काव्या के सामने पीयूष का अचानक यूं आ जाना, किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था।

आशीष ने चॉपस्टिक से नूडल्स खींचते हुए एक पल के लिए पीयूष को देखा और वापस खाने में मग्न हो गया। उसे लगा कि ये शायद काव्या का कोई पुराना दोस्त होगा।

काव्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा था। वो इस अंसमजस में थी कि वो इस सिचुएशन को कैसे हैंडल करे।

पीयूष, जिसे वो कभी सबसे ज्यादा प्यार किया करती थी, जिसके लिए उसने न जाने कितनी बेवकूफों वाली चीजें की थीं। अब अचानक से उसके सामने आने से उसके अंदर एक हलचल शुरू हो गई थी। नितिका और विवेक ने उस रात जो जो कहा था वो सब कुछ आज उसके दिमाग में घूम रहा था कि जब पीयूष वापिस आए तो उसके साथ क्या क्या करना?

काव्या अपनी जगह से खड़ी हुई। पीयूष उसको देखकर मुस्कुराए जा रहा था। उसने मुस्कुराते हुए कहा,

पीयूष: “चीनी! इतने दिन बाद भी तुम बिल्कुल नहीं बदलीं, पहले की तरह क्यूट लग रही हो!”

पीयूष काव्या को पहले प्यार से कभी कभी चीनी बुलाया करता था। ये सुनकर काव्या ने कसमसाते हुए जवाब दिया,

काव्या: “डोन्ट कॉल मी चीनी!”

पीयूष ने हंसते हुए कहा,

पीयूष: “ओके, ओके! पुरानी बातों और पुराने नामों को भूल जाते हैं लेकिन तुम अभी भी वैसी ही हो।”

तभी आशीष ने बेमन से मुंह में नूडल्स भरते हुए पूछा,

आशीष: “काव्या, ये कौन है?”

काव्या ने सिर घुमा कर धीरे से कहा,

काव्या: “ कोई नहीं। पहले हम बस एक दो बार कभी मिले थे!”

पीयूष तपाक से बोला,

पीयूष: “ओह, बस एक दो बार?”

काव्या का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। आशीष के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई, जैसे उसे कुछ समझ आ रहा हो। उसने कहा,

आशीष: "अरे वाह, तुमने कभी बताया नहीं, तुम्हारा …”

इसके पहले आशीष कुछ कहता काव्या ने कहा,

काव्या: “आई थिंक  अब हमको चलना चाहिए आशीष!”

आशीष ने अभी नूडल्स पूरे खाए नहीं थे पर वो काव्या का इशारा समझ गया था। काव्या ने वेटर को बिल देने के लिए बुलाया।

इस बीच पीयूष ने काव्या के पास आ कर कहा,

पीयूष: “मुझे तुमसे अकेले में कुछ बात करनी है काव्या! हम पुराने दोस्त रहे हैं। उसके लिए मुझे थोड़ा सा अपना टाइम दे दो!”

तभी काव्या ने झुंझलाहट में आकर सीधे पीयूष की आंखों में देखते हुए कहा,

काव्या: “पीयूष, हम कोई दोस्त नहीं हैं। प्लीज़! इससे पहले कि यहां कुछ ड्रामा हो! तुम यहां से दफा हो जाओ।”

पीयूष को उसकी बात समझ आ गई थी। उसने सिर हिलाते हुए कहा,

पीयूष: “ठीक है, मैं जा रहा हूं। लेकिन मुझे तुमसे फिर मिलना है। मैने तुम्हारे नए घर पर तोहफा भी भेजा था। तुमने उसका भी कुछ रिप्लाई नहीं दिया।”

ये बात सुनते ही काव्या ने सवाल किया,

काव्या: “तुम्हे मेरे नए फ्लैट के बारे में किसने बताया?”

पीयूष ने धीमी सी भौंडी सी हंसते हुए बताया।

पीयूष: “देखो! तुम नाराज़ मत होना। दरअसल जब तुम्हारे घरवालों से पता चला था तुम कहीं और अकेले शिफ्ट हो गई हो। तो मैं तुमसे मिलने के लिए बड़ा बेचैन था। फिर एक दिन चंचल से मिला और उसने मुझे बताया कि तुम दरअसल कहां रह रही हो!”

