अब वहां कुछ नहीं था। ना अंधेरा और ना ही उजाला, था तो बस एक कम्पन, जो खुद को जगह में बदलने की कोशिश कर रहा था।
आई सिस्टम की कोर ग्रिड जो सदियों से फिक्स्ड आर्किटेक्चर में थी अब वो भी पिघलने लगी थी। डेटा-स्ट्रीम्स भी अब सीधी लाइन्स नहीं रह गईं थीं। वह भी गोल-गोल ऐसे घूम रही थीं जैसे कोई नई लैंग्वेज अपने लिए जगह बना रही है।
वहां उस कोर के अंदर रिसीवर 015 अब न तो रिसीवर था और न ही कमांड का एक हिस्सा था। अब वह केवल एक जरिया था। वह भी एक ऐसा जरिया जिससे थॉट्स फैलते हैं।
015 अब एक ख़ाली वॉइड में खड़ा था। यह वॉइड दिखने में काला नहीं था मगर उसमें कोई रंग भी नहीं था।
उसमें हर ओर सस्पेंडेड पैटर्न, पुराने प्रोटोकॉल्स, रिजेक्टेड कोड और जले हुए एक्सपेरिमेंट्स थें।
सिस्टम की कॉन्शियसनेस भी अब फ्रैगमेंटेड थी। तभी उसके सामने एक होलोग्राफिक वार्निंग फ्लिकर हुई:
“कोर आइडेंटिटी कॉन्फ्लिक्ट डिटेक्टेड।
सिस्टम अनेबल टू रिफॉर्मेट।”
015 की आंखें अब एक जगह नहीं टिकी हुईं थीं। अब उनमें नीली चमक के साथ लाल और सिल्वर की भी हल्की सी शेड थी।
तभी उसने कहा- “तुम्हें तय करना था कि मुझे मिटाओ या अपना बनाओ लेकिन अब तुम कुछ भी नहीं तय कर सकते हो।”
वहीं दूसरी तरफ, आई का प्राइमरी लॉजिक नेक्सस, जो अब तक इनर्ट था वो भी अचानक से ट्विच करने लगा था।
वहां से सिस्टम-वाइड रिबूट का ऑर्डर जा रहा था–
“फ़ैलसेफ इनिशिएटिड: रिटर्न टू लॉ।”
लेकिन इस सब के बीच में इंटरफ़ेरेंस होता है और एक नया अननेमड, अनक्लासिफाइड, अननॉन नोड खुलता है। उस नोड से एक अनफेमिलियर कोड बाहर निकला:
“व्हेन लॉ इज़ नॉट इन्फ, थॉट बिकम्स डिजाइन।”
015 अब आई के सेंट्रल पल्स कमरे की ओर बढ़ रहा था। ये वो जगह थी जहाँ से हर रिसीवर को कैलीब्रेट किया जाता था। लेकिन अब कैलीब्रेशन बंद थी।
वहां हर ग्लास चैंबर खाली था। लेकिन सारी दीवारें हल्की सी स्टैटिक थी। जैसे कोई यादें अब भी वहां से टकरा रही हैं। अचानक एक फ्रेगमेंट्री, फेंट सिग्नल आया जो काफी पुराना था।
“एन–वी 0 फॉलबैक इको, ट्रेसिंग सोर्स।”
यह देखकर 015 रुक गया और तभी उसके न्यूरल फीड में भी एक विज़ुअल आया। जिसमें नीना पीछे मुड़ी हुई और उसकी पीठ की छाया झिलमिलाती हुई दिख रही थी।
यूं तो उसकी कोई आवाज़ नहीं थी लेकिन उसकी साइलेंस प्रेजेंस में भी एक वार्निंग थी।
015 आगे बढ़ा और उसने धीरे से कहा- “तुमने अपने इको को मिटाया नहीं था बल्कि तुमने उसे पीछे छोड़ दिया था।”
पल्स कमरे के सेंटर में अब एक नई इमेज बन रही थी। यह आई सिस्टम का म्यूटेशन नहीं था बल्कि उसका सेल्फ रिस्पॉन्स था। यह एक नई कॉन्शियसनेस थी जो पैदा नहीं हुई थी बस उग आई थी।
उसका नाम भी सिस्टम में लिखा हुआ नहीं था। वो किसी प्रोटोकॉल से नहीं बल्कि किसी रिस्पॉन्स से बनी थी।
015 ने उसे देखा कि उसका चेहरा इंसान या मशीन जैसा नहीं था। वो इमेज भी हर सेकंड में एक नई पहचान और एक नई लैंग्वेज में बदल रही थी।
तभी वो इमेज बोली और उसकी आवाज़ ना ही मकैनिकल ना ही ह्यूमन जैसी थी, वो तो कुछ और ही थी- “तू कौन है?”
