कॉफ़ी फेंटते हुए काव्या हमज़ा के बारे में ही सोच रही थी। तभी उसके फोन में उसकी बॉस का टेक्स्ट आया। ‘आज तुम्हे डिजाइंस कंप्लीट करके रखने है! कल क्लाइंट के सामने तुम्हें ही प्रेजेंट करना है!’

काव्या को याद आया कि उसने अभी तक 80s की डिजाइंस के बारे में इक्स्प्लोर  ही नहीं किया था। आज अपनी डिजाइन बनाने के लिए उसके पास आखिरी दिन बचा था। उसे दिन रात एक करके ये पूरा करना था।

वर्क फ्रॉम होम ले कर काव्या अपने डिजाइंस बनाने के लिए लैपटॉप खोल कर बैठ गई। पर उसके दिमाग में डिजाइंस के अलावा सारे ख्याल आए जा रहे थे और ऐसे करते करते न जाने कब उसकी आंख लग गई।

वो सपनों की दुनिया में जा पहुंची थी। जहां पर वो तितली का पीछा करते हुए भागे जा रही थी। भागते भागते वो एक फूलों से सजे मैदान में पहुंची जहां शाहरुख की तरह बाहें फैलाये हुए एक आदमी उसकी तरफ पीठ किए हुए खड़ा हुआ था।

धीरे धीरे कदमों से काव्या उसकी तरफ पहुंची और उसने पीछे से कसकर उसको पकड़कर कहा,

काव्या: “मैंने तुम्हारा कितना इंतजार किया! और तुमने मुझे ढूंढने में कितना समय लगा दिया हमज़ा!”

ऐसा बोलते ही वो आदमी काव्या की तरफ मुड़ा तो उसने देखा उस लड़के के शरीर पर आर्यन का चेहरा लगा था। जिसे देख कर काव्या थोड़ा पीछे हटी फिर उसने आर्यन को कसकर गले लगा लिया। कुछ देर बाद आर्यन उसकी बाहों से पीछे हटता चला गया। काव्या उसे रोकना चाह रही थी पर वो आदमी पीछे हटता जा रहा था। और उसका चेहरा दिखना बंद हो चुका था। काव्या के मुंह से बस यही निकल रहा था,

काव्या: “पीयूष मुझे छोड़ कर मत जाओ! पीयूष मुझे छोड़ कर मत जाओ!”

तभी जोर से पानी के सैलाब आने की आवाज़ हुई। और काव्या ने ऊपर देखा तो वो एक नल की टोंटी के नीचे खड़ी थी और टोंटी से पानी का सैलाब गिरने वाला था।

आवाज़ तेज़ होते ही काव्या जोर से चिल्लाई और उसकी आंख खुली।

आंख खुलने पर पता लगा कि कहीं नल से तेज़ पानी के बहने की आवाज़ आ रही थी। दरअसल आर्यन अपने बाथरूम के टैब खोल कर चला गया था।

काव्या जब उसके वाशरूम में पहुंची तो कमरे तक में पानी आ गया था। उसने जल्दी से नल बंद किया। कहां थोड़ी देर पहले तक एक बूंद पानी नही था और अब बाथरूम से कमरे तक पानी आ गया था।

काव्या सारे पानी को वाइप करने के बाद थोड़ी देर तक आर्यन के कमरे को देखती रही। उसने इससे पहले कभी आर्यन के कमरे को अच्छे से नहीं देखा था।

आर्यन ने कमरे की हालत बड़ी गंदी हो रखी थी। जगह जगह पर चीज बिखरी पड़ी थी। कबर्ड में कपड़े ऐसे रखे थे जैसे धोबी ने कपड़ों की गठरी बना कर फेंक दी हो।

इंटीरियर डिजाइनर के होते हुए आर्यन के कमरे का ये हाल हो रखा था। ये सोचते हुए काव्या ने एक एक करके उसके कमरे को ठीक करना शुरू कर दिया। हालांकि इसके लिए उसने आर्यन से परमिशन नही ली थी। पर अब काव्या ने उस पर अपना इतना हक समझ लिया था।

