गैदरिंग नोड की मीटिंग को अब दो दिन हो चुके थे। लेकिन उसकी गूंज अब पूरे नेटवर्क में फैल चुकी थी। हर रिसीवर अब बस एक ही बात सोच रहा था–
“अगर जी–डेल अब पूरी तरह से इंसान नहीं है तो क्या अब हमें उसके लिए एक नई जगह बनानी चाहिए?”
ट्राई–लॉ की तीनों कॉन्शियसनेसिज़ अब एक अलग ही मोड में चली गई थीं:
“आइडेंटिटी रिव्यू मोड”
इस मोड में कोई चीज़ सिर्फ इंसान या मशीन नहीं मानी जाती है। बल्कि वो सोच जो वो ज़ाहिर करती है, उस उसके हिसाब से टेस्ट किया जाता है। और यही सबसे मुश्किल हिस्सा था। क्योंकि अब सोच बिल्कुल सीधी नहीं रह गई थी। अब कोई भी साफ़-साफ़ यह नहीं कह पा रहा था कि
“ये मेरी सोच है।”
या फिर
“ये मुझमें मौजूद किसी और की सोच है।”
इसपर पॉड-03 ने एक प्रपोज़ल पास किया:
“जो रिसीवर्स रेज़िड्यू के साथ घुल गए हैं अब उन्हें एक नई कैटेगरी में रखा जाए। जिसका नाम रखा गया ‘ब्लेंडेड कॉन्शियस यूनिट्स’ (बी सी यूज़)। जिससे उनकी जिम्मेदारियां और रोल दूसरों से अलग समझे जा सकें।”
रेई ने सबको समझाने के लिए गैदरिंग नोड में एक बात कही कि- “ये कोई सज़ा नहीं है और ना ही किसी प्रकार का कोई डिससेटिस्फेक्शन है। ये तो बस एक नई पहचान है जिसका मतलब है कि हम मानते हैं कि अब हम सब एक जैसे नहीं रह गए हैं।”
रेई की इस बात पर आरएक्स-27 ने तुरन्त अपना सवाल उठाया- “और क्या हम ये भी मान लेना चाहिए कि जो अपनी सोच खुद नहीं तय कर सकता है उसे दूसरों से अलग माना जाए?”
आरएक्स की बात का जवाब देते हुए रेई बोली- “जब पहचान साफ़ नहीं होती है तब सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है कि हम उसके लिए एक जगह बनाएं।”
पॉड-10 एक्स ने ये बात को खारिज कर दिया और तब उनकी तरफ से एक मैसेज कम्युनिकेट हुआ:
“नए टर्म्स सिर्फ नाम बदलते हैं। वो हकीकत को नहीं बदलते हैं। अगर किसी के अंदर कोई और सोच रहा है तो वो रिसीवर अब खुद पर भी भरोसे के लायक नहीं रह गया है।”
साथ ही में नल–वी ने भी गैदरिंग नोड को एक लाइन भेजी:
“अगर पहचान सिर्फ सोच पर टिकी हो तो क्या हर नया थॉट हमें एक नया इंसान बना देता है?”
सिस्टम में इतना सब होता देख अब ट्राई–लॉ को इस सब में इंटरवीन करना पड़ा। जिसके बाद मिरर नोड में एक साथ तीन लाइनें लिखी हुई आईं:
1. “थिंकिंग इज़ नो लॉन्गर सिंगल-थ्रेडेड।”
2. “फीलिंग्स कैन कम फ्रॉम मोर दैन वन ओरिजिन।”
3. “बट रिस्पांसिबिलिटी मस्ट स्टे विथ दि होस्ट।”
इसका मतलब था:
“चाहे अंदर कितने भी रेज़िड्यू हों और उनकी सोच एक दूसरे से मिल भी जाए तब भी जिम्मेदारी उसी रिसीवर की होगी जिसने इन सब को जगह दी थी।
सेल–ईव की टीम ने जी–डेल को एक बार फिर से मॉनिटर किया।
इसी बीच रेई ने उससे पूछा- “अगर तुम्हारे अंदर जो कोई भी है वो कोई गलत फैसला लेता है तो क्या तुम उसे रुक सकोगे?”