चंचल का नाम सुनकर काव्या के होश उड़ चुके थे। उसे याद आया कि जिस दिन चंचल उसे घर की तरफ से बाहर मिली थी। जरूर उसने मेरे घर का पता जान लिया होगा। बचपन से ही चंचल की छुप छुप कर काव्या की प्राइवेट चीजें जानने की आदत रही थी। उसे चंचल पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

पीयूष ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए काव्या से कहा,

पीयूष: “बताओ हम दोबारा कब मिलें? कल मिलें? मुझे तुमको बहुत कुछ बताना है कि अब मैं पहले वाला पीयूष नहीं रहा हूं। मैं काफी बदल गया हूं। मुझे लाइफ ने बहुत बड़ा लेसन  दिया है। और मैं अपनी हरकतों के लिए बहुत ज्यादा गिल्टी फील कर रहा हूं। बताओ तुम कल मिलना चाहोगी?”

काव्या ने धीरे से कहा,

काव्या: “कल नहीं, कभी नहीं।”

ये कहते हुए काव्या आशीष को ले कर वहां से निकलने लगी। आशीष को लगा जैसे मौसम का मिजाज़ बदल गया हो।

वो चुप चाप काव्या के साथ चलता रहा। काव्या ने पहले ही cab बुक कर ली थी। वो कैब में बैठकर पीयूष को बिना देखे वहां से निकल गई।

काव्या ने गहरी सांस ली। आशीष, जो अब तक चुपचाप ये सब देख रहा था, उसने पूछा,

आशीष: “तो... क्या ये तुम्हारा बॉयफ्रेंड था?”

काव्या की आंखें भर आईं थीं और उसने जवाब दिया,

काव्या: “हां! और अब मुझे उससे नफरत होती है! अब बस वो मेरा पास्ट है!”

आशीष ने मज़ाक करते हुए कहा,

आशीष: “कितना फिल्मी सीन  हुआ फिर तो!”

काव्या ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा,

काव्या: “तुम क्या सोचते हो? ज़िंदगी किसी फिल्म से कम होती है?”

दोनों हंसने लगे पर काव्या के दिमाग में बस एक ही चीज को ले कर उथल पुथल चालू थी कि क्या वाकई पीयूष को अपनी गलती का एहसास था?

उधर आर्यन ने अपने फ्लैट में हमज़ा के साथ मिलकर शेर और शायरियों का मजमा बैठा रखा था।

हमज़ा को शेर शायरियोँ का काफी शौक था। और उसके इस शौक के बारे ने आर्यन को जब पता चला तो उसने हमज़ा को कुछ भी पढ़ा हुआ सुनाने को कहा। तब से फिर काफी देर तक ये प्रोग्राम चलता रहा।

हमज़ा ने गुलज़ार साहब की किताब से एक शेर निकालकर आर्यन को सुनाया,

हमज़ा: “हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन

ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते!”

शायरी सुनकर आर्यन को ज्यादा कुछ समझ नहीं आया पर वो इतने सुरूर में आ चुका था कि उसे हर शायरी और शेर को सुनकर ऐसा लगता जैसे कोई बहुत बड़ी बात ही कही होगी और उसके मुंह से अपने आप वाह वाह निकलता जाता।

हमज़ा इस बात को जान गया था कि ये सारे शेर और शायरियां आर्यन के सिर से ऊपर जा रही थीं।

उसने एक बार रुक कर आर्यन से पूछ ही लिया,

हमज़ा: “मतलब समझ आया?”

उसके बाद आर्यन ने हंसते हुए बताया,

आर्यन: “हां! कवि यही कहना चाहता है, कि रिश्ते नहीं तोड़े जाते हैं। और अगर अच्छे से तोड़ दिया तो दोबारा जोड़ो मत!”

आर्यन की बात सुनकर हमज़ा ठहाके मारते हुए हंसने लगा। दोनो हंसी से लोट पोट हुए जा रहे थे।

कुछ देर बाद आर्यन जिसके मन में एक सवाल काफी समय से घूम रहा था, उसने पूछा,

आर्यन: “तुम्हे ये क्यों लगा कि काव्या मेरी बहन है? मेरा मतलब है तुमने यही गेस  क्यों किया?”

हमज़ा पहले जोर से हंसा। शायद उसने इतनी पी ली थी कि उसे आर्यन की हर बात पर हंसी आने लगी थी। फिर उसने कहा,

हमज़ा: “मतलब? तुम काव्या के भाई ही तो हो!”

