प्रज्ञा की मॉम से मिलने आर्यन उनके मैंशन पहुँच गया था। चारो तरफ़ बड़ी शांति थी। उनके गार्डन में दो तीन माली थे जो पेड़ों की कटाई छंटाई करने में लगे हुए थे।
अंदर जा कर देखा तो कई सारे नौकर इधर उधर सफ़ाई में बिजी थे।
उनमें से एक आदमी जोकि पुरानी फ़िल्मों के नौकरों की तरह लग रहा था, आर्यन के पास आ कर बोला, "सर आप कौन?"
आर्यन ने बताया कि वह शैलजा मल्होत्रा उनकी मैम से मिलने आया है। तभी शैलजा, प्रज्ञा की मॉम की आवाज़ ऊपर से आई।
शैलजा: "सूरज जी! गार्डन में चेयर्स लगवा दो। कम आर्यन! लेट्स डिस्कस आउटसाइड!"
आर्यन वहाँ से निकल कर गार्डन की तरफ़ चला गया। वह काफ़ी देर तक प्रज्ञा की मॉम, शैलजा आंटी का इंतज़ार करता रहा। शाम से रात भी होने लगी थी। फिर जब उससे कंट्रोल नहीं हुआ तभी शैलजा प्रज्ञा के साथ कान में खुसुर पुसुर करते हुए बाहर आईं।
प्रज्ञा ने बालों में कलर करा लिया था। फिर भी उसकी हालत खराब-सी लग रही थी। दोनों आते ही आर्यन के सामने रखे झूले पर बैठ गईं।
प्रज्ञा आर्यन की तरफ़ नहीं देख रही थी पर आर्यन की नज़र दोनों पर बनी थी। उसने प्रज्ञा को greet करने की कोशिश की पर उसकी तरफ़ से कोई रीस्पान्स नहीं आया था। प्रज्ञा का गुस्सा होना जायज था। पर जिन शर्तों को उसकी मॉम ने आर्यन के सामने रखा था उससे आर्यन को ऐसा लग रहा था जैसे उसका दिल एक चीज है जिसे खरीदा जा सकता था।
डिस्कशन की शुरुआत आर्यन ने ही की। उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा,
आर्यन: "आंटी! आई नो, आप प्रज्ञा को ले कर परेशान है। पर ये सब करके आप उसके बारे में भी नहीं सोच रही हैं।"
प्रज्ञा की मॉम ने आर्यन को लुक देते हुए बात के बीच में ही अचानक पूछा,
शैलजा: "तुम्हारी उम्र कितनी है?"
आर्यन थोड़ी देर शैलजा आंटी को और फिर प्रज्ञा को देखता रहा। फिर उसने बताया।
आर्यन: "31"
ये सुनकर आंटी ने कहा,
शैलजा: "इस उम्र में तो लोग काफ़ी मैच्योर हो जाते हैं। रीस्पान्सबिलटी लेना सीख जाते हैं। पर कमाल है तुम अभी बच्चे ही हो।"
बच्चा सुनकर आर्यन ट्रिगर हुआ। पर वह बात को पहले पूरी सुनना चाहता था। इसलिए चुप रहा।
आंटी ने अपने पर्स से एक सिगरेट निकाली, उसको जलाया और धुएँ को हवा में उड़ाते हुए बोलीं,
शैलजा: "आई नो तुम अभी क्या सोच रहे हो! पर मैं तुमको इसलिए समझा रही हूँ। क्योंकि तुम समझ सकते हो। व्हाट्स योर प्रोब्लम विद प्रज्ञा? तुम्हें ब्रेक अप क्यों करना है? इसका जवाब कभी तुमने मेरी बेटी को दिया? क्या रीज़न देना तुम्हारी रीस्पॉन्सबिलटी नहीं है?"
