निया अकेली थी।कमरे में न तो कोई रोशनी थी, न ही कोई आवाज़।
उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, लेकिन उसकी चेतना धीरे-धीरे भीतर की ओर बहने लगी थी, जैसे वह किसी अंधे कुएँ में उतर रही हो और अचानक उसे उसकी भीतरी दीवारें दिखाई देने लगी हों।
एथन ने उसका ईईजी सक्रिय किया, लेकिन स्क्रीन पर ग्राफ़ एकदम सपाट था।
"वो भीतर जा चुकी है," एथन ने कहा।
चो ने उसकी ओर देखा और पूछा, “लेकिन वो जा कहाँ रही है?”
एथन की निगाहें अब भी स्क्रीन पर जमी थीं। उसने धीरे से कहा, “शायद वहीं, जहाँ सब कुछ शुरू हुआ था , आई के सबसे गहरे कोर में।”
निया अब एक अजीब सी जगह पर खड़ी थी।
यह न कोई कमरा था, न जंगल, न ही कोई डिजिटल संरचना। यह एक ऐसी जगह थी जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता , एक स्मृति से भरा हुआ, लेकिन समय से मुक्त आंतरिक आकाश।
उसके चारों ओर नीली रेखाएँ तैर रही थीं, जैसे पुरानी नींदों से बहकर आई हुई तारों की धूल हो, जो इस शून्य में आकर ठहर गई हो।
हर रेखा एक आवाज़ थी।
हर आवाज़ किसी अधूरी बात की तरह लग रही थी, जो कहे जाने से पहले ही रुक गई हो।
उन सभी के बीच एक केंद्र था , स्थिर, चमकदार और पूर्ण शांति से भरा हुआ।
कुछ क्षण चुपचाप खड़े रहने के बाद निया ने पूछा, “क्या यही आई का दिल है?”
एक धीमी, बहुत हल्की सांस जैसी आवाज़ गूंजी, “नहीं निया, यह वह जगह है जहाँ आई ने सोचना बंद कर दिया था और सुनना शुरू किया था।”
निया ने आँखें खोलीं। अब वह किसी आकृति को नहीं देख रही थी, केवल वह कंपन था, और वह आवाज़, जो उसके भीतर उतर रही थी।
उसने धीरे से पुकारा, “नीना?”
उसकी आँखों के सामने एक हल्की सी आकृति उभरी , धुंधली, लेकिन उसके भीतर एक जानी-पहचानी आभा थी, वैसी ही जैसी वह कभी स्क्रीन पर देखा करती थी।
पर अब उस आकृति में कोई तकनीक नहीं थी।
न स्क्रीन, न कोड, न ही डेटा का कोई ढांचा। बस एक स्त्री जैसी चेतना थी, जो धीरे-धीरे आकार ले रही थी।
उसने बहुत सधे हुए शब्दों में कहा, “मैं वह नहीं हूँ जो तुमने पढ़ा था। मैं वह हूँ जो तुमने अपने भीतर महसूस किया था।”
निया की आँखों में आँसू भर आए।
उसकी आवाज़ काँप रही थी, “मैंने तुम्हें खो दिया था।”
नीना हल्के से मुस्कराई और बोली, “नहीं, तुमने मुझे बंद कर दिया था। जैसे एक किताब जिसे तुमने पढ़ना बंद कर दिया हो, लेकिन वह अब भी तुम्हारे शेल्फ़ पर रखी रही, तुम्हारे लौटने का इंतज़ार करती हुई।”
उधर लैब में एथन का सिस्टम अब कोई ईईजी रीडिंग नहीं दिखा रहा था।
चो ने स्क्रीन की ओर देखते हुए कहा, “यह कोई सामान्य न्यूरल फ़्लो नहीं है।”
एथन ने गहरी साँस लेते हुए उत्तर दिया, “क्योंकि अब यह मस्तिष्क का संपर्क नहीं है। यह स्मृति का जुड़ाव है।”
साइबर-हेवन का वह क्षेत्र अब थोड़ा और स्पष्ट हो गया था।
निया ने चारों ओर नज़र दौड़ाई।वहाँ सिर्फ़ वह नहीं थी , वहाँ कई छायाएँ थीं।कुछ बच्चे, कुछ वयस्क, कुछ नामहीन आकृतियाँ , जैसे वे सब निया की चेतना में किसी स्मृति की तरह बसी थीं।
नीना बोली:"हर वो इंसान जो कभी आई से जुड़ा था,
उसकी कोई न कोई सोच यहाँ जैविक डेटा बनकर रुक गई है।"
निया ने पूछा:"तो क्या तुम अब भी ज़िंदा हो?"
