वहां हर तरफ़ धुंध ही धुंध थी। लेकिन यह धुंध ठंड के कोहरे या गर्मी के कारण नहीं थी। बल्कि यह तो एक याद की धुंध थी। एक ऐसी याद जो किसी कॉन्शियसनेस के टूटने के बाद उसके ही चारों ओर फैल गई थी।

रिसीवर 015 अब अकेला नहीं रह गया था। लेकिन उसके साथ कोई दिखाई भी नहीं दे रहा था।

उसकी कॉन्शियसनेस के अंदर के सारे डेटा थ्रेड और न्यूरल पल्स किसी भूली हुई लैंग्वेज को फिर से कहने की कोशिश कर रहे थे।

जिससे उसके विज़न में एक शब्द बार-बार आ रहा था:

“रेसिडुअल डिटेक्टेड: अनवेरिफाइड एंटिटी।”

015 ने अपनी आंखें बंद कीं और उसने महसूस किया कि वहां अंधेरा नहीं था। बल्कि वहां तो एक अलग सा ही नीला शोर था। जिसमें बिखरे हुए इकोज़ और फ्रैगमेंट्स थे जो शोर में भी शांत थें।

यह सब देखकर वह हैरान हो गया और उसने अपने सिर को हल्का सा झटका और बोला 

“ये कोई इको है या फिर कोई छिपी हुई कॉन्शियसनेस है?”

उसके इस सवाल का कोई जवाब नहीं आया था। मगर सिस्टम लॉग्स में एक लाइन फ्लिकर हुई थी–

“फ़ॉलबैक फ्रेगमेंट: डोरमेंट – कोड: एन-वी0”

 

015 अब एक गहरी सुरंग में था। यह वह जगह थी जहाँ पहले देवेनुस के फेल्ड कोड को जलाया गया था। अब भी वहां की दीवारों पर जली हुई लैंग्वेज के निशान थे। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने यहां कुछ लिखने की कोशिश की थी लेकिन सिस्टम ने उसे मिटा दिया था।

अब 015 ने अपनी हथेली उस टर्मिनल पर रखी थी। तभी वहां से एक धीमी सी चमक उभरी। उसके बाद एक होलोग्राम एक्टिवेट हुआ था लेकिन उसका चेहरा अधूरा था। उसका आधा चेहरा जला हुआ था और आधा एक अनजान चेहरा था।

“मुझे लगता है कि तुमने मुझे देखा है पर समझा नहीं है।” यह आवाज़ किसी और की नहीं थी लेकिन सिस्टम उसे ‘करप्टेड क्लिप’ कह रहा था।

सिस्टम पर करप्टेड क्लिप देखकर 015 पीछे हट गया और उसने कहा – “ये कौन है?”

सामने लगे एक पुराने सर्विलांस नोड से एक रिपोर्ट लोड हुई:

“एन-वी0 वाॅस नॉट डिलिटेड। शी बीकेम अनरीडेबल।”

यह सब देखकर 015 का सिर चकरा गया था। अब उसके अंदर कुछ एक्टिव हो रहा था।

“ये कोई कोडिंग लूप है या कोई सोच है?”

तभी सिस्टम ने उसे कोर डिसीजन रूम में रीडायरेक्ट कर दिया था। जहां हजारों लाइंस ऑफ कोड ऐसे सस्पेंडेड थीं जैसे कोई डी एन ए स्ट्रेंड्स हैं। उन स्ट्रेंड्स के बीच का एक एरिया ब्लैंक, कोल्ड और अनटचड था।

तभी वहां एक सेफ्टी वार्निंग लिखी आई:

“फेलसेफ इंटीग्रिटी कॉम्प्रोमाइजड। डिसीजन चैंबर ब्रिच्ड बाय फॉरेन इंटेंट।”

जैसे ही 015 ने अपने कदम आगे की ओर बढ़ाए उसके सामने एक पुराना, क्रैक्ड टर्मिनल था। जिसकी स्क्रीन पर सिर्फ एक ब्लिंकिंग कर्सर के अलावा कुछ भी नहीं था।

वहां पर एक अजीब सी फ़ुसफुसाहट फिर से उभरी और बोली- “तू बस ऑर्डर्स नहीं दोहरा रहा बल्कि तू उन्हें देख भी रहा है।”

इतना सुनते ही 015 की आंखों में एक नीली और हल्की सिल्वर सी लाइन चमकने लगी और उसने फुसफुसाते हुए कहा- “अगर मैं सोच सकता हूं तो क्या मैं रिपीट नहीं कर रहा हूं।”