आर्यन ने प्रज्ञा की तरफ़ देखा तो वह बार-बार इधर उधर देखे जा रही थी। उसको देख कर ही लग रहा था जैसे वह अभी मेनटली ठीक नहीं थी। आर्यन ने उसको देखते हुए ही कहा,
आर्यन: "प्रज्ञा मैने तुम्हे नहीं बताया कभी? मैने तुम्हें कई बार हमारे ब्रेक अप के बारे में, उनके रीज़न के बारे में हिंट्स दी थी और फिर मैने तुमसे बोला भी था कि मैं तुम्हारी तरफ़ उस तरह से फील नहीं कर पा रहा हूँ। अब हम साथ नहीं रह सकते। क्योंकि सिर्फ़ तुम पर दया करके मैं साथ रहूंगा तो ये तुम्हारे और मेरे दोनों के लिए सही नहीं है।"
प्रज्ञा ने आर्यन की तरफ़ अब देखा था। वह उसकी तरफ़ देख कर घूरती रही। आर्यन उसे समझाने की और कोशिश जैसे ही करने लगा, तभी उसकी मॉम बोलीं,
शैलजा: "तुम्हारे लिए ये सिम्पल है! पर मेरी बेटी के लिए नहीं। वह अभी इस चीज के लिए बहुत सफ़र कर रही है। उसने सुबह से खाना नहीं खाया है और न ही वह कमरे से बाहर निकली है और मैं उसको इस हालत में और नहीं देख सकती। इसीलिए मैं चाहती हूँ कि तुम उसके साथ तब तक रहो जब तक उसे कोई और नहीं मिल जाता। वरना तुम पहले से ही जानते हो। तुम्हारी कंपनी से तुम्हे निकाला भी जा सकता है! तुम्हारा करियर भी खत्म..."
तभी प्रज्ञा ने अपनी मॉम को बीच में रोकते हुए कहा,
प्रज्ञा: "नो मॉम! मुझे इस तरह धमकी दे कर कोई नहीं चाहिए। इसे करने दो जो करना है। इसके सामने शर्तें रख कर इसको इतनी इंपोर्टेंस देने की ज़रूरत नहीं है।"
प्रज्ञा के मुंह से सारी बात सुनकर आर्यन थोड़ा चौंक-सा गया। शैलजा आंटी भी प्रज्ञा को देखती रह गई।
आर्यन ने प्रज्ञा की तरफ़ बोला,
आर्यन: "ई यम सॉरी प्रज्ञा आई होप तुम मुझे किसी दिन माफ़ कर दो!"
ये सुनने के बाद प्रज्ञा झल्ला कर बोली,
प्रज्ञा: "दफा हो जाओ यहाँ से और अब कभी शक्ल दिखाने की ज़रूरत नहीं है!"
आर्यन प्रज्ञा का गुस्सा समझता था। अच्छी बात ये थी कि प्रज्ञा ने उसके पीछे पड़ने के बजाय उसे जाने दिया। उसने प्रज्ञा की मॉम को देख कर कहा,
आर्यन: "मैं जा रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आप ऐसा कुछ नहीं करेंगी जिससे फिर से आपसे मिलने का मौका मिले! टेक केयर!"
