वैभव से हाथ मिलाने के बाद अमृता पार्टी से जाने लगी पर वैभव उसे तब तक देखता रहा जब तक वो दरवाज़े से घर के बाहर की तरफ नहीं चली गई। रेणुका को तो अमृता बहुत ज्यादा पसंद आ गई थी और जब उसने वैभव को अमृता को देखते हुए देखा तो उसने अपने मन में तय कर लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए वैभव की होने वाली पत्नी अब अमृता ही बनेगी!
थोड़ी देर बाद पार्टी भी खत्म हो गई। पार्टी में जो कुछ भी हुआ, वैभव उस वजह से अपनी माँ से बहुत नाराज़ था और वो रेणुका की पसंद की हुई किसी भी लड़की से कोई मतलब नहीं रखना चाहता था पर फिर भी वैभव के दिमाग से अमृता निकल ही नहीं पा रही थी। वो सारा ड्रामा खत्म होने के बाद, अपने कमरे में जाकर बैठ गया और अमृता के बारे में सोचने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो अमृता को एक अरसे से जानता हो! कुछ था जो उसे उसके करीब खींच रहा था! ये अनचाही डोर कैसे जोड़ रही थी अमृता और उसे, ये बात वैभव को ज़रा भी समझ नहीं आ रही थी।
गहरे ख्यालों में मग्न, मन ही मन वैभव सोचने लगा,
वैभव( हैरान) – वही हाइट, वही आंखे, वही मुस्कुराहट, वही नाम और ग्रीक language, पर चेहरा अलग। ऐसा कैसे हो सकता है? क्या ये सब इत्तेफाक है?
वैभव मन ही मन एक पुरानी याद में खो गया जब वो अपने मास्टर्स की पढ़ाई के लिए Greek language की पढ़ाई कर रहा था।
वैभव – अमृता ,मैंने ना तुम्हारे लिए एक नाम रखा है।
अमृता/Elsie – अच्छा ,क्या?
वैभव – Elsie! मेरे पापा ने मुझे एक novel पढ़ने दी थी, उसमें एक लड़की की कहानी थी, जिसका नाम elsie था और वो जो चाहती थी, जो ठान लेटी थी, वो कर के दिखाती थी। बिल्कुल तुम्हारी तरह। मुझे तुम में उस novel का main character नज़र आता है। अब मैं तुम्हें Elsie ही बुलाऊँगा।
वैभव इस पुरानी याद से वापस लौटकर फिर इस नई अमृता के ख्याल में खो गया। इस नई अमृता के चेहरे और आवाज़ के अलावा सब कुछ उसे Elsie की याद दिला रहा था। वैभव को ये भी लगा कि ये कोई इत्तेफाक भी हो सकता है पर वो इस बात से हैरान था कि आखिर अमृता के पास खड़े होने पर उसके दिल की धड़कने क्यों बढ़ गई थी? जब उसे उस अंजान लड़की का नाम तक नहीं पता था तो क्यों उसे देखकर वैभव को सारी दुनिया slow motion में नज़र आने लगी थी? वो समझ नहीं पा रहा था कि आखिर अमृता उसे Elsie की याद इन similarities की वजह से दिला रही थी या फिर कुछ और भी था जो वैभव की समझ के बाहर है।
वैभव बार-बार बस एक ही सवाल में घूम रहा था कि उसे ऐसा क्यों लग रहा था कि वो लड़की वैभव से कुछ कहना चाहती थी?
अमृता के ख्यालों में वो ये भी भूल गया कि रेणुका उसकी शादी के पीछे बुरी तरह पड़ चुकी है और अब वो बिना बहू लाए मानने वाली नहीं है।
दूसरी तरफ रेणुका जब अपने कमरे में आराम करने के लिए गई तो वो भी अमृता के बारे में ही सोचती रही। उसकी मासूमियत से रेणुका इतनी ज्यादा impress हो गई थी कि वो बस कैसे भी कर के अमृता को वैभव के जीवनसाथी के रूप में देखना चाहती थी।
रेणुका को अमृता के बारे में और जानने की इच्छा हो रही थी तो उस ने तुरंत ही Detective शर्मा को फोन लगा दिया। “नमस्ते रेणुका जी! क्या हुआ सब ठीक है?”
रेणुका ( खुश) – जी सब ठीक है शर्मा जी! मैंने एक लड़की के सिलसिले में आपको फोन किया था!
