साक्षी बैड पर जाकर बैठ गयी-"हमारे लिए छोटी सी बात होगी सार्थक माही के लिए ये बहुत बड़ी बात है,आजतक ना तो खुद अपने बैड पर उसने कुछ खाया पिया है, ना ही किसी और को खाने पीने दिया,दूसरों को भी देखता है ऐसा करते तो मुंह बनाता है,इस बात पर माही हमेशा से चिढ़ता
आया है गुस्सा करते आया है!"
सार्थक साक्षी के लिए पानी ले आया-"आदत हो
चुकी है उसे,जो नहीं पंसद वो नहीं पंसद,चाहे वो
फिर कुछ भी हो,बैड पर खाने पीने की चीजें उसे
अच्छी नहीं लगती और डाइनिंग टेबल उसे खाने पीने की चीजों के बिना अच्छा नहीं लगता है,सो
तुम रिलेक्स करो,नॉट ए बिग डील,लो आराम से पानी पियो!"
साक्षी ने गिलास की ओर देख सार्थक को देखा तो सार्थक हंस दिया-"हमारे यहां बैड पर सब चलता है खाना ,पीना,सोना और....…
साक्षी-"और!"
सार्थक-"और रात को बताऊंगा!"
साक्षी-"कितने बेशर्म हो तुम!"
सार्थक-"क्या बेशर्मी की!"
साक्षी-"पता है मुझे!"
सार्थक-"क्या पता है!"
साक्षी कुछ नहीं बोली वो सार्थक के हाथ से पानी लेकर चुपचाप पीने लगी,फिर सार्थक वॉशरूम में चला गया वो भी मुस्कुराते हुऐ!
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अयाना अपने कमरे से निकल पास के दो कमरे छोड़ तीसरे कमरे में जाने लगी कि सविता जी ने
उसे आवाज दे दी-"बिटिया रानी मां से बाद में मिल लेना,वो अभी सो रही है,जो जाग गये उन्हें पहले चाय पिला दो!"
"जी मामी!"कह अयाना ने एक नजर अपनी मां के कमरे को देखा और फिर वो वहां से किचन में चली आई और चाय बनाने लगी,चाय बनाते वक्त भी परेशान सी अयाना अपनी मां के बारे में सोच रही थी-"मां के लिए जल्द कुछ तो करना होगा,
सोच अयाना सोच,मां का इलाज जल्द से जल्द करवाना जरूरी है!"
तभी उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गयी-"मिल गया रास्ता,ऐसे ही होगा पैसों का इंतजाम मां के इलाज के लिऐ पर अयाना ध्यान से ,इस बारें में ना तो मां को पता चलना चाहिऐ और ना ही घर में किसी और को,नहीं तो गड़बड़ ही हो जाएगी,
बताया तो पहली दफा ही मना कर देगें घरवाले,
ना कोई मानेगा और ना ही हां बोलेगें,सो अभी तो सबसे ही छुपाना पड़ेगा,स्पेशली मां से,छुपाने के अलावा कोई और ऑप्शन भी नहीं है!"
तभी सविता जी ने बाहर से उसे फिर आवाज दी
-"चाय आज की तारीक में बन जाएगी क्या?"
"हां मामी बन गई अभी लेकर आई" अयाना ने कहा और जल्दी से चाय को कपों में डाल बाहर लेकर चली गई!!
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बीच आंगन में कुर्सी पर सविता जी बैठी थी चाय के इंतजार में,अयाना ने किचन से बाहर आते ही सबसे पहले उन्हें चाय दी -मामी,आपकी चाय!"
सविता जी चाय लेते-"दो लोगों की चाय बनाने में इतना वक्त लगता है क्या?"
अयाना-"आपकी पंसद की चाय बनाते है मामी,
वक्त तो लगेगा ना!"
सविता जी-"मीठी मीठी बातें करवा लो!"
तभी मीठी सी आवाज आई-"मीठी मीठी चाय पिल़ो सविता फिर तुम भी मीठी मीठी ही बातें करोगी!"
ये सुन सविता जी और अयाना ने आवाज की दिशा में देखा,एक सज्जन शख्स ठीक उनके सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था,वो प्रकाश मिश्रा थे,
सविता जी के पति,पिहू के पापा और अयाना के मामा जी!
सविता जी -"क्या कहा आपने?"
प्रकाश जी-"कुछ नहीं!"
सविता जी-"कुछ नहीं,सब समझ आता है हमें!"
तभी"मामा जी"कहते अयाना मुस्कुराते प्रकाश जी के पास चली आई और धीरे से फुसफुसाते हुए बोली-"क्या मामा जी सुबह सुबह महाभारत करने का इरादा है!"
