अर्जुन ने अपनी स्कॉच का गिलास टेबल पर रखा, झुककर फाइल उठाई और संजीदगी से ध्रुवी की ओर देखते हुए कहा, “वैसे तो हम आपको बता चुके हैं...कि आखिर हम आपसे चाहते क्या हैं...लेकिन फिर भी अगर आप हमारी जुबानी ही यह सुनना चाहती हैं...तो यही सही... (फाइल की ओर इशारा करते हुए) ...इस कॉन्ट्रैक्ट में लिखी बातों और शर्तों के मुताबिक...अगले कुछ अरसे के लिए...(एक पल रुककर)...आपको हमारे साथ...हमारे घर में...हमारी पत्नी बनकर रहना होगा।”
ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनी तो उसका पारा एक बार फिर गरम हो गया।
ध्रुवी (उबलते हुए गुस्से से), “आर यू मेड और व्हाट??? दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा? मैं...मैं तुम्हें जानती नहीं...पहचानती नहीं...और तुम्हें लगता है...कि सिर्फ तुम्हारे कहने भर से ही...मैं जैसे बस यूँ ही मुँह उठाकर तुमसे शादी कर लूँगी? (ध्रुवी कुढ़कर) अगर तुम्हें थोड़ा भी लगता है...कि मैं तुम्हारी इस बकवास या फिजूल सी वाहियात शर्त को मानूँगी...तो यह सिर्फ तुम्हारी गलतफहमी ही नहीं...बल्कि पागलपन भी है...जिसे सही करने के लिए आई थिंक तुम्हें जल्द से जल्द एक अच्छे और बेहतर दिमागी डॉक्टर की खास जरूरत है!”
अर्जुन (बिना किसी गुस्से या नाराजगी के, सामान्य भाव से), “हमें किस चीज की जरूरत है या नहीं...वह हम देख लेंगे...लेकिन जैसा कि हमने पहले भी कहा...और फिर से वही कहेंगे...कि आप इस वक्त किसी भी कंडीशन को ना मानने या रखने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं हैं...सो यू हैव नो ऑप्शंस!”
ध्रुवी (अपनी मुट्ठियों को गुस्से से कसकर भींचते हुए), “अपने आर्यन को तो मैं जैसे-तैसे बचा ही लूँगी...(गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए)...लेकिन उसके बाद जो मैं तुम्हारा हश्र करूँगी ना...यू कांट इवन इमेजिन मिस्टर अर्जुन...(वार्निंग भरे लहजे से)...जस्ट रिमेंबर दिस!”
इतना कहकर ध्रुवी गुस्से से वहाँ से जाने के लिए मुड़ी और बिना रुके आगे बढ़ गई। लेकिन दरवाजे पर ही उसके कदम ठिठक कर रुक गए जब उसके कानों में आर्यन की आवाज पड़ी। आर्यन की आवाज कानों में आते ही ध्रुवी बिना एक पल की भी देरी किए जल्दी से आर्यन को देखने की ख्वाहिश से पीछे की ओर मुड़ी। उसने देखा कि सामने एक बड़ी सी स्क्रीन पर आर्यन की एक लाइव वीडियो चल रही थी जिसमें आर्यन पहले की भांति बंधा हुआ था। उसकी आँखों पर भी काले रंग की पट्टी बंधी थी और शायद आर्यन ने खुद को छुड़ाने की जद्दोजहद में विरोध भी किया था और तभी इन लोगों ने उस पर हाथ भी उठाया था जिसकी वजह से आर्यन के चेहरे पर कुछ ताज़ा चोटों के निशान भी थे। और इसी के साथ एक आदमी आर्यन की कनपटी पर तमंचा ताने बस एक इशारे के इंतज़ार में खड़ा था, जो ज़ाहिर तौर पर अर्जुन का इशारा था। ध्रुवी ने जब यह देखा तो उसके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई और वह जल्दी से घबराहट भरे भाव के साथ स्क्रीन की ओर बढ़ गई और नम आँखों से आर्यन का चेहरा देखते हुए, स्क्रीन को अपनी उंगलियों से छूते हुए, आर्यन को महसूस करने की कोशिश करने लगी।
आर्यन (खुद को छुड़ाने के लिए लगभग छटपटाते हुए), “कौन हो तुम लोग? और चाहते क्या हो मुझसे? जाने दो मुझे...आखिर क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा? (एक पल रुककर) प्लीज जाने दो मुझे...शादी है आज मेरी...मेरी ध्रुवी इंतज़ार कर रही होगी मेरा? (छटपटाकर) छोड़ो मुझे...जाने दो?”
आर्यन के सर पर बंदूक ताने खड़ा आदमी (आर्यन के सर पर रखी बंदूक के दबाव को बढ़ाते हुए), “अबे चुप कर...वरना यहीं तेरा भेजा खोल दूँगा...जब तक बोलने के लिए ना कहा जाए...तब तक जुबान मत खोलना अपनी!”
आर्यन (गुस्से से अपने हाथ छटपटाकर), “साले हाथ खोल मेरे...तब बताता हूँ तुझे तो मैं!”
आदमी (आर्यन के सर पर बंदूक से वार करते हुए), “एकदम चुप...अब अगर तेरी आवाज निकली...तो हमेशा के लिए तेरी आवाज़ बंद कर दूँगा...समझा!”