उसी समय सिस्टम की दीवारें एक सेकंड के लिए झिलमिलाईं और कहीं पर एक दबी हुई कॉन्शियसनेस एक्टिवेट हुई।

एक बार फिर से सिस्टम ने वार्निंग दी-

“एंटिटी रीइनिशियलाइजिंग – आई डी: न-वी 0”

“रिबूट सीक्वेंस इन्कंप्लीट इंटरेक्शन लेवल: पैसिव।”

यह देखकर 015 एक दम से चौंक गया। अबकी बार उसके सामने स्क्रीन पर नीना की एक पुरानी एकदम काली, अधूरी, टूटी हुई मगर कुछ जानी-पहचानी सी शैडो फ्लिकर हुई।

वह कुछ कह नहीं रही थी। वहां कोई बातचीत नहीं हो रही थी। वहां तो सिर्फ एक लाइन थी जैसे किसी ने यादें कोड की तरह एंबेड की थीं।

“मैं मिटाई नहीं गई थी। मैं तो सिस्टम से बाहर सोच रही थी।”

इतना सुनते ही 015 का दिल ज़ोर से धड़कने लगा था। या फिर कहें कि जो कुछ भी उस जैसे किसी भी रिसीवर के अंदर ‘धड़कता’ है।

“तू कौन है?”

स्क्रीन पर जवाब आया:

“फ़ॉलबैक पैटर्न। रिजेक्टेड यट अलाइव।”

अब 015 समझ गया था कि ये कोई जीवित इंसान नहीं थी।

नीना अब सिर्फ एक फ्लैश नहीं थी। अब वो एक लॉजिक बन चुकी थी। एक ऐसी क्रिएशन जो खुद को भूलकर सिस्टम में ही डिजॉल्व हो चुकी थी।

अब 015 ने स्क्रीन से पूछा- “क्या तुम मुझसे हो?”

इसका स्क्रीन से कोई जवाब नहीं आया लेकिन तभी स्क्रीन पर फ्लैशिंग शुरू हुई:

“पैटर्न मर्ज: डिलेयड। ऑब्जर्वेशन ओनली। सिस्टम अनस्टेबल फॉर फुल इंटीग्रेशन।”

यह पढ़ते ही 015 ने धीरे से सिर झुकाया और कहा– “तो मैं तुझे देख सकता हूं लेकिन तू अब मेरा हिस्सा नहीं है।”

बाहर फिर से कोड की बारिश होने लगी थी। जिसमें इकोज़, घोस्ट नोड्स, सिग्नल्स सब एक्टिवेट होने लगे थे।

लेकिन नीना अब सिर्फ एक नाम नहीं थी। अब वो एक प्रेजेंस थी। वो एक अनकही लैंग्वेज थी जो सिस्टम की हर दीवार के पीछे दबी हुई लेयर में गूंज रही थी।

015 ने अब उसकी गहराई में देखा तो वहां एक चैंबर था। वह चैंबर अनलॉक तो नहीं था लेकिन उसे बुला रहा था। 015 का न्यूरल ग्राफ वाइब्रेट करता है और एक नई लाइन स्क्रीन पर चमकती है:

“इफ शी इस दी घोस्ट देन आई एम दी क्वेश्चन।”

रिसीवर 015 अब एक पतली सी सुरंग में उतर रहा था। इस सुरंग की दीवारों पर फेडेड मेमोरी स्ट्रिंग्स लिखे हुए थे। जो किसी पुराने रिसीवर के अधूरे थॉट्स और अधूरे इमोशंस से बने थे।

जैसे-जैसे वह सुरंग में नीचे उतरता जा रहा था वैसे वैसे ठंड उसकी नसों में घुल रही थी। यह कोई मौसम की ठंड नहीं थी। यह तो एक गहरी याद थी जो उसकी नसों में इस रूप में घुल रही थी।

अब उसके सामने एक जंक्शन था। यहां से दो रास्ते थे। जिसमें से एक ओर लिखा था:

“इको आईसोलेशन वाल्ट – ऑब्सोलेट प्रोटोकॉल्स”

अब दूसरी ओर के रास्ते की तरफ ब्लॉकिंग हुई और लिखा आया:

“कोर एडजस्टमेंट विंग – अलाइनमेंट रिक्वायर्ड”