प्रकाश जी मंद मंद हंसते-"बेटा यहां तो बिना इरादे के ही महाभारत हो जाती है!"
अयाना उन्हें चाय देती है-"सच कहती है मां,आप ना आ बैल मुझे मार वाले काम करते है!"
प्रकाश-"बेटा मामी को बैल नहीं कहते,गाय कहो गाय वो भी बड़ें बड़े स़ीगों वाली,जिसके सींग भी दिखाई नहीं देते!"
ये सुन और प्रकाश जी को हंसता देख अयाना ने माथा पीट लिया-"आप नहीं सुधरने वाले,पक्का पिटेगें मामी जी से!"
प्रकाश जी-"शुभ शुभ बोलो बेटा,अच्छा लगेगा क्या मामा मामी से पिटते हुए!"
अयाना हंस दी-"बिल्कुल नहीं,अच्छा अब जल्दी से चाय पीकर बताईऐ कैसी बनी है!"
प्रकाश जी चाय का घूंट भरते है-"थैंक्स बेटा!"
अयाना-"थैंक्स क्यूं?"
"दिन की शुरूआत जब मेरे खरगोश के हाथ की अच्छी सी चाय से होती है,जिसके चलते मेरा पूरा दिन बहुत अच्छा जाता है,थैंक्स तो बनता है ना"
बोले प्रकाश जी ने अयाना के सिर पर हाथ रख दिया!
अयाना कुछ कहती कि सविता जी बोल पड़ी-
"बातों के अलावा और भी काम होते है अयाना
जो जरूरी होते है!"
अयाना -"जी मामी,अभी नाश्ता बनाने जा रही हूं
मामा जी आप मामी जी के साथ चाय पिजिए!"
प्रकाश जी-"हम्म!"
अयाना-"मैं आती हूं!"
प्रकाश जी-"खरगोश?"
अयाना-"हां!"
प्रकाश जी-"जीजी ठीक है!"
अयाना-"जी,मां ठीक है और अभी सो रहे है,पिहू के लिए ब्रेकफास्ट बना दूं फिर मां को देखूंगी!"
प्रकाश जी-"पहले देख लो?"
"मामा जी पिहू का एग्जाम है आज,पहले नाश्ता बना दूं,फिर देख लूंगी,तबतक मां उठ भी जाएगें'
बोल अयाना वहां से चली गयी!
उसके जाते ही प्रकाश जी सविता जी से-"ये तुम ठीक नहीं करती हो सविता!"
सविता जी-"मैनैं क्या किया जी?"
प्रकाश जी सविता जी के पास चले आये-"क्या किया?एक बच्ची को सुबह सुबह उसकी मां का चेहरा तो देख लेने दिया करो,जानती हो ना तुम
राजश्री जीजी को सुबह सुबह देखना खरगोश को कितना पंसद है!"
"हां तो देख लेगी,सुबह हुई ही है अभी कौन सी रात हो गयी,और जीजी कहां जाने वाली है जो बाद में चेहरा देख ना पाएगी,वैसे भी जीजी सो रही है,अयाना पास जाती तो वो उठ जाती,उन्हें आराम की जरूरत है ना,बस यही सोच अयाना से कहा मैनैं बाद में देख लेना जीजी को,मैं कुछ
अच्छा करूं ना तब भी पिहू के पापा आप ऐसा ही कहेगें ठीक नहीं करती हो तुम सविता(कुर्सी से उठते)मैं कहां कुछ ठीक करती हूं,मैं तो सब गलत ही करती हूं सबके साथ गलत करती हूं!"
प्रकाश जी-"सविता मैनैं ऐसे तो नहीं बोला!"
"आप कैसे बोले और क्या बोले मुझे सब पता है जी,आपको तो सिर्फ आपकी जीजी और भांजी ही दिखती है,सविता कहां नजर आती है इसलिए
आप तो रहने ही दिजिए,आराम से अपनी चाय पिजिए,चाय ठंडी हो गई तो आपके खरगोश को फिर से चाय बनाने की जहमत उठानी पड़ेगी जो
आपको अच्छा नहीं लगेगा!.....बोल सविता जी वहां से चली गयी!
