“तू क्यों इतना परेशान हो रही है, कुछ नहीं कहना होता है डॉक्टर को…बस कभी ये करो तो कभी वो करो, क्यों इतना भाग रही है बेटा, किस्मत में ठीक होना नहीं लिखा है तो हम क्या ही कर सकते है, कुछ नहीं मिलने वाला है।” 

राजश्री जी बोल रही थी कि तभी अयाना ने उनके मुंह पर अपना हाथ रख दिया - "नहीं मां, नहीं, हम कोशिश करना नहीं छोड़ेगे हमें माता रानी पर पूरा भरोसा है, वो हमारी मां को कुछ नहीं होने देगें, आप जल्द ठीक हो जाओगी और आपने ही सिखाया है ना मन के जीते जीत मन के हारे हार, कोशिश करने से तो किस्मत भी बदल जाती है, आप ही कहते हो ना, मेरी मां ठीक होगें जरूर ठीक होगें और हम सब किस्मत में ये लिख देगें, अगर नहीं लिखा है तब भी, सुना आप ने, हमेशा अच्छा सोचो अच्छा ही बोलो आप ही कहते हो ना मां, फिर आप ऐसी बातें क्यों कर रही हो मां?"

राजश्री जी अपना हाथ धीरे धीरे उठाते अयाना की गाल पर ले आई - "तो क्या कहूं, तू सब कुछ छोड़कर मेरे इलाज के पीछे लगी है, इतनी मंहगी दवाईया, इतना सारा पैसा.....खुद के बारें में भी तो सोच तेरी आगे की पढ़ाई, बेटा तुझे आगे भी तो कुछ करना है ना? या कॉलेज खत्म हो गया तो घर बैठ जाएगी, अयू मुझे कोई बुखार नहीं है जो दो चार दिन में ठीक हो जाएगा?"

तभी अयाना उनके गले लग गई - "फिलहाल कुछ नहीं करना मुझे आगे, खुद के बारें में आपने सोचा है कभी जो मैं सोचूं और हां मैं खुद के बारें में ही सोच रही हूं मां, आप हो तो सबकुछ है मेरे पास, आप से बढ़कर कोई नहीं, कुछ भी नहीं, ना मैं खुद ना ही खुदा सुना आपने, आप सबसे इम्पोर्टेन्ट हो मां इस वक्त मेरे लिए, मेरी स्टडी से ज्यादा और आप ना, ये ही सोचो आपको बुखार है जो जल्द उतर जाएगा….दो चार दिन में ना सही तो पांच छं दिन में और मां मैं हूं ना आप क्यों टेंशन लेती हो मैं अपना और आपका दोनों का ख्याल रख सकती हूं, सब हमारे साथ है मामा मामी हमारी पिहू (पिहू की ओर इशारा कर) और आपकी अयू अब बड़ी हो गई है राजश्री जी (मुस्कुराते) समझो बात को।"

ये सुन राजश्री जी मुस्कुरा दी और अपनी बेटी का प्यार से सिर सहलाने लगी, अपनी मां का हाथ अपने सिर पर देख अयाना की मुस्कुराहट चौड़ी हो गयी..…दोनों मां बेटी को गले लगे देख पिहू की भी आखें नम हो जाती है!

पिहू आखों के किन्नारे साफ कर - "क्या है यार गाईज, सुबह सुबह इतना इमोशनल सीन!"

राजश्री जी और अयाना अलग हुई और पिहू की ओर देखा तो पिहू दोनों से बोली - "बुआ आप ना अयू दी को छोड़ो खामख्वाह बुआ को सेंटी कर रहे हो दी, और बुआ डॉक्टर, इलाज, सारी चीजों की आप टेंशन मत लो पापा और दी है ना देख लेगें और सब बहुत अच्छा होगा, डोंट वेरी एंड बी पॉजीटिव, आप तो बस ये देखो (मैगजीन राजश्री जी के आगे रखते हुऐ) देखो बुआ आपकी पिहू आप को सुबह सुबह किसके दर्शन करवाने आई है, हाय, मिस्टर हॉटी माहिर खन्ना कितना हॉट है ना!"

