Boat तालाब के बीचों बीच जा पहुंची पर वैभव और अमृता जैसे बस आंखों आंखों में सारी बातें कर रहे थे। अमृता के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला लेकिन वैभव को ऐसा लग रहा था जैसे उनके बीच ढेर सारी बातें हो गई हो। अमृता को बहुत  अजीब लग रहा था, एक तो रेणुका का उसे पार्टी में वैभव से ज़बरदस्ती मिलवाना और आज वैभव का यहां अचानक से उससे टकरा जाना, उसे ये सब सही नहीं लग रहा था। वो उस पार्टी में जिस कारण से गई थी वो तो हो गया था पर वो वहां किसी की नज़र  में नहीं आना चाहती थी। इसलिए आज वैभव को यहां देख कर उसकी घबराहट सातवें आसमान पर पहुँच गई।

वैभव को अमृता से मिलने के लिए भेज कर रेणुका घर में भगवान के सामने ज्योत लगा रही थी। ज्योत लगा कर वो मन ही मन भगवान से अमृता को बहू  बनाने की मन्नत मांगने लगी। रेणुका अक्सर ज्यादा धार्मिक कार्यों में शामिल नहीं होती है। तो जब अम्मा ने हॉल के मंदिर में रेणुका को बैठे देखा तो वो थोड़ी हैरान रह गई। अम्मा ने लट्टू काका को आवाज़ लगाई और पूछा,

अम्मा ( sarcasm)– लट्टू, ये आज सूरज कहां से निकला है?

रेणुका अम्मा की आवाज़ सुनते ही समझ गई कि ये ताना किसी और के लिए नहीं बल्कि उसके लिए ही था। उसने पहले भगवान के सामने अपनी मन्नते मांग ली और फिर पलट कर अम्मा से कहा,

रेणुका – प्रणाम अम्मा! वो मैंने सोचा आप हमेशा भगवान जी से पूरे घर के लिए अकेले प्रार्थना करती हो तो मैं थोड़ा आपका हाथ बटा दूं।“

अम्मा – हां हां! खूब समझती हूँ मैं  तेरी घुमावदार बातों को। इन में वैभव आता होगा, मैं  नहीं!

जब रेणुका वैभव को चालाकी से अपनी बातों में घुमाकर शीतल दास की बगिया भेजने के लिए मना रही थी तब अम्मा ने उसकी और वैभव की पूरी बात सुन ली थी। अम्मा हमेशा से ही रेणुका की घुमावदारों बातों को पकड़ लेती थी पर वैभव इन सब में थोड़ा कच्चा है। वो  हमेशा अपने माँ की इन चुपड़ी चुपड़ी बातों में फंस जाता है।

वैसे तो अम्मा वैभव के साथ ही खड़ी होती हैं पर वो तब वैभव और रेणुका के बीच में इसलिए भी नहीं बोली क्योंकि वो कहीं न कहीं रेणुका पर शक करने के पछतावे में अब तक थी। अब अम्मा के दिल में भी खुजली हो रही थी कि आखिर रेणुका वैभव को शीतल दास की बगिया जाने के लिए क्यों उकसा रही थी?

इसलिए उन्होंने बात पूरी करते हुए कहा,

अम्मा – हां तो अब मुझे सच सच बता कि तेरे दिमाग में क्या खुराफात चल रही है?

रेणुका अम्मा को कुछ बताना तो नहीं चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि अम्मा इस घर में वैभव से ज्यादा सगी किसी की भी नहीं है पर न चाहते हुए भी रेणुका को उन्हें अमृता के बारे में बताना पड़ा। आखिर, अम्मा सास जो ठहरी और इतिहास गवाह है कि सास के आगे बहूओं की कहां ही चली है?

रेणुका ने अम्मा को अमृता के बारे में बताते हुए दुनिया भर के सभी सुंदर शब्दों का उपयोग कर लिया। उसने अमृता की इतनी तारीफ की, कि अम्मा अमृता से मिले बिना ही उससे प्रभावित हो गई। फिर भी अम्मा ने रेणुका को सीधे शब्दों में कह दिया,

अम्मा – जैसा तू बता रही है अगर वैसा है तो उस हिसाब से ये लड़की मुझे बढ़िया लग रही है पर वैभव की रज़ामंदी के बिना तूने अगर कुछ भी किया तो रेणुका, सोच लेना मेरे से बुरा कोई नहीं होगा!