इतना कहते हुए आर्यन वहाँ से निकल गया। आर्यन के निकलते ही प्रज्ञा की मॉम प्रज्ञा को सुनाते हुए बोलीं,
शैलजा: "तुमने उसे ऐसे कैसे जाने दिया! मैं ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती कि जो मेरे साथ हुआ, वह तेरे साथ हो। कोई तुझे छोड़कर तेरी मर्जी के बिना नहीं जा सकता।"
प्रज्ञा ने मॉम को देखकर कहा,
प्रज्ञा: "मॉम! मुझे पता है आर्यन मेरे पास वापिस आएगा। वापस आने के लिए उसका मुझसे अभी दूर जाना ज़रूरी है।"
प्रज्ञा इतना कहते ही वहाँ से निकल गई थी। उसकी मॉम को समझ नहीं आया कि आख़िर प्रज्ञा के दिमाग़ में क्या खुरापात चल रही थी।
उधर काव्या अपने बिस्तर पर लेटे यही सोच रही थी कि पीयूष को उसके घर का एड्रेस किसने बताया। यहाँ का पता तो सिर्फ़ निकिता और विवेक ही जानते थे।
एक टाइम के बाद प्रज्ञा ने इस बारे में और सोचना छोड़ दिया क्योंकि कल उसके डिजाइंस की प्रेजेंटेशन होने वाली थी। अगले दिन ऑफिस की प्रेजेंटेशन देते वक़्त उसके पैर कांप रहे थे।
सामने ही क्लाइंट बैठे थे। जो दिल्ली के मशहूर पॉलिटिशियन फैमिली से थे और उसकी बॉस उनके बगल में बैठी काव्या को कॉन्फिडेंस बढ़ाने के इशारे कर रही थी।
काव्या की डिजाइंस देखने के बाद उनके चेहरे के रंग जिस तरह बदल रहे थे उससे ये पता लगाना मुश्किल था कि उन्हें डिजाइंस पसंद आ रहे थे कि नहीं।
मीटिंग ख़त्म होने के बाद काव्या की बॉस ने काव्या के पास आ कर ये बताया कि क्लाइंट को उसके डिजाइंस इतने पसंद आए हैं कि वह अब अपने हर घर के इंटीरियर के लिए काव्या से ही कॉन्टैक्ट करेंगी।
बॉस इतनी खुश थी कि उसने कसकर काव्या को गले लगा लिया था। काव्या की भी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने भी ख़ुशी में अपने केबिन में आते ही अपने साथ काम करने वाले आशीष को भी गले लगा लिया था।
आशीष के गले में झूमते हुए काव्या ने कहा,
काव्या: "आज मेरी तरफ़ से तुझे शानदार पार्टी! मेरे डिजाइंस ने कमाल कर दिया। आई यम सो हैप्पी! आज मैं तुझे डेट पर ले कर चलूंगी!"
इस पर आशीष जो दिखने में थोड़ा हेल्थी लगता था और साथ ही में काव्या से उमर में भी छोटा था। उसने काव्या की तरफ़ देख कर कहा,
आशीष: "पर मैं अपने मम्मी को क्या बताऊंगा? मुझे उनसे परमिशन लेगी होगी!"
ये सुनते ही काव्या ने उसके कंधे पकड़ कर कहा,
काव्या: "तू बच्चा है क्या अभी? मैंने आजतक कभी अपने पेरेंट्स से घर बाहर निकलने के लिए परमिशन नहीं ली, सिर्फ़ इनफॉर्म किया है। मम्मी को बोल मैं एक लड़की के साथ डेट पर जा रहा हूँ। फिर देख तेरी मम्मी उसके बाद से कभी तुझे कहीं जाने से मना नहीं करेंगी!"
काव्या की बातों को सुनकर आशीष थोड़ा नर्वस हो गया था। पर जब पहली बार कोई सुंदर लड़की डेट के लिए पूछ रही हो तो उसे अपने अंदर हिम्मत तो लानी होगी।
काव्या आशीष को ये बोल कर वहाँ से निकल गई,
काव्या: "चल फिर एक घंटे के बाद कनॉट प्लेस पर मिलते हैं! थोड़ा अच्छे से तैयार हो कर आना!"
काव्या अपनी धुन में नाचती गाती वापिस अपने फ़्लैट पर जा रही थी।
आई तो आर्यन किचन में खाना बनाने की तैयारी कर रहा था।
वो भी आज खुश था कि फाइनली प्रज्ञा उसकी लाइफ से निकल गई।
काव्या को भी इतना खुश देखकर आर्यन ने कहा,
आर्यन: "थैंक्स! मेरे कमरे को चेंज करने के लिए!"
काव्या को लगा जैसे आर्यन ने थैंक्स कटाक्ष में बोला था। वह किचन में आई तो देखा आर्यन ने खाना बनाने की काफ़ी तैयारी कर रखी थी।
उसने कहा,
काव्या: "सॉरी! तुम्हारे कमरे को इतना फैला पड़े देख कर मैं कंट्रोल नहीं कर पाई। बट थैंक यू! अगर मैं तुम्हारे कमरे को ठीक नहीं करती तो मुझे अपने डिजाइंस बनाने का कोई डिजाइन नहीं आता और मेरे क्लाइंट मुझे अपने हर प्रोजेक्ट के लिए मुझे हाइर करने की बात नहीं करता!"