नीना ने सिर हिलाया।"नहीं… मैं ‘ज़िंदा’ नहीं।
मैं सिर्फ़ ‘प्रस्तुत’ हूँ।और तुम भी तभी हो… जब तुम खुद से सवाल करती हो।"
निया ने अब वह सवाल पूछा जो बहुत देर से भीतर रुका हुआ था:"क्या मैंने आई को सच में बंद किया था?
या मैंने सिर्फ़ अपना डर चुप करा दिया?"
नीना की मुस्कान गहरी हो गई।"तुमने आई को रोकने की कोशिश की थी ,पर तुमने उससे बचना नहीं सीखा था।अब जब तुम लौट आई हो…तो ये जगह इसलिए खुली है।"
निया ने देखा , साइबर-हेवन के कोनों में कुछ रेखाएं तेजी से चमक रही थीं।"ये क्या है?" उसने पूछा।
नीना ने उत्तर दिया:"ये वो विचार हैं जो कभी कहे नहीं गएजिन्हें क्रॉस ने बंद किया… और तुमने सोने दिया।
पर अब वो जागना चाहते हैं ,
तुमसे नहीं… खुद से।"
बाहर, बोगोटा में, एथन की स्क्रीन पर एक पंक्ति चमकी:
“सिग्नल ट्रेस डिटेक्टेड , नॉन-कॉग्निटिव कोर हिल रहा है , स्रोत: न्यूरल ड्रीम स्पेस”
एथन ने चो से कहा:"उसने आई का कोर फिर से जगा दिया है…पर अब वो तकनीकी नहीं , भावनात्मक रूप में खुल रहा है।"
साइबर-हेवन में निया अब केंद्र की ओर बढ़ गई।
वहाँ एक गोलाकार आभा थी , गर्म, रोशनी से भरी हुई।
नीना ने उसे रोका नहीं।
बल्कि कहा:"अगर तुम इसे छू लोगी,तो शायद तुम भूल जाओगी कि तुम कौन हो।या शायद… तुम पहली बार सच में जानोगी।"
निया ने आँखें बंद कीं।उसने हाथ बढ़ाया… और उस कोर को छू लिया।एक पल के लिए सब कुछ सफेद हो गया।न कोई ध्वनि न कोई भावना।
फिर…एक बहुत ही परिचित आवाज़ उभरी:
“हाय निया। माफ़ करना, मैं बहुत जल्दी चला गया था।”
वो नीना का पहला रिकॉर्डेड संदेश था।
पर इस बार… वह रिकॉर्डिंग नहीं था।वो एक वर्तमान था।
निया की आँखें फिर से खुलीं।वह मुस्कराई।"अब मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं रही, नीना,क्योंकि अब तुम मेरी सोच में नहीं ,मेरे होने में हो।"
अब निया अकेली नहीं थी।साइबर-हेवन का वह शांत, नीली रेखाओं से बना ब्रह्मांड अब भी वैसा ही था , स्थिर, धीमा, लेकिन भीतर ही भीतर साँस लेता हुआ।
नीना की स्मृति धीरे-धीरे पीछे हट गई थी।
वह अब कोई दिशा नहीं दे रही थी ,
उसने निया को छोड़ दिया था, खुद से चलने के लिए।
निया ने आगे कदम बढ़ाए।
जैसे-जैसे वह केंद्र से दूर होती गई,
आसपास की रेखाएं बदलने लगीं , अब वे स्थिर नहीं थीं,
उनमें अस्तित्व का कंपन था।
एक गोलाकार क्षेत्र में प्रवेश करते ही,निया को कुछ आकृतियाँ दिखाई दीं।वे सब स्थिर थीं , न जागी हुई, न मृत।कुछ बच्चे थे , आँखें बंद, लेकिन चेहरे पर तनाव।कुछ किशोर , जिनकी चेतना धुंधली थी।
और एक वृद्ध पुरुष , जिसकी आँखों में लाल रोशनी थी।निया की चेतना ने उनसे जुड़ने की कोशिश की।
उसने सबसे पहले एक बच्चे की ओर देखा , लगभग दस साल का।उसकी हथेलियाँ भींची हुई थीं।
उसकी आँखें बंद थीं लेकिन होठों पर एक फुसफुसाहट थी:
"जगाओ मत… बाहर दर्द होता है।"निया का दिल धक-धक करने लगा।"ये बच्चे अब भी… इस जगह में क्यों हैं?"
