(ब्लास्ट फ्रॉम दी पास्ट…..!!)
सूरज ढल चुका था। रात गहराने लगी थी, लेकिन चाँद बादलों के पीछे छिपामाछिपाई खेल रहा था। तेज हवाओं के बीच हल्की-हल्की बूँदाबांदी हो रही थी। अर्जुन खिड़की के सहारे खड़ा हुआ, अपनी बेटी अव्या को प्यार से बाहों में थामे, बाहर का खूबसूरत नजारा देख रहा था। तभी अनाया पीछे से आकर अर्जुन को गले से लगा लिया। अर्जुन ने अनाया के एहसास को महसूस किया और मुस्कुराते हुए उसे आगे लाते हुए, एक हाथ से अव्या को थामे हुए, दूसरे हाथ से अनाया को अपने आगोश में भर लिया। अनाया ने अपना चेहरा अर्जुन के सीने में छुपाते हुए उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया।
अर्जुन (मुस्कुरा कर): “क्या बात है? आज आप हम पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही हैं?”
अनाया (अपना चेहरा उठाकर अर्जुन की ओर देख कर): “क्यों? हमें अपने साहिब पर प्यार जताने के लिए भी अब किसी वजह की ज़रूरत है?”
अर्जुन (मुस्कुरा कर): “नहीं, बिल्कुल नहीं। बल्कि हम तो चाहते हैं कि आपकी ऐसी मेहरबानी हम पर हर लम्हा, हर पल यूँ ही बनी रहे और आप एक लम्हे के लिए भी कभी हमसे दूर ना जाएँ।”
अनाया (मुस्कुरा कर): “हम अपनी आखिरी साँस तक आपके साथ रहेंगे। बेहद मोहब्बत करते हैं हम आपसे।”
अर्जुन (मुस्कुरा कर): “हम्मम्… लेकिन हमसे कम!”
अनाया (अर्जुन की ओर देखकर मुस्कुरा कर): “हम्मम्… अगर सच में ऐसा है, तो फिर चलिए हमारे साथ और प्रूव कीजिए अपनी मोहब्बत?”
अर्जुन (असमंजस से): “मगर कहाँ?”
अनाया (बाहर की ओर इशारा करते हुए खुशी भरे भाव से): “देखिए ना साहिब, कितना सुहावना और खूबसूरत मौसम है! (बच्चों की तरह मचलते हुए) चलिए ना साहिब बाहर चलते हैं?”
अर्जुन (अनाया की ओर देखकर): “लेकिन मिष्टी, बाहर मौसम खराब है। हम सुबह लेकर चलते हैं ना आपको, जहाँ भी आप कहेंगी… (अपनी बेटी की ओर इशारा करते हुए)… और देखिये ना, अव्या भी सो चुकी है। तो कल चलते हैं।”
अनाया (मुँह लटका कर): “हम्मम्… ठीक है।”
अर्जुन (अनाया को मुँह लटकाते देख): “मिष्टी, अब आप उदास तो मत हों ऐसे। आप जानती हैं ना, हम आपके चेहरे पर बिल्कुल भी उदासी नहीं देख सकते। (एक पल रुक कर) अच्छा ठीक है, आप रुकिए। हम अव्या को उसके कमरे में सुलाकर आते हैं, फिर करते हैं आपकी ख्वाहिश पूरी।”
अनाया (खुशी से चहकते हुए): “जी ज़रूर, चलें हम भी चलते हैं आपके साथ।”
इतना कहकर अनाया भी अर्जुन के साथ अव्या के कमरे में सुलाने के लिए चली गई। अव्या के कमरे में जाकर अर्जुन ने उसे आहिस्ता से बिस्तर पर लेटाते हुए उसे ब्लैंकेट ओढ़ा दिया और अव्या की केयरटेकर को उसका ध्यान रखने को कहकर अर्जुन अनाया के साथ वहाँ से चला गया। अर्जुन और अनाया घर से निकलकर बाहर खड़ी गाड़ी की ओर बढ़ गए। लेकिन जैसे ही अर्जुन ड्राइविंग सीट पर बैठने लगा, अनाया ने उसकी बाजू थाम ली। अर्जुन ने अनाया को अपनी बाजू थामे देखा तो सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखा, जो बड़ी ही मासूमियत से उसकी ओर देख रही थी।
अर्जुन (सवालिया नज़रों से अनाया की ओर देखकर): “क्या हुआ है मिष्टी?”