राजश्री जी ने मैगजीन की ओर देखा और "हम्म" कहते हां में सिर हिला दिया।

"दिल की धड़कने बढ़ रही है ना इतने हैंडसम बंदे को देखकर बुआ, सोचो ये हमारे सामने आ जाए तो, हाय हम तो मर ही जाऊ" पिहू राजश्री जी को हंसते हुए कंधा लगाते बोली।

"हां लड़का तो बहुत सुंदर, बहुत प्यारा हैं" राजश्री जी मैगजीन पर छपी माहिर खन्ना की फॉटो पर हाथ फैरते बोली।

"देखा अयू दी सीखो कुछ मेरी बुआ से, आपसे ज्यादा तो बुआ रोमांटिक है, ये भी इंटरेस्ट दिखाते है माहिर खन्ना में और एक आप हो जो माहिर खन्ना की फोटो तक को गौर से नही देखती हो?
(राजश्री जी से) क्या खाकर पैदा किया था बुआ इनको?"

ये सुन राजश्री जी हंस पड़ी और उनके साथ पिहू भी, तभी अयाना बेड से उठ गई - "हां, तो मैं आप दोनों बुआ भतीजी जैसे पागल नहीं हूं!"

पिहू - "पागल हम नहीं आप हो और अनरोमांटिक भी, अनरोमांटिक अयाना मिश्रा राइट बुआ!"

ये सुन राजश्री जी ने भी हामी भर दी - "हां ये तो है!"

अयाना कमर से हाथ टिकाते - "ओह हेल्लो मैं इतनी भी अनरोमांटिक नहीं हूं!"

पिहू - "सलमान खान से बाहर निकलो अयू दी, वो तो किसी को भी नही मिलने वाला, हमेशा कुंवारा ही रहेगा, पर उसके चक्कर में औरों को देखना, औरों के बारें में सोचना तो मत छोड़िए,
उससे ज्यादा हैंडसम हॉट और भी है दुनिया में इस मिस्टर हॉटी (मैगजीन को अपने सामने कर) माहिर खन्ना को ही ले लो, देखते ही दिल धक धक करने लग जाता है धड़कने बेतहाशा बढ़ जाती है, सलमान शाहरुख ऋतिक सब फैल है, है ना बुआ!"

तभी अयाना ने पिहू के सामने अपने हाथ जोड़ लिये - “आप दोनों ही बढ़ाओ अपनी धड़कनो को मुझे नहीं देखना किसी माहिर वाहिर को, ना मुझे जरूरत है इस हॉटी वॉटी की, ना ही मुझे चाहिए, फिलहाल मेरे पास सलमान के बारें में भी सोचना का टाइम नहीं है और भी बहुत जरूरी काम होते है मेरे पास, तो अपना ज्ञान तुम अपने पास रखो पिहू और ये माहिर खन्ना तुम्हें ही मुबारक ओके....और हां मां को ज्यादा तंग मत करना” कह अयाना उसी वक्त कमरे से बाहर चली गई।

पिहू अयाना को आवाज देते - "बुआ से प्यार और इनकी परवाह म़ुझे भी है और फिर राजश्री जी से - "अयू दी को तंग करने में कितना मजा आता है, बड़ी जल्दी चिढ़ जाते है, है ना बुआ।"

“शैतान, दीदी को तंग करने में मजा आता है या बुआ को अपनी शैतानियां में शामिल करने में?” राजश्री जी पिहू के गाल खींचते हुए बोली।

"जो आपको सही लगे आप वो समझ लीजिए, अच्छा बुआ जल्दी से अपना आशीर्वाद दो आज मेरा एग्जाम है" कहते अपने हाथ जोड़ राजश्री जी के सामने पिहू ने अपना सिर झुका दिया।

राजश्री जी पिहू के सिर पर अपना हाथ रख देती है - "बेस्ट ऑफ लक बेटा!"

