एक धुंधला सा दृश्य जिसमें एक आदमी बहुत गुस्से में नजर आ रहा था,उसके ठीक सामने एक औरत सहमी सी खड़ी थी जिस पर वो बुरी तरह से चिल्ला रहा था,वो औरत कुछ कहने को हुई कि उसी पल उस आदमी ने उस पर हाथ उठा दिया,जिसके चलते वो जमीन पर जा गिरी,वहीं थोड़ी दूरी पर एक छोटी बच्ची खड़ी थी जिसकी आखों से आंसू बह रहे थे और उसके फड़बड़ाते होठ मां मां बोल रहे थे,वो मां जो उसकी आखों के सामने जमीन पर पड़ी सिसक रही थी और उसके सामने खड़ा आदमी अब उस पर चिल्लाने की बजाये उसे घूर रहा था!
ये मंजर अयाना के आखों में आंसू ले आया,बंद आखों से बहते आंसूओ ने पलभर में उसके चेहरे को भिगो कर रख दिया,तभी अयाना को अपने कंधे पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ,उसने उसी पल अपनी आखें खोली और पीछे की ओर मुड़ अपने कंधे पर मौजूद हाथ को झटकाते वो जोर से चिल्ला दी-"दूर रहिए मुझसे!"
अयाना के सामने एक सूट बूट पहने हुए आदमी खड़ा था,अयाना का ऐसा चिल्लाना और गुस्से से तिलमिलाया चेहरा देख उस आदमी ने अपने कदमों को थोड़ा पीछे ले लिया,.....अयाना की बरसती आखें अब आग उगल रही थी!
वो आदमी कुछ कहने को हुआ कि अयाना उस
के सामने अपना हाथ कर देती है और उसे बुरी तरह घूरते अपना सिर दायें बाहें हिलाया,मानो कह रही हो कुछ कहने का सोचना भी मत!
ये देख उस आदमी ने आह भर ली और वहां से चला गया,उसको जाते देख अयाना गुस्से से दांत भींचते बड़बड़ाई-"मिस्टर जोशी आपसे बात करना तो दूर,मैं आपको देखना तक पंसद नहीं करती!"
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【खन्ना विला】
साक्षी हॉल में सोफे पर पलाथी लगाकर बैठी थी उसके हाथ में उसका फोन था जिस पर उसकी नजरें टिकी हुई थी,तभी बाहर से सार्थक आ गया
-"हाय जान!"
साक्षी ने बिना उसकी तरफ देखे उसके हाय का जवाब दे दिया-"हाय सार्थक!"
सार्थक -"फोन में ऐसा क्या देख रही हो जो पल भर की भी फुर्सत नहीं,हैंडसम पति के हाय का अच्छे से जवाब दे सको!"
साक्षी हंस दी-"दुनिया में तुम इकलौते हैंडसम नहीं हो सार्थक और भी अच्छी जरूरी चीजें है जिन्हें देखा जा सकता है जो तुमसे भी ज्यादा क्यूट एंड स्वीट है!"
ये सुन सार्थक की भोह़े सिकुड़ गयी,वो फट से साक्षी के पास आया,उसके हाथ से फोन लिया और फोन की ओर देखा,सार्थक ने ज्यों ही फोन की सक्रीन पर नजर डाली उसकी भोहें चढ़ गयी,
वो फोन से नजरें हटा साक्षी को देखता है जो मंद मंद मुस्कुरा रही थी!
सार्थक फोन की ओर इशारा कर-"कब आ रहा है?"
साक्षी सार्थक से अपना फोन ले लेती है-"कल सुबह!"
ये सुन सार्थक ने मुंह बनाते "नो"कहा और धम्म से सोफे पर बैठ गया!
साक्षी उसके लटके चेहरे की ओर देख-"सार्थक तुम कैसे डैड हो,हमारा बच्चा घर आ रहा है वो भी सात दिन बाद,और तुम हो जो खुश होने की जगह सेड हो रहे हो!"
"नहीं हो रहा सेड,मैं खुश हूं साक्षी!"