ये सुनकर आर्यन काफ़ी खुश हुआ उसका मन किया कि वह काव्या को हग कर ले। पर उसने ख़ुद को रोकते हुए कहा,
आर्यन: "कंग्रैच्युलेशन्स! तो मैंने आज हम दोनों के लिए डिनर बनाने का सही डिसीजन लिया। आज हम मिलकर इस दिन को सेलिब्रेट करेंगे!"
पर काव्या ने उसे बताया कि वह आज उसके साथ डिनर नहीं कर सकती क्योंकि उसने पहले ही आशीष के साथ डेट पर जाने का प्लान बनाया था। डेट सुनकर आर्यन के कान खड़े हो गए और उसने तुरंत पूछा,
आशीष: "कौन आशीष? वह आदमी जो आज सुबह पानी देने आया था? तुमने उसके साथ डेट जाने का भी प्लान कर लिया?"
काव्या को नहीं पता था कि आर्यन काव्या के लिए पोससेसिव फील करेगा। आर्यन का इस तरह से सवाल करना, काव्या को अच्छा लग रहा था। उसने मुस्कुराते हुए आर्यन की गलतफहमी दूर की ये कहकर कि आशीष उसका ऑफिस दोस्त है और वह एक सीरियस वाली डेट पर नहीं जा रही थी।
ये सुनकर आर्यन ने चैन की सांस तो ली। पर उसे बुरा लग रहा था क्योंकि उसने अपने और काव्या के लिए डिनर की तैयारी कर ली थी। वह आज काव्या के साथ ये रात सेलिब्रेट करना चाहता था।
काव्या ने उसे सॉरी कहा और वहाँ से तैयार हो कर अपनी डेट के लिए निकल गई।
आर्यन ने अपने और काव्या के लिए बनाया हुआ व्हाइट सॉस पास्ता एक प्लेट में निकाल कर, टेबल पर रखा और रेड वाइन को एक ग्लास में डाला।
काव्या वहाँ आशीष के साथ डेट एंजॉय कर रही थी और आर्यन अपने फ़्लैट में रेड वाइन और पास्ता का आनंद उठा रहा था। तभी कुछ देर बाद उनके यहाँ की डोर बेल बजी।
आर्यन ने जब दरवाज़ा खोला तो सामने हमज़ा हाथ में कैसरोल लिए खड़ा था।
आर्यन हमज़ा को देख कर चौंक गया। उसे नहीं पता था कि सुबह जिस आदमी की आवाज़ उसने सुनी थी वह और कोई नहीं सामने खड़ा यही बंदा था। आर्यन ने पूछा,
आर्यन: "सॉरी? आप कौन? किससे मिलना है आपको?"
हमज़ा ने आर्यन को काव्या का भाई समझ कर उससे कहा,
हमज़ा: "जी मैं दरअसल आपकी बहन को ये बिरयानी देने आया था।"
बहन शब्द सुनते ही आर्यन को लगा उसके सामने खड़ा बंदा शायद ग़लत घर में आ गया था। उसने हमज़ा से कहा,
आर्यन: "सॉरी आप ग़लत घर में आ गए हैं। यहाँ मेरी कोई बहन नहीं रहती!"
