पिहू ने अपने होठों पर अंगुली सजाई, ये देख अयाना की हंसी छूट गयी और वो हंसते-हंसते पिहू के गाल खींच लेती है - "हाय क्यूट!"
पिहू ने अपना गाल छुड़ाया - "आई नो एम क्यूट!"
"अच्छा!"
"हां चलो अब शुरू हो जाओ, जल्दी से बताओ मुझे जो बताने वाले हो…."
"क्या बताऊं?"
"दी!"
"अच्छा सुन, ज्यादा तो मैनैं नहीं सोचा, बस यू हीं थोड़ा बहुत चाहा है मेरा जो लाईफ पार्टनर हो वो कुछ तो ऐसा होना चाहिए….वो बहुत रिच भले ही ना हो, ज्यादा पैसे उसके पास ना हो पर वो दिल का अमीर होना चाहिए अमीरी के तौर पर उसके पास देने को प्यार, साथ, इज्जत, भरोसा तो होना ही चाहिए। ज्यादा मंहगी मेरी ख्वाहिशें नहीं बस जब वो पास हो साथ हो तो मेरे पास सुकून और मुस्कुराहट दोनों में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए, ऐसा पार्टनर हो जो हैंडसम डेशिंग हॉट का तो पता नहीं पर जब भी हम दोनों साथ खड़े हो तब जोड़ी ए वन लगनी चाहिए वो कहते है ना मामी, क्या बोलते है?"
"ऊपर से जो जोड़ी बनकर आती है बोले तो राम मिलाई जोड़ी!"
"हम्म…वही राम मिलाई जोड़ी (हंसते हुए) मेरे संग उसके सिवा कोई अच्छा ना लगे और उसके संग मेरे सिवा, उसे कोई ना भाये मेरे सिवा और मुझे भी उसके सिवा कोई अच्छा ना लगे, हम दोनों ही एक दूजे की पंसद हो और साथ-साथ फेवरेट भी होने चाहिए, क्योकि पंसद बदल सकती है बट जो फेवरेट हो वो हमेशा फेवरेट रहता है अकोर्डिग टू (कंधे उचकाते) मी।"
पिहू बड़े प्यार से अयाना की बात सुन रही थी - "वाह दी...पार्टनर के बारे में तो आपने बता दिया, अब प्यार के बारें में बताओ, प्यार के बारे में क्या कहना है, आपकी लाईफ में लव शव किस तरह का होना चाहिए?"
पिहू ने अयाना से प्यार के बारें में पूछा तो वो बेड से उठकर रूम की खिड़की के पास जाकर हाथ बांधकर खड़ी हो गई और खिड़की से बाहर आसमान में नजर आ रहे चांद को मुस्कुराते देखने लगी।
पिहू भी "अयू दी" कहते अयाना के पास चली आई और उसके कंधे पर हाथ रख बोली - "आप प्यार पर यकीन करते हो?"
"हां करती हूं रिश्ता कोई भी हो पिहू, प्यार ना हर रिश्ते की खूबसूरती होता है जब किसी से प्यार होता है ना तो हम उसके लिए कुछ भी कर जाते है ये प्यार ना अपनेपन का हमें एहसास दिलाता है, हम कहते है कि हां हमें इससे प्यार है और ये अपना है, ये मेरा है, पिहू मैं प्यार को सच में बहुत मानती हूं और इंतजार भी है मुझे मेरे उस प्यार का जिसके आने से मैं और मेरी लाइफ कम्लीट हो जाएगी…जिसके साथ हर लम्हा बहुत खूबसूरत होगा।"
ये सुन पिहू अपना सर खुझाने लगी - "इट मीन आप अधूरी हो उसके बिना?"
ये सुन अयाना हंस पड़ी और उसके सिर पर प्यार भरी चपत लगाते हुए बोली - "अधूरी तो नहीं बट मुझे तलाश है खुद के जैसे की, जो पूरी तरह भले ही मुझ जैसा न हो पर कुछ तो होना ही चाहिए, वो कहते है ना कि ऊपर वाले ने हर किसी के लिए किसी न किसी को बनाया है तो कोई मेरे लिए भी मुझ सा या थोड़ा अलग सा तो होगा ही ना!"