उनको जाते देख प्रकाश जी ने आह भरते दायें बाये़ं गर्दन हिला दी-"काश,.....तुम समझ पाती सविता अयाना की भावना को,वो बच्ची जो हर पल सबको खुश रखने के जतन म़ें लगी रहती है,
जिसकी मां जो उसके लिए उसका सब है रब है,
चाहकर भी वो अपनी बीमार मां के पास जा नहीं पाती,जाना चाहे तो तुम उसे और कामों में लगा देती हो,क्या बीतती होगी अयाना पर जब जीजी को तकलीफ में देखती है,देखती है अपनी मां को राह तकते कब उसकी बेटी उसके पास आए,क्या बीतती होगी जीजी पर जिस बेटी को राजकुमारी जैसे पाला है उन्होनें,ममता,लाड़-प्यार न्योछावर कर बड़े ही नाजों से बड़ा किया है,जिसको तुमने मशीन बनाकर रख दिया है(नम हो चली आखों को मूंदते हुऐ) वक्त से पहले और हालात के आगे फूल सी बच्ची अचानक बड़ी और समझदार हो गयी हैं,तुम्हें नजर क्यूं नहीं आता है सविता,क्यूं
उसके हिस्से की छोटी सी खुशी भी तुम्हें गंवारा नहीं!"
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अयाना नाश्ता बना अपनी मां के कमरे में आती है कमरे में मध्यम सी रोशनी थी,अयाना ने कमरे में आते ही पर्दे हटाकर खिड़की को खोली और मुड़कर मुस्कुराते हुए बैड की ओर देखा!
बैड पर अयाना की मां राजश्री जी सो रही थी जो अभी तक न उठी थी,चेहरे से साफ पता चल रहा था उनकी हालत बहुत कमजोर है,उनका चेहरा पीला पड़ा हुआ था,अपनी मां की इस हालत को देख अयाना की आखं छलक गई और वो उनको लेकर परेशान होते मन ही मन खुद से बोली-"दो महीने पहले की ही बात है मां का चेहरा कितना खिला खिला सा लगता था,बड़ा ही प्यारा निखार छाया रहता था,परेशानी की एक सिकन भी माथे पर ना थी ना कोई दर्द ना ही कोई तकलीफ बदन में,मन की उदासी थी भी तो कभी जाहिर न होने दी ना ही कभी कोई दुख खुद पर हावी होने दिया
मुस्कुराते हुए सबका ख्याल रखना ,सबको खुश रहना और सबक़ो खुश देख खुद बहुत खुश होना पर इस कैंसर की बीमारी ने क्या हालत कर दी है मां आपकी ,पूरा शरीर नीला पड़ गया है ,जो एक पल रूकती ना थी वो अब बिस्तर से हिल भी ना पाती है,मुस्कुराना तो आप मानों भूल ही गई हो
,मुस्कुराएं भी कैसे जब इतना दर्द हो,आपको दर्द में देख मुझे इतनी तकलीफ होती है तो आप तो सहती हो वो दर्द पर कोई बात नहीं मां आपकी अयू,ना आपको हारने देगी ना खुद हारेगी, आप
का इलाज करवाऊंगी,अपनी मां को पहले जैसा करूंगी और आपको ठीक होना होगा,मुझे सुबह सुबह आपका उठाना और आपके हाथ की चाय बहुत मिस कर रही हूं मां,आप जल्दी से ठीक हो जाओ और वो सब करो जो आपको अच्छा बहुत लगता है!"
अयाना ने हल्का सा मुस्कुराते अपनी आखों को पौंछा पर तभी थोड़ा सा परेशान होते खुद से वो फिर बोली-"इस इलाज के लिए बहुत,बहुत पैसे चाहिऐ मां,इन दो महीनों में जो भी था सब लगा चुके है मामा जी,इस उम्मीद में कि आप जल्द से जल्द ठीक हो जाएगी,...बस अब एक ऑपरेशन है जिससे बहुत उम्मीद जुड़ी है मां और विश्वास है कि ये ऑपरेशन हो गया तो आप पक्का ठीक हो जाओगी बिल्कुल पहले की तरह,जिसके लिए लाखों रूपये चाहिए,मां कुछ सोचा है मैनैं,देखते है .........अब कौन हमारा मददगार होता है!"
तभी कमरे के दरवाजे की ओर से आवाज आई-
"माहिर खन्ना!"
ये सुन अयाना ने फट से दरवाजे की ओर देखा,
वहां पिहू खड़ी थी,अयाना ने हैरानी से पिहू की ओर देखा और हाथ के इशारे से पूछा-"क्या है?"
तभी पिहू तेजी से चलती अयाना के पास आई और हाथ में पकड़ी मैगजीन अयाना के सामने करते हुए बोली-"ये देखो दी....मैगजीन के फ्रंट पेज पर किसका फोटो छपा है माहिर खन्ना का
पुणे का सबसे हॉट हैंडसम बेच्लर बंदा,जो टॉप बिजनेसमैन ही नहीं हॉट मैन भी है(अपने दिल पर हाथ रखते हुए) हाय!"
