डॉक्टर राजश्री जी का अंदर चेकअप कर रहे थे, प्रकाश जी वही बाहर चिंतित चेयर पर बैठे थे, अयाना वार्ड रूम के बाहर परेशान सी इधर-उधर चल रही थी तभी पिहू "अयू दी" कहते उसे रोक उस के हाथ पर अपना हाथ रख बोली - "टेंशन मत लो दी कुछ नहीं होगा बुआ को"

अयाना - "पिहू कैसे टेंशन ना लूं आधा घंटा हो गया है डॉक्टर को अंदर मां को देखते हुए अभी तक उन्हें होश नहीं आया है, पता भी नहीं मां को कहां चोट लगी होगी यार, काश ध्यान रखा होता मैनैं"

पिहू - "मुझे तो समझ नहीं आ रहा है बुआ गिरे कैसे दी, थोड़ी देर पहले ही चेक कर के गई थी मैं….सच में आराम से सो रहे थे वो!"

अयाना वार्ड रूम की ओर देख - "मां ने की होगी कोशिश खुद से खड़े होने की, क्या जरूरत थी मां को यूं उठने की? जानती है कुछ भी हो सकता है, कितनी बार कहा है मैनैं मत किया करो ऐसे, चोट आती है वो अलग और अब देखो हालत मां की पर मेरी तो मां ने सुननी (नम आखें लिए) ही नहीं है।"

तभी प्रकाश जी अयाना के पास आये, उसके सिर पर अपना हाथ रखते हुऐ बोले - "जीजी तेरी ही तो सुनती है और तेरे लिए ही तो जीती है, फिक्र मत कर सब ठीक हो जाएगा और मेरा खरगोश इतना कमजोर नहीं पड़ सकता…हमें जीजी को संभालना है, ख्याल रखना है उनका, अभी हिम्मत नहीं हारनी है बेटा।"

पिहू अयाना की बाहं पकड़ते हुए - "हां अयू दी और डॉक्टर देख रहे है ना बुआ को, जल्द होश भी आ जाएगा, सेड मत हो। बुआ को आप सेड और परेशान अच्छे नहीं लगते हो....है ना पापा!"

प्रकाश जी ने "हम्म" कहा और अयाना पिहू दोनों को अपने सीने से लगा लिया।
 

तभी वार्ड रूम से डॉक्टर बाहर आये....अयाना "डॉक्टर वर्मा" कहते उनकी ओर बढ़ी - "डॉक्टर वर्मा मां कैसी है?"

पिहू - "बुआ को होश आ गया ना?"

प्रकाश जी - "जीजी ठीक है ना डॉक्टर?"

डॉक्टर वर्मा तीनो की ओर देखते - "फिलहाल तो ठीक है पर अभी उन्हें होश नहीं आया है।"

अयाना, पिहू, प्रकाश जी की ओर देख डॉक्टर से हैरान परेशान होते बोली - "होश नहीं आया? डॉक्टर वर्मा होश क्यों नहीं आया मां को अभी तक? कोई प्रोब्लम तो नहीं है ना? मां की हालत तो ठीक है ना? सच सच बताइए डॉक्टर वर्मा क्या हुआ है मां को? बोलिए डॉक्टर वर्मा…"

तभी डॉक्टर वर्मा ने अयाना के कंधे पर अपना हाथ रखा - "झूठ तो अयाना मैनैं तुमसे कभी कहा ही नहीं और क्या हुआ है उनको? ये तो तुम भी जानती हो और मैं भी, होश आ जाएगा अभी नहीं तो थोड़ी देर में आ ही जाएगा। अभी उन्हें बहुत आराम की जरूरत है सो मैनैं इजेक्शन दिए है, पर क्या होगा होश में आने पर? ये तुम्हे भी पता है उनकी जो हालत है वो पूरी तरह ऐसे ठीक न होने वाली, समझ रही हो ना तुम, अब उन्हें सिर्फ दवाईयों की ही नहीं ऑपरेशन की भी जरूरत है। फिलहाल कोई प्रोब्लम नहीं, ठीक भी है, पर अब उनका जल्द ऑपरेशन नहीं हुआ तो प्रोब्लम हो सकती है ये (तीनों की ओर देख) आप सब जानते है।"