पिहू आयना के कंधा लगाते - "जरूर होगा, होगा नहीं दी, जरूर है, आपका प्रिंस चार्मिंग जरूर है, जो आपके साथ-साथ ही दुनिया में आया होगा, बस उससे मुलाकात होना बाकी है। आप बोलते हो सबकुछ exist करता है लाईफ में तो ये भी जरूर होगा आई नो ये सब फिलहाल मेरे सिलेबस से बाहर है यू नो एम पढ़ाकू और लव की थ्योरी मेरी समझ से थोड़ी बाहर है।"
अयाना मुस्कुराते - "लव की कोई थ्योरी नहीं होती है ये तो प्रेक्टिकल ही होता है हां हम पढ़ सकते है, जान सकते है, सुन सकते है प्यार के बारें में पर समझ तो खुद को एक्सपीरियंस हो इसका तब ही आता है दूसरों का एक्सपीरियंस यहां पर अच्छे से काम नहीं करता। खुद उस एहसास को महसूस करना पड़ता है, फिलहाल मेरा भी इससे कोई लेना देना नहीं….मैं सिर्फ प्यार की बात कर रही हूं प्यार में नहीं हूं।"
पिहू - "आई नो दी बट आपकी बातें इतनी प्यारी है सोचो प्यार कितना प्यारा होगा?"
अयाना हंस दी - "सोच ही तो रही हूं बात तो तब बने, जब दिखे मिले मुझे मेरा मिस्टर, जो मेरे लिए बना हो जो मेरा जीवनसाथी हो!"
तभी पिहू अपनी हथेली सामने कर अयाना को आशीर्वाद देते बोली - "वो आपको जरूर दिखेगा बालिके और मिलेगा भी.....बस सब्र करो थोड़ा आपकी लाइफ में उसकी एंट्री जल्द होगी।"
अयाना भौहें चढ़ाते - "क्यों बददुआ दे रही हो तुम, सिंगल अच्छी नहीं लगती क्या?"
पिहू - "मिंगल हो जाओगी तब मेरी अयू दी ज्यादा अच्छी लगेगी, अच्छा और बताओ ना?"
अयाना वापस जाकर बेड पर बैठ गयी और चाय का कप उठाकर चाय पीने लगी - "तुम बड़ा इंटरेस्ट दिखा रही हो इस टॉपिक में…"
पिहू भी आकर अयाना के पास बैठ गयी - "यू नो दी, मैं हर चीज ध्यान लगाकर याद करती हूं चाहे फिर कुछ भी हो, अब बताओ मुझे….ये बताओ प्यार में ऐसी कौन सी चीज है जो होनी ही चाहिए, आपके अकोर्डिंग वो ना हो तो प्यार-प्यार नहीं?"
अयाना - "विश्वास और इज्जत, ये हो तो प्यार-प्यार है वरना प्यार-प्यार नहीं, विश्वास हर रिश्ते की नींव होता है पिहू और जहां इज्जत भी मिले तो वो रिश्ता बहुत अच्छे से निभ सकता है, प्यार भले ही थोड़ा कम हो जाए वक्त के साथ या फिर रिसपॉन्सबिल्टी के चलते….पर एक दूजे पर भरोसा एक दूजे के प्रति इज्जत कभी भी कम नहीं होनी चाहिए…क्योंकि यही चीजे रिश्ते को अटूट बनाती है, सच्चा प्यार कहलाता है जिसे परवाह होती है हमारी या जिसकी फिक्र होती है हमें, उसकी हम इज्जत करते ही है और वो हमारी, हमको उसपर पूरा भरोसा होता है और उसको हम पर, रिश्तों में विश्वास इज्जत प्यार परवाह बनी रहे ना तो वो रिश्ता कभी खत्म नहीं होता।"
पिहू - "हम्म, अच्छा दी आपको लव स्टोरी पंसद है क्या? लाइक जिसमें बॉयफ्रेंड हो या फिर आपको वो पंसद है जैसे मेरी माता जी चाहती है डिरेक्ट हाथ पीले करना, प्यार व्यार (हंसते हुए) शादी के बाद।"
अयाना सोचते हुए - "हम्म, देखो पिहू शादी चाहे लव मैरिज वाली हो या फिर अरेंज, प्यार दोनों में होता है। हां एक मैं पहले एक में बाद में, लोगों को प्यार भी कई बार हो जाता है जिसको वो पहला प्यार दूसरा प्यार तीसरा प्यार नाम दे देते है बट मेरा ये मानना है पहला दूजा तीजा क्या होता है प्यार तो प्यार होता है जो आखिरी होता है ऐसा प्यार जिसके बाद किसी ओर से प्यार ना हो, सो मुझे चाहे पहले प्यार हो या पहले मेरी शादी फिर प्यार पर प्यार सच्चा और रिश्ता पक्का चाहिए, मुझे कोई टेम्परेरी नहीं परमानेंट चाहिए, बॉयफ्रेंड नहीं बेस्ट फॉरएवर हो।"
पिहू - "अच्छा!"