ये सुन अयाना ने पिहू की ओर देखते ना में सिर हिलाया और बिना देखे ही अपने सामने से उस मैगजीन को हटा दिया जो पिहू उसे दिखा रही थी!
"अरें अयू दी देखो ना कितना हैंडसम लग रहा है इस लुक में"..... पिहू मैगजीन की ओर एकटक देखते फिर बोली!
"मुझे नहीं देखना तुम ही देखो और तुम ना धीरे बोलो मां सो रहे है पिहू?"कहते अयाना बैड के पास आई और राजश्री जी को ठीक से ब्लेंककेट ओढा़ने लगी!
तभी पिहू बैड की ओर आई और थोड़ा जोर से बोली-"अयू दी आपको दिखाने थोड़ी आई हूं मैं ये मैगजीन ,ये तो मैं अपनी प्यारी बुआ के लिए लाई हूं,जैसे मुझे पंसद है माहिर खन्ना वैसे मेरी बुआ को भी तो पंसद है,बुआ से मिलवाने लाई हूं मैं इस माहिर खन्ना(मुस्कुराते हुए हाथ में पकड़ी मैगजीन को चूमते)को!"
पिहू को यूं जोर से बोलते देख अयाना ने अपना माथा पीटा और मुंह पर अंगुली रखकर "हीश्श" किया और धीरे से पिहू से फिर कहा -"पिहू मां सो रहे है चुप करो!"
"सोते तो पूरा दिन ही रहते है बुआ, ये उठने का टाइम है अयू दी और इतना भी नहीं सोने देना है कि मेरी बुआ सोते सोते बोर ही हो जाए सो यू हीश्श(अपने मुंह पर अंगुली रख)"कहते पिहू ने राजश्री जी को देखा जो पिहू की तेज आवाज से उठ गई थी!
अयाना फिर अपना माथा पीट लेती है-"जगा ही दिया तुमने पिहू मां को!"
पिहू ने अयाना को बतीसी दिखाई और राजश्री जी की ओर देखते प्यार से बोली-"गुड मॉर्निंग बुआ!"
राजश्री जी ने अपनी आखें खोल पिहू की ओर देखा और हल्का सा मुस्कुराते हां में सिर हिला दिया!
पिहू-"इतनी देर तक कौन सोता है बुआ?"
राजश्री जी-"ये दवाईयां बेटा,ना लो तो नींद नहीं आती और ले लो तो जाग नहीं आती!"इतना ही कहा कि राजश्री जी को खांसी आने लगी!
अयाना ने"मां........पिहू पानी दो"कहते राजश्री जी को संभाला,कंधो से पकड़कर,कमर के पीछे तकिया लगाया,फिर उन्हें बैड से टिकाकर अच्छे से बिठाया और पिहू के हाथ से पानी लेकर उन्हें पानी पिलाया-"ठीक हो ना मां!"
राजश्री जी हां में सिर हिलाती है,अयाना गिलास पिहू को पकड़ा,उनके पास बैठी और उनके चेहरे पर बिखरे बाल संवारते हुऐ बोली-"इस शैतान ने आपको उठा ही दिया मां!"
"तो सही किया ना उठा दिया,तेरा बस चले तो मुझे सारा दिन सुलाकर ही रखे"पिहू का हाथ पकड़ उसको अपने पास बिठाते राजश्री जी ने
कहा!
पिहू-"सुना अयू दी,तभी तो मैं अपनी बुआ की फेवरेट हूं ,है ना बुआ?
राजश्री जी-"हां मेरी लाडली है मेरी पिहू!"
तभी पिहू ने अयाना को ठेंगा दिखाया तो अयाना भी पिहू की ओर थोड़ी जीभ निकाल देती है और फिर राजश्री जी के हाथों को अपने हाथों म़ें लेते अयाना उनसे बोली-"नहीं..... मां मैं तो खुद नहीं चाहती आप लेटी रहो,आराम की जरूरत होती है तभी आराम करो कहती हूं,वो तो आप सो रहे थे आराम से तो नहीं उठाया,...सोचा थोड़ी देर और सो लेगें पर इस पिहू की बच्ची को तो बस अपनी करनी होती है....खैर मां आज दोपहर को हम ना डॉक्टर से मिलने वाले है,देखते है वो क्या कहते है!"
ये सुन राजश्री जी उदास हो एकटक अयाना की ओर देखने लगी,तभी अयाना ने राजश्री जी के कंधे पर हाथ रखा-"क्या हुआ मां आप ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे?"
(क्रमशः)
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