रेणुका बहुत बड़ी दुविधा में फंस गई थी। एक तरफ वैभव ने अमृता से मिलने के लिए मना कर दिया था और दूसरी तरफ रेणुका के Detective के message ने उसके पैरों तले ज़मीन खिसका दी थी। उसे अजीब तो लग रहा था कि अमृता के बारे में उसे कुछ ज़्यादा पता नहीं चल पाया लेकिन उसके दिल की धड़कन भी तेज़ हो गयी क्योंकि अमृता कुछ दिनों के लिए ही भोपाल में रहने वाली थी। रेणुका को वो सारे failed attempts याद आ गए जब वो perfect बहू final करते करते रह गयी थी। चाहे फिर वो ऋद्धि मलहोत्रा के बेटे की शादी में मिली लड़की हो या फिर सब्ज़ी मार्केट में दिखी लड़की जिसके घर रेणुका रिश्ता लेकर पहुंच गई थी। ये सब बातें सोचते ही वो और भी ज्यादा घबरा गई। उसके चेहरे से पसीना टपकने लगा और पूरा शरीर डर के मारे कांपने लगा। वो मन ही मन बुदबुदाने लगी,
रेणुका ( फुसफुसाते हुए डर में) – नहीं मैं ऐसा नहीं होने दे सकती!
रेणुका की फुसफुसाहट से वैभव चौंक गया। उसने रेणुका का घबराया हुआ चेहरा देखा तो उसे समझ नहीं आया कि उसे हुआ क्या है?
वैभव ( थोड़ा डरा हुआ) – मां आप ठीक हो? क्या नहीं होने दे सकती?
रेणुका, वैभव की आवाज़ सुन कर होश में आई और अपना मुंह साड़ी के पल्लू से पोंछने लगी। वैभव ने भी तुरंत उसकी तरफ पानी का glass बढ़ाया।
वैभव – मां आप शायद कल की पार्टी की वजह से थक गए हो, आप को आराम करना चाहिए। देखो, ac चल रहा है, तब भी आपको पसीना आ रहा है।“
इतना कहते ही फिर वो रेणुका को उसके कमरे में छोड़ आया पर रेणुका की घबराहट जाने का नाम नहीं ले रही थी। वैभव उसको आराम करने के लिए बोल कर गया था फिर भी वो अपनी planning में लगी हुई थी जिससे वो वैभव और अमृता की जल्द से जल्द meeting करवा सके। वो अमृता को ऐसे ही शहर से जाने नहीं दे सकती थी इसलिए वो जानती थी कि जो भी करना है उसे आज ही करना होगा।
बहुत देर अपने अक्ल के घोड़ों को दौड़ाने के बाद उसने एक तरीका ढूंढ ही लिया। वो जानती थी कि वैभव उसकी बात मानकर अमृता से मिलने कभी नहीं जायेगा इसलिए उसने ऐसा दिमाग लगाया जिससे वैभव यह नहीं समझ पाए कि यह सब रेणुका का प्लान है। वो बस कैसे भी अमृता और वैभव का आमना-सामना करवाना चाहती थी और उसके लिए उसे एक जगह पर एक समय पर उन दोनों को पहुंचाना जरूरी था। इसलिए रेणुका ने अपने Detective को अमृता का आज का पूरा schedule पता करने के लिए कहा, ताकि उसे ये पता चल सके कि किस समय पर अमृता आज कहां पर मिलेगी। Detective शर्मा अपनी खोज में लग गए और रेणुका अपनी टेंशन में।
वैभव भी अपने मन में कुढ़ रहा था। उस ने रेणुका को अमृता से मिलने के लिए मना तो कर दिया था पर वो अमृता से मिलना चाहता था। वो जानना चाहता था कि क्या अमृता और Elsie के बीच में कोई connection है और इन सब सवालों से ज्यादा वो ये जानना चाहता था कि क्यों वो उसकी तरफ खिंचा चला जा रहा है? वैभव ये किसी भी कीमत पर मानना नहीं चाहता था कि पार्टी में उन सब लड़कियों में अमृता उसे सबसे ज्यादा अच्छी लगी थी।