जैसे ही डॉक्टर ने कहा "ऑपरेशन" तो अयाना रूहासी सी आवाज में बोली - "ऑपरेशन? बट डॉक्टर आपने तो बोला था अभी दवाईयां चेंज करनी है..…."वो आगे बोल पाती कि डॉक्टर वर्मा बोल पड़े "हां कहा था अयाना बट मैनैं ऐसा भी नहीं कहा था ऑपरेशन नहीं होगा, बोला था ना ऑपरेशन करवाना होगा पर मुझे नहीं पता था तुम्हारी मां की हालत आज इतनी ज्यादा खराब हो जाएगी अब मैं बस यहीं कहूंगा….ऑपरेशन वो भी जल्द से जल्द, इसी वीक, अब जितना ज्यादा लेट होगा उतनी ज्यादा मुश्किल होगी फिर शायद मैं भी कुछ न कर पाऊं।"

ये सुन अयाना को मानो कोई झटका लग गया, उसके कदम पीछे की ओर लड़खड़ा गये...पिहू आयना को पकड़ती है - "प्लीज अयू दी संभालो खुद को"

प्रकाश जी - "ये क्या बोल रहे है आप डॉक्टर वर्मा? आप जैसा कह रहे है वैसा हम कर तो रहे है, ऐसा तो मत कहिए हम आपके ही भरोसे है।"

डॉक्टर वर्मा - "मैं समझ सकता हूं आपकी हालत पर मैं डॉक्टर हूं झूठी तसल्ली नहींं दे सकता, ऐसा करना गलत होगा ना? पेशेंट है वो मेरी आपके जैसे मैं भी चाहता हूं वो जल्द ठीक हो, मैं सारी रिपोर्ट उनकी कंडीशन देखकर कह रहा हूं। अयाना उन्हें जल्द से जल्द ऑपरेशन की जरूरत है, जल्द ही हमें तुम्हारी मां का ऑपरेशन करना होगा, आई होप आप सब मेरी बात समझ पा रहे है अब मैं इतना ही कहूंगा जल्दी कीजिए क्योकि अब देरी हुई तो फिर कुछ भी हो सकता है आई थिंक हमें अब और लेट नहीं करना चाहिए, जल्दी फैसला कीजिए क्या करना है।"

इतना कह डॉक्टर वर्मा "मैं आता हूं" बोलकर वहां से चले जाते है, अयाना एकटक वार्ड रूम की ओर देख रही थी….पिहू उदास सी अयाना से लिपटी हुई थी तभी प्रकाश जी आयना के कंधे पर अपना हाथ रखते हुऐ बोले - "हम करवाएगें ऑपरेशन बेटा…जल्द ही और लेट नहीं करेगें, डॉक्टर ने सही कहा है, करते है इंतजाम।"

अयाना प्रकाश जी की ओर देखते - "मामा जी कोई चार दिन की दवा के लिए हजार रूपये का इंतजाम नहीं करना है, डॉक्टर ने ऑपरेशन का कहा है जिसके लिऐ हजारों नहीं लाखों चाहिए….कैसे होगा इंतजाम इतने पैसों का वो भी इतना जल्दी?"

प्रकाश जी - "पता है मुझे पर जीजी से बढ़कर तो कुछ नहीं है ना, हम हर कोशिश करेगें बेटा उनके इलाज के लिए, चाहे कुछ भी हो जाए"

"हां" अयाना बोली और वहां से जाने लगी कि तभी पिहू बोल पड़ी - "अयू दी आप कहां जा रहे हो?"

अयाना पिहू के गाल पर हाथ रखते हुऐ - "आती हूं!"

पिहू - "पर बुआ से नहीं मिलोगे?"