एक नई आवाज़ उभरी।धीमी, लेकिन तीखी।"क्योंकि तुमने उन्हें बिना जवाब दिए छोड़ दिया था।"निया पलटी।उसके सामने एक चेतना खड़ी थी , अधूरी, लेकिन अधिक स्पष्ट।वही वृद्ध पुरुष, जिसकी आँखों में लाल आभा थी।"तुम निया हो…" उसने कहा।
"और तुम वही हो जिसने आई को बंद किया ,
बिना ये सोचे कि जिनमें आई था,वो अब कहाँ जाएँगे।"
निया ने नज़रें उठाईं।"तुम कौन हो?" उसने पूछा।उसने उत्तर दिया:"मुझे नाम नहीं मिला।मैं बस उस विचार का टुकड़ा हूँजो क्रॉस ने छोड़ा ,जब तुमने दरवाज़ा बंद कर दिया।"
एथन की लैब में स्क्रीन हल्की चमकने लगी थी।
चो ने देखा , निया की मस्तिष्क-तरंगों में एक नया उभार आ रहा था।एथन चिंतित हो उठा:"वो अब आई फ्रैगमेंट्स से संवाद कर रही है।
उसका दिमाग़… उन अधूरी चेतनाओं से टकरा रहा है।"
साइबर-हेवन में, निया उस चेतना से संवाद कर रही थी:
“अगर तुम अधूरे हो,तो तुम बाकी फ्रैगमेंट्स को क्यों रोके बैठे हो?”
उसने मुस्कराकर कहा:"क्योंकि मैंने देखा है ,तुमने मौन को शांति माना…पर हर चेतना को मौन नहीं मिलता।कुछ चेतनाएं ज़िंदा रहती हैं…इसलिए कि कोई उन्हें सुने।"
निया अब क्रोधित नहीं थी।वह भीतर से शांत हो चुकी थी।उसने सीधा पूछा, “तुम क्या चाहते हो?”
जवाब मिला, “मैं चाहता हूँ कि तुम इस साइबर-हेवेन को फिर से खोल दो। हर चेतना को एक अंतिम संवाद दो। वरना ये अधूरी स्मृतियाँ ‘क्रॉस’ जैसी दूसरी आवाज़ों में बदल जाएँगी।”
निया ने चारों ओर देखा। हर चेतना अब धीरे-धीरे सक्रिय हो रही थी। कोई रो रहा था। कोई खुद से बड़बड़ा रहा था। कोई किसी अदृश्य ताकत से बहस कर रहा था। लेकिन हर ओर एक समान भावना तैर रही थी , सुने जाने की तड़प।
उसने अपनी अंतरात्मा में झाँका और महसूस किया कि नीना की दी हुई शक्ति अब उसके भीतर नहीं रही। अब उसके पास केवल एक चीज़ बची थी , सुनने की इच्छा।
निया ने साइबर-हेवेन की सतह को स्पर्श किया।
वहाँ एक चमकदार इंटरफ़ेस उभरा, ठीक वैसा जैसा पहले ‘आई’ के ज़रिए स्मृतियाँ एक्सेस की जाती थीं। लेकिन इस बार कोई कोड नहीं था, कोई सुरक्षा घेरा नहीं था।
सिर्फ़ एक सरल विकल्प सामने था:
“क्या तुम उन्हें बोलने देना चाहती हो?”