अनाया (मासूमियत से): “गाड़ी हम ड्राइव करें साहिब?”
अर्जुन: “नहीं, आप नहीं करेंगी, हम ड्राइव करेंगे मिष्टी।”
अनाया (दुनिया भर की मासूमियत अपने चेहरे पर लिए हुए): “प्लीज़ साहिब… हमारी खुशी के लिए… प्लीज़!”
अर्जुन (एक गहरी साँस छोड़ते हुए): “वेल… आपके इस मासूमियत भरे अंदाज़ के आगे हम कभी जीत पाए हैं जो आज जीत पाएँगे। (गाड़ी की चाबी अनाया की ओर बढ़ाकर) लीजिए, कर लीजिए अपनी ख्वाहिश पूरी।”
अनाया (खुशी से चहककर गाड़ी की चाबी लेते हुए): “थैंक्यू सो मच साहिब! यू आर दी बेस्ट साहिब! यू आर दी बेस्ट!”
अनाया की बात सुनकर अर्जुन मुस्कुरा दिया और दोनों गाड़ी में बैठ गए। अनाया ने ड्राइविंग शुरू की और दोनों एक लॉन्ग ड्राइव के लिए निकल पड़े। दोनों आधे रास्ते पर ही पहुँचे थे कि अचानक ही बारिश तेज हो गई और रास्ते धुंधलाने लगे।
अर्जुन (चिंतित स्वर में): “मिष्टी, मौसम बहुत खराब है। अब आप हमें ड्राइव करने दीजिए।”
अनाया (खुशी से मुस्कुराते हुए): “साहिब आप क्यों परेशान होते हैं? हम संभाल लेंगे, आप बेफ़िक्र रहें, यकीन रखिए हमारा।”
अर्जुन: “जी… बस ध्यान से।”
अनाया (मुस्कुरा कर): “जी… डोंट वरी… (कुछ पल बाद) आपको पता है साहिब, हम आपसे बेहद मोहब्बत करते हैं, इतनी कि हम लफ़्ज़ों में बयाँ भी नहीं कर सकते और आपने हमारी ज़िन्दगी में आकर हमें जो खुशियाँ दीं, उसके लिए हम अपनी आखिरी साँस तक आपके ऋणी रहेंगे। (एक पल रुककर) और अब अगर हम मर भी जाएँ तो भी हमें कोई ग़म नहीं होगा, बशर्ते आपके हाथों को थामकर हम अपनी आखिरी साँस लें।”
अर्जुन (नाराज़गी भरे लहजे से): “क्या हो गया है मिष्टी आपको? और आप ये कैसी फ़िज़ूल बातें कर रही हैं? अगर दुबारा आपने ऐसी कोई बात अपनी जुबान पर लाई भी, तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा मिष्टी और आप हमेशा हमारे साथ रहेंगी, हमारी आखिरी साँस तक, कहीं नहीं जाएँगी आप और ना ही हम आपको कहीं जाने ही देंगे।”
अनाया (मुस्कुरा कर): “जानते हैं हम और आप तो बेवजह इतना गंभीर हो गए। हम तो बस यूँ ही कह रहे थे। (अर्जुन की ओर देखते हुए) बाकी हमारा आपसे दूर जाने का फ़िलहाल दूर-दूर तक भी कोई इरादा नहीं है।”
अर्जुन (मुस्कुरा कर): “और होना भी नहीं चाहिए, क्योंकि हम आपके उस इरादे को कभी पूरा होने भी नहीं देंगे।”
इतना कहकर मुस्कुराते हुए अर्जुन ने जैसे ही वापस सामने की ओर देखा, तो पैनिक होकर उसने अनाया का नाम पुकारा। अनाया ने अपनी नज़रें अर्जुन से हटाकर सामने देखा तो सामने से तेज रफ़्तार गाड़ी आते देख, उसने हाइपर होते हुए स्टीयरिंग को पूरा घुमा दिया और इसी के साथ गाड़ी एक गोल चक्कर खाते हुए, फिसलन की वजह से दूर तक घसीटती हुई चली गई और एक-दो पलटी खाकर गाड़ी वहीं कुछ दूरी पर पलट गई। जिस जगह इस वक्त ये लोग थे, यह कोई एक ऊँची पहाड़ीनुमा जगह थी और गाड़ी उस पहाड़ी से बस कुछ ही कदम की दूरी पर आकर पलटी थी। ऊपर से तेज बारिश और रात के अंधेरे की वजह से यहाँ लोगों का आना-जाना बिल्कुल ना के बराबर था और यही वजह भी थी कि इस वक्त इनकी गाड़ी के सिवा यहाँ और कोई दूसरी गाड़ी या लोग दूर-दूर तक भी नहीं नज़र आ रहे थे। अर्जुन का सिर गाड़ी के डैशबोर्ड से जोर से टकराने से कुछ पल तक उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया था और गाड़ी पलटने से कुछ देर उसे समझ ही नहीं आया था कि आखिर वह है कहाँ।