आयना मुस्कुराते हुए - "हां सच्चा प्यार मतलब आखिर तक उस प्यार का रहना, चाहे कुछ भी हो प्यार का ठहराव हमेशा रहे नजकियों में भी और दूरियों में भी, जिस शख्स से मुझे प्यार हो उसका एहसास इस कद्र मुझ पर छा जाए कि मैं दुनिया के फिर किसी भी कोने में चली जाऊं बट उसका एहसास मुझ पर छाया रहे। वो मंजिल हो मेरी, उसका एहसास रहे मुझे और हमेशा वो याद के सफर में चाहे जितने भी लोग शामिल हो पर मेरी मंजिल, बस एक वहीं शख्स है जिससे मुझे प्यार है। जब मैं उसके बारे में सोचूं किसी ओर के बारे में ना सोचूं, बस मैं हमेशा उसकी ही रहूं जिसके लिए मेरा दिल धड़कता है, जिसकी मौजूदगी जिसका होना खुशी देता है जो मेरे लिए बना है और मेरे लिए सही है परफेक्ट है, प्यार करना ही जरूरी नहीं होता प्यार निभाना भी जरूरी होता है।"
"दी अभी आपने कहा पास हो या दूर प्यार उसी के लिए, वो ना मिले, हमेशा आपके साथ ना रहे, आई मीन कभी कभी होता है सच्चे प्यार के बाद भी लोग नहीं मिल पाते....फिर भी प्यार उसी के लिए क्या?"
अयाना की चाय खत्म हो चुकी थी वो कप टेबल पर रख दी - "चाय खत्म हो गयी पिहू"
"पर मेरे सवाल खत्म नहीं हुए दी और ना ही बात पूरी....बताओ ना!"
"आज जो प्यार मुझे एक से है वो मुझे ना मिले तो कल को मैं दूजे से प्यार कर लूं, ये सही नहीं लगता मुझे….प्यार तो प्यार है जो कि एक से ही हो सकता है, पंसद हमारी चार लोग हो सकते है बट जिससे प्यार का एहसास जुड़ा हो वो तो एक ही होता है उसकी जगह फिर कोई नहीं ले सकता। यहां सच्चे प्यार की बात कर रही हूं पिहू मैं जो सही होता है, किसी को पहली बार में मिल जाता है तो किसी को दूजी बार में....प्यार हो बट सही शख्स से हो ये बहुत जरूरी बात है सो किसी को जल्दी मिल जाता है उसका सच्चा सही प्यार तो किसी को देर से, स्पेशल वन एक ही होता है दो या हजार नहीं।"
"स्पेशल वन ओनली वन राईट!"
"राईट!"
"वो मिलकर भी ना मिले तब दी?"
"प्यार से शुरू कहानी जिसमें दो लोग शादी के रिश्ते से होते, रिश्ते को निभाते, प्यार की मंजिल तक पहुंचने का सफर मिलकर तय करें, निभाने की ठान ले तो फिर किस्मत भी जिद्द पकड़ लेती है उन प्यार करने वालो को मिलाने की और फिर मिलाकर ही छोड़ती है तो वो मिल जाते है (एक पल रूककर) वैसे जरूरी नहीं हर कहानी पूरी हो सब मिलते नहीं, कुछ सच्ची मोहब्बते अधूरी भी रह जाती है। सबकी मंजिल शादी भी नहीं होती है पर उस शख्स से हमें ऐसी चाहत हो जाती है कि उस चाहत पर सिर्फ उसका नाम ही रहता है ना मिले तब भी ताउम्र उसकी जगह कोई भी नहीं ले सकता….ऐसे में दूजे के साथ रहना भी पड़ जाए तब वो समझौते होते है क्योकि उस सच्चे प्यार को कभी नहीं बदला जा सकता है मोहब्बत कब इबादत बन जाती है पता ही नहीं चलता, दुआ में उसे ना सही पर उसके लिए दुआ की जाती है।