"लग तो नहीं रहा!"
"यार मेरी बैंड बज जाएगी!"
"मेरे पापा की औलाद से तो डरते ही हो,अपनी औलाद से भी डरते हो,सार्थक रियान के डैड हो तुम,रियान बेटा है तुम्हारा,कम से कम उससे तो मत डरा करो,डैड होकर बेटे से डरते हो वो भी छं साल के बच्चे से,अच्छी बात नहीं है!"
सार्थक सोफे से उठ गया-"अच्छी बात वो नहीं है जो तुम्हारा भाई और बेटा मेरे साथ करते है,दोनों के दोनों ही हमारे प्यार के दुश्मन है,एक को प्यार पंसद नहीं है इसलिए जब देखो तब मुझे दूर कर देता है तुमसे कभी ऑफिस के काम के चलते तो कभी अपने गुस्से के चलते,रोमांस छोड़ जाकर देखना पड़ता है कौन सा तुफान आ गया,अच्छे से रोमांस भी नहीं करने देता हमें और वो दूजा वो तो पूरा कबाब में हड्डी है,जिसको प्रोपर्टी से इतना प्यार है कि हमें प्यार का आधा प भी नहीं करने देता,हम प्यार करेगें तो उसे मिलने वाली प्रोपर्टी बंट जो जाएगी,कम ना मिले सो वो बीच में फंसा रहता है हमारे!"
साक्षी हंसते हुए-"सार्थक क्या बोले जा रहे हो तुम?
सार्थक साक्षी के पास वापस सोफे पर बैठ-"सही तो बोल रहा हूं.....,क्या कहा था अभी तुमनें,मुझे अपने बेटे से नहीं डरना चाहिए,राईट!"
साक्षी ने हामी भर दी-"या राईट!"
"क्या राईट,यहां राईट भी रोंग है!"सार्थक तपाक से बोला तो साक्षी हैरान हो गयी-"मतलब?"
सार्थक फिर सोफे से उठ गया-"हां.... मैं डैड हूं रियान का,वो बेटा है मेरा पर वो माहिर खन्ना की कॉपी है कॉपी,तुम्हें पता है साक्षी कभी कभी तो मैं खुद सोच में पड़ जाता हूं,रियान मेरी औलाद है या माही की,वो बिल्कुल अपने मामा पर ही गया है,डंरू़ नहीं तो क्या करूं दोनों मामा-भांजा मेरी तो बैंड बजा देते है,बड़ा तो बड़ा है ही,छोटा पैकेट भी कम नहीं है मेरा जीनाहराम करने में!"
साक्षी फिर हंस पड़ी-"सार्थक तुम पागल हो गये हो?"
सार्थक अपना सिर पकड़ लेता है-"पागल बना दिया गया हूं,सच्ची बताऊं मैं,रियान अग्निहोत्री माहिर खन्ना का भी बाप है,....बाप,जिसे अपने इस बाप पर(खुद की ओर इशारा करते)भी तरस न आता,सोचा था तुमसे शादी करूंगा तो आराम से रहूंगा तुम्हारे साथ,अच्छे से ससुराल के मजे लूंगा जहां ना सास है,ना ससुर,पर अब तो ऐसा है मेरे सास ससुर की औलाद और मेरी खुद की औलाद ही मेरे सास ससुर बन बैठे है!"
"अच्छा!"साक्षी ने उसकी ओर देखते कहा,
सार्थक साक्षी की ओर देख-"हां,जब जब मामा भांजा साथ दिखते है मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे सिर पर मेरे सास ससुर तांडव कर रहे है और मैं उनका वो भोला भाला जमाई जो उन्हें कुछ कह भी न सकता!"
ये सुन साक्षी हंसते हुऐ सोफे से उठ गयी-"और बनो घर जमाई,अब भुगतो!"