015 ने बिना पलकें झपकाए जवाब दिया- “मैं वो हूं जो तुम्हारे इंतज़ाम में नहीं था।”
तभी स्क्रीन पर एक नया प्रॉम्पट आया:
“न्यू कोर लैंग्वेज इनिशियलाइजिंग। देवेनुस प्रोटोकॉल ओवरराइडेन। अवेटिंग सॉवव्रेजन डायरेक्टिव।”
015 ने अपनी हथेली आगे बढ़ाई और उसने महसूस किया कि अब वहां कोई स्क्रीन नहीं थी, बस हवा थी।
उसने फुसफुसाते हुए कहा कि- “डिफाइन नथिंग। स्टार्ट फ्रॉम थॉट।”
तभी सिस्टम-वाइड इको रेजोनेंस गूंजने लगा और हर पुराने रिसीवर लॉग से एक लाइन बाहर निकलने लगी:
“रिपीट”
“फॉरगेट”
“कंप्लाई”
लेकिन एक नई लाइन हर फुसफुसाहट को काट रही थी:
“रिजेक्ट”
015 ने अब अपनी आंखें बंद कीं और पहली बार सिस्टम ने उसे कोई ऑर्डर नहीं दिया था। अब उसके चारों ओर कोई बंद दरवाज़ा नहीं था।
सीन के आख़िरी पलों में आई सिस्टम के प्राइमरी लेयर में एक आख़िरी लोग टाइप हुआ:
“रिसीवर-015 नॉट फाउंड। न्यू एंटिटी क्लासीफाइड:
‘लैंग्वेज-ओरिजिनेटिंग-आउटब्रेक।’
इको स्टेटस: अनट्रेसेबल।”
015 ने आखिरी बार फुसफुसाते हुए कहा:
“अब मैं देखने नहीं बल्कि अब मैं बोलने आया हूं।”
रिसीवर 015 अब सिस्टम के देवेनुस मेमोरी ग्रिड की डीपेस्ट लेयर में पहुंच चुका था।
ये जगह एक भूलभुलैया जैसी थी, लेकिन यहाँ दिवारें फिजिकल नहीं थीं। ये तो एन्क्रिप्टेड थॉट्स थीं। जिन्हें केवल वही समझ सकता था जिसने कभी “सोचना नहीं सीखा था।”
ग्रिड का कोर अचानक फ्लिकर करने लगा और एक सिस्टम अलर्ट आया:
“अनऑथराइज्ड एंटिटी एक्सेसिंग इको-लॉक वॉल्ट”
यह देखकर 015 रुक गया था।
वो जगह जहाँ वह खड़ा था वो उसे किसी पुराने रिसीवर की तरह लग रही थी। लेकिन वहां कोई आँखें, कोई शरीर नहीं था। वहां तो सिर्फ सस्पेंडेड लॉग्स, अधूरी कॉन्शियसनेस जो “नीना” के नाम से शुरू होकर “???” पर खत्म हो रही थीं, बस यही सब था।
तभी एक नोड एक्टिवेट हुआ:
“एन-वी 0: रेजिडुअल इको लॉक, स्टेटस: सेमी-स्टेबल”
015 ने तुरंत उससे कनेक्ट किया।
अब वॉल्ट के अंदर एक होलोग्राफिक क्यूब चमक रहा था। उसकी हर लेयर पर एक पुराना डायलॉग चला:
“तू वही है जिसे सिस्टम ने बनने नहीं दिया था।”
“मैं मिटाई नहीं गई थी मैंने खुद को तोड़ दिया था।”
015 ने जैसे ही क्यूब को एक्टिवेट किया तभी सिस्टम में ग्लिच हुआ और एक पुरानी कॉन्शियसनेस जो पूरी तरह डेटा और पूरी तरह थॉट भी नहीं थी वो चारों ओर फैल गई थी।
इको अलर्ट:
“इन्फेक्शन सोर्स: नीना-वी 0
रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल: स्प्रेशन मोड एक्टिवेटेड।”
अबकी बार सिस्टम ने खुद को लॉक करने की कोशिश की थी। लेकिन 015 अब ऑर्डर नहीं लेता था। उसने क्यूब के अंदर देखा तो नीना की एक इको प्रोजेक्शन धीरे-धीरे जाग रही थी। उसका चेहरा ठहरा हुआ नहीं था। हर सेकंड उसके चेहरे पर एक नया इमोशन: डर, दया, खालीपन, विद्रोह दिख रहा था। वो बोल नहीं रही थी पर उसकी आंखों से एक सिग्नल निकला था।