उसको हमेशा चाहा जाता है दिल पर लगी उसकी छाप कोई नहीं मिटा सकता, उसे भुलाना मानों खुद को भूल जाना, सो मुझे तो ऐसी ही मोहब्बत चाहिए जो बदले ना, ना मिले तब भी, क्योकि जो मैं खुद करूंगी वहीं मुझे उससे चाहिए। मोहब्बत के एहसास के साथ जिया जा सकता है, अपनी मोहब्बत को किसी ओर का होते नहीं देखा जा सकता और मैं तो देख भी नहीं पाऊंगी, पास या दूर बस अपनी मोहब्बत को शिद्दत से निभाए। मेरी नजरों के सामने बेशक हजारों हो पिहू पर मेरी नजर जिस पर ठहर जाए जो नजरों से होते मेरे दिल में समा जाएं बस वो मुझे चाहिए एक बार ही करूंगी मैं मोहब्बत जो सच्ची और आखिरी हो बस मेरी, एट द एंड ऐसा साथ ऐसा पार्टनर हो मेरा….अगर कहूं तो वो मेरा हर दर्द भी बांट ले, वो हमसफर के साथ मेरा हमदर्द भी हो, एक ख्वाब संजोया है जो मुझे हर हाल में संभाल ले, जिसके साथ खुशी दुगनी और दर्द कम सा लगे, मोहब्बत में बस मुझे ऐसा (मुस्कुराते हुए) हमदर्द मिले, ऐसा हमसफर मिले जो मेरा साथ कभी नहीं छोड़े, जो सही में मेरे लिए बना है जिसके लिए मैं बनी हूं किस्मत भी जिद्द पकड़ ले हमें मिलाने की, कभी जुदा न करने की और हमें साथ रखने की।"
पिहू - "अगर आपकी किस्मत चाहे आपको किसी से जोड़ना और आप ना चाहे तो दी, आई मीन कभी-कभी होता है ना, हम जो चाहते है वो नहीं होता और हम जो नहीं चाहे वो हो जाता है, बेस्ट है ये हमारे लिए ये समझ ना आए या फिर देर से समझ आए, आप किस्मत के फैसले को स्वीकार करोगे या कुछ और?"
अयाना मुस्कुराते - "पता नहीं पिहू, अभी क्या कहूं, पर हां जो मां कहते है वो कह सकती हूं, जो भी मिलता है हमें वो हमारी किस्मत में लिखा होता है और जो होता है अच्छे के लिए ही होता है बस हमें देखना पड़ता है हमारे लिए सच में अच्छा है या नहीं, अच्छा नहीं है तो करो कोशिश अच्छा बनाने की, साथ फिर किस्मत भी देती है। मां ने भी किस्मत बदली ना अपनी, कोशिश से जिंदगी को अच्छी बनाया, सो मैं बस इतना चाहती हूं जो मुझे मिले वो मुझे समझे वो मेरे लिए सही और अच्छा हो।"
ये सुन पिहू अयाना के गाल चूम लेती है - "पक्का मिलेगा दी, अब आपसे ज्यादा तो मुझे इंतजार है मेरे जीजू का, जो मेरी दी की सोच, ख्वाब जैसा ही जो होगा, और जो आपकी कही हर बात पर खरा उतरेगा, सच में अयू दी आपकी ड्रीम लाईफ बहुत एमेंजिग है जब ये हकीकत होगी.…तब तो मजा ही (एक्साइटेड होते) आ जाना है।"
ये सुन अयाना तिरछी नजरों से पिहू की ओर देखती है - "सच्ची, पक्का मिलेगा क्या?"
"मुच्ची पक्के से भी पक्का, बस माता रानी आप अपनी मेहर रखना और जल्द ही मेरी अयू दी का जोड़ीदार भेज दो इनकी लाइफ में (हाथ जोड़ते हुऐ) दी जब मुझे प्यार करना होगा तो मैं आपसे कलास लूंगी" अयाना को साइड हग करते पिहू हंसते हुए बोली।
"क्या कलास?" अयाना तपाक से बोली
पिहू आयना के चेहरे की ओर देखते - "हां फीस जो नहीं देनी पड़ेगी।"
इस बात पर दोनों हंसने लगी तभी पिहू फिर बोली - "आप कहानियों को सच मानती है क्या दी?"