लेकिन थोड़ा होश आते ही अर्जुन को सबसे पहले अनाया का ही ख्याल आया। अर्जुन ने हड़बड़ाकर जल्दी से, मगर बड़ी मुश्किल से ड्राइवर सीट की ओर देखा क्योंकि गाड़ी उल्टी हो चुकी थी, इसीलिए अर्जुन के लिए हिलना भी मुश्किल हो रहा था। मगर जैसे-तैसे करके अर्जुन ने अनाया को देखने के लिए अपनी गर्दन ड्राइवर सीट की ओर घुमाई, लेकिन वह स्तब्ध होने के साथ ही बुरी तरह घबरा उठा जब उसने अनाया को गाड़ी में नहीं पाया। अर्जुन ने कुछ देर बाद बड़ी ही जद्दोजहद और मुश्किल से खुद को बाहर निकालने के लिए अपनी साइड की खिड़की को तोड़कर खोला और अनाया को खोजने के लिए जल्दी से गाड़ी से बाहर निकलने लगा, मगर गाड़ी की सीट के पास अर्जुन की दाईं टांग कहीं फँस गई थी, जिसे काफी जद्दोजहद के बाद भी अर्जुन छुड़ा नहीं पा रहा था। अर्जुन की आधी से ज़्यादा बॉडी गाड़ी से बाहर निकल चुकी थी, लेकिन उसकी टांग फँसे होने के कारण से वह पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाया और इसी वजह से वह अनाया को भी नहीं ढूँढ पा रहा था। उसने गुस्से से अपनी टांग को पूरी ताकत से खींचना चाहा, लेकिन सिवाय चोट पहुँचाने के उसे कोई हल नहीं हासिल हुआ और इसी के साथ उसकी टांग में से खून भी रिसने लगा। अर्जुन ने अपना फ़ोन ढूँढने के लिए अपनी जेब टटोली, मगर शायद फ़ोन भी गाड़ी में ही गिर गया था।
अर्जुन ने खुद को वापस गाड़ी के अंदर धकेला और शायद उसकी किस्मत अच्छी थी कि अपना ना सही, मगर अनाया का फ़ोन उसे सीट के पास गिरा मिला। अर्जुन ने मुश्किल से झुककर उस फ़ोन को उठाया और फिर गाड़ी से बाहर आया और उसने जल्दी से अपने कुछ लोगों को फ़ोन किया और उन्हें तुरंत मदद के लिए यहाँ आने को कहकर फ़ोन काट दिया। अब अर्जुन के पास सिवाय इंतज़ार के और कोई चारा नहीं था और अपनी मजबूरी को देखते हुए अर्जुन ने वहीं से ज़ोर से अनाया का नाम पुकारा और कई बार नाम पुकारने के बाद आखिर में अर्जुन को अनाया की कमज़ोर सी आवाज़ सुनाई दी, जिसे सुनकर अर्जुन ने दिशा की ओर ध्यान लगाने की कोशिश करते हुए एक बार फिर अनाया को पुकारा और इस बार आखिर में अर्जुन समझ गया था कि आवाज़ किस दिशा से आ रही थी और इस बात का एहसास होते ही अर्जुन की तो जैसे साँसें ही अटक गई थीं और घबराहट और अपनी पत्नी को खोने के डर से ही अर्जुन का दिल बेतहाशा डर और घबराहट से धड़क उठा था। अर्जुन के सामने, उससे कुछ दूरी पर एक गहरी खाई थी और अनाया की आवाज़ उसी के आस-पास से ही आ रही थी, जिसे सुन अर्जुन का गला डर से सूख गया था।
अर्जुन (घबराते हुए तेज आवाज से): “मि…मिष्टी…आ…आप ठीक तो हैं ना मिष्टी?”