ऐसा कहते हुए जैसे ही आर्यन दरवाज़ा बंद करने जा रहा था।
हमज़ा ने जल्दी से गेट को पकड़ते हुए कहा,
हमज़ा: "जी! मैं आज सुबह तो उनसे यही मिला था। वह आज सुबह मुझसे बाल्टी में पानी लेने भी आई थीं।"
ऐसा सुनते ही आर्यन हमज़ा के चेहरे को देखता ही रह गया। आख़िर यही वह बंदा था जिसको देख कर काव्या के चेहरा लाल हो गया था। उसने हमज़ा को ऊपर से नीचे तक देखा। वह पूरा पठान जैसा लगता था। उसके बाइसेप्स और चेस्ट को देख कर यही लगता था जैसे वह फिटनेस ट्रेनर हो।
हमज़ा ने आर्यन को ऊपर नीचे घूरते हुए देखा। उसने तुरंत जवाब दिया,
हमज़ा: "माफ कीजिएगा मेरी ही गलती है! मैं बिना बताए ही बिरयानी ले कर आ गया। शायद ये अभी आने के लिए सही वक़्त नहीं है। मैं फिर किसी दिन आता हूँ।"
हमज़ा जैसे ही वहाँ से जाने लगा आर्यन ने रोकते हुए कहा,
आर्यन: "वेट! वैसे काव्या घर पर नहीं है! पर आप रेड वाइन के साथ पास्ता का आनंद लेना चाहते हैं तो अंदर आ सकते हैं।"
हमज़ा थोड़ी देर ठहरा, फिर कुछ सोच कर अंदर आ गया। अंदर आते हुए उसने कहा,
हमज़ा: "वैसे मेरे पास चिकन बिरयानी भी है। अगर आपको इसका भी आनंद लेना हो तो ले सकते हैं!"
दोनो ठहाके मारते हुए अंदर आ गए।
उधर काव्या आशीष के साथ जैपनीज रेस्टोरेंट में एक के बाद एक डिशेज का लुत्फ उठा रही थी। आशीष का ध्यान सिर्फ खाने में लगा था।
काव्या ने आशीष से अचानक सवाल किया,
काव्या: “आशीष! तुझे क्या लगता है, भगवान ने पहले से ही हमारी जोड़ी किसी के साथ तय कर रखी है?”
आशीष खाने को मुंह में भर के चबाए जा रहा था। पूरा खाना खत्म करके उसने कहा,
आशीष: “हां! मेरी मम्मी तो यही कहती हैं!”
काव्या ने इरिटेट हो कर कहा,
काव्या: “मम्मी लोग तो कहेंगे ही ये सारी बातें, उनकी जेनरेशन के लोगों को अपना पार्टनर चुनने का मौका जो नहीं मिला। मैं जानना चाहती हूं तुम्हारा क्या ख्याल है? क्या वो जोड़ीदार जिंदगी में कोई एक ही होगा? दो नहीं हो सकते? वैसे कृष्ण की भी इतनी रानियां थीं।”
इस पर आशीष ने तुरंत जवाब देते हुए कहा,
आशीष: “पर प्यार तो उन्हें राधा जी ही से था। प्यार तो किसी एक से ही होता है!”
आशीष की बात सुनकर काव्या का मन उदास हो गया और उसने कहा,
काव्या: “इसका मतलब है, अब मुझे दोबारा प्यार नहीं मिलेगा। क्योंकि अपनी जिंदगी का एक बार होने वाला प्यार मैं तो पहले ही कर चुकी हूं।”
उसकी बात सुनकर आशीष ने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ देर तक काव्या रेस्टोरेंट में बजने वाले कोई जैपनीज म्यूजिक को सुनती रही। उसे उसके बोल नहीं पर उदास सी करने वाली धुन समझ आ रही थी।
तभी पीछे से किसी ने आ कर उसको पुकारा,
पीयूष: “हेलो, काव्या!”
काव्या आवाज़ सुनते ही कांप सी गई। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो सामने पीयूष खड़ा था।
पीयूष ने काव्या की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा,
पीयूष: “स्वीटी! फाइनली तुम मिल गईं। शायद भगवान भी यही चाहता था!”
ये सुनते ही काव्या के शरीर में करंट दौड़ने लगा था। जिसने उसे डर था वो डर आज उसके सामने आ खड़ा था।
कैसे करेगी अपने पास्ट का सामना? क्या काव्या की जिंदगी में पीयूष का वापस आना काव्या की जिंदगी में फिर से नई करवट ले कर आएगा? क्या होगा जब आर्यन को पीयूष की वापसी के बारे में पता चलेगा? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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