"अयू दी का पढ़ाया और आपके आशीर्वाद की छत्र छाया में देखना बुआ आपकी पिहू इस बार भी टॉप करेगी" बोलते पिहू राजश्री जी के गले लग गयी।

“हां मेरी पढ़ाकू गुड़िया जरूर ऐसा ही होगा” कह राजश्री जी ने पिहू का सिर चूम लिया।

"अच्छा बुआ अब हम चलते है, आकर मिलते है आपसे फिर ढेर सारी गपशप भी करेगें, तब तक आप इस मिस्टर हॉटी को ताड़ो, आईमीन थोड़ा माहिर खन्ना को भी देख लो, आपकी प्यारी बेटी तो करती नहीं है ये सब, मां बन बैठी है आजकल आपकी, तो आप ही अपनी बेटी वाले काम कर लो, उन्हें तो वैसे भी सलमान के अलावा किसी का शौंक नहीं उनकी जगह आप देखो हैंडसम हैंडसम लड़के, डोंट वेरी उम्र का इसमें कोई रोल नहींं होता" पिहू हंसते हंसते बोली।

ये सुन राजश्री जी पिहू को अपना हाथ दिखाने लगी कि "सॉरी बुआ मजाक कर रही थी वो इस मैगजीन में आपके फेवरेट आर्टिकल छपे है, पढ़ लेना, बाय बुआ" बोलते पिहू बेड से उठ वहां से फौरन भाग गई।

राजश्री जी दरवाजे की ओर देख पिहू को पागल लड़की कहती है और फिर मैगजीन को उठाकर साइड में रख, वो खिड़की से बाहर देखने लगी - "कुछ अच्छा नहीं लगता है, इस एक ही कमरें में पूरा दिन बीत जाता है ना सुबह का पता चलता ना शाम का और मेरी बच्ची कितनी परेशान है, हे मातारानी मेरी वजह से मेरी बच्ची को कितनी परेशानियों में डाल रखा है (सामने टेबल पर रखी दुर्गा मां की मुर्त की ओर देखतेे) वो सिर्फ मेरे बारे में सोच रही है खुद की तो उसे परवाह ही नहीं है, दिन रात मेरे इलाज की चिंता में रहती है अपनी जिंदगी जीना तो भूल ही गई है, जो कुछ था सब खर्च कर चुकी है, मुझे कहती है चिंता मत करो, मैं संभाल लूंगी मां, कैसे ना परेशान होऊं, मां हूं, मेरी अयू कैसे संभालेगी, कहती है मेरा इलाज करवा कर रहेगी पर उसके लिए ढेर सारे पैसे चाहिऐ ना वो कहां से आएगें? (आह भरते) मैं तो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती हूं (हाथ जोड़ प्रार्थना करते हुए) कोई तो रास्ता दिखाओ मातारानी, कृपा करो मेरी बच्ची पर अभी मेरी अयू के परेशान होने के दिन नहीं है।"

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【कुछ घंटे बाद】

अयाना सब काम जल्दी से निपटा कर रेडी हुई, व्हाईट सलवार सूट गले में रेड दुपट्टा, वो हैंडबैग (ब्लेक कलर का छोटा सा बैग) टांगते अपने कमरे से बाहर आई - "मां से जल्दी मिलकर निकलती हूं पहले ही देर हो गई है, ज्यादा लेट हो गयी तो मेरा डॉक्टर से भी मिलना ना हो पाएगा, जो भी टाइम मिला है उस तक हॉस्पिटल पहुंचना है"....बोलते अयाना राजश्री जी कमरें में चली आई।

अयाना ने देखा राजश्री जी सो रही थी, उसने उन्हें पहले तो अच्छे से चादर ओढ़ाई और फिर उनका माथा चूम मन ही मन बोली - "आते है मां!"