अनाया जो गाड़ी से गिरकर पलटी खाते हुए उस खाईनुमा पहाड़ी के कोने पर जा गिरी थी, गाड़ी से गिरते वक्त अनाया के सर पर बहुत गंभीर चोट लग गई थी जिससे अब उसके शरीर में शक्ति और ऊर्जा कम हो गई थी। इसी के साथ उसके दोनों हाथों की कोहनियाँ और पाँव भी बुरी तरह घिसट लगने से छिल गए थे, मगर फिर भी उसने पूरी ताकत से एक पत्थर को पकड़कर रखे हुए था, मगर अपनी चोट और तेज बारिश और हवा की वजह से उसके लिए खुद को संभाले रखना और अपनी पकड़ उस पत्थर पर बनाए रखना बहुत ही मुश्किल हो रहा था। अनाया ने अर्जुन की आवाज़ सुनी तो जैसे एक राहत सी उसके सीने में उतर गई क्योंकि वह जानती थी कि उसका अर्जुन कुछ भी करके उसे बचा ज़रूर लेगा।
अनाया (थकी हुई और कमज़ोर आवाज़ में): “साहिब… साहिब… हम य…यहाँ हैं।”
अर्जुन (अपनी दूसरी टांग से गाड़ी में पूरी ताकत से टक्कर मारते हुए खुद को आज़ाद करने की जद्दोजहद करते हुए): “मिष्टी हम आ रहे हैं आपके पास।”
अनाया (भावुकता से): “साहिब… हमारे… हमारे हाथ छूट रहे हैं।”
अर्जुन (घबराकर अपनी टांग पर लगी चोट को नज़रअंदाज़ करते हुए खुद को छुड़ाने की लगातार जद्दोजहद करते हुए): “नहीं मिष्टी, नहीं… हाथ नहीं छोड़िएगा… हम… हम आ रहे हैं बस।”
अर्जुन ने खुद की टांग को आज़ाद कराने की जी जान से बेतोड़ जद्दोजहद की, लेकिन नाकाम ही रहा। हालाँकि उसकी टांग का थोड़ा सा हिस्सा बाहर आया, लेकिन टांग का निचला हिस्सा अभी भी किसी चीज़ में बुरी तरह फँसा हुआ था और उसी खींचतानी में उसकी टांग से बेहद खून भी रिसने लगा था। लेकिन जब अर्जुन की कोई भी जद्दोजहद या मेहनत काम नहीं आई, तो अर्जुन ने गुस्से से अपनी दूसरी टांग से कार में लात मारी और वह जहाँ तक भी खुद को लगभग घसीट सकता था, उसने ऐसे ही खुद को घसीटा क्योंकि वह उस पहाड़ी के किनारे से ज़्यादा दूर नहीं था, इसलिए वह थोड़ा खींचकर उस किनारे के छोर तक पहुँच गया था, लेकिन अनाया की पहुँच से वह अभी भी दूर ही था क्योंकि अनाया उस पहाड़ी के किनारे से थोड़ा नीचे ही उस पत्थर को थामे हुए लटकी हुई थी। अनाया ने जब अर्जुन को वहाँ देखा, तो वह भावुक हो उठी।
अनाया (भावुक होकर): “साहिब… साहिबा… हम मरना नहीं चाहते… हम आपके और अपनी गुड़िया के साथ जीना चाहते हैं… हम नहीं मरना चाहते साहिब।”
अर्जुन (नम आँखों और धड़कते दिल के साथ): “कुछ नहीं होगा मिष्टी आपको… कुछ भी नहीं… आप… आप हाथ दीजिए हमें।”
इतना कहकर अर्जुन ने अपना हाथ अनाया की ओर बढ़ाया, लेकिन क्योंकि अनाया उससे दूर थी, तो वह उसका हाथ ना थाम सका।
अर्जुन (अपना हाथ बढ़ाते हुए): “मिष्टी ऊपर चढ़ने की कोशिश कीजिए… हाथ बढ़ाएँ अपना हमारी तरफ़… आइए मिष्टी?”