इस बात को सुनकर आर्यन के दिल में जोर की सिरहन उठी और वो तिलमिलाते हुए बोला,

आर्यन: “व्हाट? नहीं मैं काव्या का भाई नहीं हूं। बल्कि उसका…फ्लैट मेट हूं बस!”

आर्यन का ये रिएक्शन देख कर हमज़ा बोला,

हमज़ा: “अच्छा पर काव्या ने तो मुझे ये बताया था कि तुम उसके भाई हो!”

आर्यन: “व्हाट?”

आर्यन जोर से जैसे ही चिल्लाया तभी घर में दरवाजा खुलने की आवाज़ हुई। और काव्या ने एंट्री ली।

काव्या ने जब अपने सामने हमज़ा और आर्यन दोनों को एक साथ देखा उसके होश उड़ गए। हॉल को देख कर लग रहा था जैसे दोनों उसके जाने के बाद पार्टी कर रहे थे।

हमज़ा को देखते ही उसके चेहरे का रंग बदला जिसे आर्यन ने भी नोटिस किया। और उसका दिल और भी ज्यादा दुखने लगा था।

काव्या ने आगे बढ़ते हुए हमज़ा से पूछा,

काव्या: “आप यहां?”

हमज़ा ने मुस्कुराते हुए बोला,

हमज़ा: “दरअसल मिलने आपसे ही आया था। पड़ोसियों से जान पहचान बढ़ाना जरूरी है इसलिए बिरयानी लेकर आया था। पर फिर मुझे ये जनाब आर्यन जी मिल गये! और फिर उन्होंने हमें बताया कि ये आप के भाई तो है ही नहीं।”

काव्या का झूठ पकड़ा गया था। उसने आर्यन की तरफ देखा तो वो भी इसी सवाल के जवाब के लिए उसे देखे जा रहा था। ये देखकर काव्या को आर्यन के लिए बुरा लगने लगा। आर्यन की आंखें जैसे इस मज़ाक की सफाई मांग रही थीं।

काव्या को समझ ही नहीं आया कि अब वो इस बात की सफाई कैसे दे! अगर आर्यन को भाई कहा तो उसका दिल टूटेगा और हमज़ा से अगर उसने ये कहा कि उसने झूठ बोला था तो हमज़ा को लगेगा उसका और आर्यन के बीच जरूर कोई ऐसा रिश्ता है जिसे वो सबसे छुपाना चाहती है।

तभी आर्यन ने कहा,

आर्यन: “वैसे काव्या कभी कभी हर किसी को अपना भाई बोल देती है! तो उसका भाई कहने का मतलब असली भाई से नहीं पर ऐसे ही बुलाए जाने वाले भाई से होगा! मेरा मतलब ऐसे ही कैजुअल वाला भाई! क्यों काव्या?”

आर्यन काव्या की बात को कवर करने की कोशिश कर रहा था। जो वो हमेशा करता था। काव्या ने हां में सर हिलाकर कहा,

काव्या: “हां मेरा मतलब ऐसे ही था। आर्यन वैसे मेरा फ्लैटमेट है। हम किसी दोस्त के थ्रू मिले थे!”

फिर बात को घूमते हुए बोली,

काव्या: “वाह! लगता है आज तुम दोनों ने अच्छा वक्त साथ में बिताया है! थैंक गॉड तुम लोग आपस में मिल लिए!”

काव्या के ये बोलने के बाद दोनों ही ऑकवार्ड हो गए थे, जैसे ये बात काव्या ने तंज कसते हुए बोली हो!

आर्यन और हमज़ा एक दूसरे को ऑकवर्ड तरह से जब देख रहे थे काव्या को लगा कि उसने कुछ गलत ही कह दिया था।

फिर काव्या ने खुद को एक्सप्लेन करते हुए कहा,

काव्या: “मेरा मतलब था कि तुम दोनो मिल गए और आर्यन ने मेरे लिए भी जो पास्ता बनाया था वो हमज़ा के नसीब में आ गया और हमज़ा की बिरियानी आर्यन के! दोनों को मेरे यहां न रहने का नुकसान नहीं हुआ!”

आर्यन और हमज़ा काव्या की बात को सुनकर सोच में पड़ गए कि काव्या कहना क्या चाह रही थी।

तभी आर्यन ने कहा,

आर्यन: “शायद तुम थक गई होगी! वैसे कैसी रही तुम्हारी डेट?”