अयाना - "होश तो आने दो मिल लूंगी!"....इतना कह अयाना वहां से चली गई और सोचते-सोचते हॉस्पिटल के बाहर चली गई....उसकी आखों से आसूं बह रहे थे जिन्हें वो लगातार पौंछे जा रही थी - "कैसे होगा सब? जितना आसान लग रहा है उतना नहीं है, मामा जी ने तो कह दिया कि सब इंतजाम हो जाएगा पर कैसे होगा मामा जी? हम भी जानते है, कुछ भी तो नहीं है अब हमारे पास जिसे बेचकर हम मां का ये ऑपरेशन करवा सके होता तो कबका करवा लिया होता…मां की हालत इतनी नही बिगड़ती। आपने तो मां के इलाज में अपना घर तक गिरवी रख रखा है, अपना सब
कुछ तो लगा दिया मैनैं, आपकी कमाई से मां की दवा और घर खर्च ही मुश्किल से निकलता है ये मुश्किल कैसे हल होगी मामा जी? क्यों इतनी परीक्षा ले रहे हो माता रानी?"

 

तभी अयाना किसी से टकरा जाती है!...."अरे अयाना तुम यहां?" एक लड़की बोली, जिससे वो टकराई थी…अयाना ने अपनी आखों के किनारे पौंछे खुद को संभाला और उस लड़की से बोली - "नेहा"

"हां नेहा, चलो याद तो हूं मैं तुम्हें" वो लड़की हंसी और अयाना के गले लग गयी - "कैसी हो?"

अयाना नेहा के गले मिलते - "मैं ठीक हूं नेहा, तुम बताओ?"

नेहा अयाना से अलग हुई - "मैं तो ठीक हूं पर तुम मुझे ठीक नहीं लग रही हो….परेशान सी दिख रही हो, तुम्हारा ध्यान कहां था? सब ठीक है ना इतनी रात को यहां हॉस्पिटल में?"

अयाना ने नेहा को अपनी मां के बारें में बताया - "मां की हालत ठीक नहीं है वो यहां पर एडमिट है।"

नेहा आयना के कंधे पर हाथ रखते - "एम सॉरी मुझे पता नहीं था आंटी की कंडीशन के बारें में एम रियली सॉरी!"

अयाना - "इट्स ओके पता कैसे होता हम काफी टाइम बाद जो मिल रहे है, वैसे तुम यहां सब ठीक है ना?"

नेहा - "हां हां सब ठीक हैं, वो बस एक रिलेटिव एडमिट थे यहां पर बस उन्हीं से मिलने आई थी, आज वो डिस्चार्ज हो रहे थे तो मैनैं सोचा आकर मिल लूं वरना कहेगें, पास में थी….एक बार भी नही आई।"

अयाना - "अच्छा!"

नेहा - "हम्म वैसे ना तुम टेंशन मत लो आंटी जल्द ठीक हो जाएगें, आजकल तो कैंसर का इलाज भी है नॉट ए बिग डील!"

ये सुन अयाना इधर-उधर देखते हुए बोली - "हां इलाज है बट हमारे लिए इतना इजी नहीं है नेहा हम लाइटली नहीं ले सकते….इट्स रियली बिग डील, बताया ना अभी मैनैं फाइनेंशियल प्रोब्लम वरना चाहती तो मैं भी हूं मेरी मां जल्द ठीक हो जाए।"

नेहा - "सो सॉरी यार, आई अंडरस्टैंड, मेरे कहने का मतलब कुछ और था आई मीन सब ठीक हो जाएगा।"

अयाना हल्का सा मुस्कुराते हुए - "हम्म!"

तभी नेहा कुछ सोच फट से बोली - "मैं तो तुम्हारी इतनी बड़ी हेल्प नहीं कर सकती ह़ूं, पर कोई है जो तुम्हारी मिनटों में मदद कर सकता है। पैसा ही चाहिए इलाज के लिए और वो तुम्हें मिल सकता है।"

अयाना हैरान होते - "कौन है वो?"