सार्थक साक्षी को कंधो से पकड़ अपने सामने खड़ा करते -"ओह हेल्लों तुमसे प्यार करता था मैं इसलिऐ घर जमाई बना,तुम्हारे भाई की पहली शर्त थी तुम्हारे साथ रहना है तो यहीं रहना पड़ेगा
इस घर में उसकी आखों के सामने,ऐसा न करता तो तुम्हारा माही हमें कभी शादी नहीं करने देता कभी एक होने नहीं देता,तुम्हें तो याद ही होगा मैनैं एक बार नहीं दस बार मना किया था,कहा भी था साक्षी को सारी खुशियां सारे सुख दूंगा पर फिर भी माही न माना,मुझे ही माहिर खन्ना की माननी पड़ी,बिकोज मुझे मेरी साक्षी(साक्षी की ओर मुस्कुराते इशारा कर)जो चाहिए थी!"
ये सुन साक्षी ने सार्थक का चेहरा अपने हाथों में भर लिया-"सब याद है सार्थक,मैं सब जानती हूं
तुमने क्या मैनैं भी माही को मना किया था बोला था, रह लूंगी सार्थक के साथ मत रखो यहां रहने की शर्त पर माही नहीं माना, जानते हो ना तुम वो क्यूं नहीं माना!"
सार्थक मुस्कुरा दिया-"बहुत प्यार करता है माही तुमसे,माहिर खन्ना की बहन उसके लिऐ बहुत इम्पोर्टेन्ट है!"
"माही भी जानता है सार्थक,तुम्हारे लिए कितनी इम्पोर्टेन्ट हूं मैं,तुम कितना प्यार करते हो मुझसे,
मैं बहुत लकी हूं जिसके पास सबसे ज्यादा प्यार करने वाला भाई है,पति है,जो मेरे बिना नहीं रह सकते,दोनों को ही मेरे साथ रहना है,मुझे बहुत अच्छा लगा सार्थक तुमने माही की भावनाओं को समझा,उसने जो कहा नहीं वो भी और सब
कुछ छोड़कर आ गये अपना घर तक "बोलते साक्षी की आखें नम हो गयी,
तभी सार्थक साक्षी को अपने सीने से लगा लेता है-"मैं कभी नहीं चाहता था साक्षी तुम्हें कुछ भी छोड़ना पड़े,तुम माही और मेरे साथ रहना चाहती थी और हम दोनों के लिए ही तुम्हारी खुशी बहुत
मेटर करती है,तुम खुश हम खुश,और मेरा घर तो तुमसे है साक्षी,जहां तुम हो वही मेरा घर है मेरी दुनिया है,आखिर कैसे नहीं समझता मैं माही की भावनाओं को,तुम्हारे और ईशान के अलावा उस
का है ही कौन,.....छोटे साले साहब तो विदेश में रहने के आदी हो चुके है और बड़े साले साहब,
तुम्हें मैं अपने साथ अपने घर ले जाता तो माही अकेला रह जाता,ये घर फिर घर कैसे लगता और देखो ना अपने घर में भी मैं अकेला रहता था बट यहां पर आया तो मेरी साक्षी मिली मुझे,परिवार मिला और माही जैसा दोस्त भी तो पाया है मैनैं जो कि मेरा साला भी है,दो से भले तीन और अब तो चार पांच है,हम सब साथ भी है,तुम,मैं,हमारा रियान हमारा माही और कभी कभी पधारने वाले ईशान बाबू भी तो है,अपनों से ही तो घर होता है ना साक्षी!"
साक्षी सार्थक के चेहरे की ओर देख हम्म कहती है,तो सार्थक उसका सिर चूम फिर बोला-"और पता मैनैं ना घर छोड़ा नहीं घर पाया है जो बहुत अच्छा है,मुझे कुछ खोने का गम बिल्कुल नहीं,
जो पाया है मैनैं उसके लिए बेशक शुक्रगुजार हूं जिसके पास कुछ नहीं था उसके पास आज सब
है!"
साक्षी मुस्कुरा दी-"सार्थक तुम बहुत अच्छे हो!"