हमज़ा ने तुरंत पूछा,

हमज़ा: “डेट? अच्छा तो आप डेट पर गई थीं?”

काव्या सकपकाते हुए बोली,

काव्या: “नहीं वो वैसी डेट नहीं थी। बस मेरा ऑफिस का दोस्त था उसके साथ थी! और हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं था”

डेट याद आते ही काव्या के दिमाग में पीयूष की शक्ल आ गई थी। जिससे उसका मन फिर बेकार सा होने लगा।

हमज़ा ने कहा,

हमज़ा :“अच्छा! वैसे अगर मन है तो आप हमारे साथ अभी हमारे बीच चल रही डेट का हिस्सा होना चाहेंगी? वैसे भी यहां शेर और शायरी का माहौल बना हुआ है!”

काव्या ये सोचकर अंदर ही अंदर हंस रही थी कि आर्यन और हमज़ा साथ में डेट पर हैं। आर्यन ने भी फुर्ती से कहा,

आर्यन: “हां आओ न! तुम्हें भी ग़ालिब और गुलज़ार से मुख्तालिक करवाया जाए!”

इस पर हमज़ा जोर सा हंसा और उसने आर्यन के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा,

हमज़ा: “मुख्तालिक नहीं! मुखातिब! मुखातिब कराया जाए!”

इस बात पर हमज़ा काफी देर तक हंसता रहा। जबकि काव्या को इस बात पर कोई हंसी नहीं आई थी। वो भी आर्यन की उर्दू के अल्फाजों से अनजान थी। लेकिन हमज़ा का हंसना कम नहीं हुआ तो उसका दिल रखने के लिए ही काव्या ने हंस दिया।

आर्यन को पहले तो फर्क नहीं पड़ रहा था पर काव्या की हंसी सुनते ही उसे बुरा लगा।

उसने बात को घुमाने के लिए कहा,

आर्यन: “हां वही! इतना ही आता था मुझे! चलिए हमज़ा जी आप शेर सुनाइए! काव्या जी भी तो जाने आप कितने काबिल हैं। क्यों काव्या जी?”

काव्या ने भी हां में हां मिलाते हुए कहा,

काव्या: “हां ज़रूर!”

फिर क्या था? हमज़ा एक के बाद एक शेर और शायरी सुनता गया। आर्यन ने देखा काव्या हमज़ा की तरफ मंत्र मुग्ध हो कर देख रही थी। ये देख कर आर्यन को जलन हो रही थी। वो खुद से हमज़ा को कंपेयर करने लगा था।

हमज़ा की हर बात में काव्या हंस रही थी। और अब आर्यन की हंसी चाह कर भी नहीं निकल रही थी। उसने अपनी तरफ सबका अटेंशन खींचने के लिए कहा,

आर्यन: “चलो मैं एक शेर सुनाता हूं। मुझे भी एक शेर आता है!”

हमज़ा ने आर्यन के हौसले को बढ़ाने के लिए कहा,

हमज़ा: “इरशाद, इरशाद!”

आर्यन ने काव्या को देख कर सुनाया,

आर्यन: “और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा, राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा!”

आर्यन के मुंह से ये सुनकर काव्या का दिल बाग बाग हो गया था। हमज़ा ने वाह वाह करते हुए आर्यन की तारीफ करी। फिर आर्यन ने बताया कि उसने ये शेर कुछ हाल ही में देखी इंस्टा रील्स से सुना था।

पर आर्यन के दिल में ये शेर घर कर चुका था। इस शेर और शायरी के माहौल में अचानक काव्या को लगा जैसे वो कुछ गलत कर रही थी। आर्यन जिस तरह काव्या को देख रहा था उससे उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं आर्यन उससे प्यार तो नहीं करने लगा था।

काव्या ने आर्यन के सामने शर्त भी रखी थी कि वो पहले प्रज्ञा को छोड़ दे। और अब जब आर्यन ने प्रज्ञा का साथ छोड़ दिया था उसके बाद उसने आर्यन से उनके दोनों के बीच के बारे में कोई बात नहीं की।

उसने खुद से सवाल किया, क्या उसे आर्यन के साथ रिलेशनशिप में आ जाना चाहिए? क्या आर्यन उसके लिए सही चॉइस था?