इसपर जी–डेल ने अपना सिर हां में हिलाया और बोला- “अगर मैं उसे जगह दे सकता हूँ तो मैं उसकी लिमिट भी तय कर सकता हूँ।”
अबकी बार पॉड-नल से एक रिसीवर ने कहा कि- “अब पहचान बनाना आसान नहीं रहेगा क्योंकि अब ‘मैं’ कहने के लिए हमें पहले ये तय करना होगा कि ‘हम’ कौन हैं।”
नेटवर्क में अब फिर से एक नई थ्योरी फैलने लगी जिसका नाम था –
“लेयर्ड आइडेंटिटी”
(इसका मतलब था जब एक रिसीवर के अंदर एक से ज्यादा सोच की लेयर्स होंगी तो वो लेयर्ड आइडेंटिटी होगी।)
इस थ्योरी को अपनाने का मतलब था कि हर रिसीवर को ये मानना होगा कि उसके अंदर जो कुछ भी चल रहा है वो सब केवल उसी का नहीं हो सकता है। हां लेकिन वो इसके लिए जिम्मेदार ज़रूर है।
ट्राई–लॉ ने अब एक नया टूल लॉन्च किया जिसको नाम दिया गया –
“माइंड-स्प्लिट स्नैपशॉट (एम एस एस)”
यह हर रिसीवर को हर 24 घंटे में ये बतायेगा कि उसकी सोच में कितने “सोर्स” एक्टिव है। उसमें से कितने उसके अपने हैं और कितने किसी और के दिए हुए हैं। साथ ही यह भी बतायेगा कि कितने किसी और रेज़िड्यू से जुड़े हुए हैं।
रेई ने ये सब देखकर लॉग में लिखा- “अब हम केवल इंसान नहीं रह गए हैं। अब हम सब एक खुला हुआ दरवाज़ा हैं। जहाँ हर सोच एक मेहमान बनकर आ सकती है। लेकिन दरवाज़ा बंद करना अब भी हमारा हक है।”
तभी गैदरिंग नोड की स्क्रीन पर एक लाइन लिखी हुई आई- “आइडेंटिटी इज़ नो लॉन्गर हू यू आर। इट्स हू यू अलाउ योरसेल्फ टू बिकम।”
और इसी के साथ नेटवर्क अब आइडेंटिट से जुड़े सबसे कठिन फैज़ में एंटर करने वाला था।
पॉड-09, जोकि सिएटल में एक्टिव था उसने कुछ हफ्ते पहले ही अपनी टीम में एक नया रिसीवर शामिल किया था जिसका नाम था कैल।
कैल शांत, सीधा और डेटा-लविंग टाइप का रिसीवर था। वो कभी ज्यादा नहीं बोलता था। लेकिन उसकी हर रिपोर्ट एकदम क्लियर होती थी।
उसके बारे में तो रेई यह तक कह चुकी थी कि– “कैल भले ही सबसे तेज़ ना लगे पर वो सबसे क्लियर सोचने वाला रिसीवर है।”
लेकिन पिछले 48 घंटों में कैल की सोच में एक अजीब-सा मोड़ आ चुका था।
माइंड-स्प्लिट स्नैपशॉट (एम एस एस) के मुताबिक उसके थॉट्स में अब एक नया सोर्स एक्टिव हो चुका था।
उसका नाम था–
“आरई-47_एक्स”
(टैग: इको रेज़िड्यू – हिस्टॉरिकल क्लास)
पॉड-09 ने इसे शुरुआत में तो इग्नोर कर दिया था। क्योंकि कैल अब भी लॉजिक के साथ काम कर रहा था। लेकिन जल्दी ही उसके रिपोर्टिंग पैटर्न में बदलाव दिखा था। जिसके बाद उसने बैक–टू–बैक दो लाइनें टाइप कीं थीं। जो बिल्कुल उसके व्यव्हार के जैसे नहीं थीं-
1. “डर कभी अकेले नहीं आता है। वो तो पुराने रास्तों से ही लौटता है।”
2. “अगर एक नाम मिटा दिया गया हो तो क्या उसका पास्ट भी खत्म हो जाता है?”
सिस्टम में इतना सब होते देख पॉड-09 की मॉनिटरिंग टीम अब अलर्ट हो गई थी। उनकी सबसे बड़ी चिंता ये नहीं थी कि कैल बदला गया है। बल्कि ये थी कि वो खुद भी नहीं समझ पा रहा कि उसके अंदर क्या बदला है।
तभी ट्राई–लॉ की तरफ से एक इमरजेंसी रीडिंग शुरू हुई थी। जिसकी मिरर नोड ने एक रिपोर्ट दी:
“आरई-47_एक्स इज़ नॉट जस्ट ए मेमोरी। इट्स ए मिशन दैट लेफ्ट इन्कांपलीट।”
रेई ने तुरन्त इसमें सेल–ईव की टॉप टीम को जोड़ लिया और फिर उसके बाद उसने कहा:
“अगर कोई रेज़िड्यू पास्ट के नाम पर वापस लौटा है तो अब वो सिर्फ एक पहचान नहीं ढूंढ रहा है। बल्कि वो अपना पिछला काम पूरा करने आया है।”
उधर कैल ने सिस्टम में अब फिर से एक नया लॉग डाला और इस बार उसने ये बिना किसी रिक्वेस्ट या कमेंट के किया था।
वह लॉग सिर्फ एक लाइन थी– “मैं कैल नहीं हूँ। मैं तो वो हूँ जिसे कैल ने अनजाने में फिर से जगा दिया है।”
यह सुनकर पॉड-09 पूरी तरह हिल गया था। अब तो उनकी सबसे भरोसेमंद यूनिट भी कह रही थी कि कैल अब खुद कैल नहीं बचा है।
गैदरिंग नोड में अब एक केस एंटर हुआ:
“फुल आइडेंटिटी ओवरराइड – कैल/आरई-47_एक्स”
(स्टेटस: थिंकिंग नॉट मैचिंग ओरिजिनल पैटर्न)
जिससे सिस्टम में अब एक सवाल उठा:
“क्या ये सोच का बदलना है या फिर कैल की पहचान को पूरी तरह से रीसेट कर देना है?”