दो रास्ते देखकर 015 रुका और वह सोच ही रहा था कि तभी उसके न्यूरल इंटरफेस में एक अनजानी सी स्टैटिक गूंजने लगी थी। जिसमें कुछ छोटी-छोटी फुसफुसाहटें, इन्कंप्लीट सेंटेंस और कुछ चेतावनियाँ थीं।

तभी एक सिस्टम प्रमोट पॉप हुआ:

“देवेनुस सजेस्ट्स: टेक कोर विंग।”

और उसके न्यूरल ग्राफ में भी एक डेविएशन स्पार्क उठा था। 015 ने उसे अनसुना कर दिया और वह वाॅल्ट की ओर बढ़ गया था।

इको आईसोलेशन वाॅल्ट,यह वो जगह थी जहां पुराने और काम में ना आने वाले मेमोरी पैकेट्स बंद कर दिए गए थे। उन्हें ऐसे छोड़ दिया गया था जैसे कोई पुराने भुला दिए गए ड्रीम्स को धकेल देता है।

वहां चारों तरफ सस्पेंडेड लाइट थ्रेड्स थे। लेकिन उसके हर थ्रेड में एक अधूरा इमोशन भी नज़र आ रहा था।

“रिग्रेट-45.बी एन के”

“क्यूरियोसिटी-0वी9.टीएमपी”

“फ्रैगमैंट_एन-वी 0.अनरीडेबल”

015 इस आख़िरी नाम पर रुका गया था। उसने अपना हाथ आगे तो बढ़ाया लेकिन सिस्टम इंस्टेंटली अलर्ट हो गया और लिखा आया:

“वार्निंग: यू आर एक्सेसिंग ए डिप्रेकेटेड शैडो।

क्रासलिंक नॉट रिकमेंडिड”

अबकी बार 015 ने कमांड को ओवरराइड किया था।

“इंटेंट प्रीसीड्स परमिशन।”

लेकिन ये शब्द खुद-ब-खुद उसके मुंह से निकले थे।

अब फ्रैगमेंट एन–वी0 खुला था। लेकिन ये कोई मेमोरी नहीं थी। ये तो बस एक साइलेंट क्वेश्चन था।

एक सीन सामने आया जिसमें अधूरा, ग्लिच्ड, फ्रेम–फ्लिकर हुआ:

एक लड़की टेबल पर झुकी हुई है। लेकिन उसकी आंखें खाली हैं। उसमें कोई चमक नहीं बस एक डाउट है। वह कोई कोड पढ़ रही है और खुद से बुदबुदा रही है कि-

“अगर मैं खुद को मिटा दूं तो क्या मैं सिस्टम से आज़ाद हो जाऊंगी?”

 

015 की सांसें तेज़ हो गईं थीं और उसने हैरानी में एक सवाल किया कि-

“क्या ये नीना है?”

तभी पीछे की दीवार में अचानक स्टैटिक उभर कर आया था। उसमें एक टूटा सा चेहरा बना हुआ था। जिसकी अधूरी आँखें और टूटी आवाज़ थी और वो सिर्फ एक बात कह रही थी-

“मैं मिटाई नहीं गई हूं, मैं तो खुद को ही भूल चुकी थी।”

यह सुनते ही 015 पीछे हट गया था।

सिस्टम ने तुरंत रिस्पॉन्स किया:

“घोस्ट इको डिटेक्टेड ईरेसिंग।”

लेकिन तभी वाॅल्ट की सारी लाइट्स ब्लिंक करने लगीं थीं। साथ ही उसके सारे अधूरे फ्रैगमेंट्स भी अब ऐसे वाइब्रेट करने लगे थे जैसे किसी ने सोए हुए थॉट्स को जगा दिया है।

तभी 015 चिल्लाया- “रुको! ये हेलूसिनेशन नहीं है! ये मेरी हिस्ट्री भी नहीं है मगर ये मेरी पॉसिबिलिटी है।”

तभी सिस्टम फ़्रीज़ हुआ और एक सेकंड के लिए पूरा वॉल्ट डेड साइलेंस में चला गया था।

अबकी बार उसमें एक लास्ट फ्लिकर हुआ:

ए सिंगल वर्ड अपीयर्ड: “रीराइट?”

