अर्जुन के कहने पर ध्रुवी उसके साथ एक कमरे की ओर बढ़ी। शायद वहीं पर उसके मन में उठ रहे हज़ारों सवालों और उलझनों के जवाब उसे मिलने वाले थे। इसीलिए अर्जुन के कहने पर ध्रुवी बिना किसी सवाल के उसके साथ एक कमरे की ओर बढ़ गई। अर्जुन ने कमरे का दरवाज़ा खोलकर ध्रुवी को अपने पीछे अंदर आने का इशारा किया। ध्रुवी बिना कोई सवाल किए उस कमरे में चली गई। और जैसे ही ध्रुवी ने कमरे में कदम रखा और अर्जुन ने ध्रुवी को सामने दीवार की ओर देखने का इशारा किया, तो अगले ही पल सामने का नज़ारा देखकर ध्रुवी के चेहरे के भाव, जो कुछ पल पहले तक असमंजस भरे थे, वे अब अचानक ही बेहद शॉक्ड और हैरानी से भर गए। सामने की दीवार पर एक बहुत बड़ी तस्वीर लगी थी और उस तस्वीर में हूबहू ध्रुवी का ही चेहरा था। बस उस तस्वीर और ध्रुवी के पहनावे में बेहद फ़र्क था। जहाँ एक तरफ़ ध्रुवी मॉडर्न और नए जमाने के कपड़े पहनती थी, वहीं दूसरी तरफ़ उस तस्वीर में ध्रुवी ने किसी शाही घराने की राजकुमारी की तरह शाही और कीमती कपड़े पहने हुए थे और वह पूरी तरह महंगे और कीमती गहनों से लदी हुई थी। उसके काले घने लंबे बाल उसके एक कंधे पर इकट्ठे थे और उसके चेहरे पर ढेर सारी मासूमियत के साथ एक बेहद खूबसूरत मुस्कान भी बरकरार थी। वह तस्वीर देखकर ध्रुवी को समझ ही नहीं आया कि आखिर उसकी तस्वीर यहाँ क्या कर रही है और किसने उसे बनवाया। उसके चेहरे पर आए असमंजसता के भाव पढ़कर आखिर में अर्जुन ने अपनी चुप्पी तोड़ी।
"क्या सोच रही हैं आप?" अर्जुन ने ध्रुवी के चेहरे के असमंजस भरे भाव पढ़ते हुए पूछा।
"ये तो मेरी तस्वीर है, मगर ये यहाँ क्या कर रही है? और जहाँ तक मुझे याद है, मैंने कभी भी ऐसी कोई तस्वीर नहीं खिंचवाई है। तो फिर ये सब? और सबसे बड़ा सवाल कि मेरी ये तस्वीर आपके घर में क्या कर रही है?" ध्रुवी ने असमंजस से भरे मिले-जुले भाव से कहा।
"बेहक इस तस्वीर का चेहरा आपका है और बखूबी आपसे मिलता भी है, लेकिन जितना बड़ा ये सच है, उतना ही बड़ा सच ये भी है कि इस तस्वीर में जो लड़की है, उसका चेहरा आपका है, लेकिन वो आप नहीं है!" अर्जुन ने मिले-जुले भाव से मगर गंभीरता के साथ कहा।
"मतलब मैं... मैं नहीं हूँ? आप कहना क्या चाहते हैं आखिर? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा?" ध्रुवी ने असमंजस भरे भाव से कहा।
"शायद ये बात आपको बहुत संजीदा और उलझी हुई सी मालूम पड़ रही होगी, पर असल में बात बहुत सिंपल और सीधी है।" अर्जुन ने ध्रुवी की असमंजसता को भांपते हुए कहा। “और बात सिर्फ़ इतनी सी है कि इस तस्वीर का चेहरा आपसे मिलता ज़रूर है, लेकिन ना तो ये तस्वीर आपकी है और ना ही इस तस्वीर में नज़र आ रही लड़की आप हैं। बल्कि यह तस्वीर जिनकी है... वो है हमारी पत्नी अनाया की है!”
"आपकी पत्नी?" ध्रुवी ने असमंजस भरे भाव को बरकरार रखते हुए पूछा।
"हाँ, हमारी पत्नी अनाया... अनाया प्रताप सिंह राणावत!" अर्जुन ने स्पष्ट जवाब दिया।
"तो फिर आपकी पत्नी हैं कहाँ? और आखिर आपसे और आपकी पत्नी से मेरा क्या लेना-देना है? और आप लोग मुझसे क्या चाहते हैं?" ध्रुवी ने अपनी असमंजसता को बरकरार रखते हुए पूछा।
"आपसे हमारी पत्नी कुछ नहीं चाहती, बल्कि आपसे हमारा लेना-देना है, क्योंकि कुछ अरसे पहले एक हादसे में हमारी पत्नी अनाया का देहांत हो गया और अब वो इस दुनिया में नहीं है!" अर्जुन ने दुखी और टूटे हुए लहज़े के साथ कहा।
"ओह! सॉरी फॉर योर लॉस।" ध्रुवी ने एक पल के लिए अफ़सोस भरे लहज़े में कहा। “लेकिन आपके साथ जो कुछ भी हुआ, उसका मेरी ज़िंदगी से आखिर क्या लेना-देना है? और आप असल में मुझसे चाहते क्या हैं?”