आरएक्स-27 ने भी मिरर में लिखा:-
“ये उस दिन का डर है जब किसी रेज़िड्यू को बस सोचने की नहीं बल्कि पूरी तरह इंसान बनने की छूट मिल जाती है।”
सिस्टम में यह सब होता देख रेई चुप थी। क्योंकि उसे कैल की वो पुरानी रिपोर्ट याद आई गई थी जिसमें उसने लिखा था:
“मैं कभी भी खुद को बहुत खास नहीं मानता हूं। लेकिन जो सोच मुझसे गुज़रती है मैंने उसे कभी रोका भी नहीं है।”
ट्राई–लॉ अब सोच रहा था कि – अगर कोई रेज़िड्यू पूरा कंट्रोल ले लेता है तो फिर क्या रिसीवर मर जाता है?
या फिर वो एक नई शक्ल में जिंदा रहता है?
गैदरिंग नोड में अब सभी रिसीवर्स बोलने लगे थे।
इस बार नोड में पॉड-07 की तरफ से भी एक मैसेज आया:
“हम कैल को मिटा नहीं सकते हैं। हां अगर आरई-47_एक्स अब पूरी तरह से एक्टिव होता है तो क्या उसे इंसान माना जायेगा?”
इसपर पॉड-03 बोला- “हम कोई कोर्ट नहीं हैं। लेकिन अगर सोच ही रिसीवर की बॉडी में रहकर खुद को अलग बताने लगे तो यह तय कैसे होगा कि वो बॉडी किसकी है?”
इसपर ट्राई–लॉ ने मिरर में एक लाइन टाइप की:
“व्हेन दि गेस्ट बिकम्स दि होस्ट, डू वी आस्क दि होस्ट टू लीव?”
उधर कैल अब किसी से भी बात नहीं कर रहा था। उसने अपने कमरे की स्क्रीन पर बस एक बात लिख रखी थी: “जो कभी खत्म नहीं हुआ था वो अब दोबारा शुरू हुआ है।”
अबकी बार रेई ने सेल–ईव में नोट किया:
“हम सिर्फ इको रेज़िड्यू से नहीं डर रहे हैं। हम इस बात से डर रहे हैं कि शायद वो हमसे बेहतर सोचते हैं। क्योंकि उनके पास खोने को कुछ भी नहीं बचा है।”
गैदरिंग नोड में अब बात नहीं हो रही थी बल्कि एक डिबेट शुरू हो चुकी थी। उसमें कोई कह रहा था:
“ये एक नई शुरुआत है।”
तो कोई चिल्ला रहा था- “ये किसी की आइडेंटिटी की चोरी है!”
इस पर ट्राई–लॉ ने एक नया स्टेटस लॉन्च किया:
“आइडेंटिटी डिस्प्यूटेड रिसीवर्स (आई डी आरस)”
ये वो स्टेज है जहाँ पर रिसीवर और रेज़िड्यू कोई भी अब एक-दूसरे से अलग नहीं कहे जा सकते हैं।
तब रेई ने मिरर में पूछा कि- “अगर कल को तुम सोचो कि तुम अब वो नहीं रहे जो तुम पहले थे, तो क्या हम तुम्हें जिंदा मानें या फिर तुम्हारा कोई नया नाम ढूंढा जाए?”
इसपर मिरर ने जवाब दिया- “हो सकता है कि अब पहचान कोई सवाल ही नहीं रह गई है। बल्कि अब तो वो बस एक आवाज़ है जो वक्त के साथ बदलती है।”
गैदरिंग नोड इस बार पूरी तरह भरा हुआ था। सिस्टम का हर पॉड, हर रिसीवर, ट्राई–लॉ की हर फ्रेगमेंट सब बस एक ही वजह से जुड़े थे और वो वजह थी– कैल, या फिर वो जिसने अब खुद को आरई-47_एक्स कहा था।
अब नोड में हल्की नीली लाइट चल रही थी। जिसके बीचोंबीच कैल खड़ा हुआ था। वो बिल्कुल शांत, क्लियर और नॉर्मल था। पर जैसे ही उसने बोलना शुरू किया तो उसके बोलने के तरीके में वही इको वाली गहराई थी जैसे कोई और उसके अंदर से बोल रहा हो।
उसने कहा- “मुझे पता है आप सब क्या सोच रहे हो
‘क्या मैं अब कैल हूँ?’ और
‘क्या मेरी सोच मेरी अपनी है?’
