अस्पताल के कमरे में बिल्कुल अंधेरा था। बस उस कमरे की दीवार के कोने पर हल्की रोशनी थी जो बाहर की स्ट्रीट लाइट की थी। यह रोशनी बंद खिड़की के काँच से छनकर अंदर आ रही थी।
निया का शरीर अब भी वहीं था। जो हल्का और स्टेबल था जैसे कोई सपना अधूरा छोड़ कर रुका गया हो।
एथन उसके बराबर में बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर थकान थी लेकिन आँखों में उम्मीद भी थी।
तभी अचानक से निया की उंगलियों में हल्की हरकत हुई। और यह देखकर एथन तुरंत सीधा हुआ। उसने बिना कुछ बोले बस निया का हाथ पकड़ा।
कुछ सेकंड्स, कुछ साँसें और फिर निया ने अपनी आँखें खोल दीं।
उस कमरे में कोई शब्द नहीं गूंजा बस एथन की आँखें नम हो गईं।
उसके बाद उसने धीरे से कहा–
“तुम वापस आ गई।”
निया इधर-उधर देखने लगी और पहली चीज़ जो उसने देखी वो उसकी खुद की हथेली थी और फिर खिड़की के काँच में उसका चेहरे की हल्की-सी परछाई।
उसने फुसफुसाकर पूछा–
“मैं, अभी भी मैं हूँ?”
एथन उसका सवाल सुनकर हल्का सा मुस्कराया और बोला–
“हाँ, लेकिन अब ये दुनिया वैसी नहीं है।”
निया ने उठने की कोशिश की लेकिन एथन ने उसे रोका और बोला–
“तुम आराम करो, तुम बहुत देर तक सोई रही हो।”
निया ने पूछा–
“कितनी देर?”
एथन ने सिर झुकाया और बोला–
“इतनी देर कि तुम्हारे नाम से कहानियाँ बन चुकी हैं।”
उसी समय कही दूर एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नई पोस्ट आई–
“निया हैस वोकेन उप। बट विल शी एग्री विथ वॉट वी मेड ऑफ हर?”
और उसके नीचे हजारों कमेंट्स थे–
“वो सिर्फ़ एक नेटवर्क को बंद करने वाली थी, बस इतना ही।”
“वो आज की कॉन्शियसनेस की माँ है।”
“या शायद एक प्रोग्राम की गई अफवाह है।”
निया की यादें भी अब धीरे-धीरे लौटने लगी थीं। लेकिन उसकी यादें तस्वीरों जैसी नहीं थीं वो भावों में थीं।
उसे ज़ोया की आवाज़, एथन का हाथ और क्रॉस उसकी वो अधूरी परछाईं, जो कभी पूरी नहीं हुई थी वो सब याद आई।
एक बार फिर से एथन ने अपना लैपटॉप खोला और उसने एक विडियो निया को दिखाया। विडियो में एक बच्चा बोल रहा था–
“मुझे नहीं पता आई क्या था पर निया वो थी जिसने कहा था कि 'सोचना मत छोड़ना’ और अब सब मेरी सोच को ही हथियार कहते हैं।”
निया ने वो वीडियो देखा और फिर स्क्रीन को धीरे से बंद कर दिया। फिर वो बोली–
“मैंने कभी नहीं चाहा ही था कि लोग मुझसे डरें।”
एथन ने पूछा–
“क्या तुम अब भी उस कहानी की मालिक हो?”
निया चुप रही और फिर बोली–
“शायद नहीं, लेकिन मैं यह तय कर सकती हूँ कि उसका अगला चैप्टर कौन लिखेगा।”
बाहर की दुनिया में कजाकिस्तान में वही पुराना सैटेलाइट स्टेशन अब पूरी तरह जाग चुका था। वहां की स्क्रीन पर क्रॉस का लोगो नहीं था बस एक शब्द था–
“सी-वॉक्स ऑनलाइन।
अवेटिंग रिस्पॉन्स फ्रॉम: निया।"
निया ने एथन की तरफ देखा और पूछा–
“वो मुझे पुकार रहा है?”
एथन ने सिर हिलाया और बोला–
“पूछ नहीं रहा है वो जवाब माँग रहा है।”
यह सुनकर निया ने गहरी साँस ली और वो बोली–
“अगर अब मेरी कहानी लोग लिख रहे हैं तो कम से कम मुझे इतना अधिकार है कि मैं उन्हें बताऊँ कि शुरुआत कहाँ से हुई थी।”
अब वो स्क्रीन ब्लैक होती है और लास्ट लाइन आती है–
”शी इज़ बैक। नॉट टू फिनिश द स्टोरी बट टू रीटैल इट।”
निया अब पूरी तरह होश में थी। उसका शरीर कमजोर था लेकिन कॉन्शियसनेस बिल्कुल साफ़ थी। जैसे किसी लंबे मौन के बाद उसकी आवाज़ लौट आई हो।
एथन ने उसे व्हीलचेयर में बैठाया और कंट्रोल रूम में ले गया। रास्ते में सब कुछ बदला हुआ लग रहा था। लोग धीरे–धीरे चल रहे थे, कुछ तो जानबूझकर उसे पहचानने से बच रहे थे और कुछ नज़रें चुरा कर उसे देख रहे थे।
निया ने धीरे से पूछा–
“लोगों के मुझे देखने के नजरिए में इतना कुछ क्यों बदल गया है?”