इतना कह वो वहां से जाने लगी कि उसके कदम रूक गये, उसने राजश्री जी के चेहरे की ओर देख उनके पैरों की ओर देखा, वो पैरों के पास आकर उनके पांव छूकर हाथ अपने सीने पर आखें मूंद लेती है - "आजतक आप से कुछ नहीं छुपाया मां, हर छोटी से छोटी चीज मैनैं आपको बताकर की है पर इस बार मजबूरी है जो नहीं बता सकते क्योकि हम जो करने जा रहे है आप उसके लिऐ कभी हां नहीं कहेगी, ना ही कभी मुझे करने देगी, और कोई रास्ता नहीं बचा मां सिवाये जो हम कर रहे है इसलिए बिन बताए ही करने जा रही हूं एम (नम आखें खोलते) सॉरी मां!"

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राजश्री जी से मिल अयाना घर से निकलने लगी कि प्रकाश जी से टकरा गयी - "सॉरी सॉरी मामा जी" अयाना अपना एक कान पकड़ मासूमियत भरे अंदाज में हाथो से माफी भी मांग लेती है।

ये देख प्रकाश जी मुस्कुराते अयाना के गाल पर हल्की सी प्यार भरी चपत लगा देते है - "अरें सॉरी छोड़ो मुझे ये बताओ, फुल स्पीड में मेरा खरगोश कहां भागे जा रहा है जो खंभे जितना लंबा मामा भी नहीं दिखा"

अयाना हंस दी - "क्या मामा जी, आज तो आपका खरगोश कछुए से भी स्लो है लेट जो हो गयी हूं, एक्चुअली यस जल्दी में थी वो आज डॉक्टर से मिलना है, बताया था ना सुबह और कुछ जरूरी काम भी है (कंधे उचकाते) सो!"

तभी प्रकाश जी अयाना का चेहरा अपने हाथों में भर लेते है - "खरगोश और उस कछुए की कहानी में कछुआ धीरे चाल था.....वो इसलिए जीता उस दौड़ में क्योकि खरगोश मंजिल से पहले ही रुक गया था पर मेरा प्यारा सा ये खरगोश भले कछुए सी चाल चले पर जिंदगी की इस दौड़ में मंजिल से पहले कहीं नहीं ठहरने वाला है मंजिल पाकर ही आराम से बैठेगा और मैं जानता हूं इस दौड़ में मेरा खरगोश ही (अयाना की प्यार से गाल खींचते हुए) जीतेगा!"

अयाना मुस्कुराते - "अच्छा जी ये बात है क्या, वैसे आपने ही सिखाया है मामा जी, जरूरी नहीं है हर दौड़ में खरगोश हारे, सब खरगोश आलसी नहीं होते है।"

प्रकाश जी अयाना के सिर पर हाथ रखते- "हम्म सब खरगोश एक जैसे भी नहीं होते, कुछ मंजिल पर जाकर ही रूकते है बीच रास्ते नहीं सोते और हां वो खरगोश इसलिए सोता ही रह गया क्योंकि उसके पास तुम्हारे मामी जैसी मामी नहीं थी जो उसे उठा देती जैसे तुम्हें सोने नहीं देती है तुम्हारी मामी!"

"यस एम वेरी लकी "अयाना इतराते बोली और दोनों हंस पड़े तभी अयाना तपाक से बोली - "एक मिनट आप आज दोपहर को ही वापिस, मामी जी की याद खींच लाई या (भोहें उचकाते हुए) डांट!"