जब रेणुका ने Detective को अमृता के बारे में बताया तो Detectiveने सुनकर रेणुका से थोड़ी देर का समय मांगा।
थोड़ी देर बाद Detective ने रेणुका को कॉल किया और बताया… “रेणुका जी आपको शायद कुछ गलतफहमी हो रही है, मेरी list में अमृता नाम की कोई भी लड़की नहीं थी।“
रेणुका ये सुनते ही हक्की बक्की रह गई क्योंकि जिन families को रेणुका ने खुद बुलाया था वो उन सभी को अच्छे से जानती थी और अमृता ऐसे किसी भी परिवार से नहीं थी। जब रेणुका ने ये बात Detective को बताई तो थोड़ी देर के लिए वो भी शांत हो गया। उसने रेणुका से अमृता की कुछ तस्वीरे मांगी पर रेणुका के पास अमृता की कोई तस्वीर नहीं थी। हालांकि थोड़ी देर सोचने के बाद उसे याद आया कि सीसीटीवी footage से अमृता की photo निकाली जा सकती है।
रेणुका ने फौरन ही लट्टू काका से कह कर पार्टी के समय की सीसीटीवी footage में से अमृता की वीडियो निकलवा कर Detective को भिजवा दी।
Detective ने कहा, “आप चिंता मत कीजिए रेणुका जी ,मैं जल्द से जल्द आपको इस लड़की की पूरी कुंडली पता कर के बताता हूँ।
रेणुका – ठीक है शर्मा जी!
रेणुका अभी तक बहुत खुश थी पर ये बात उसे पच नहीं रही थी कि अमृता उस पार्टी में बिना किसी के बुलाए आई थी। जब रेणुका ने मन ही मन अमृता से हुई बातचीत के बारे में सोचा तो उसे याद आया कि उसने बताया था कि वो भोपाल में नहीं रहती पर उस बात के साथ रेणुका को और भी बातें याद आ गई जिस की वजह से रेणुका को अमृता पसंद आई थी। भले ही ये बात उसे थड़ी अजीब लगी कि वो इस पार्टी में बिना बुलाए आई थी पर रेणुका को अमृता जिस कदर पसंद आ गई थी वो किसी भी हालत में अमृता को अपने हाथों से नहीं जाने देना चाहती थी।
रात बहुत हो चुकी थी और पार्टी की थकान के कारण बिस्तर पर लेटते ही रेणुका बहुत गहरी नींद में सो गई। कुछ देर बाद, रेणुका ने सोते हुए एक बड़ा प्यारा सपना देखा। उसने देखा कि वैभव की शादी अमृता से हो रही है। सब लोग बहुत खुश है। अम्मा तो खुशी के मारे कूद कूद के नाच रही हैं। दूसरी तरफ अमृता हर रस्म को बहुत ध्यान से पूरा कर रही है, जिसकी वजह से रेणुका उसकी तारीफ करते थक नहीं रही थी।
रेणुका के चेहरे पर सोते हुए भी एक बड़ी सी मुस्कुराहट थी। आखिर वो सपना ही ऐसा देख रही थी जिसे सच्चाई में बदलने के लिए उसने ना जाने अब तक कितने पापड़ बेल लिए थे।
उसके सपने की वजह से अगले दिन उसकी सुबह भी बहुत खूबसूरत हुई। वो अन्दर से बहुत हल्का, खुश और अच्छा महसूस कर रही थी। इसलिए वो जल्दी से तैयार होकर हॉल में चली गई और नाश्ता लट्टू काका के साथ मिलकर बनवाने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अम्मा और वैभव को नाश्ते के लिए आवाज़ लगाई। अम्मा तो आ गई पर वैभव अपने कमरे से बाहर नहीं आया। रेणुका को लगा कि शायद कल पार्टी में जो हुआ उसकी वजह से वैभव नाराज़ होगा। इसलिए वो खुद ही वैभव के कमरे में नाश्ता लेकर पहुंच गई।
रेणुका – वैभव!!!
एक दो बार आवाज़ लगाने पर भी वैभव ने कोई जवाब नहीं दिया। रेणुका को लगा जैसे वैभव उससे बहुत ज्यादा नाराज़ है पर सच तो ये था कि वैभव रात भर से इस नयी अमृता के ख्यालों की वजह से सो नहीं पाया था।
रेणुका की आवाज़ उसके कानो तक तो जा रही थी पर वो उसे सुन नहीं पा रहा था। एक दो बार फिर आवाज़ लगाने के बाद रेणुका से रहा नहीं गया और वो उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली,
रेणुका – बेटा, तू अभी भी नाराज है मुझ से?