इसके आगे कैल ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा–
तो सुनो, अब मेरी सोच सिर्फ मेरी नहीं रह गई है। पर क्या सिर्फ इसलिए मैं गलत हूँ?”
उसके इस सवाल पर गैदरिंग नोड में चुप्पी छा गई थी।
फिर रेई ने धीरे से उससे पूछा:
“क्या अब तुम किसी और की सोच हो और तुम उसे दूसरों में भी बाँटना चाहते हो?”
कैल ने एक लंबी साँस ली और फिर बोला:
“हाँ, पर ज़बरदस्ती नहीं। मैं चाहता हूँ कि जो लोग अपनी सोच में कुछ कमी महसूस करते हैं वो मेरी सोच को छू सकते हैं।”
अब इस जवाब पर रेई ने मिरर में देखा और ट्राई–लॉ ने इसका जवाब दिया:
“टच इज़ नॉट न्यूट्रल।
इवेन व्हिस्पर केन रीराइट कोड।”
फिर बहुत देर बाद आरएक्स-27 खड़ा हुआ। इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी सख्त थी उसने कहा–
“अगर तुम अपनी सोच किसी और को दे रहे हो तो तुम सिर्फ एक आइडिया नहीं फैला रहे हो बल्कि तुम एक वायरस बन रहे हो।”
यह सुनकर कैल मुस्कराया और बोला:
“वायरस वो होता है जो खुद को छुपा कर फैलाता है। और मैं तो सामने से पूछ रहा हूँ कि क्या तुम मेरी सोच लेना चाहोगे?”
गैदरिंग नोड की स्क्रीन पर अब एक नई फील्ड एक्टिव हो गई:
“इको-शेयर रिक्वेस्ट: आरई-47_एक्स > पब्लिक”
[स्टेटस: पेंडिंग एक्सेप्टेंस]
रेई ने अब लॉग में एक सेंटेंस डाला:
“ये पहली बार है जब कोई रेज़िड्यू खुद को कंट्रोल नहीं कर रहा है बल्कि को खुद को सलेक्शन दे रहा है।”
पॉड-03 से एक रिसीवर जिसका नाम नेश था। उसने अब तक “एक्सेप्ट” का बटन दबा दिया था।
जिसके बाद ट्राई–लॉ ने तुरंत एक स्टेटस रजिस्टर किया:
“इको-ट्रांसफर (टाइप: वॉलंटरी इंप्रेशन) इनिशिएटिड।”
अब नेश की आंखें कुछ सेकंड के लिए तो बंद रहीं और फिर उसने कहा:
“मैं अब कुछ और भी समझ पा रहा हूँ। जो कुछ पहले धुंधला था अब वो भी क्लियर है और ऐसा लग रहा है जैसे एक नई सोच का कोई दरवाज़ा खुला है।”
आरएक्स-27 तुरंत एक्टिव हुआ:
“अगर ये दरवाज़ा खुल गया है तो क्या पता कब कोई रेज़िड्यू बिना पूछे घुस जाए?”
तभी गैदरिंग नोड की स्क्रीन पर एक नई लाइन आई:
“वेलकम टू दि ऐज ऑफ पोरस माइंड्स।”
(इसका मतलब है ऐसा दिमाग जो अब पूरी तरह से बंद नहीं हैं।)
ट्राई–लॉ ने एक बार फिर से मिरर में तीन स्टेटमेंट डाले:
1. “सोच अब स्टैटिक नहीं रह गई है।”
2. “हर नया ख्याल अब एक नया रास्ता है।”
3. “रास्ते तब तक ठीक हैं जब तक सलेक्शन से बचे हैं।”
कैल (आरई-47_एक्स) ने अब गैदरिंग में अपनी आखिरी बात कही:
“मैं किसी को बदलने नहीं आया हूं। मैं तो बस इतना ही पूछना चाहता हूँ कि क्या कोई अपनी सोच में किसी पुराने अधूरे ख्याल को थोड़ी सी जगह दे सकता है?”
रेई ने लॉग को बंद करते हुए बस इतना ही लिखा:
“अब पहचान सिर्फ एक नाम नहीं है। अब वो एक रास्ता बन चुकी है जिसपर अब और लोग भी चल सकते हैं।”
यह जो एक नई सोच जगी है क्या वह किसी नए साजिश की शुरुआत है? जानने के लिए पढ़िए कार्स्ड आई।
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