अनाया (अर्जुन की ओर देखकर भावुकता से): “हम बहुत प्यार करते हैं साहिब आपसे… बहुत… और हम यही प्रार्थना करेंगे कि ईश्वर हमें हर जन्म आपको ही जीवनसाथी के रूप में हमें दे। अगर जाने-अनजाने हमसे कभी कोई भी भूल हुई हो साहिब या हमने आपका दिल दुखाया हो, तो हमें क्षमा कर दीजिएगा साहिब और हमारी लाडो का ख्याल रखिएगा… हमारे हर अधूरे सपने को आप साकार कीजिएगा साहिब।”
अर्जुन (भावुकता भरी नाराज़गी से): “क्या हो गया है मिष्टी आपको? आप क्यों ये फ़िज़ूल बातें कर रही हैं? बस कुछ देर… अपनी हिम्मत बनाए रखिए… हमारे लोग आते ही होंगे।”
अनाया (भावुक होकर): “अब और नहीं हो रहा हमसे साहिब… हमारे हाथ और हमारा शरीर दोनों हमारा साथ छोड़ रहे हैं।”
अर्जुन (घबराकर): “नहीं मिष्टी, नहीं… आपको हमारी सौगंध… आप इस पत्थर को थामे रखेंगी… आप अपनी हिम्मत नहीं खो सकती… आपको हमारे लिए… हमारी लाडो के लिए… अपनी हिम्मत रखनी होगी।”
अनाया ने अर्जुन की बात का कोई जवाब नहीं दिया, वह बस भावुकता से नम आँखों से अर्जुन की ओर देखती रही। अर्जुन की नज़र अनाया के हाथों पर थी जो धीरे-धीरे फिसल रहे थे। अर्जुन के पास अब कोई चारा नहीं था और वह लोगों का इंतज़ार भी नहीं कर सकता था। इसलिए उसने अनाया से खुद की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाने के लिए कहा। अनाया ने बिना किसी सेकंड थॉट के अर्जुन की ओर अपना हाथ बढ़ाने के लिए, एक हाथ से पत्थर को थामे हुए, खुद के पैरों से पहाड़ी पर ऊपर की ओर जोर लगाते हुए, अपना हाथ अर्जुन के हाथ में देने की पुरजोर जद्दोजहद की और आखिर दोनों की काफी मेहनत और मशक्कत के बाद आखिर में अर्जुन के हाथ से अनाया का हाथ करीब ही था, मगर किस्मत को शायद आज कुछ और ही मंजूर था और अभी अनाया का हाथ अर्जुन के हाथ से छू भर ही पाया था कि एकाएक तेज बारिश के बीच एक तेज गड़गड़ाहट के साथ एक तेज बिजली कड़क उठी और उसकी तेज आवाज़ से एकाएक अनाया अपना बैलेंस खो बैठी और इससे पहले कि अर्जुन पूरी तरह उसका हाथ थाम पाता, कि एकाएक अनाया एक दिल चीर देने वाली चीख के साथ हमेशा के लिए उस खाई की गहराई में समा गई।
(फ़्लैशबैक एंड…!!)