उसने एक नज़र हमज़ा की तरफ देखा। वो हमज़ा को इतना जानती नहीं थी पर थोड़ी सी मुलाकात में हमज़ा पर उसे क्रश होने लगा था। पर वो हमज़ा के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी कि हमज़ा किसी को डेट कर रहा था या सिंगल था।

पर तभी उसके दिमाग में तर्क करते हुए ये भी ख्याल आया कि अगर वो किसी को डेट कर रहा होता तो वो आज उसके लिए यूं बिरयानी ले कर नहीं आता। काव्या असमंजस में थी। वो पीयूष वाली गलती दोबारा करने से कतरा रही थी। इसलिए वो कुछ भी चुनने से डर गई थी।

उधर आर्यन के दिमाग में भी चल रहा था कि वो आज काव्या से अपने दिल की बात खुल कर करेगा। प्रज्ञा जब उसकी जिंदगी से जा चुकी थी तो उसके और काव्या के साथ आने के बीच अब कोई और अड़चन नहीं दिख रही थी। फिर आर्यन ने हमज़ा की ओर देखते हुए सोचा,

आर्यन: “शायद काव्या हमज़ा को ही न चुने!”

दोनों अपने दिमाग़ में जब ये सब सोच रहे थे तभी हमज़ा ने कहा,

हमज़ा : “अब मुझे चलना चाहिए! वैसे भी कल मेरी बेबी का बर्थडे है। तो मुझे सारी प्लानिंग भी करनी होगी।”

हमज़ा के मुंह से बेबी सुनते ही काव्या का दिल धक्क् सा रह गया। इसका मतलब था हमज़ा पहले से ही किसी और के साथ था। अब उसके पास दो ऑप्शंस में एक ही बचा था जो उसके सामने खड़ा था – आर्यन!

पर क्या वो आर्यन का प्रपोजल एक्सेप्ट करना चाहती है? ये सवाल ने काव्या खुद से किया। और इसके जवाब में उसका दिल तेजी से धड़कने लगा था।

हमज़ा सबसे अलविदा कहता हुआ वहां से निकल गया। जाते हुए उसने काव्या और आर्यन से नंबर भी एक्सचेंज कर लिए थे। उसका कहना था, आखिरकार हम सैम  बिल्डिंग में रहते हैं। जान पहचान होती रहनी चाहिए!

पर जैसे ही हमज़ा उनके फ्लैट से निकला, आर्यन ने गहरी सांस ली। क्योंकि वो काव्या से बात करने के लिए कब से एकांत चाह रहा था।

आर्यन काव्या की तरफ मुड़ा और उसके पास जाते हुए प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखा। हाथ रखते ही काव्या थोड़ी हिचकी। पर आर्यन ने काव्या का हाथ, अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा,

आर्यन: “काव्या! मैं ये बात तुमसे पहले भी पूछना चाहता था पर ढंग से नहीं पूछ पा रहा था। पर आज मैं क्लैरिटी के साथ तुमसे जवाब चाहता हूं। मेरा और प्रज्ञा के बीच अब किसी भी तरफ का कोई रिश्ता नहीं है। हम दोनो सिचुएशनशिप से निकल चुके हैं। तो क्या अब हम फ्लैटमेट से ज्यादा कुछ और बन सकते हैं? क्योंकि मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूं और तुम्हारे साथ अपनी पूरी ज़िंदगी परमानेंट रूममेट बन कर भी बिताना चाहता हूं। क्या तुम मेरे साथ आगे का सफ़र एक पार्टनर की तरह तय करना चाहोगी?”

आर्यन की बात सुनकर काव्या ठिठकी सी खड़ी रही। वो हां कहना चाहती थी। पर उसे अपने ऊपर विश्वास नहीं हो रहा था कि क्या वो इतनी जल्दी दूसरे रिलेशनशिप में आने के लिए क्या तैयार है? क्या कहीं वो कोई जल्दबाज़ी तो नहीं कर रही? क्या आर्यन के बारे में वो श्योर  है?

इतनी देर सोचता देख कर आर्यन का दिल घबराने लगा था। वो दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को खड़े देखते रहे।

आखिर क्या होगा काव्या का जवाब? क्या काव्या और आर्यन एक साथ पार्टनर की तरह रहने लगेंगे? क्या पीयूष काव्या की जिंदगी में दोबारा टकराएगा? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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