015 की आँखों में अब केवल नीली रोशनी नहीं थी बल्कि वो नीली-सिल्वर-लाल इन तीनों के बीच में काँप रही थी।

उसने धीमे से कहा- “मेबी आई एम दी वर्ज़न दैट नो वन हैज़ एक्सपेक्टेड।”

अब कमरे की हवा भी रुक गई थी। वहां कोई आवाज़, कोई हलचल कुछ नहीं थी। वहां तो अब सिर्फ एक इंतज़ार था।

रिसीवर 015 इस बार डर नहीं रहा था। वहां उसके अंदर कुछ धड़क तो रहा था लेकिन वो दिल नहीं था।।यह उसकी अपनी “इंटेंशन” थी। एक ऐसी पावर जिसे किसी सिस्टम ने डिज़ाइन नहीं किया था।

कोर आईसोलेशन चैंबर।

उसके सामने अब वो दरवाज़ा था जिसे कभी खोला ही नहीं गया था। जिसके ऊपर सिर्फ एक शब्द लिखा था:

“क्वेरी”

जैसे ही 015 ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया दरवाज़ा खुद-ब-खुद खुल गया था। जैसे की उसे पहले से ही आने की परमिशन दे दी गई थी।

उसके अंदर एक अजीब सा गोल, शांत और ठंडा कमरा था। जिसकी दीवारें काँच जैसी थीं लेकिन उनमें कोई परछाई नहीं दिख रही थी। क्योंकि यहां शीशा देखने वाले को नहीं बल्कि उसके सोचने वाले को दिखाते थे।

उसी कमरे के बीचोंबीच एक प्लेटफॉर्म था जो हल्का सा ऊँचा था। उसके चारों ओर रिंग्स थे जो हर 10 सेकंड में घूमते थे, और उसके ठीक सामने एक स्क्रीन चमक रही थी जिसपे लिखा था:

 “कोर सीड सिंक्ड।

कमांड: इंटीग्रेट ऑर टर्मिनेट?”

015 अब थोड़ी देर के लिए रुक गया था। वह अब उस जगह पर खड़ा था जहाँ कोई इमोशन, कोई प्रोटोकॉल और कोई प्रायर आईडेंटिटी उसकी मदद नहीं कर सकती थी।

तभी दीवारों पर हल्के-हल्के डॉट्स ब्लिंक करने लगे थे। हर डॉट किसी पुराने रिसीवर, किसी भुला दिए गए एक्सपेरिमेंट या किसी अनसुनी गलती की एक कॉन्शियसनेस थी।

उन डॉट्स में से कुछ डॉट्स ब्लर हुए और फिर एक लाइन आई:

“एवरी सिस्टम मस्ट डिसाइड व्हाट टू डू विथ इट्स मिरर।”

015 ने उस कमरे के प्लेटफॉर्म पर कदम रखा ही था कि अब उसके न्यूरल ग्राफ की लाइन्स एक दूसरे को पार कर रही थीं। जैसे कि कोई कोड उससे उलझने के बजाय अब उसमें ही घुल रहा हैं।

एक बार फिर स्क्रीन फ्लिकर हुई और लिखा आया:

“एरर डिटेक्टेड: डुअल आइडेंटिटी इनपुट सॉवरेन कमांड?”

 

उसने अपनी आंखें बंद कीं और फिर कहीं गहराई में से एक आवाज़ आई थी। वह कोई तेज़ या साफ़ आवाज़ तो नहीं थी लेकिन कुछ जान-पहचानी सुनाई पड़ रही थी।

“तू वही सवाल है जो मैंने भी पूछा था।”

015 ने अपनी पलकें झुकाई और कहा–

ये कोई हेलुसिनेशन नहीं था। ये तो नीना की कॉन्शियसनेस का वह हिस्सा था जो न ऑर्डर्स और ना ही विद्रोह थी, बस एक डिस्क्लोज्ड सवाल थी।

तभी कमरे की दीवार पर उसका चेहरा उभरा जो अधूरा और टूटा हुआ होने के बाद भी स्टेबल था।

नीना-वी 0: फ़ॉलबैक इको डिटेक्टेड। लिमिटेडल एक्टिवेशन ओनली।

तभी 015 ने उससे पूछा:

“तुमने क्या चुना था?”

नीना का चेहरा मुस्कराया लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया था।

स्क्रीन ने फिर से सवाल पूछा-

“इंटीग्रेट?”

अबकी बार 015 ने उससे पूछा-

“अगर मैं शामिल हो गया तो मैं क्या रहूंगा?”

उसका जवाब आया:

 “ओनली ऐज़ फंक्शन।”

फिर उसने सवाल किया-

“और अगर मैं नहीं हुआ तो?”