ध्रुवी ने महसूस किया कि अपने अतीत को याद करते-करते और एक बार फिर उन सारी कड़वी यादों और बातों को याद करते हुए कहीं ना कहीं अर्जुन सिहर उठा था और शायद उसकी आँखें भी नम हो चली थीं, जिसे उसने बड़ी ही सफाई से ध्रुवी से छुपाया था। अर्जुन ने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया और कुछ पल की खामोशी के बाद जब वह सामान्य हुआ तो वापस से ध्रुवी की ओर पलटा। ध्रुवी भी एक पल को उसके भाव देखकर इम्प्रेस्ड हो गई थी कि किस तरह से अर्जुन ने अपने इमोशंस पर कंट्रोल किया हुआ है और किस तरह से वह अपनी भावनाओं को छुपाने में माहिर है।
ध्रुवी (अफ़सोस भरे लहजे से): “मुझे सच में अफ़सोस हुआ आपकी पत्नी के बारे में जानकर, लेकिन हम इंसान हैं और ईश्वर की मर्ज़ी के आगे हम कुछ भी नहीं कर सकते। (एक पल रुककर एक जिज्ञासा के साथ) तो क्या उसके बाद आपकी पत्नी की लाश भी नहीं मिली आपको?”
अर्जुन ने ध्रुवी की बात सुनी, तो कुछ पल बाद अर्जुन ने वापस से बोलना शुरू किया।
अर्जुन (अपनी चुप्पी तोड़ते हुए): “अगर ऐसा नहीं होता, तो हम खुद को कभी यकीन दिला ही नहीं पाते कि हमारी मिष्टी अब इस दुनिया में… हमारे बीच नहीं रहीं… कि वो हमेशा के लिए हमें छोड़कर जा चुकी हैं। (एक पल रुककर अनकहे दर्द के साथ) पूरे आठ घंटों बाद हमें हमारी मिष्टी मिली थी जो हमेशा के लिए ख़ामोश हो चुकी थी। (एक गहरी साँस लेकर अपने इमोशंस को कंट्रोल करते हुए) हम नहीं चाहते थे कि किसी को भी इस बारे में ज़्यादा पता चले, इसीलिए कुछ ख़ास लोगों के बीच ही हमने उनका अंतिम संस्कार कर दिया जबकि इंडिया में ये बात किसी को पता नहीं थी। लेकिन अनाया के रिश्तेदारों को ये भनक हमारे इंडिया पहुँचने से पहले ही पड़ गई और उन्होंने इस बात का जमकर फ़ायदा उठाने की कोशिश भी की जिसके चलते हमने ये झूठ कहा कि मिष्टी ज़िंदा हैं और वो अपने किसी निजी और आवश्यक काम के चलते इंडिया से बाहर हैं और जल्द ही लौट आएंगी। हालाँकि कुछ अरसे जैसे-तैसे करके हमने मामला संभाले रखा, लेकिन अब चीज़ें हमारे हाथों से निकलने लगी थीं और हर बढ़ते पल के साथ हमारी मुश्किलें भी बढ़ती जा रही थीं। फिर हमारा अचानक किसी काम के चलते लंदन आना हुआ और कहते हैं ना ईश्वर भी आपके नेक कामों में बराबर आपका साथ निभाते हैं, तो बस यहाँ हमारी नज़र अचानक एक दिन आप पर पड़ी और जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया, हमें एक उम्मीद की किरण नज़र आई और हमने अपनी सोर्स के चलते आपकी सारी जानकारी इकट्ठा की। (ध्रुवी की ओर देखकर) उसके बाद तो आप सब जानती ही हैं।”
ध्रुवी (बिना किसी भाव के कुछ पल बाद): “ओह! तो इसीलिए आपने आर्यन को मोहरा बनाया… ताकि आप मुझे मजबूर कर सकें… अपनी बीवी की जगह भेजने के लिए… और फिर वहाँ जाकर मैं आपकी मुश्किलों को हल करने की चाबी बन सकूँ… नई?”