आर्यन के सर पर उस आदमी के वार करने और आर्यन के माथे से खून निकलता देख ध्रुवी दर्द और तकलीफ के साथ नम आँखों से उसका नाम पुकारते हुए लगभग चीख उठी। लेकिन उसकी कोई भी चीख या पुकार इस वक्त आर्यन और उसके कानों की पहुँच से बहुत दूर थी। ध्रुवी बस बेबसी और दर्द से खुद में ही तड़पती रह गई। कुछ पल तक जिस ध्रुवी की आँखों में जला देने वाले गुस्से की आग थी, अब आर्यन को इस हाल में देखकर उसी ध्रुवी की आँखों में बेबसी, तकलीफ और दुख के आँसू थे। ध्रुवी नम आँखों से बस एकटक स्क्रीन पर अपनी उंगलियाँ आर्यन के चेहरे पर फेरते हुए उसे ही देखे जा रही थी। उसकी तंद्रा तब टूटी जब अचानक ही वह स्क्रीन ब्लैंक हो गई। उसने वापस से अपनी उंगलियाँ स्क्रीन पर फिराई, लेकिन स्क्रीन अब ज्यों की त्यों ब्लैंक ही रही। तब ध्रुवी ने अब अपनी नज़रें पूरे ठाठ-बाट के साथ, ब्लैंक एक्सप्रेशन के साथ कुर्सी पर बैठे अर्जुन की ओर की, जिसके चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था। लेकिन ध्रुवी को अपनी ओर देखते हुए अचानक ही उसके चेहरे के भाव संजीदा और गंभीर हो गए।
अर्जुन (बेहद संजीदगी और गंभीरता के साथ), “हमने सोचा था कि आपके साथ नरमी बरतें...आपको आराम से अपनी बात समझाएँ...लेकिन आपने और आपके लफ़्ज़ों ने ही हमें मजबूर किया है...कि हम आपके साथ कोई भी...या किसी भी तरह की कोई रियायत ना बरतें...तो अब हम ज़्यादा घुमा-फिराकर बातें ना करते हुए...सीधा मुद्दे पर आते हैं...(अपने फ़ोन की ओर इशारा करते हुए सख्त भाव से)...हमारे फ़ोन की रिंग बजने तक का समय है आपके पास...अपना फ़ैसला लेने के लिए...वरना फिर हम भी बिना देरी किए...अपने लोगों को अपना आखिरी फ़ैसला सुना देंगे...और फिर अपने आर्यन की मौत की ज़िम्मेदार आप खुद होंगी!”
ध्रुवी (घबराकर, डर भरे भाव से), “प्लीज...प्लीज...छोड़ दो मेरे आर्यन को...चाहें तो मेरी जान ले लो...तुम जो चाहते हो...वह मैं नहीं कर सकती...तुम जानते हो मैं अपने आर्यन को कितना ज़्यादा चाहती हूँ...और उसके बगैर बिल्कुल भी एक पल भी ज़िंदा नहीं रह सकती...तो मैं तुम्हारी शर्त मान भी सकती हूँ...तुम ऐसी उम्मीद भी कैसे रख सकते हो मुझसे?”
अर्जुन (सख्त मगर ठंडे भाव से), “जानते हैं हम कि आप बहुत चाहती हैं अपने आर्यन को...और हम यह भी जानते हैं कि उन्हीं की खातिर...आप कुछ भी करेंगी...यकीनन हमारी शर्त भी मानेंगी...और रही बात इस कॉन्ट्रैक्ट की...तो आपका इस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करवाने का हमारा सिर्फ़ एक ही मकसद है...और वह है सिक्योरिटी...हम आप पर यूँ ही भरोसा हरगिज नहीं कर सकते...आप भले ही इस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करेंगी...और दुनिया के लिए हमारी बीवी बनेंगी...लेकिन हमारे घर में...आप हमारे लिए सिर्फ़ आर्यन की अमानत होंगी...यह हमारा आपसे वादा है...(एक पल रुककर)...और डोंट वरी बस कुछ ही अरसे की बात है...जैसे ही हमारा मकसद पूरा होगा...आप वापस से अपनी दुनिया में लौट सकती हैं...और अपने आर्यन के साथ हँसी-खुशी अपनी बाकी की पूरी ज़िंदगी गुज़ार सकती हैं...और हम आपसे वादा करते हैं...कि फिर कभी दुबारा आपकी ज़िंदगी में किसी भी तरह की दखलअंदाज़ी नहीं देंगे...यह ज़ुबान है आपको अर्जुन राणावत की...और हम जान दे सकते हैं...मगर अपनी ज़ुबान गिरने नहीं दे सकते!”
ध्रुवी (असमंजस भरे मिले-जुले भाव से), “लेकिन अपने काम के लिए आपको हज़ारों लड़कियाँ मिल जाएँगी...फिर मैं ही क्यों?”
अर्जुन (गंभीर भाव से), “हम्मम मिल जाएँगी...लेकिन आपसे यह काम कराने की एक खास और बड़ी वजह है हमारे पास...(ध्रुवी के चेहरे पर असमंजस भरे भाव देखकर)...आएँ हमारे साथ...समझाते हैं हम आपको!”
अर्जुन के कहे अनुसार ध्रुवी उसके साथ एक कमरे की ओर बढ़ गई, शायद जहाँ इस वक्त उसके मन में उठ रहे हज़ारों सवालों और उलझनों के जवाब आज उसे मिलने थे।
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