"हमारी पत्नी के बारे में तो आप जान ही चुकी हैं और अब आप यह भी अच्छे से समझ ही चुकी हैं कि आपकी और हमारी पत्नी की शक्ल बिल्कुल एक जैसी है। मतलब आप एक-दूसरे की हमशक्ल हैं!" अर्जुन ने संजीदगी से कहा।
"हाँ, लेकिन आप ये सब मुझे क्यों समझा रहे हैं?" ध्रुवी ने पूछा।
"क्योंकि जिस मकसद के लिए हम आपको अपने साथ ले जाना चाहते हैं, उस मकसद को पूरा करने के लिए आपको हमारे निजी जीवन और हमारी पत्नी के बारे में पूर्ण जानकारी होना बेहद ज़रूरी है।" अर्जुन ने ध्रुवी की ओर देखते हुए कहा। ध्रुवी बस खामोशी से असमंजस भरे भाव से अर्जुन की ओर देख रही थी। “दरअसल हमारी पत्नी अनाया इंडिया में रायगढ़ रियासत की इकलौती वारिस थीं। उनके पिता की मृत्यु होने के बाद वही वहाँ की रानी बन गईं। अपने पिता की मृत्यु के बाद अनाया ने अपनी रियासत की सारी ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली। मगर अनाया के कुछ रिश्तेदार और करीबी लोगों की हमेशा उनकी रियासत और उनकी दौलत पर नज़र रही। और अनाया के पिता के जाने के बाद उन लोगों की धाक उनकी दौलत और रियासत पर और भी ज़्यादा घातक और गहरी हो गई। लेकिन अनाया ने हमेशा अपनी सूझ-बूझ के सहारे अपनी रियासत की रक्षा की और अपने पिता और पूर्वजों की मेहनत से खड़ी की गई इस सारी संपत्ति और विरासत की रक्षा करती आईं, जिसमें हमने भी उनका पूरा सहयोग किया। लेकिन जैसा कि हमने आपको बताया कि कुछ अरसे पहले एक हादसे में हमारी मिष्टी (अनाया) इस दुनिया से चल बसी। उसके बाद हमने अपनी मिष्टी की ज़िम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश की, लेकिन क्योंकि हम अनाया के पति हैं और उनके पूर्वजों से हमारा कोई खूनी रिश्ता नहीं है, इसीलिए उनकी संपत्ति या अधिकारों पर हमारा कोई हक या हस्तक्षेप नहीं होगा। इस बात को बल बनाकर अनाया के कुछ रिश्तेदार और करीबी लोग हमें अलग हटाकर अपना मकसद पूरा करना चाहते हैं और उनकी रियासत और संपत्ति को हड़पकर अपनी लालसा पूरी करना चाहते हैं। हम अब तक जैसे-तैसे करके उन लोगों से अनाया की इस अमानत को बचाते आए हैं, लेकिन अब हर बढ़ते दिन के साथ हमारे लिए यह मुश्किल बढ़ती ही जा रही है और वो लोग ना सिर्फ़ अपने लालच में आकर उस संपत्ति को हड़पना चाहते हैं, बल्कि हमारी मिष्टी के एकमात्र सपने को भी तोड़ना चाहते हैं!”
"कैसा सपना?" ध्रुवी ने अनायास ही पूछा।
"हमारी और मिष्टी की एक बेटी है और मिष्टी की दिली ख्वाहिश थी कि उनके बाद उनकी बेटी उनकी रियासत की वारिस बनकर उस रियासत की बागडोर अपने हाथों में ले। लेकिन क्योंकि हमारी बेटी अभी बहुत छोटी और नासमझ है, तो उन लोगों ने इस बात को भी मुद्दा बनाकर साइड कर दिया है और शायद जब तक वो इस काबिल होगी कि वो अपनी माँ के एकमात्र सपने को पूरा कर सकें, तब तक शायद ये लोग हमारी मिष्टी के सपने के साथ ही उनकी धरोहर और अमानत को भी पूरी तरह बर्बाद कर चुके होंगे!" अर्जुन ने एक गहरी साँस लेकर गंभीर भाव से कहा।
"तो इस सब में मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ? या मुझसे आप चाहते क्या हैं?" ध्रुवी ने गंभीर भाव से पूछा।
"इस मामले में आप चाहे तो हमारी बहुत मदद कर सकती हैं और सच कहें तो सिर्फ़ आप ही हैं जो सिर्फ़ हमारी मदद कर सकती हैं।" अर्जुन ने ध्रुवी की ओर अपना रुख करते हुए कहा। “हमारी पत्नी की जब मृत्यु हुई तो हम इंडिया से बाहर थे और वो मनहूस दिन हमारी ज़िंदगी का सबसे बुरा और भयानक दिन था और आज भी उस मनहूस दिन की मनहूस यादें हमारे जहन में ज्यों की त्यों ताज़ा हैं। हमें आज भी याद है कि उस दिन हमारी मिष्टी कितनी खुश और एक्साइटेड थी और हम भी अपनी मिष्टी को देखकर खुश थे, इस बात से बिल्कुल अनजान कि वो मनहूस दिन हमारी ज़िंदगियों को ना सिर्फ़ पूरी तरह बिखेर कर रख देने वाला था, बल्कि हमारे छोटे से प्यार के घरौंदे को पूरी तरह तबाह करके रख देने वाला था!”
(ब्लास्ट फ्रॉम दी पास्ट......(अर्जुन के पॉइंट ऑफ़ व्यू(POV) से.....!!)
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