सार्थक इतराते हुऐ-"अच्छा हूं तभी तुम मिली हो मुझे वरना माहिर खन्ना की बहन की जिंदगी में आना तो दूर आसपास भी न भटकने देता मुझे माहिर खन्ना!"
साक्षी हंस दी-"वो तो है, आई लव यू सार्थक!"
सार्थक साक्षी को हग कर लेता है-"लव यू टू!"
साक्षी सार्थक से अलग होते-"अच्छा,अब सच सच बताओ रियान आ रहा है इस बात से खुश हो या नहीं!"
सार्थक ह़ंस दिया-"खुश होने के अलावा कोई और चारा है!"
साक्षी ने उसे घूरा-"सार्थक!"
सार्थक उसका चेहरा कसकर हाथों में थाम लेता है-"यार बहुत खुश हूं,रियान को मैनैं बहुत मिस किया है,तुम्हारी तरह वन वीक के स्कूल ट्रिप पर वो जाए मैं तो ये भी नहीं चाहता था,पर वो चला गया,अपने मामू की परमिशन लेकर,माही ने उसे हां बोल दिया था फिर तुम-मैं तो क्या ही करते!"
साक्षी हामी भरते-"या बट एम हैप्पी हमारा बेटा कल आ रहा है!"
सार्थक भी मुस्कुरा दिया-"हम्म...... हमारा बेटा हमारा रियान कल आ रहा है वो भी कल सुबह एंड आईनो जितने खुश हम है उसे लेकर वो भी बहुत खुश हो रहा होगा!"
साक्षी -"ऑफकोर्स!"
तभी सार्थक साक्षी के कंधे पर बाहें डाल लेता है-
"अच्छा सुनो?"
"हम्म!"
" तुम्हें नहीं लगता रियान का स्कूल ट्रिप जल्दी खत्म हो गया!"
"सार्थक जी वन वीक का ट्रिप था और आपको ऐसा क्यूं लगता है जल्दी खत्म हो गया,सात दिन हम दूर रहे है सात दिन कितने होते है पता भी है!"
सार्थक आह भरते-"पता भी तो नह़ीं चला,सोचा
था साहबजादे छुट्टियाँ मनाने गये थे अपनी बीवी के साथ अच्छे से टाइम संपेड करूंगा,थोड़ा सा रोमांस भी करूंगा,पर कल आ जाएगें महाशय
मैं तो तरस ही जाऊंगा तुम्हारे प्यार को,सारा का सारा प्यार तुम अपने लाडले पर जो बरसाने लग जाओगी,कुछ दिन दूसरे नंबर पर आया था कल फिर तीसरे नंबर पर आ जाऊंगा मैं......रियान,
माही और फिर .....फिर मैं!"
साक्षी इधर उधर देखते-"कल आओगे ना तीसरे नंबर पर,आज तो पहले नंबर पर हो तुम!"
सार्थक हैरान होते-"मतलब?"
तभी साक्षी सार्थक के गले में बाहें डाल लेती है
-"मतलब मेरा सारा ध्यान तुम पर और मेरा सारा प्यारा तुम्हारा,आज की शाम और आज की रात भी,माही आज घर नहीं आने वाला और रियान वो कल आएगा सो जब तक तुम्हारे सास ससुर आते है तब तक चलो तुम्हारी शाम खास बनाते है!"
सार्थक खुश होते-"सच?"
साक्षी आखें रोल कर-"येस!"
सार्थक एक्साइटेड होते-"पक्का ना!
साक्षी सार्थक के चेहरे पर अंगुली घूमाने लगी-"
येस सार्थक अग्निहोत्री,चलो......मैं शाम खास बनाती हूं तुम रात हसीं बनाना!"
सार्थक पलकें झपकाता-"डन!"
साक्षी मुस्कुराई और सार्थक की टाई पकड़ उसे अपने कमरे की ओर लेकर चल दी,सार्थक इधर
उधर देखता है-"कोई देख तो नहीं रहा?"
