोई उम्मीद बाकी होती है।
यह सुनते ही, शिवम थोड़ा हैरानी से पूछता है, मतलब? शिवम जानना चाहता है कि ऐसी सिचुएशन में आखिर देविका किस उम्मीद की बात कर रही है। क्या वह शिवम से शादी के लिए हाँ कर देगी या फिर वह शिवम को मानव के प्रति अपने प्यार का सच बता देगी? या देविका कुछ ऐसा कहेगी जिसकी शिवम को जरा भी उम्मीद नहीं थी.... आखिर क्या है इस कहानी के अगले भाग में? जानने के लिए पढ़ते रहिये!
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