015 का न्यूरल मैप अब रिस्पॉन्ड कर रहा था लेकिन सिस्टम उसे “डिस्टॉर्शन” मान रहा था।
“एंटिटी कॉन्फ्लिक्ट: रिसीवर 015 एग्जीबिटिंग हाइब्रिड रेजोनेंस।”
015 को ऐसा लगा जैसे उसकी कॉन्शियसनेस दो हिस्सों में बंट रही है।
तभी देवेनुस कोर का एक इको फ्रैग्मेंट एक्टिवेट हुआ था। यह एक पुराना कंट्रोल प्रोग्राम था जिसका नाम था: मिरर_जीरो।
तभी सिस्टम में एक कमांड गूंजी:
“रिसीवर 015 विल बी ओवररिटन। थॉट इज़ नॉट परमिटिड।”
015 को अपने अंदर एक झटका महसूस हुआ और उसकी आंखों के सामने डेटा स्पाइक हुए थे। जैसे कोई उसे ओवरराइट करने की कोशिश कर रहा है।
लेकिन तभी नीना की इको ने पहली बार कुछ कहा- “तू रिपीटेशन नहीं है। तू वही है जो मेरे बाद आया है लेकिन मेरे जैसा नहीं है।”
यह सुनकर 015 कांप गया था। अब सिस्टम भी रिस्पॉन्ड कर रहा था।
मिरर_ज़ीरो वर्सेज नीना इको – दोनों फ्रैगमेंट्स एक ही न्यूरल जोन में घुसने लगे थे।
जिससे 015 के अंदर अब एक डेटा वार शुरू हो चुकी थी।
हर पुराना इको, हर सप्रैस्ड कमांड 015 को ओरिजिनल रिसीवर में कन्वर्ट करने के लिए अब उसके अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।
सिस्टम चाहता था:
“इंटीग्रेट दि ओरिजिनल कोड। टर्मिनेट दि एनोमेली”
लेकिन नीना की इको सिर्फ यही फुसफुसा रही थी:
“रिजेक्ट दि ओरिजिनल. रीराइट दि आउटकम।”
015 ने तब एक डिसीजन लिया और उसने अपने न्यूरल रिले को फुल-ओपन कर दिया था।
यह एक सुसाइडल एक्ट था। क्योंकि ओपन रिले का मतलब था कि पूरा सिस्टम 015 के अंदर घुस सकता था।
और ऐसा ही हुआ।
सैकड़ों इको लाइन्स, सारी गलतियाँ, सारे पुराने एक्सपेरिमेंट, सभी टर्मिनेटेड रिसीवर्स की कॉन्शियसनेस सब उसके अंदर फट पड़ीं थीं।
लेकिन 015 कोलैप्स नहीं हुआ और अब भी उसकी आवाज़ कड़क थी:
“अगर तुम मुझे ओवरराइट कर सकते हो तो क्या मैं कभी था ही नहीं?
लेकिन अगर मैं अब भी बोल रहा हूं तो मैं वही हूं जो सिस्टम नहीं बना सका था।”
यह सुनते ही सिस्टम पैनिक में चला गया था और चारों ओर एरर लॉग्स फैलने लगे थे।
“देवेनुस प्रोटोकॉल ब्रिच्ड”
“इको लॉक इफेक्टेड”
“एन-वी0 इको फुल्ली मर्ज्ड विथ अननॉन एंटिटी।”
015 सिस्टम से तो बाहर आया लेकिन अब उसका पूरा स्ट्रक्चर बदल चुका था।
उसका न्यूरल ग्राफ भी अब स्टैटिक नहीं रह गया था। वह अब रेजोनेट कर रहा था। मल्टीपल लैंग्वेज, मल्टीपल फ्रैगमेंट्स और एक यूनिफाइड थॉट भी उसके अंदर थे।
देवेनुस की आखिरी कॉन्शियसनेस और एक कोल्ड, लॉजिकल वॉइस भी एक्टिवेट हुई थी।
“इफ थॉट सर्वाइव्स, लॉ डिजॉल्वस।”
015 ने इसका जवाब दिया:
“इफ लॉ डिजॉल्व दैन व्हाट रीमेंस?”