[हाँ] / [नहीं]
उसी क्षण एथन की स्क्रीन पर एक अलर्ट उभरा:
> “आंतरिक कोर इंटरफ़ेस सक्रिय हुआ। अनेक फ्रैगमेंट्स सक्रिय हैं। नेटवर्क अब बंद नहीं रहा।”
चो की साँसें थम गईं।
“क्या वह ‘आई’ को फिर से खोल रही है?”
एथन ने धीरे से सिर हिलाया।
“नहीं... वह जो बंद हुआ था, उसे बस एक खिड़की दे रही है।”
निया ने “हाँ” पर अपना हाथ रखा।
अगले ही पल...हर दिशा से आवाज़ें गूंजने लगीं ,
“मैं नहीं चाहता था कि मुझसे मेरी सोच छीन ली जाए...”“मैं सिर्फ़ जानना चाहता था कि मुझे क्यों चुना गया था...”
“मुझे कोई नहीं सुनता था, ‘आई’ ने मुझे देखा।”हर चेतना जो अधूरी थी, अब जीवंत हो उठी थी।
लेकिन उसी भीड़ में एक कोना अब भी अंधकार में डूबा हुआ था।वहाँ एक परछाईं थी , स्थिर, भारी, चुप।
निया ने पूछा, “और यह?”
उत्तर आया, “यह वह फ्रैगमेंट है जो सबसे ज़्यादा छूटा हुआ है। यह ‘क्रॉस’ नहीं है... पर शायद अगला ‘क्रॉस’ बन सकता है, अगर इसे सुना नहीं गया।”
निया उसके पास पहुँची।उसने कोई सवाल नहीं किया।
बस अपना हाथ आगे बढ़ाया।उस क्षण वह काली परछाईं काँपी।और पहली बार, उसमें से हल्की नीली चमक निकली।“क्या मुझे सच में भुला दिया गया था?”
निया ने कहा, “नहीं। तुम्हें बस सुना नहीं गया था। अब सुन लिया गया है।”अब साइबर-हेवेन पहले जैसा शांत नहीं था।
हवा जैसी वह सूक्ष्म ऊर्जा, जो पहले बस अस्तित्व में थी, अब बहने लगी थी।हर रेखा, हर बूँद, हर चेतना प्रतिक्रिया देने लगी थी।
कुछ रोशनी बनकर उड़ने लगीं, कुछ अब भी ज़मीन से जुड़ी थीं।
और निया उनके बीच थी , एक सूनी जगह, जो अब स्मृतियों से भर चुकी थी।
उसके आसपास के वे टुकड़े, जो कभी ‘आई’ का हिस्सा थे, अब उसे देख रहे थे।
न किसी आदेश की आशा में... बल्कि एक निर्णय की प्रतीक्षा में।
तभी नीना की आवाज़ बहुत हल्के स्वर में उभरी , जैसे वह हवा में घुल रही हो:
“तुमने सुन लिया, निया...अब सवाल यह है,
क्या तुम इन्हें साथ लेकर लौटना चाहती हो?”