वैभव ने रेणुका को देखा तो झट से उठकर बैठ गया।
वैभव ( lost)– मां आप कब आए?
रेणुका ये सुन कर थोड़ी हैरान हो गई।
रेणुका (हैरान)– क्या! इतनी देर से आवाज़ लगा रही हूँ मैं! तुमने सुना नहीं?इतनी क्या गहरी नींद में सोये थे बेटा?”
वैभव समझ नहीं पा रहा था कि रेणुका कौन सी आवाज़ की बात कर रही थी। वो अपने ख्यालों में इतना खोया हुआ था कि उसे रेणुका की आहट तक महसूस नहीं हुई जब तक रेणुका ने उसके सिर पर हाथ नहीं फेरा।
रेणुका वैभव के इस बर्ताव को देख थोड़ी परेशान हो गई। फिर उसने रेणुका से पूछा,
वैभव – मां वो कल एक लड़की आई थी ना, अमृता, आप उसे कैसे जानती हैं?
रेणुका ये सुन कर थोड़ी दुविधा में पड़ गई। उस के पास खुद भी इस सवाल का कोई जवाब नहीं था पर वैभव की curiosity देख रेणुका के मन में लड्डू फूटने लगे। पहली बार वैभव ने रेणुका पर लड़कियों की वजह से गुस्सा नहीं किया इसलिए वो समझ गई कि वो लड़की सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि वैभव को भी पसंद आ गई है।
जब रेणुका ने कोई जवाब नहीं दिया तो वैभव ने फिर से पूछा,
वैभव – मां, मैं कुछ पूछ रहा था, वो किसके साथ आई थी कल पार्टी में?”
रेणुका को कुछ समझ नहीं आया तो उसने बात को घुमा कर कह दिया
रेणुका – बेटा , वो तुम्हारे पापा के दोस्त हैं, उनकी बेटी के साथ आई थी अमृता।
वैभव को लगा कि शायद अमृता के बारे में रेणुका को कुछ और पता हो पर ये सुनते ही उसकी वो उम्मीद भी टूट गई। वो मन ही मन खुद को समझाता रहा कि एक ही नाम के बहुत सारे लोग हो सकते हैं और ये सारी चीज़ें जो अमृता और Elsie में एक जैसी थी वो बस महज़ कोई इत्तेफाक था।
वहीं रेणुका ने वैभव के मन को थोड़ा पढ़ा और उससे कह दिया,
रेणुका – वैभव तुम एक बार अमृता से फिर क्यों नहीं मिल लेते?
वैभव ये सुन कर थोड़ी दुविधा में पड़ गया। एक तरफ वो इस नयी अमृता का सच जानना चाहता था और दूसरी तरफ वो अपनी मां को परफेक्ट बहू ढूंढने की खोज के लिए बढ़ावा भी नहीं देना चाहता था। इसलिए उसने रेणुका को अमृता से मिलने के लिए मना कर दिया। रेणुका वैभव का जवाब सुन कर थोड़ी हैरान रह गई और मन ही मन सोचने लगी,
रेणुका ( मन में) – अभी थोड़ी देर पहले वैभव अमृता के बारे में जानने की कोशिश कर रहा था और अब उससे मिलने के लिए मना कर रहा है। आखिर इसके दिमाग में चल क्या रहा है?
रेणुका समझ नहीं पा रही थी कि वो वैभव को अमृता से मिलने के लिए कैसे मनाए, कि तभी उसके Detective शर्मा जी का message आ गया, जिसमें लिखा था, “रेणुका जी, अजीब है पर इस लड़की के बारे में ज़्यादा कुछ पता नहीं चल पा रहा है, अभी तो बस इतना पता चला है कि ये भोपाल में बस तीन चार दिन और रुकी है।”
रेणुका ये पढ़ते ही घबरा गई, वो पिछली लड़कियों की तरह इस लड़की को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी। इसलिए उसने बहुत सोचा और अपने मन में वैभव और अमृता को मिलवाने का एक plan बना लिया।
आखिर क्या plan बनाया है रेणुका ने? क्या वैभव उसके plan में शामिल होगा? आखिर ये लड़की अमृता है कौन कि शहर का इतना मशहूर Detective भी उसके बारे में पता नहीं कर पा रहा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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