थोड़ी देर बाद Detective शर्मा ने रेणुका को अमृता की आज की पूरी दिनचर्या व्हाट्सएप पर भेज दी। वह दोपहर में किस दुकान पर जाने वाली है से लेकर वह शाम का खाना किस जगह पर खाएगी, Detective शर्मा ने सब कुछ पता कर लिया। अब ये उन्होंने कैसे पता लगाया, ये तो उनका talent है। शायद, पैसे देख के आदमी नामुमकिन काम भी बड़ी ही आसानी से कर लेता है।
रेणुका ने Detective की भेजी हुई उस लिस्ट को बार बार पढ़ा। दो तीन बार पढ़ने के बाद उसने उनमें से उन जगहों को मार्क कर लिया जहां वैभव को वो आसानी से भेज सकती है। वो जानती थी कि वैभव को अगर गलती से रेणुका के प्लान के बारे में शक भी हो गया तो वो अपना बोरिया बिस्तरा उठा कर वापस भाग जाएगा। इसलिए वह प्लान को ऐसे बनाना चाहती थी कि सबकुछ normal लगे और जब दोनों मिलें तो ऐसा लगे जैसे कि कोई इत्तेफाक हुआ हो।
आखिर रेणुका ने उस लिस्ट में से एक ऐसी जगह को ढूंढ लिया था जो वैभव को बहुत पसंद है। शीतल दास की बगिया। वैभव का जब भी mood off होता था, तो वो वहीं जाया करता था। बचपन में वो जगह उसके पापा ने उसे दिखाई थी। रेणुका को ये बात पता थी इस वजह से उस ने इस बात का फायदा उठाया और वैभव के कमरे में चली गई।
वैभव अभी भी अपने कमरे में मुंह लटकाए बैठा हुआ था। रेणुका ने जैसे ही उसे उस हालत में देखा तो उसने मौके का फायदा उठाकर उस से कहा,
रेणुका – वैभव आज तुम मुझे ठीक नहीं लग रहे हो, कोई बात तुम्हे परेशान कर रही है क्या?
वैभव थोड़ी देर पहले ही रेणुका को उसके कमरे में आराम करने के लिए छोड़ कर आया था , उस ने उसे फिर वहां देखा तो हैरान होकर उस से पूछ बैठा,
वैभव – मां, आप को तो मैं आराम करने के लिए कमरे में छोड़ कर आया था। आप मेरी बात मानती क्यों नहीं हो? आज बता ही तो।
रेणुका (थोड़ी एक्टिंग करते हुए) – अरे मानती तो हूँ। वो तो बस मुझे लगा कि शायद आज तेरा मूड खराब है, इसलिए चली आई। माँ हूँ न, मन मानता नहीं है। अब क्या अपने बच्चे की चिंता करना भी छोड़ दूँ? तू एक काम कर, कहीं घूम आ। हल्का महसूस होगा।
रेणुका ने बातें घुमा कर वैभव को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि आज उसे अपने मन को शांत करने के लिए अपने favorite जगह जाना चाहिए। वैभव भी आज अपने ख्यालों से बहुत परेशान हो गया था, इसलिए उसे रेणुका की बातें सही लग रही थी। जैसे ही रेणुका को यकीन हो गया कि वैभव उसकी बातों में आ रहा है, उसने दिमाग लगा कर वैभव से शीतल दास की बगिया का जिक्र कर दिया। वो भी शीतल दास बगिया सुनते ही जैसे खुश हो गया।
शीतल दास की बगिया हमेशा से ही वैभव के दिल के बहुत करीब रही है। पहले पापा के साथ अक्सर जाया करता था वो, फिर उनके बाद वो अकेले ही वहाँ मंदिर के दर्शन करने के बहाने जाने लगा। जैसे जैसे हवा से तालाब का पानी उसके आधे डूबे पैरों को बार-बार छूता था उसकी परेशानियां भी पानी की छुअन के साथ उड़ जाती थी। वैभव तो वहाँ के पानी को magic water कहता था।
कुछ देर बाद, वो शीतल दास की बगिया के लिए तो तैयार हो गया पर रेणुका उसको ठीक उसी समय पर वहां भेजना चाहती थी जब अमृता वहां जाने वाली थी। अमृता शाम के समय वहां जाने वाली थी तो रेणुका ने वैभव के सामने सनसेट का भी जिक्र कर दिया।
रेणुका – अभी कुछ देर आराम कर लो, शाम को जाना वहाँ। मैंने सुना है कि अब वहाँ पहले जितनी भीड़ नहीं होती और sunset का नज़ारा भी पहले से बढ़िया है।