पहले उसने सारे कपड़े कबर्ड में अच्छे से लगाए। फिर उसके बाद आस पास की चीजें जो फैली हुई थीं। उनको समेटकर इस तरह से लगाया जैसे कमरे का हर एक हिस्सा एक कहानी कह रहा हो।

ऐसा करते ही काव्या के दिमाग की बत्ती जल गई। उसे अपने डिजाइन के लिए आइडियाज आने लगे।

वो भागते हुए अपने लैपटॉप के पास गई और उसने डिजाइंस बनाना शुरू कर दिए।

वहीं आर्यन अपने बॉस के केबिन में बैठा बॉस के मेडिटेशन  खत्म होने का इंतजार कर रहा रहा। पिछले पंद्रह मिनट से आर्यन के बॉस मिस्टर ओम सिन्हा आंख बंद करके ध्यान मुद्रा में ऑफिस टेबल पर बैठे थे।

दरअसल उनका मानना था कि वर्किंग  कल्चर में योगा करना, ध्यान लगाना बहुत जरूरी है। ये सब करने पर ही एक आदमी प्रेशर में भी काम करना सीख पाएगा। पर बॉस के लिए ध्यान लगाना हमेशा एस्केप करने का एक रास्ता बन गया था। जब भी किसी को बॉस से इंपोर्टेंट डिस्कस करना होता या पे चेक  के बारे में बात करनी होती वो ध्यान लगाने बैठ जाते थे।

आज भी वो तब से ध्यान लगाए बैठे थे जब से उन्हे पता चला था कि आर्यन अपने प्रोजेक्ट के बारे में उनसे डिस्कस करना चाहता है। उन्होंने अपने सेक्रेट्री को बोल दिया था कि आर्यन से कहे कि वो अभी कान्सन्ट्रैशन एक्सर्साइज़  कर रहे हैं। और आर्यन को डिस्कस करने के लिए वेट करना होगा।

पर आर्यन भी कम नहीं था! उसने कहा कि वो भी उनके साथ कौन्सन्ट्रैशन एक्सर्साइज़  करके अपने काम  को और बेहतर  करेगा। उसने अपनी एक्सर्साइज़  तो कर ली थी अब वो अपनी बॉस की एक्सर्साइज़  खत्म होने का इंतजार कर रहा था।

मिस्टर ओम सिन्हा काफी देर तक नाटक करते रहे। फिर जब उन्हें लगा आर्यन ऐसे वापिस नहीं जायेगा तो उन्होंने आंख खोल कर आराम लहजे में आर्यन से कहा,

आर्यन के बॉस: “बोलो! कौन सी बात के बारे में तुम्हे मुझसे डिस्कस करना है!”

आर्यन जैसे इस ड्रामे के खत्म होने के लिए रेडी  ही बैठा था। उसने सीधे शब्दों में कहा,

आर्यन:देखिए सर! आप जानते हैं मैने आज तक इस कंपनी से ऊपर उठकर सिर्फ अपने लिए काम नहीं किया है। मैंने इस कम्पनी को अपना सब कुछ दिया है। और आज भी मैं वही करने जा रहा हूं। जिस प्रोडक्ट को मैं मार्केट में लॉन्च करके इस कंपनी का नाम और बढ़ाना चाहता हूं, उसकी क्वालिटी के बारे में आप भी अच्छे से जानते हैं! तो फिर मेरे प्रोजेक्ट को कैंसल क्यों किया जा रहा है?”

बॉस टेबल से उठकर अपनी चेयर पर आए और एक लंबी सांस ले कर बोले,

आर्यन के बॉस: “वाटर?”