प्रकाश जी अयाना पर हवा में ही हाथ उठाते उसे "बदमाश" कहते है... अयाना फट से कान पकड़ लेती है।

प्रकाश जी - "ना याद से आया ना डांट से, काम से आया हूं....वो एक जरूरी फाइल घर पर रह गयी थी"

"ओह, अच्छा मामा जी हम चलते है (प्रकाश जी के पांव छुते हुए) आप भी जिस काम से आए हैं वो कर लीजिए, और हां साथ साथ याद और डांट वाला भी कर लेना, फ्री है बिल्कुल, बाय!"....कह अयाना हंसते वहां से भागकर बाहर चली गयी।

"ये लड़की भी ना" प्रकाश जी हंसते हुए बोले और अंदर की ओर बढ़ गये।


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शाम होने को थी,अयाना डॉक्टर से मिल अपनी स्कूटी से घर लौट रही थी - "डॉक्टर से तो बात हो गई (अपनी मां के बारे में सोचते हुए) अब मां की दवा चेंज करनी है,जो काम मैं करने वाली थी वो भी कर आई अब तो बस जल्दी उसका रिस्पांस आ जाए, मां के इलाज में बहुत मदद हो जाएगी, मामा जी को भी अकेले सब देखना नहीं पड़ेगा, सब मिलकर हैंडल कर लेगें।"

तभी वो अपनी स्कूटी के अचानक से ब्रेक लगा देती है और हैरानी से सामने देखती है, एक बड़ी सी गाड़ी उसके आगे आकर एक बूढी औरत गिर गई थी, गाड़ी वाले ने अपनी गाड़ी तो रोक ली थी पर उस औरत को चोट आ गई थी, सब उस गाड़ी के आगे गिरी औरत की ओर देखे जा रहे थे पर ना कोई गाड़ी से बाहर निकला और ना ही कोई मदद के लिए आगे आया।

अयाना ने स्कूटी से उतरकर अपना हेलमेट उतार कर स्कूटी पर रखा - "कैसे लोग है बिल्कुल दया नहीं आती" बोलते वो भागकर उस बूढ़ी औरत के पास गई और उसको संभालते बोली -"उठिए, आप ठीक हो ना आंटी,आराम से!"

उस बूढी औरत के पैरों और हाथों पर काफी चोट आ गयी थी, अयाना उन्हें अकेले उठा भी नहीं पा रही थी तभी अयाना गुस्से भरी निगाहो से लोगों की ओर देखती है जो चुपचाप बस खड़े देख रहे थे, वो उनपर चिल्लाई - "जिसने ये सब किया है वो तो अपनी बड़ी सी गाड़ी में बहुत आराम से बैठा है अगर बाहर निकला तो उसकी शान में कमी आ जाएगी (गाड़ी की तरफ देखते हुए) आप सब भी तमाशा देखने वालों में से है क्या, दिख भी नहीं रहा, किसी को चोट आई है मदद करने की बजाये बस खड़े देखे जा रहे है यहां पर कोई मूवी की शूंटिग नहीं हो रही है एक्सीडेंट हुआ है, इंसानियत नाम की चीज है भी या नहीं आप सबके पास, इनकी जगह आपका कोई अपना होता तब भी ऐसे ही देखते क्या, कुछ करते नहीं!"

तभी एक लड़का "मां- मां" कहते वहां पर भागा आया और अयाना की मदद से उस बूढ़ी औरत को उठाते हुए बोला - "मां मैनैं कहा था ना मैं आ रहा हूं अकेले क्यों सड़क पार की (परेशान होते) लग गयी ना!"

"आपको इनका ध्यान रखना चाहिए था, हाथ ही पकड़े रखते?" अयाना उस लड़के से बोली और उस बूढ़ी औरत को उस लड़के के साथ पकड़कर साइड में ले जाती है।

"वो मैं पानी लेने गया था, मेरी मां को थोड़ा कम दिखाई देता है मैनैं बोला था वहां से हिलना मत पर?" वो लड़का अपनी मां के पैरो के पास बैठते बोला।

बूढ़ी औरत - "डांट क्यों रहा है, वो तो अचानक आ गयी गाड़ी नहीं तो मैं आराम से निकल जाती।"