"जो देख सकते है ,वो घर पर नहीं है सार्थक"
कहते साक्षी ने सार्थक की ओर आंख मारी,तो वो"हाय"बोलते अपने सीने पर हाथ रख लेता है!!
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【मिश्रा हाऊस】
रात के आठ बज चुके थे अयाना अपने रूम में बैड पर बैठी थी तभी पिहू चाय लेकर आ गई-"
लो अयू दी चाय सुबह की ना सही रात की चाय तो आप आराम से पी सकते हो!"
अयाना कप पकड़ते-"अच्छा वैसे ये किस बात की रिश्वत है!"
पिहू आयना के सामने बैठ गयी-"रिश्वत? नहीं तो .....ये तो मेरा प्यार है दी प्यार,सच्चा प्यार!"
अयाना चाय का घूंट भर-"बट इस प्यार में कुछ गड़बड़ लग रही है!"
पिहू सोचते हुए-"गड़बड़?कैसी गड़बड़ चाय में मैनैं सब डाला है दी!"
अयाना मंद मंद हंसती है-"गुड़ चीनी वाली नहीं
,दूसरी गड़बड़?"
तभी पिहू ने अपना चश्मा सही किया -"अपनों पर और बच्चों पर यूं शक नहीं करते है,अयाना मिश्रा!"
अयाना-"अच्छा अच्छा ये बताओ एग्जाम अच्छा गया ना!"
पिहू-"कमोन आयू दी बीस बार पूछ चुके हो,अब आप ना रिजल्ट ही देखना मै नहीं बता रही अब आप ना मेरा छोड़ा आईमीन अपना बताओ मुझे,
यूअर ड्रीम लाइफ याद है न सुबह बोला था आप
ने कि आप बताओगे मुझे रात को आपके सपनों के बारे में,सो रात भी है और आप भी है बस राज खोलिए जल्दी!"
ये सुन अयाना ने पिहू को घूरा!
पिहू हैरानी से-"क्या हुआ?"
अयाना चाय के कप की ओर देखते-"ओह तो इसलिए चाय पिलाई जा रही है!"
पिहू आयना के सामने पलाथी लगाकर बैठ गयी
-"आपको जो समझना है समझो,मुझे तो बस जानना है,और अयाना मिश्रा कभी अपनी बात से पीछे नहीं हटती राइट,(चुटकी बजाते)बताओ ना दी(हाथ जोड़ते)आपको कैसा लड़का चाहिए,
आपकी नजर में प्यार क्या होता है,आप लव सव में बलीव करते हो,आपको कैसा पार्टनर चाहिए,
आपने क्या क्या सोचा है सपनों में ख्यालों में वो कैसा होगा,किसी हीरों जैसे हैडसम,रिच,हॉट...."
पिहू एक ही सांस में बोल ही रही थी कि अयाना ने चाय का कप टेबल पर रखा और पिहू के मुंह पर हाथ रख दिया-बस कर यार एक ही लाइन में कितने सारे सवाल,इतने तो अमिताभ सर कौन बनेगा करोडपति में भी नहीं पूछते है!"
पिहू अयाना का हाथ अपने मुंह से हटा देती है-"
मुझे कौन बनेगा करोड़पति में कोई इंटरेस्ट नहीं है दी,मुझे तो कौन बनेगा मेरी अयू दी का पति वो जानना है!"
ये सुन अयाना हंस पड़ी तभी पिहू ने मुंह बनाया और बैड से उठने लगी-"ठीक है दी मत बताओ,
हंसते रहो जा रही हूं मैं!"
तभी अयाना ने पिहू का हाथ पकड़ उसे वापस बिठा लिया और बोली-"ऐसे कैसे जाएगी,अपने जीजू के बारें में सुन के तो जा,साली हो वो भी इकलौती तुम्हें भी तो पता होना चाहिए!"
पिहू खुशी से उछलते हुए-"इट्स मीन आप बता रहे हो वाव एम रेडी!"
"मुंह बंद रख और सुन?"अयाना बोली तो पिहू ने उसी पल अपने मुंह पर अंगुली रख ली!
(क्रमशः)
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