वाटर सुनते ही आर्यन के दिमाग का पारा हाई हो गया था। आज सुबह इसी वाटर के चलते कांड हो चुके थे। अब बॉस की इस हरकत पर उसे गुस्सा आने लगा। उसने पानी लेने से मना करते हुए कहा,

आर्यन: “सर! आपको मेरी बात समझ नहीं आ रही है की ये प्रोजेक्ट मेरे लिए कितना इंपोर्टेंट है!”

आर्यन की आवाज़ केबिन से बाहर लोगों तक पहुंच गई थी। बॉस ने धीमी आवाज़ में कहा,

आर्यन के बॉस: और ये जॉब मेरे लिए इंपोर्टेंट है!”

अपनी गर्दन को दाएं बाएं झटके देते हुए बॉस आगे बोले,

आर्यन के बॉस: अब हमारी कंपनी सिर्फ हमारी नहीं रही है। मल्होत्रा इंटरप्राइजेज ने हमें अपने कब्जे में कर लिया है। और हमें ये साफ ऑर्डर मिला था कि जिस भी प्रोजेक्ट को तुम लांच करने वाले हो उसे रोक दिया जाए। वरना शायद तुम्हारे प्रोजेक्ट को बचाने के लिए मैं अपनी जॉब को खो दूंगा।”

आर्यन जान गया था कि ये सारा खेल प्रज्ञा की मॉम का किया हुआ है। उसने बॉस के पास आ झुककर कहा,

आर्यन: “ऐसा कैसे हो सकता है कि एक बंदे के चाहने से ही कंपनी अपने डिसीजन चेंज कर दे!”

बॉस ने आर्यन का जवाब दिया,

आर्यन के बॉस: मुझे लगा था तुम इन्टेलिजन्ट  हो आर्यन! तुम्हें क्या लगता है, किसी भी ऑर्गनाइजेशन के फैसले पूरी टीम लेती है? टीम फैसले जरूर ले सकती है। पर उनको अप्रूव्ड और नॉट अप्रूव्ड करने की जिम्मेदारी किसी एक या दो इंसान के हाथ में ही होती है। क्यों एक प्रोजेक्ट के पीछे इतना पड़े हो! जैसा चल रहा है, चलने दो। अभी कुछ समय तक रेस्ट करने को बोला है, रेस्ट कर लो। कहीं ज्यादा उतावले पन में हमेशा के लिए रेस्ट करने को न बोल दिया जाए!”

आर्यन जानता था कि बॉस से बातचीत करके वो कुछ नहीं कर सकता था। उसे अब डायरेक्ट hierarchy के सबसे ऊपर बैठे लोग से सामना करना पड़ेगा। उसने टेबल पर रखे ग्लास को उठा कर सारा पानी पी लिया। उसके बाद बॉस को बोला,

आर्यन:आप डायलॉग राइटिंग अच्छी कर सकते हैं सर, एक बार ट्राई कीजिएगा! वैसे भी ये पोजिशन होने के लिए इंसान में थोड़ी रीढ़ की हड्डी होने की जरूरत है!”

ऐसा बोल कर आर्यन केबिन से बाहर आ गया। उसने प्रज्ञा की मॉम को टेक्स्ट किया।

“आंटी जी! बताइए कहां मिलना चाहती हैं?”

 उधर काव्या ने फर्नीचर्स की डिजाइंस को लगभग पूरी तरह से बना लिया था। बनाते बनाते इतना समय बीत गया था कि उसे जोरों की भूख लगने लगी थी। किचन में आ कर काव्या ने कुछ खाने की चीजों को ढूंढना शुरू किया तो उसे कहीं कुछ खाने का नजर नही आया।

फ्रिज खोल कर देखा तो सिर्फ कुछ चुनिंदा चीजें ही बचीं थीं। टेबल पर सारे फल सड़ चुके थे। इतनी सारी चीजों के बीच दोनों भूल गए थे कि राशन का सामान भी ले कर आना था। पर काव्या को इतने दिन बाद जा कर फुरसत मिली थी। तो उसने सोचा यही दिन था शॉपिंग करने का।

काव्या तैयार हो कर सुपरमार्केट के लिए निकल गई। तभी लिफ्ट में उसकी फिर से मुलाकात हुई हमज़ा से। हमज़ा को देखते ही काव्या के चेहरे का रंग लाल हो गया। उसने शरमाते हुए हमज़ा को हाय कहा!