रेणुका अच्छे से जानती थी कि अम्मा वैभव के खिलाफ जा कर कोई भी काम कभी नहीं होने देंगी। इसलिए वो कैसे भी वैभव और अमृता को स्वाभाविक रूप से एक दूसरे के नजदीक लाना चाहती थी। ताकि वैभव खुद रेणुका से अमृता से शादी करने की बात करे।

यहां वैभव और अमृता अब भी नाव में बैठ कर बड़े तालाब की सैर कर रहे थे। बोट वाले भैया सभी लोगों की तस्वीर खींच रहे थे पर वो दोनों अपनी जगह पर ही बैठे रहे। वो बस एक दूसरे को देख रहे थे। अमृता वैभव के इस देखने के तरीके से घबरा रही थी तो वो बार बार तालाब की तरफ देखने लगती पर जैसे ही वो अपनी आंखें वैभव की तरफ करती , वैभव की नज़र  खुद पर पाकर फिर हिचकिचा जाती।

एक तरफ तो वैभव उसे देख रहा था पर दूसरे तरफ मन ही मन उसे ये बात भी परेशान का रही थी कि अगर अमृता और Elsie के बीच कोई connection नहीं है तो आज की ये मुलाकात अमृता के लिए बहुत  अजीब हो जाएगी। इसलिए थोड़ी देर बाद वैभव ने अपनी नज़र उस से हटाकर तालाब की तरफ कर ली और तय कर लिया कि अब वो उसे वैसे नहीं घूरेगा।

थोड़ी देर बाद उनकी Boat उन्हें उन्हीं सीढ़ियों के पास  ले आई जहां से वो लोग उस boat में बैठे थे। धीरे धीरे कर के सब लोग बोट से उतर गए। आखिरी में बस अमृता रह गई थी। जैसे ही वो उतर रही थी उसका पैर सीढ़ी के ऊपर लगी काई और पानी की वजह से फिसल गया। वैभव ने तुरंत अमृता का हाथ पकड़ा और उसे सहारा देकर ऊपर की ओर खींच लिया। अमृता का हाथ थामने से वैभव को फिर से बिल्कुल वैसा ही महसूस हुआ जैसा पार्टी में हुआ था। उसकी दिल की धड़कने उसे कानों तक सुनाई दे रही थी पर उस ने जैसे तैसे खुद को उस पल में संभाला और अमृता की तरफ मुस्कुराकर पूछा,

वैभव – आप ठीक हो ना?

अमृता (थोड़ी घबराई हुई) – हां मैं ठीक हूँ।

सीढ़ियों से सभी लोग बाहर की तरफ निकलने लगे। शाम के सात बज गए थे, वैभव और अमृता भी सभी लोगों के पीछे पीछे बाहर निकलने के लिए चलने लगे। अमृता कुछ भी नहीं बोल रही थी तो वैभव से रहा नहीं गया। इसलिए उसने इस चुप्पी को तोड़ने की कोशिश की।

वैभव – अमृता आप से कल अच्छे से बात नहीं हो पाई।

अमृता ये सुनते ही वैभव की तरफ देखने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,

अमृता – हां! वो मुझे जल्दी थी थोड़ी।

इसके बाद वैभव ने बहुत  तरीकों से अमृता से बात करने की कोशिश की पर अमृता हां और ना के सिवा जवाब ही नही दे रही थी। इसीलिए वैभव ने ऐसे सवाल पूछना शुरू कर दिया जिससे अमृता हाँ और न के अलावा भी कुछ बोले।

वैभव – अमृता आप की schooling कहाँ से हुई है?

अमृता एक स्कूल का नाम लेने ही वाली थी कि तभी उसने बात घुमाकर एक दूसरे स्कूल का नाम बता दिया। वैभव रेणुका की घुमावदार बातों को भले ही ना समझ पाए पर वो अमृता की हिचक से इतना जरूर समझ गया था कि उसने उसे झूठ बोला। हालांकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्यों ऐसा करेगी? इसलिए वैभव ने ऐसे कई सवाल किए जिस से वो अमृता का सच जान पाए पर अमृता ने हर सवाल का जवाब थोड़े घुमावदार तरीके से ही दिया।

वैभव के हिसाब से अमृता और Elsie में similarities होगी, पर अगर अमृता सच बोल रही थी तो Elsie और अमृता के बचपन से लेकर कॉलेज तक में कोई भी similarity नहीं थी।

थोड़ी देर बाद अमृता वैभव से bye कहकर वहां से चली गई।

वैभव ने अपना पूरा मन बना लिया था कि अमृता Elsie नहीं है क्योंकि दोनों में जितनी समानता थी उससे कई ज्यादा उन दोनों के बीच अंतर था। अमृता के पलट कर bye करने के वजह से वैभव दो minute के लिए सन्न रह गया क्योंकि Elsie अक्सर जाते वक्त वैभव को पलट कर bye करती थी और आज जब अमृता ने भी वैसे ही किया तो वो समझ नहीं पा रहा था कि आखिर सच क्या है?

वो बार बार बस यही सोच रहा था कि अगर अमृता और Elsie एक ही है, तो फिर उसका चेहरा अलग कैसे हो सकता है?