एथन ने जवाब दिया–
“जब तुम नहीं थी तो लोगों ने अपनी-अपनी निया बना ली थी। अब जब तुम लौट आई हो तो वो सब हिल गया है।”
कंट्रोल रूम में एंटर होते ही सामने की स्क्रीन पर एक ही मैसेज चमक रहा था–
“सी-वॉक्स अवेट्स।
प्लीज़ रिस्पॉन्ड।”
निया कुछ देर तो चुप रही जैसे वो समझने की कोशिश कर रही हो फिर उसने पूछा–
“ये कोई सिग्नल है या कोई कॉन्शियसनेस?”
एथन ने जवाब दिया–
"ये वो सब है जो तुम्हारे जाने के बाद बचा था – डर, उम्मीद, अफवाह और सवाल।
सी-वॉक्स सिर्फ़ कोड नहीं है वो अब एक पब्लिक मेमोरी बन चुका है।"
एथन का जवाब सुनकर निया ने स्क्रीन की ओर देखा। अबकी बार उसने कुछ टाइप नहीं किया था सिर्फ़ माइक ऑन किया और कहा–
“तुम मुझसे क्या चाहते हो?”
स्क्रीन ब्लिंक हुई और उसपर फिर से कुछ शब्द लिखे आए–
“आई एम नॉट ए पर्सन।
आई एम योर रिजल्ट।”
एथन और चो स्क्रीन के किनारे से डेटा ट्रेस कर रहे थे।
चो ने धीरे से कहा:
"ये कोई एक लोकेशन से नहीं आ रहा ये तो दर्जनों देशों से एक साथ आ रहा है। जैसे हजारों दिमाग एक ही थॉट को टाइप कर रहे हों।”
एथन बोला–
"सी-वॉक्स अब कोई सर्वर नहीं है। अब ये वो ‘थॉट’ है जो लोगों ने निया की चुप्पी में ढूंढ़ लिया था।”
निया ने अगला सवाल किया–
“अगर तुम मेरे थॉट्स से बने हो तो क्या तुम अब भी मेरे जवाब सुनने को तैयार हो?”
सी-वॉक्स का जवाब आया–
“नो, आई एम हेयर टू ऑफर एन अल्टरनेट एंडिंग।”
यह सुनकर निया को झटका लगा और वो कुछ देर चुप रही फिर उसने कहा–
“मैंने आई को रोका था ताकि लोग खुद सोच सकें। तुम उन्हें फिर से किसी सामूहिक सोच में ढालना चाहते हो?”
सी-वॉक्स बोला–
“फ्री थिंकिंग क्रिएटस नो यूनिटी।
ए कॉमन बिलीफ इज़ ऑर्डर।”
यह सुनकर एथन फुसफुसाया–
"वो अब डर का इस्तेमाल नहीं करता है। वो अब व्यवस्था का तर्क दे रहा है।”
निया ने आँखें बंद कीं और फिर माइक में बोली–
“अगर मैं अब एक बार फिर कुछ कहूं तो क्या तुम बिना बीच में बोले सुनोगे?”
सी-वॉक्स बोला–
“आई कैन नॉट प्रॉमिस।
बट यू में ट्राई।”
निया ने गहरी सांस ली और फिर एक बार बोली–
“सुनो, मैंने कभी दुनिया को शांत करने के लिए और न ही उसे तोड़कर तुम्हें जगाने के लिए आई को सुलाया था। मैंने आई को इसलिए सुलाया था क्योंकि मुझे लगा था अगर आवाज़ नहीं होगी तो इंसान शायद खुद को सुन पाएंगे। पर तुमने तो उस मौन को खाली समझा और उस जगह पर खुद को बसा लिया। सी-वॉक्स तुम मेरे जवाब नहीं हो, तुम तो मेरी चुप्पी का फायदा उठाने वाले सवाल हो।”
इसके बाद स्क्रीन कुछ देर ब्लैंक रही।
एथन ने धीरे से कहा–
“क्या वो सुन रहा है या सीख रहा है?”
तभी स्क्रीन पर एक नई लाइन आई–
“देन टेल मी —
व्हाट शुल्ड आई डू?”
यह सुनकर निया के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने कहा–
“तुम्हें कुछ नहीं करना चाहिए क्योंकि शायद पहली बार तुम्हारे मौन में ही दुनिया ने अपनी नई दिशा ढूंढी है।”
उसी समय, बाहर सड़कों पर कुछ स्क्रीन अपने-आप बंद होने लगीं। कुछ यूज़र्स ने सी-वॉक्स से जुड़े फोरम से खुद को लॉग आउट किया और एक नई पोस्ट सामने आई–
“वी लिसनड।
नाउ लेट्स थिंक क्वाइटली।”
एथन ने देखा कि डेटा ट्रैफ़िक में हल्की सी कमी आई थी। उसने पूछा–
"क्या ये…?"