आयना - "हम्म कुछ % तक सच मानती हूं अब देखो हमनें जितनी भी प्रेम कहानियां पढ़ी सुनी है चाहे कृष्ण राधा की हो या हीर रांझा की सच ही तो थी वो, माना कि कहानियां लिखने वाले की कल्पना होती है पर पिहू कहानियां जिदंगी का आयना भी होती है। पूरी कहानी न सही पर उस कहानी का कोई ना कोई किस्सा या हिस्सा हमारे आसपास देखने पर जरूर मिल जाएगा तुमको….एग्जेम्पल जैसे मामा जी मामी जी को रूठने पर मनाते है वो मनाने का उनका स्टाइल भी किसी कहानी से मिलता जुलता (भोहें उचकाते) होता है ना।"
पिहू अपना सिर हिलाते हुए - "हां तभी तो मम्मी बोलती है लो इनपर (हंसते हुए) रोमियो सवार हो गया"
अयाना हंसते हुए - "हां बस, अब मुझे भी वेट है मेरे कृष्ण, मेरे रांझा, मेरे रोमियो, मेरे हीरो का"
पिहू - "अच्छा!"
अयाना - "हां, देखना तुम मेरा राजकुमार अपनी रामकुमारी से मिलने…ब्लेक व्हाईट सूट बूट पहने समुद्र में घोड़े पर बैठकर आएगा।"
पिहू - "समुद्र में घोड़े पर….पर दी समुद्र में घोड़ा क्या आपका आई मीन आपके मामाजी चलाएंगे, समुद्र में जहाज चलता है (हंसते हुए) घोड़ा नहीं चलता है।"
अयाना - "चुपकर, मैं समुद्र के पानी में नहीं, समुद्र किनारे की बात कर रही हूं जहां पानी नहीं होता और वहां पर तो घोड़ा चल सकता है और मेरे मामा जी नहीं उनके जमाई राजा चलाएंगे वो भी जहाज नहीं घोड़ा!"
पिहू - "हां चल क्या वहां तो दौड़ भी सकता है"
तभी दोनों हंस पड़ी और दोनों गले लग गई, तभी बाहर से चिल्लाने की आवाज आई….अयाना पिहू ने हैरानी से एक दूजे की ओर देखा.....मां, बुआ कहते दोनों कमरे से बाहर भागी….दोनों राजश्री जी के कमरे में पहुंची तो देखा वो फर्श पर गिरी हुई थी, मां.....अयाना चिल्लाई!
“बुआ”...... पिहू ने भी कहा, दोनों राजश्री को उठाकर बेड पर लेटाती है अयाना उन्हें संभालती है - "मां, मां आप ठीक हो ना!"
राजश्री जी टसक रही थी तभी वो आह भरती, दर्द से कहराती बेहोश हो जाती है......."मां -मां" अयाना ने उनके गाल पर हाथ रख उन्हें हिलाया पर वो नहीं उठी, अयाना परेशान सी घबराई सी पिहू से पानी मांगती है - "पिहू जल्दी पानी दे मां बेहोश हो गई है।"
"हां दी"....कहते पिहू ने अयाना को पानी का गिलास दिया, तभी प्रकाश जी और सविता जी भी वहां आ गये।
प्रकाश जी कमरे में आते ही परेशान होते बोले - "क्या हुआ जीजी को?"
पिहू राजश्री की ओर इशारा कर - "पापा वो बुआ नीचे गिर गये थे आई थिंक बेहोश हो गये है।"
अयाना राजश्री जी के मुंह पर बार-बार पानी के छींटे मारती है - "मां होश में आओ, ऑंखे खोलों मां….पर राजश्री जी को होश न आया।
तभी अयाना नम आंखों से प्रकाश जी की ओर देखती है - "मामा जी मां को अभी के अभी हमें हॉस्पिटल लेकर जाना होगा।"
प्रकाश जी हां में सिर हिलाते हैं - "हां बेटा मैं अभी गाड़ी बुलाता हूं"
तभी सविता जी बोल पड़ी - "क्या? इतनी रात को हॉस्पिटल, बेहोश ही तो हुई है, आ जाएगा होश!"
तभी पिहू सविता जी की ओर आते जोर से बोली - "प्लीज मम्मी, घूमने जाने की बात नहीं हो रही है हॉस्पिटल जाने की बात हो रही है जिसके लिए आपकी हां ना मेटर नहीं करती है, मम्मी बुआ की हालत देखिए।"
सविता जी थोड़ा गुस्सा हो गयी - "दिन रात हालत ही तो देख रही हूं मैं इनकी और बचा ही क्या है देखने को!"
"ये सब छोड़ो, जीजी को बाहर लेकर आओ, मैं गाड़ी बुलाता हूं" कह प्रकाश जी बाहर की ओर बढ़ गये।
आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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