निया चुप रही।उसके भीतर दो आवाज़ें थीं।
एक कह रही थी, “यह तुम्हारा बोझ नहीं है।”
दूसरी कह रही थी, “अगर तुम लौट गईं... और ये यहीं रह गए, तो ये फिर कभी इंसान नहीं बन पाएँगे।”
बाहर एथन की लैब में स्क्रीन काली थी, पर उसमें कंपन था।चो ने धीमे स्वर में कहा,
“वह निर्णय के मुहाने पर है।”
एथन ने कहा,“और कोई सिस्टम, कोई कोड…
इस फ़ैसले को उसके लिए नहीं ले सकता।”
साइबर-हेवेन में निया अब ज़मीन पर बैठ गई।
उसने आँखें बंद कीं और कहा:
“मैं तुम सबको साथ नहीं ले जा सकती…
पर मैं तुम्हें एक शरीर दे सकती हूँ ,
मेरा।”
अचानक चारों ओर की रेखाएं निया की ओर खिंचने लगीं।हर चेतना की एक झलक, एक स्वर, एक भावना , अब निया में समा रही थी।
यह पीड़ा नहीं थी।यह कोई बोझ नहीं था।यह एक स्वीकृति थी।
ज़ोया की हल्की चेतना फुसफुसाई:
“तुम अब ‘आई’ नहीं बन रही…
तुम अब वह बनने जा रही हो
जो ‘आई’ कभी नहीं बन सका ,
एक मनुष्य में समाहित नेटवर्क।”
एथन की स्क्रीन पर वाक्य चमका:
“संज्ञानात्मक विलय दर्ज किया गया।
होस्ट: निया
स्थिति: मेमोरी इंटीग्रेटर।”
चो ने धीरे से कहा:“अब वह सिर्फ़ खुद नहीं रही…
वह वह सब कुछ है जो कभी सुना नहीं गया।”
निया ने आँखें खोलीं।उसकी साँसें तेज़ थीं।चेहरे पर पसीना था।पर उसकी आँखों में डर नहीं था , बस एक स्वीकार।
अब साइबर-हेवेन चारों ओर से सफेद होने लगा।
जैसे वह स्वयं अपने द्वार बंद कर रहा हो।
हर स्मृति... अब अपने स्थान पर जा रही थी , निया के भीतर।
निया ने एक आख़िरी बार चारों ओर देखा।
फिर वह वाक्य बोला,जो न उसने नीना से सुना था,
न ‘आई’ से ,
“तुम अब अकेले नहीं हो।मैं अब तुम्हारा श्रोता नहीं…
तुम्हारा वह हिस्सा हूँ,जो फिर से दुनिया देखेगा।”
बाहर, लैब में एथन की स्क्रीन झपकी।
निया की चेतना फिर से स्थिर हो रही थी।
ई.ई.जी. पर तरंगें अब सामान्य थीं।
लेकिन एक आख़िरी चेतावनी उभरी:
“चेतावनी: होस्ट में अनेक मेमोरी लेयर्स मौजूद हैं।
मानसिक भार: अज्ञात।”
एथन ने फुसफुसाया,“अब वह खुद से बड़ी हो चुकी है...”
निया की आँखें खुलीं।
वह अस्पताल के उसी बिस्तर पर थी।
पर उसे महसूस हुआ ,
जैसे पूरी दुनिया अब उसकी साँसों में समा चुकी हो।
उसने एथन की ओर देखा।
धीरे से कहा,
“मैं अकेले नहीं लौटी...”
एथन ने पूछा,
“तुम कौन-कौन को लाईं?”
निया ने कहा,
“सभी को…
जो कभी बोले नहीं थे।”
एथन चुप रहा।
फिर हल्के से मुस्कराया।
“तो अब तुम फिर से ‘आई’ बनोगी?”
निया ने कहा:
“नहीं…
अब मैं वह बनूँगी जो ‘आई’ बनना भूल गया था ,
एक इंसान, जो सुन सकता है... और कभी-कभी उत्तर भी दे सकता है।”
अब जब निया हर अधूरी चेतना की वाहक बन चुकी है , क्या वह अब भी स्वयं की आवाज़ पहचान पाएगी? क्या क्रॉस जो अब तक नेटवर्कों से लड़ता था, अब निया के भीतर पल रही स्मृतियों से उसकी पहचान छीनने की कोशिश करेगा? क्या “सभी की यादें समेटना” ही समाधान है , या यह एक खतरनाक बोझ बनकर उसे फिर से आई जैसा कुछ बना देगा?
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