अर्जुन (सीधे जवाब के साथ): “जी हाँ… (एक पल रुककर) क्योंकि हम जानते थे कि अगर हम आपके पास सीधे ये बात लेकर आते… या आपसे अपनी मदद करने की गुजारिश करते… तो यकीनन आप या आपके पिता कभी भी इस बात के लिए राज़ी नहीं होते। तो इसीलिए हमने आपकी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाते हुए आपके आर्यन का इस्तेमाल किया।”
ध्रुवी (हल्की नाराज़गी भरे लहजे से): “और इसीलिए आपने ये घटिया तरीका निकाला… मेरे आर्यन को किडनैप किया… ताकि आप मुझे मजबूर कर सकें?”
अर्जुन (बिना किसी भाव के): “हमारे पास और कोई रास्ता भी नहीं था। यकीन जानिए हमने कई बार आपके पिता से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन नाकामयाब रहे और यकीनन ये बात तो आप भी मानेंगी कि अगर हम सीधे तौर पर आपके पास जाते, तो आप कभी भी हमारी बात मानने के लिए तैयार नहीं होतीं। (ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनकर अपनी नज़रें गुस्से से दूसरी दिशा में फेर ली। अर्जुन एक गहरी साँस लेकर एक पल रुककर गंभीर भाव से) और हमें नहीं लगता कि अपने परिवार के भले के लिए… या उनकी सुरक्षा के लिए… अगर हमें थोड़ी गलत राह का भी इस्तेमाल करना पड़े… तो उसमें थोड़ा भी हर्ज है और भले ही हमारा तरीका गलत हो, लेकिन हमारी इंटेंशन या नियत बिल्कुल गलत नहीं है, ये बात तो आपको भी माननी पड़ेगी।”
ध्रुवी (असंतुष्ट भरे भाव से): “मुझे भी अफ़सोस हुआ आपकी पत्नी की मौत का सुनकर, मगर आपके तरीके… सरासर गलत हैं। (एक पल रुककर) और नियत और इंटेंशन की बात तो है ही नहीं यहाँ मिस्टर अर्जुन… यहाँ सारी बात है आपके तरीके की… आप यूँ खुलेआम धमकी नहीं दे सकते मुझे… यूँ मुझे मजबूर नहीं कर सकते… माना कि आप मजबूर हैं या आपकी कुछ मजबूरियाँ हैं… यहाँ तक कि पूरी दुनिया में सबको परेशानियाँ हैं… सबके अपने दुख हैं… लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि हर कोई इंसान अपनी परेशानी को दूर करने के लिए किसी दूसरे इंसान की ज़िन्दगी में ज़हर घोल दे… या ऐसे घटिया हथकंडे अपनाकर… उन्हें मजबूर करें… सिर्फ़ अपने मक़सद को पूरा करने के लिए?”
अर्जुन (सपाट और साफ़ लहजे में बिना किसी अफ़सोस को ज़ाहिर किए ध्रुवी की ओर देखकर संजीदगी भरे भाव से): “हम इस वक्त कुछ सही… कुछ गलत नहीं जानते… हम जानते हैं तो सिर्फ़ और सिर्फ़ इतना… कि हमें अपने परिवार की सुरक्षा… और उसके अच्छे के लिए… और ख़ासकर अपनी पत्नी के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए… हमसे जो कुछ भी बन पड़ेगा… हम करेंगे… और अगर हमें अपना मक़सद हासिल करने के लिए थोड़ी गलत राह भी चुननी पड़ी… तो हम बेशक बिल्कुल भी नहीं झिझकेंगे।”
ध्रुवी (गुस्से भरे भाव से): “और अगर मैं आपकी शर्त या आपके मक़सद को पूरा करने के लिए… आपकी मदद करने से इंकार कर दूँ… तो आप मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती… या मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाकर मुझसे कुछ नहीं करवा सकते… एंड इट्स डैम ट्रु।”
अर्जुन (गंभीर भाव से): “अगर सच कहें… तो आप सही कह रही हैं और बेशक हम ज़्यादा कुछ भी नहीं कर सकते और वाकई आपके साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती भी हम बिल्कुल नहीं कर सकते। (एक पल रुककर पूरी संजीदगी के साथ) लेकिन ये भी एक हकीकत है कि फिर कभी भी… ज़िन्दगी में दुबारा… आप अपने आर्यन की शक्ल तक देखने के लिए तरस जाएँगी।”
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