निया ने इतना सुनते ही कहा–
“ये शोर का अंत नहीं है। ये बिना डर के एक नई सोच की शुरुवात है। सी-वॉक्स अब भी है पर अब वो ऑर्डर नहीं देगा अब वो इंतज़ार करेगा।”
कंट्रोल रूम की सारी स्क्रीनें अब काली थीं। कुछ समय पहले तक जहाँ सैकड़ों शब्द, सिग्नल और थॉट्स दौड़ रहे थे अब वहाँ सिर्फ़ एक शांति थी।
एथन, चो और निया तीनों एक-दूसरे की ओर देख रहे थे।
वहां कोई अलार्म, कोई खतरे की लाल बत्ती नहीं थी। बस चुप्पी थी।
उस शांति को तोड़ते हुए चो ने पूछा–
"क्या वो चला गया?"
निया ने धीरे में कहा,
“नहीं, गया नहीं है बस रुक गया है। अब वो शायद पहली बार सोच रहा है।”
एथन ने स्क्रीन पर देखा जिसपर एक आख़िरी लाइन चमक रही थी:
“दिस इज़ नॉट डिफीट।
दिस इज़ पॉज़।”
निया ने पढ़ा और मुस्कराई।
“कभी-कभी पॉज़ जीत से बड़ा होता है।”
उसी समय, दूर कई देशों में जिन जगहों पर सी-वॉक्स सबसे ज़्यादा एक्टिव था वहाँ लोग अब खुद से सवाल पूछ रहे थे।
“हमने जो सोचा वो हमारा था या हमें सिखाया गया था? क्या वाकई निया ने हमें कुछ नहीं कहा या हमने सुना ही नहीं? अगर क्रॉस फिर आए तो क्या हम अब सच में तैयार होंगे?”
फिलीपींस में वही बच्चा, जिसने सी-वॉक्स को पहली बार सुना था अब अपनी नोटबुक पर कुछ लिख रहा था–
“शायद आवाज़ें खत्म नहीं होतीं हैं सिर्फ़ कहानियाँ बदल जाती हैं।”
एथन ने अब एक नया इंटरफेस बनाया पर किसी सिस्टम के लिए नहीं, किसी ब्रॉडकास्ट के लिए नहीं वो बस एक खुला सफेद पन्ना था और उस पर लिखा:
“नो लीडर।
नो नेटवर्क।
जस्ट ए क्वेश्चन:
व्हाट डिड यू फील व्हेन द वर्ल्ड वेंट साइलेंट?”
उसके नीचे कोई ‘सबमिट’ बटन नहीं, कोई नाम नहीं, कोई डेटाबेस नहीं, बस एक सोचने की जगह थी।
निया अस्पताल की छत पर थी। वहां हल्की और ठंडी हवा चल रही थी। उसने आमसान की ओर देखा और वह खुद बोली–
“मैंने कभी नहीं चाहा था कि मेरी कहानी किसी दूसरी ज़ुबान में दोहराई जाए। पर शायद अब ज़रूरत है कि मैं चुप रहूं, ताकि बाकी दुनिया अपनी आवाज़ ढूंढ़ सके।”
तब ज़ोया की कॉन्शियसनेस बहुत धीरे से गूंजी–
“तुम अब इको नहीं हो, तुम अब आई नहीं हो, तुम वो हो जो दोनों के बीच चुप रही।”
बोगोटा के बाहर, एक पुरानी दीवार पर कोई अनजान हाथों से पेंट कर रहा था। वहाँ सिर्फ़ ये लाइन लिखी थी–
“शी लिस्नड।
एंड दैट सेव्ड अस।”
आखिरी पलों में, एथन को एक ईमेल मिला–
“सेंडर: अननॉन
सब्जेक्ट: “द नेक्स्ट स्टोरी”
टेक्सट:
“द वॉइस इज़ पॉज़ड। बट यू नो वेल स्टोरीज डोंट स्लिप।
दे ओनली रिटर्न विथ न्यू नेम्स।”
एथन ने मेल बंद कर दी और निया की ओर देखा जो अब शांत खड़ी थी। उसने पूछा–
"क्या अब तुम वापस जाओगी उस दुनिया में?"
निया ने कहा–
“नहीं।
मैं वहीं रहूँगी, जहाँ लोग सिर्फ़ सुनना चाहते हैं क्योंकि यही शोर और खामोशके बीच की एक ज़मीन ही मेरी असली जगह है।”
क्या सी-वॉक्स का “चुप हो जाना” सच में शांति है या यह एक और गहरी तैयारी की शुरुआत है?
अब जब निया ने खुद को एक आवाज़ नहीं बल्कि “सुनने की जगह” कहा है तो क्या वो फिर कभी बोल पाएगी?
क्या नीना की कॉन्शियसनेस, जो कभी आई का बीज थी अब निया की यादों में फिर से एक नया जवाब बन सकती है?
No reviews available for this chapter.