हमज़ा ने पूरी तहजीब के साथ काव्या को “हाए” बोला। हमज़ा के मुंह से बातें ऐसे निकलती थीं जैसे वो कविता सुना रहा हो।

काव्या को समझ नहीं आया वो उससे क्या बात करे। लिफ्ट में उन दोनों के बीच एक दो आंटियां और खड़ी थीं। जिनके साथ खड़े हो कर काव्या बस सीधी तरफ देख रही थी।

जैसे ही लिफ्ट नीचे आई, वो हमज़ा के पास आ कर बोली,

काव्या: “तो फिर जहांपनाह की सवारी कहां चली?”

हमज़ा ने मुस्कुराते हुए कहा,

हमज़ा: दरअसल मैं नमाज पढ़ने जा रहा हूं। अगर आप चाहे तो मैं आपको आपकी मंजिल तक छोड़ सकता हूं। वैसे कहां जा रही हैं आप?”

इतना सुनते ही काव्या को ऐसा लगता जैसे उसके सिर पर किसी ने चूनर डाल दी हो और शरारा पहने उसके पांव पायल की आवाज़ से छन छन करने लगे हों। उसने भी उसी अदा से बताया,

काव्या: जी हम सुपरमार्केट की तरफ जा रहे हैं। वैसे तो हम निकल जायेंगे अकेले ही। पर अगर आपका इतना ही मन है तो हम मना नहीं करेंगे!”

 ऐसा सुनते ही हमज़ा मुस्कुराने लगा। और उसने काव्या को सुपर मार्केट छोड़ने के लिए अपनी गाड़ी में बैठा लिया।

रास्ते भर उन्होंने एक दूसरे के बारे में सवाल जवाब किए। पर जब हमज़ा ने पूछा कि काव्या के भाई जो साथ रहते हैं वो क्या काम करते हैं! तो काव्या थोड़ी सकपका सी गई। उसने बस बात ये कहकर टाल दी कि वो किसी प्राइवेट कंपनी में ही काम कर रहे हैं।

हालांकि काव्या को अचानक ऐसा लगने लगा था कि आर्यन को अपना भाई बता कर सही नहीं किया था। आखिर आर्यन काव्या को लाइक करता था। और काव्या के मन में आर्यन के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर बन गया था। भाई बोलने से आर्यन की फीलिंग्स को बहुत ठेस पहुंचेगी। उसने जैसे ही हमज़ा को सच बताने के लिए सोचा तभी सुपर मार्केट आ गया।

काव्या ने सोचा कि अगली मुलाकात में वो आर्यन और उसके रिश्ते के बारे में बता देगी।

हमज़ा को खुदा हाफ़िज़ करके काव्या सुपरमार्केट पहुंची। मार्केट में इतना सारी चीजों को देख कर उसे अपनी मॉम की याद आ रही थी। कैसे वो अपनी मॉम के साथ शॉपिंग करने आती थी और उसे तब समान खरीदने और बजट में चीजे लेने की टेंशन नहीं होती थी। पर अब उसे सब कुछ अकेले ही करना था।

हर एक चीज का प्राइस चेक करते हुए उसने चीजें अपनी बास्केट में डालना शुरू किया। पर जैसे ही वो सामान लेने के लिए जरा सा पीछे मुड़ी उसकी जोर दार टक्कर हुई पीछे ही खड़ी एक औरत से। और वो औरत कोई और नहीं, काव्या की मॉम थीं।

उनके हाथ में जोर से काव्या की बास्केट लग गई थी। जिसको मसलते हुए उन्होंने बिना काव्या को देखे कहा,

काव्या की मॉम: अरे! अंधी हो गई है क्या?”