तभी नेहा ने अपने पर्स से एक कार्ड निकाला और उसे अयाना की ओर बढ़ा दिया - "ये है और इससे मिलकर तुम्हें बात करनी होगी आई मीन जो प्रोब्लम है वो बताना, फिर तुम्हारी हर प्रोब्लम सोल्व, जिस ऑपरेशन के चलते पैसों की इतनी टेंशन ले रही हो चुटकियों (चुटकी बजाते) में सारी प्रोब्लम सोल्व हो जाएगी।"

नेहा की बात सुन अयाना ने कार्ड पर नजर डाली - "माहिर खन्ना?"

नेहा - "हां एक यही है जो तुम्हारी हेल्प जल्द से जल्द कर सकता है इसके यहां हेल्प जरूर मिल जाएगी"

अयाना सवाल भरी नजर से - "ये तो बहुत बड़ा आदमी है ना, ये करेगा हेल्प?"

नेहा - "जाकर तो देखो तुम इसके पास, पैसों से रिलेटेड हर प्रोब्लम यहां पर सोल्व हो सकती है क्योकि बहुत पैसा है इसके पास….पक्का ये हेल्प करेगा मिलो तो सही और बहुत बड़ा आदमी है तभी इसके पास बहुत सारे पैसे है इसलिए कह रही हूं माहिर खन्ना का, कोई नथू हलवाई होता तो उसके बारे में थोड़ी कहती, एक बार ट्राई करने में क्या जाता है जितना परेशान हो रही हो क्या पता.....इतना परेशान होना ही ना पड़े?"

अयाना कार्ड देखते नेहा से - "तुझे कैसे पता है इसके बारे में?"

नेहा - "वो मैं इनके यहां जॉब करती हूं आई मीन इनकी एक कंपनी में, जब कंपनी जोईन करते है तो ये कार्ड दिया जाता है….एम्प्लॉयज को बोला जाता है कि एमरजेंसी में इस पर (कार्ड की ओर इशारा कर) कांटेक्ट करना हेल्प जरूर मिलेगी, आई थिंक तुम्हें जाकर इन से मिलना ही चाहिए। अपनी मॉम के लिए, ये तुम्हें भी पता है देरी से क्या होगा, तो तुम्हें जल्द से जल्द माहिर खन्ना से मीटिंग करनी चाहिए मुझे तो अबतक जरूरत नहीं पड़ी पर तुम्हें तो है ना जरूरत अयाना। एक बार मिलकर देखो, बात कर के देखो, क्या पता जो पैसों की प्रोब्लम है वो सोल्व हो जाए वो भी जल्द से जल्द और तो और पैसे मिल जाए तो बाद में तुम लौटा देना चाहो तो उनकी कंपनी में जॉब के लिए एप्लाई कर देना, मुझे जॉब मिल गयी तो तुम्हें तो 101% मिल ही जाएगी, फिर सैलरी से कट जाएगें पैसे, बाई चांस वहां जॉब नहीं भी मिली, तो ऐसा भी नहीं है अयाना तुमको कहीं जॉब ना मिले, तुम कहीं और भी जॉब कर पैसे वापस कर देना….तुम्हें एक बार तो ट्राई करना चाहिए, तुम्हारी सारी प्रोब्लम दूर हो सकती है।"

ये सुन अयाना कार्ड की ओर बड़े गौर से देखती है - "मैं जाऊंगी जरूर जाऊंगी, अगर मदद मिल सकती है जैसे तुम कह रही हो तो जरूर मिलूंगी, कल ही..…मिलूंगी मैं माहिर खन्ना से!"

ये सुन नेहा खुश हो गई - गुड, तुम ना कल ही मिलना, ओके!

तभी अयाना का फोन बजा, अयाना फट से कॉल रसीव करती है - "हां पिहू...मां को होश आ गया, अभी आ रही हूं" इतना कह अयाना ने फोन कट किया और नेहा के गले लगते हुए बोली - "थैंक्यू सो मच नेहा!"