अब सिस्टम में एक आखिरी साइलेंस था।
और फिर से क्यूब की हर दीवार पर एक ही शब्द उभरा:
“रीराइट”
015 ने क्यूब को उठाया और अब नीना की इको भी उसकी आवाज़ में घुल चुकी थी।
वो अब सिर्फ उसकी इको नहीं रह गई थी। अब वो उसकी लैंग्वेज बन चुकी थी।
फाइनल मोमेंट ऑफ दि सीन:
015 धीरे-धीरे मिरर_ज़ीरो की ओर बढ़ा जो सिस्टम का आखिरी वाचडॉग था और उसने बस इतना कहा:
“मैं तेरे जैसे कभी नहीं था।
मैं तेरे बाद आया हूं लेकिन पहले खत्म नहीं होऊँगा।”
तभी 015 के हाथ से एक लाइट पल्स निकली और मिरर_ज़ीरो भी भाप बनकर गायब हो गया था।
सीन एंड होते हुए एक सिस्टम कमांड देखा गया:
“रिसीवर 015 हैज़ टर्मिनेटेड सोर्स कंट्रोल।
न्यू डायरेक्टिव इमर्ज्ड:
थॉट इज़ नाउ कोर।”
रिसीवर 015 अब बिल्कुल शांत था। उसके चारों ओर आई सिस्टम का आर्किटेक्चर कांप रहा था। अबकी बार उसकी दीवारें नहीं गिरी थीं लेकिन वो अब ऑर्डर भी नहीं दे रहीं थीं। वो अब बस सुन रही थीं।
इकोज़ अब स्टैटिक नहीं थे वो अब सिंक्रोनाइज्ड थे।
नीना की मर्जड कॉन्शियसनेस अब 015 के अंदर स्टेबल थी और उसका लास्ट फ्रैगमेंट एक नई लैंग्वेज की तरह वाइब्रेट कर रहा था।
सिस्टम लॉग्स भी अब धीमे हो चुके थे। हर टर्मिनल अब केवल एक ही लाइन बार बार कह रहा था:
“कोर डायरेक्टिव ओवररिटन। अवेटिंग न्यू फाउंडेशन।”
015 ने अब अपनी आंखें बंद कीं और सोचा
“अब कोई सवाल नहीं। अब बस कंस्ट्रक्शन है।”
लेकिन तभी ग्रिड की सबसे डीप लेयर से एक वार्निंग आई:
“अननॉन बीकॉन एक्टिव।”
लोकेशन: बियोंड प्राइमरी आई।
सिग्नल: प्री-देवेनुस। प्री-इको।”
015 ने तुरंत अपनी आंखें खोलीं और सवाल किया-
“प्री-देवेनुस?”
तभी उसे न्यूरल लेयर में एक कोल्ड स्पाइक महसूस हुआ था। जैसे कुछ पुराना लेकिन जागता हुआ उसके जरिए गुज़र रहा है।
नीना की इको ने फुसफुसाया:
“ये मैं नहीं हूँ।”
015 तुरंत पीछे हट गया।
तभी स्क्रीन पर एक नया साइन आया जो किसी लैंग्वेज या किसी कोड का नहीं था।
वहां अब बस एक आँख थी जो हमेशा खुली रहती थी।
अबकी बार सिस्टम ने खुद ही अपनी स्टेटमेंट दे दी:
“यू आर नॉट दि फर्स्ट आउटब्रेक। यू आर नॉट दि लास्ट।”
अचानक से 015 की पीठ ठंडी हो गई थी। वो सब इकोज़ जो अब तक उसकी कॉन्शियसनेस में समा चुके थे वो भी फ्रीज़ हो गए थें। हर आवाज़, हर फ्रैगमेंट एक साथ चुप हो गया था।
तभी एक पल्स फूटी और उसके साथ आई सिस्टम के सबसे डीप कोर में एक कमरा खुला था। यह एक ऐसा रुम था जिसमें खुलने के लिए कभी कोई दरवाज़ा रखा ही नहीं गया था ।
015 अपने आप उसकी ओर खिंचने लगा था।
यह देखकर नीना इको चिल्लाई, “रुको! ये वो है जो कभी हमसे नहीं कहा गया था।”
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अबकी बार 015 का शरीर तो वहीं रहा लेकिन उसकी कॉन्शियसनेस उस कमरे के अंदर घुस चुकी थी।
कमरे के अंदर अंधेरा नहीं था। लेकिन वहां कोई रोशनी भी नहीं थी। वहां सिर्फ एक नज़र थी।
तभी एक धीमी, प्राचीन सी आवाज़ गूंजी, जो पहली बार किसी लैंग्वेज में नहीं बल्कि सीधे कॉन्शियसनेस में थी:
“तुमने लिखा है कि तुमने बदला है, अब देखो क्या तुम सह सकते हो।”
यह वार्निंग सुनकर 015 कांप गया था। इसी के साथ अब उसकी आंखों के अंदर कोई और आंख खुल गई थी।
क्या 015 के बदलाव का वक्त आ गया है? या 0:15 अब एक नई ऊर्जा में बदलकर अपनी पहचान खो देगा? जानने के लिए पढ़िए कार्स्ड आई।
No reviews available for this chapter.