"मां बहुत जिद्दी हो तुम, लो पानी पिओ' कहते लड़के ने अपनी को पानी पिलाया।

तभी अयाना उस बूढ़ी औरत के कंधे पर अपना हाथ रख उन्हें समझाते हुए बोली - "आंटी आपको ऐसे नहीं करना चाहिए था ये सही तो कह रहे है, आपको इनकी बात माननी चाहिए थी, देखो चोट आ गई ना, कुछ भी हो सकता था आपको….शुक्र है कोई बड़ी दुर्घटना नही हुई, जैसा बोला जाए वैसा किया करो, आपको कुछ हो जाता तो आपके बेटे का क्या होता देखिए ये आपसे कितना प्यार और आपकी कितनी चिंता करते है, आंटी ऐसे रोड को क्रोस नहीं करते है।"

वो बूढ़ी औरत अपने बेटे को देख अयाना के सिर पर अपना हाथ रख देती है - "सही कहा बेटा, आगे से ना करूंगी ऐसा और फिर अपने बेटे का चेहरा हाथों में भर - "माफ कर दे बेटा!"

लड़का - "कोई बात नहीं मां अब जैसा मैं कहूं वैसे करना, (अयाना से) धन्यवाद दीदी!"

"नहीं नहीं पर इनकी चोट?" अयाना ने चोट की ओर इशारा किया।

"वो मैं हॉस्पिटल ही लेकर जा रहा था अपनी मां को डॉक्टर को दिखाने, यहीं पास ही है हॉस्पिटल इलाज करवा लूंगा मैं मां की चोट का और ध्यान भी रखूंगा,आप चिंता मत कीजिए, चलिए मां"
अयाना से बोल लड़का अपनी मां से बोला।

अयाना - "आप इनका ख्याल रखना और ध्यान से लेकर जाना।"

"जी दीदी" उस लड़के ने कहा और अपनी मां को लेकर वहां से चला गया।

अयाना ने उस बड़ी सी गाड़ी को अपने सामने से गुजरते देखा - "आखें होते हुए भी ड्राईवर मालिक दोनों के दोनों ही अंधे, ये बड़े लोग खुद को क्या समझते है, मातारानी इन लोगों का एटीट्यूड-रूतबा किसी की जान से बड़ा होता है क्या? किसी को चोट पहुंची है इनकी वजह से पर इनको तो कुछ फर्क ही नहीं पड़ता, सच्ची में ऐसे लोग बड़े बेदर्द मतलबी और बेरहम होते है, ना इंसानियत होती है ना ही किसी के प्रति दया भाव।"

वो गाड़ी किसी और की नहीं माहिर खन्ना की थी, जो कि पीछे वाली सीट पर बैठा था, वो अपने ड्राईवर से - "जल्दी चलो मुझे देर हो रही है, लोगों (घ़ंमड से) को मरने के लिए मेरी गाड़ी मिलती है क्या?"

ड्राईवर - "सर हमारी गलती नहीं थी, उनकी ही थी वो जानबूझकर गाड़ी के आगे आ गयी थी और ये सब वो सिर्फ पैसों के लिए करते है बड़ी गाड़ी दिखी नहीं कि आगे आ जाओ, अच्छा है जो हम बाहर नहीं निकले वरना आप लेट हो जाते!"

"एनीवेज, जल्दी चलो और ध्यान से, बीच सड़क मुझे कोई तमाशा नहीं चाहिए…ना ही कोई इश्यू अंडरस्टैंड!".....माहिर खन्ना अपने ड्राईवर पर चिलाते हुए बोला।

"यस सर" कहते ड्राईवर ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा ली।

_________

अयाना अपनी स्कूटी के पास आई कि तभी उसे किसी ने आवाज दी - "मेरी रानी बिटिया" ज्यों ही ये लफ्ज उसके कानों में पड़े उसने अपनी आखें मूंद ली, इतना ही नहीं अपने कानों को भी हाथों से ढक लिया और उसी पल एक दर्दनाक मंजर ने भी उसे आ घेरा!!

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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