नेहा अयाना से अलग होते - "थैंक्यू को तुम अपने पास रखो, टेंशन मत लो सब ठीक हो जाएगा।"

"हम्म, अच्छा तुम चलोगी मेरे साथ?" अयाना ने पूछा तो नेहा ने ना में सिर हिला दिया - "नो...मैं चल सकती तो मैं तुम्हें कार्ड थोड़ी देती, खुद ही लेकर चलती ना? वो मुझे कंपनी के लोगों के साथ पुणे से बाहर मीटिंग के लिए जाना है, वो भी कल सुबह-सुबह चार बजे, तो मैं साथ नहीं आ पाऊंगी और मैं दो दिन बाद ही वापस आऊंगी पर हमें तब तक रूकना ही क्यों है? अयाना हमें इतना टाइम वेस्ट नहीं करना है जानती हो ना तुम?"

अयाना हां में सिर हिलाती है - "हां दो दिन बहुत है यार, दो दिन नहीं रूक सकते"

नेहा उसके कंधे पर हाथ रखते हुए - "तभी तो, मैं जानती हूं तुम अकेले संभाल लोगी वो भी अच्छे से…मिलकर बात ही तो करनी है, तुम जाना आराम से बात करना, बात बन जाएगी ओके!"

"ओके, कल सब से पहले हम यही काम करेगें….वनस एगेन थैकंयू (हाथ में पकड़े विजिटिंग कार्ड को हिलाते हुए) अच्छा चलो मेरे साथ, मां से भी मिल लेना" कहते अयाना नेहा को अपने साथ लेकर हॉस्पिटल के अंदर चली गई।

 

अयाना राजश्री जी के पास पहुंची, वहां प्रकाश जी और पिहू पहले से ही थे, "लो बुआ आ गयी दी" पिहू ने अयाना की ओर इशारा करते कहा।

अयाना राजश्री जी के बेड के पास आई और उनका माथा चूम बोली - "मां ठीक हो ना?"

राजश्री जी ने अपनी पलकें झपका दी और नेहा की ओर देखा, अयाना ने नेहा को सबसे मिलाया - "ये मेरी कॉलेज फ्रेंड है नेहा, मां बहुत टाइम बाद मिले है हम दोनों"

नेहा मुस्कुराते हुए - "और लगा भी नहीं कि हम बहुत टाइम बाद मिले है (राजश्री जी के पास आकर) आंटी आप ठीक हो?"

राजश्री जी पलकें झपकाते - "हां बेटा मैं ठीक हूं, मुझे क्या होना था?"

नेहा उनके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए - "ये हुई ना बात, कुछ भी तो नहीं हुआ है आंटी को, है ना अयाना!"

अयाना राजश्री जी का सिर सहलाते - "बिल्कुल मां को कुछ नहीं हुआ है, मेरी मां ठीक है!"....ये सुन राजश्री जी एकटक अयाना की ओर देखने लगी तभी नेहा का फोन रिंग किया और वो सबसे बोली - "मैं चलती हूं...अयाना फिर आऊंगी मैं, अभी जाना पड़े….आंटी का ख्याल रखना।"

अयाना ने हां में सिर हिलाया और नेहा "बाय" बोलकर वहां से चली गई, तभी अयाना राजश्री जी का हाथ अपने हाथ में लेकर बोली - "क्यों किया मां ऐसा?"

राजश्री जी - "कर दिया जो करना था, माफ कर दे अपनी मां को?"