वैभव जितने सवालों से मुक्ति पाने के लिए शीतल दास की बगिया आया था उससे कई ज्यादा सवालों को लेकर वो यहां से लौटकर घर पहुंचा। उसका मन अब और भी ज्यादा परेशान हो रहा था पर उसे सच ढूंढने का कोई रास्ता नज़र  नहीं आ रहा था।

घर पहुंचते ही वैभव ने मां और अम्मा को बातें करते देखा तो वो भी उनके पास जा कर बैठ गया।

वैभव (sarcasm में)– क्या बात है, आज तलवारों की दोस्ती हो गई है?

अम्मा और रेणुका का जैसा रिश्ता है उसकी वजह से जब भी दोनों में कोई नोक झोंक चल रही होती है तो वैभव उन्हें मज़ाक में एक ही म्यान की दो तलवारें बुलाता है।

अम्मा और रेणुका वैभव को देख कर हंसने लगे,

रेणुका – तू आ गया वापस,  वहां sunset देख कर अच्छा लगा?

रेणुका पूछना तो ये चाहती थी कि वैभव को अमृता से मिल कर कैसा लगा पर वो खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मार सकती थी।

वैभव ने रेणुका की बात का तो जवाब नहीं दिया पर अमृता का जिक्र जरूर कर दिया।

वैभव – मां, वो लड़की आई थी ना कल पार्टी में ?

रेणुका ( अंजान बनते हुए)– कौन सी लड़की?

वैभव – अरे वो जिस से आप मुझे मिलवाने लाई थी, वो ग्रीक language वाली।

रेणुका – अच्छा हां!

रेणुका जान बूझकर अंजान बनने की कोशिश कर रही थी ताकि वैभव को गलती से भी उस पर शक ना हो। अम्मा को भी रेणुका की एक्टिंग देख कर थोड़ी सी खांसी आ गई।

वैभव – आप ठीक हो?

अम्मा(खाँसते हुए) – हां बेटा।

वैभव ने जैसे ही अम्मा से ये सवाल किया रेणुका ने अम्मा को आंखे दिखा कर इशारा कर दिया। अम्मा भी इशारा देख कर चुप रह गई और रेणुका वैभव की तरफ देख कर पूछने लगी…

रेणुका – हां वैभव तुम कुछ कह रहे थे!

वैभव ने रेणुका को बताया कि आज वो अमृता से टकराया।  ये सुनते ही रेणुका की आंखों में चमक आ गई। वो इतनी देर से यही तो सुनना चाह रही थी पर उसके बाद वैभव ने कुछ खास बताया ही नहीं और रेणुका से पूछने लगा,

वैभव – मां अमृता किस दोस्त के साथ पार्टी में आई थी?

रेणुका ये सुनते ही शांत हो गई, उसने तो ये दोस्त वाली बात वैभव को सिर्फ ऐसे ही कह दी थी। उसे तो खुद भी नहीं मालूम था कि अमृता आखिर उस पार्टी में किसके साथ आई थी पर रेणुका ने तब बात को संभालते हुए कहा,

रेणुका – क्यों क्या हुआ बेटा कुछ हुआ है क्या?

इस बार सवाल सुन कर वैभव चुप हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो रेणुका को कैसे बताए कि वो एक लड़की से प्यार करता था जिसकी बहुत  सारी आदतें ,नाम, मुस्कराहट, यहां तक कि कद काठी तक अमृता से मेल खाती है।

वैभव – कुछ नहीं मां, बस आज उससे मिला तो सोचा आप से पूछूँ।

वैभव को अमृता के बारे में रेणुका से बात नही करनी थी। वो जानता था कि रेणुका से ये कह कर वो खुद बलि चढ़ने के लिए अपनी तैयारी करवा देगा पर उसके मन में जो सवाल थे वो उसे अभी सही और गलत के बीच का अंतर नहीं समझा पा रहे थे। इसलिए वैभव इतना कह कर अपने कमरे में चला गया।

रेणुका बहुत  खुश थी कि वैभव भी अब अमृता के बारे में जानने में दिलचस्पी ले रहा है। उसके मुंह से अमृता का जिक्र का सुन रेणुका ने अपने मन में शादी की शहनाई तक बाजवा दी थी। वह वैभव और अमृता की शादी के सपने देखने लगी, और उनके सुखी जीवन के बारे में सोचकर मुस्कराने लगी लेकिन रेणुका को यह नहीं पता था कि आगे चलकर उसके सामने कई मुश्किलें और चुनौतियाँ आने वाली हैं।

आखिर कौन सी चुनौतियां आने वाली है रेणुका के सामने? क्या सच में Elsie और अमृता एक ही इंसान हैं?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.