वैभव- माँ, sunset तो sunset है न? उसका नज़ारा अलग कैसे हो सकता है? आप भी न, कुछ भी बोलते हो।
इस समय रेणुका कुछ भी बोल कर बस अपने बेटे को उसकी होने वाली जीवन संगिनी से मिलवाना चाहती थी। वैभव पर उसका जादू चल भी गया और वो शाम को वहाँ जाने के लिए मान गया।
जैसे ही शाम हुई तो वैभव तैयार होकर शीतल दास की बगिया के लिए निकल गया। दिसंबर की ठंड और भोपाल का बड़े तालाब का रास्ता, वैभव को बहुत ही अच्छा महसूस करा रहा था। कल रात से ये पहली बार था जब वो अमृता के बारे में नहीं सोच रहा था।
शीतल दास की बगिया पर पहुंच कर पहले उसने मंदिर में दर्शन किए और फिर वह तालाब से लगी हुई सीढ़ियों पर जाकर अपने पैर तालाब के पानी में डाल कर बैठ गया। वैभव अमृता के पहले ही वहां पहुंच गया था। जब वो सीढ़ियों पर बैठा था, अमृता तब मंदिर में दर्शन करने के लिए अंदर गई थी।
थोड़ी देर बाद जैसे ही Sunset हुआ तो अमृता भी वहाँ आ गयी। हालांकि, उसने वैभव को नहीं देखा और ना ही वैभव ने अमृता को। दोनों एक ही सीढ़ी के अलग अलग कोने पर बैठे थे और उन के बीच और लोग भी थे जो अपने सुकून की तलाश कर रहे थे। वैभव और अमृता दोनों ही सनसेट देखने में इतने मगन थे कि उनकी नज़र एक दूसरे पर गई ही नहीं। वहां कुछ कॉलेज teenagers का ग्रुप भी आया था, जिनमें से एक गिटार बजा रहा था और बाकी गा रहे थे। पूरे माहौल में बेहद खूबसूरती और सुकून था।
एक तरफ ये बच्चे गाने गा रहे थे और वहीं दूसरी तरफ boat वाले भईया लोगों से तालाब का चक्कर काटने के लिए कह रहे थे। उन्होंने जैसे ही वैभव से कहा तो वो boat में जाकर बैठ गया। फिर जब अमृता से Boat वाले भईया ने जाने के लिए पूछा तो वो वैभव को देख कर घबरा गई। वैभव ने भी अमृता को वहां देखा तो उसके दिल की धड़कने भी बढ़ गई। अमृता वैभव से बिल्कुल नहीं मिलना चाहती थी पर वो ये जानती थी कि अगर वो वहां से ऐसे ही चली जाएगी तो ये वैभव के लिए बहुत अजीब हो जाएगा इसलिए ना चाहते हुए भी वो boat में जा कर बैठ गई। वैभव boat के एक कोने में बैठा था और अमृता दूसरे कोने में। वे दोनों एक दूसरे को बहुत देर तक देखते रहे। हालांकि जब boat शुरू हुई और माहौल में तनाव बढ़ गया तो अमृता वैभव की तरफ देख कर मुस्कुरा गई। माहौल के तनाव को कम करने के लिए वैभव भी अमृता को देख कर हल्का सा मुस्कुराया। एक पल को वैभव के दिमाग में ये भी आ गया कि कहीं ये सब रेणुका की ही कोई चाल तो नहीं जिस में अमृता भी शामिल है और इस बात को सोच कर एक तरफ तो वैभव को अंदर ही अंदर बहुत चिड़चिड़ी होने लगी पर दूसरी तरफ उसे अमृता को देख कर अच्छा भी लग रहा था। उसके मन में अमृता को लेकर ढेर सारे सवाल थे और वो उन सभी सवालों के जवाब ढूंढना चाहता था।
क्या होगा जब वैभव को पता चलेगा कि उसका यहां अमृता से टकराना कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि उसकी माँ की सोची समझी planning थी? क्या वैभव अमृता से पूछेगा वो सारे सवाल जो उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहे हैं?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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