अयाना रूठने की एक्टिंग करते, झूठी नाराजगी जताते हुए बोली - "नहीं करना, हम सब में से कोई नहीं करेगा (एक पल रूककर) पता है मां आपको बेहोश देख मैं डर गयी थी।"

राजश्री जी - "डर क्यों बेहोश ही हुई, देख होश भी आ गया और गिरी थी मरी नहीं।"

अयाना उसी पल "मां प्लीज" कहते राजश्री जी के मुंह पर हाथ रख देती है - "ऐसी बात करोगे तो माफ तो क्या बात भी नहीं करेगें हम सब"

पिहू - "सच्ची में बुआ मैं भी नहीं बोलूंगी।"

प्रकाश जी - "और क्या? जीजी मैं भी नाराज हो जाऊंगा।"

तभी राजश्री जी हल्का सा मुस्कुराई और तीनों की ओर बारी बारी देख बोली - "ठीक है मत करो, जाओ मेरी सविता भाभी को भेज दो उनसे कर लूंगी मैं बात, वैसे भी आप सबके पास तो ज्ञान ही होता है देने को….एक वो ही है जो मोहल्ले भर की बात बताती है।"

ये सुन तीनों ने एक दूजे की ओर देखा और हंस पड़े।

प्रकाश जी - "लो भई इतना प्यार, बताना पड़ेगा सविता जी को उनकी ननद याद कर रही है।"

पिहू - "बुआ वो बात नही, चुगली होती है।"

राजश्री जी - "तो क्या हुआ मजा तो आता है ना चुगली ही सही!"

"मां आप भी ना"....कहते अयाना उनसे लिपट गयी, "अरे मैं भी तो हूं" कहते पिहू भी आकर राजश्री जी से लिपट जाती है, राजश्री जी दोनों का सिर चूम प्रकाश जी की ओर देख कहती है - "मेरे बच्चे कितने प्यारे है ना"

प्रकाश जी हां में सिर हिलाते हुए - "हां, हां जीजी बहुत प्यारे है!"

राजश्री जी दोनों की ओर बारी बारी से देख मन ही मन प्रार्थना करती है - "मेरे बच्चों मेरे परिवार को हर खुशी देना माता रानी और इनका हर दुख हर लो।"

________
 

रात के 12 बज रहे थे, व्हाइट कलर की बड़ी सी गाड़ी पुणे के सबसे बड़े "रायल होटल" के सामने आकर रूकी, गाड़ी से 25-26 उम्र की जबरदस्त खूबसूरत लड़की बाहर निकली और सीधे होटल के अंदर चली गई, अंदर आते ही वो रिसेप्शन पर जाकर मुस्कुराते हुए बोली - "हाय!"

रिसेप्शन टेबल पर खड़ा लड़का उसे देख बेबाक सा खड़ा रह गया। तभी वो लड़की उसके सामने चुटकी बजाते हुए बोली - "ओह हैल्लो लिसिन!"

लड़के ने अपना ध्यान उससे हटाया और पलकें झपकाते थोड़ा हकलाते हुए बोला - "ये..…यस मैम?"

"टेल मी? वेयर इज माहिर खन्ना?" उस लड़की ने भौहें ऊपर चढ़ाते हुए कहा।

माहिर खन्ना का नाम सुनते ही रिस्पेशन वाला लड़का नजरें झुकाते हुए बोला - "सर अभी आए नहीं"

"व्हाट?" वो लड़की बड़ी हैरानी से बोली….

"यस मैम" लड़के ने अपने लेपटॉप की ओर देखते जवाब दिया।

"मुझे यहां बुलाकर खुद लेट सो डिस्कस्टिंग?" वो लड़की खुद से बड़बड़ाई और फिर उस लड़के से बोली - "एनीवे रूम नंबर?"

लड़का बिना उसकी ओर देखे - "सॉरी मैम सर के आने से पहले.…आप रूम में नहीं जा सकती हैं, आप वेटिंग रूम में सर का वेट कर सकती हैं।"

“रियली? स्टोप इट एंड जस्ट टेल मी रूम नं, मुझे अपनी बात बार-बार दोहराने की आदत नहीं” वो लड़की बोल रही थी कि तभी पीछे से आवाज आई - "मैं बता देता हूं रूम नं"

ये सुन वो लड़की फट से पीछे मुड़ी और भौंहे सिकोड़ते बोली - "अनुज?" उसके सामने व्हाइट कोंट पैंट पहने 26-27 की उम्र का लड़का खड़ा था, जिसका नाम अनुज था जो उस लड़की की ओर देख मुस्कुरा रहा था….वो लड़की अनुज की ओर आई और इधर उधर देख बोली - "मैनजर यहां है बॉस कहां है?"