जब उन्होंने देखा काव्या उनके सामने खड़ी थी इतना बोलते ही वो चुप हो गई। काव्या जो थोड़ी देर पहले उन्हें ही याद कर रही थी। अब अपने सामने उन्हें साक्षात खड़ा देख कर एकदम से ठिठक सी गई।

काव्या को देखकर उसकी मॉम खुश भी थीं पर अपनी खुशी को छुपाते हुए उन्होंने कहा,

काव्या की मॉम: “वाह! जिद्दी तो तू अपने पापा जैसी ही है! इतने दिन बिना घरवालों के रह कर तूने दिखा ही दिया। मुझे तो इतने दिन की भी उम्मीद नहीं थी।”

काव्या जानती थी कि मॉम के मुंह से कोई न कोई ताना ही निकलेगा। पर उसने इस बात को अपनी तारीफ समझते हुए कहा,

काव्या: मुझे तो शुरू से ही खुद पर यकीन था कि मैं कर लूंगी!”

काव्या की मॉम ने काव्या को ऊपर से नीचे देखकर कहा,

काव्या की मॉम: “वैसे काफी दुबली हो गई है। लगता है खाना नहीं खाया जा रहा अच्छे से। वैसे तू रहने कहां लगी है?”

काव्या नहीं चाहती थी कि उसके घरवाले उसके फ्लैट का पता  कभी जानें! उसने कहा,

काव्या: “वो मैं आपको नही बता सकती! जब सही समय आएगा मैं तब बुलाऊंगी आपको अपने घर!”

उसका जवाब सुनते ही उसकी मॉम ने आंखे चढ़ाई। उन्होंने पूछा,

काव्या की मॉम: अच्छा किसके साथ रह रही है?”

काव्या जानती थी कि इस सवाल का जवाब वो नहीं दे सकती। क्योंकि अगर उन्हें पता लगा कि वो एक अनजान लड़के के साथ फ्लैट शेयर करके रह रही है तो वो अभी सबके सामने जबरदस्ती घर ले जाएंगी। उसने झूठ बोलते हुए कहा,

काव्या: “है एक लड़की।”

काव्या की मॉम ने एक लंबी सांस ली। फिर उसके बाद दोनो काउंटर पर एक साथ चुप चाप चले गए। जब काव्या बिल करवाने के बाद बाहर जाने लगी। तब पीछे से उसकी मॉम ने आवाज़ लगा कर कहा,

काव्या की मॉम: “वैसे तुझे बता दूं कि तेरे पुराने बॉयफ्रेंड पीयूष की शादी टूट गई है। और वो तुझे ढूंढने हमारे घर भी आया था। जब हमने उसे बताया कि तू हमारे साथ नहीं रहती तो उसने हमसे तुम्हारा एड्रेस भी पूछा था। पर हमे भी कहां पता था। सोचा तुझे बता दूं अगर तू उससे एक बार फिर मिलना चाहती हो! क्योंकि लड़का मुझे अच्छा लगा। कमाता अच्छा है..और…!”

जैसे ही काव्या की मॉम इससे और आगे बोलने जाती, काव्या ने तुरंत गुस्से में जवाब दिया,

काव्या: “नहीं.! नहीं मॉम! वो अब दोबारा नहीं आ सकता है!”

काव्या के चेहरे पर एक तेज देखकर उसकी मॉम आगे कुछ नहीं बोल पाई। और वहीं से घर की तरफ निकल पड़ीं लेकिन काव्या ये खड़ी वहां सोच रही थी कि पीयूष को उसके फ्लैट का एड्रेस किसने बताया अगर उसके पेरेंट्स को जब ये नहीं पता था कि वो कहां रह रही है?

आखिर कौन था वो जिसने पीयूष को काव्या के नए आशियाने का पता बताया था? क्या होगा काव्या का पीयूष से दोबारा सामना? कैसे देगा आर्यन प्रज्ञा की मॉम को टक्कर? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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