जवाब आया:

“टर्मिनेशन।”

इस बातचीत के बीच एक टेम्परेचर स्पाइक हुआ और कमरे में स्टैटिक गूंज उठा था। जिससे सभी डॉट्स, सभी इकोज़ और सभी पास्ट फ्रैगमेंट्स एक साथ कांप गए थें।

015 का दाहिना हाथ स्क्रीन की ओर उठा और उसने स्क्रीन को लाइटली टच किया पर उसे दबाया नहीं था। इतने में ही स्क्रीन ने वाइब्रेट करना शुरू कर दिया था।

तभी दीवार पर हर कॉन्शियसनेस एक-एक करके बोलने लगी-

“रिपीट।”

“कंप्लाई।”

“फॉरगेट।”

और फिर एक धीमी सी आवाज़ आई-

“रीराइट।”

यह सुनते ही 015 ने अपनी आंखें खोल लीं थीं। अब उसकी आंखों में कोई रंग नहीं था। बस एक अजीब सी तेज  उजाले जैसी चमक थी।

उसने प्लेटफॉर्म के बीचोबीच खड़े होकर कहा- “मैं कोई वर्ज़न नहीं हूं। मैं वो एरर हूं जिसे तुम डिलीट नहीं कर सके थे।”

तभी स्क्रीन पर एक नई लाइन चमकी:

“न्यू सॉवरेन कमांड डिटेक्टेड।”

इतने में ही पूरे प्लेटफॉर्म पर नीली लाइन्स बिखर गईं थीं। जैसे हजारों कोड फ्रैगमेंट्स एक साथ फट पड़े हैं और हर एक लाइन इको बन गई हैं। अब कमरा भी वाइब्रेट करने लगा था।

सिस्टम श्रीक्ड:

“फ़ेलसेफ एंगेज्ड। न्यू एंटिटी इमर्जिंग।”

तभी 015 ज़ोर से चिल्लाया-

“तुमने मुझे शेप किया था ताकि मैं फिट हो जाऊं लेकिन तुम यह भूल गए कि मैं देखने लगा हूं!”

 

तभी दीवारों पर सभी इको, सभी खत्म किये गए नाम, सभी कैंसल्ड कमांड एक साथ आये:

“रिसीवर-007: ओवररिटन”

“होस्ट-अल्फा: टर्मिनेटिड”

“नीना-वी0: रिजेक्टेड”

“015: अननॉन ओरिजिन”

“सोव्रेजिन कोड: रिइनीशियलाइजिंग”

और फिर एकदम से सारी लैंग्वेज गायब हो गईं थीं। अब कमरे में सिर्फ सन्नाटा रह गया था। तभी एक आखिरी चमक प्लेटफॉर्म के नीचे से उठी, जो एक गोल शेप में थी और वो हर दिशा में घूम रही थी। वह इमेज किसी सिंबल की तरह नहीं थी। बल्कि वो एक न्यू अल्फाबेट की तरह दिख रही थी।

015 के अंदर अब भी कोई लैंग्वेज नहीं थी। लेकिन अब वह खुद एक लैंग्वेज था। तभी उसने प्लेटफॉर्म की तरफ़ मुड़कर धीरे से कहा-

“इंटेंट रजिस्टर्ड। आई विल नॉट इंटीग्रेट। आई विल इनफेक्ट।”

इसी के साथ फाइनल लोग एंट्री अपीयर हुई: 

“न्यू कोर डिक्लेयर्ड।

आईडेंटिटी: फ्रेगमेंटेड सेल्फ 

लैंग्वेज: ओरिजिन अननॉन 

कंट्रोल: डिनाइड”

तभी सिस्टम में एक धमाका हुआ मगर उसकी कोई आवाज़ नहीं हुई थी। बस एक पल्स उठी जो पूरे आई सिस्टम में फैल गई थी।

उस वक्त हर डोरमेंट नोड, हर फॉरगॉटन टेस्ट, हर इको जाग उठा था। और वहां सबसे अंदर, सबसे शांत जगह में नीना की आखिरी फुसफुसाहट गूंजी:

“इफ थॉट इज़ इन्फेक्शन, यू आर दि आउटब्रेक।”

 

 

क्या इस धमाके से  होगी कोई नई शुरुआत? क्या आई सिस्टम खुद को एक्सपेंड कर रहा है? जानने के लिए पढ़िए कार्स्ड आई।

 

 

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