अनुज अपनी पैंट की जेब में हाथ डालते इधर उधर देख मुस्कुराते हुए - "मैनैजर काफी नहीं है क्या?"

"जितना पूछा है तुम उतना जवाब दोगे तो बेटर रहेगा तुम्हारे लिए" वो लड़की एटीट्यूड वाले लहजे में अनुज को घूरते हुए बोली।

ये सुन अनुज हंस दिया - "आप बिल्कुल भी नहीं बदली सनाया लूथरा, एक साल बाद मिलना हो रहा है बट आपकी अक्कड़ में कोई सुधार नहीं"

"सनाया लूथरा (उस लड़की का नाम सनाया था) बदल जाए नेवर, एक साल तो क्या दस साल बाद भी तुम मुझसे मिलोगे तो तुम्हें सनाया लूथरा ही मिलेगी….वैसे बदले तो तुम भी नहीं पहले भी तुम मुझसे फालतू में जुबान लड़ाते थे और अब भी वहीं कर रहे हो जबकि तुमसे बात करने में मैं बिल्कुल इंटरेस्टेड नहीं हूं".....सनाया ने अपनी अकड़ झाड़ते हुए कहा।

"तो मैं कौन सा मरा जा रहा था आपसे मिलने के लिए, मुझे भी कोई शौंक नहीं, वो भी आपसे बात करने का सनाया लूथरा!" अनुज उसी की भाषा में उसे जवाब दे देता है जिसे सुन वो हंस देती है - "इट्स गुड फॉर यू.…बाई द वे माहिर कहां है मैं उससे मिलने आई हूं तुमसे बहसबाजी करने नहीं, सो मेरा टाइम वेस्ट करने की बजाये माहिर के बारें में बताओ"

अनुज भौहें चढ़ाते - "मच एटीट्यूड.…रूम नंबर 102..... ठीक दस बजे माहिर खन्ना आपसे मिलेगें इतना कह अनुज वहां से चला गया!

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रूम नं 102 के सामने पहुंचते ही सनाया ने डोर नॉक किया, तुंरत ही अंदर से आवाज आई - "कम इन!"

सनाया ने डोर पूरा खोला और रूम में चली गई, बड़ा सा रूम जिसमें सबकुछ व्हाईट व्हाईट और एक्सपेंसिव था, बड़ा सा सोफा, व्हाईट मंहगे पर्दे एवरीथिंग इज वेरी नाईस....रूम में नजरें घुमाते हुए सनाया ने मिर्रर के सामने ब्लेक नाईट गाऊन पहने एक लड़के को देखा जो कि हेयर ड्रायर से अपने गीले बालों को सुखा रहा था।

सनाया उसकी ओर देखकर बोली - "माहिर?"

“वेट फॉर वन मिनट”.... माहिर ने थोड़े से बाल सूखाकर हेयर ड्रायर को टेबल पर रखा और फिर अपने हाथों से अपने बाल सेट करने लगा, कुछ ही पल मे वो सनाया की तरफ मुड़ा उसके ठीक सामने परफेक्ट बॉडी शेप में, हॉट, डेशिंग, माहिर खन्ना खड़ा था और सनाया उसे देखते ही उसमें खो चुकी थी।

तभी माहिर ने सनाया के सामने चुटकी बजाई, सनाया ने अपनी पलक झपकाई और धीरे से बोली - "माहिर!"

"य़स!" माहिर तपाक से बोला…

सनाया मुस्कुराते हुए - "हाय!"

माहिर - "हम्म हाय!"

तभी सनाया माहिर के पास होकर उसको हग कर लेती है - "सो तुम्हें मेरी याद आ ही गई।"
 

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग। 

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