अर्जुन (गंभीर भाव से): अगर सच कहें… तो आप सही कह रही हैं। और बेशक, हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। और वाकई, आपके साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती भी हम बिल्कुल नहीं कर सकते। (एक पल रुककर, पूरी संजीदगी के साथ) लेकिन यह भी एक हकीकत है कि फिर कभी भी, ज़िन्दगी में दुबारा, आप अपने आर्यन की शक्ल तक देखने के लिए तरस जाएँगी!

ध्रुवी (गुस्से, डर और कई मिले-जुले भाव के साथ): “हाउ कुड यू… हाउ… आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? आपको कोई हक नहीं है हमारे साथ यह सब करने का, या हमें इस तरह से परेशान करने का। आप नहीं कर सकते हमारे साथ ऐसा कुछ भी!”

अर्जुन (साफ और सपाट लहजे से): “हम कुछ भी कर सकते हैं, ध्रुवी। और अपने मकसद से बड़ा इस वक्त हमारे लिए और कुछ भी नहीं है; ना कुछ सही और ना कुछ गलत। हमें सिर्फ और सिर्फ अपना मकसद पूरा करना है, किसी भी कीमत पर। तो चॉइस इज़ ऑल योर्स नाउ!”

ध्रुवी (अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए, आराम से बात करने की कोशिश करते हुए): “देखिए मिस्टर अर्जुन, आपकी जो भी परेशानी है, मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूँ। लेकिन प्लीज, आप पहले मेरे आर्यन को छोड़ दीजिए!”

अर्जुन (ध्रुवी की ओर देखते हुए): “और हम क्यों और किस लिए आपका यकीन करें? यह भी तो हो सकता है कि यह सिर्फ आपकी चाल हो और आर्यन के वापस मिल जाने के बाद आप हमें धोखा देकर निकल जाएँ!”

ध्रुवी (अपने गुस्से को दबाते हुए): “मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी। मैं आपसे वादा करती हूँ!”

अर्जुन (सपाट लहजे से): “और आपको लगता है कि आज की दुनिया में ऐसे वादों में थोड़ी भी कीमत या सच्चाई है जिस पर हम भरोसा कर सकें?”

ध्रुवी (फ्रस्ट्रेशन भरे भाव से): “फॉर गॉड सेक! जब मैं कह रही हूँ कि मैं आपको कोई धोखा नहीं दूँगी, तो आपको समझ क्यों नहीं आता है? (एक पल रुककर) और सच तो वैसे भी यह है कि आप अपने इमोशन्स में बहकर यह देख ही नहीं रहे हैं कि आप कितना गलत कर रहे हैं!”

अर्जुन (गंभीर और सख्त भाव से): “और हम देखना भी नहीं चाहते। हम आपको पहले भी कई मर्तबा कह चुके हैं और एक आखिरी बार फिर कह रहे हैं: इस वक्त हमारे लिए कुछ सही, कुछ गलत नहीं है। हमें सिर्फ और सिर्फ अपना मकसद पूरा करना है और हम आपको अपना फैसला बता चुके हैं। (एक पल रुककर, वार्निंग भरे लहजे से) अब फैसला आपको करना है। आप हमारी बात मानेंगी या फिर अगर आप अपनी पहली ही मोहब्बत को कुर्बान करने के लिए मन बना ही चुकी हैं, तो बेशक फिर हम आपके साथ कोई ज़बरदस्ती कर ही नहीं सकते!”

अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी का सारा गुस्सा, फ्रस्ट्रेशन, इरिटेशन और झुंझलाहट पल में ही जैसे छू हो गई। और उसकी जगह उसके चेहरे पर अब साफ तौर पर डर और घबराहट के भाव देखे जा सकते थे। उसका गला डर और घबराहट से सूख चुका था। कोई भी अगर इस वक्त ध्रुवी को देखता, तो वह यकीन ही नहीं करता कि यह वही ध्रुवी सिंघानिया है जो बड़े से बड़े डर और खतरे के आगे भी, उसकी आँखों में आँखें डालकर, पूरी निडरता के साथ उसका सामना करती आई है। जबकि आज वाली ध्रुवी तो उस ध्रुवी से बिल्कुल ही जुदा लग रही थी, जिसके चेहरे और आँखों पर आत्मविश्वास और निडरता की जगह सिर्फ बेबसी, डर और घबराहट के भाव साफ देखे जा सकते थे।

अर्जुन (ध्रुवी के चेहरे पर बनते बिगड़ते भाव को पढ़ते हुए): “हम जानते हैं कि इस वक्त आपके लिए हम पर भरोसा करना शायद मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो। लेकिन सिवाय हम पर भरोसा करने और हमारी बात मानने के सिवा आपके पास कोई दूसरा रास्ता है भी नहीं। (एक पल रुककर) और रही बात आपकी यहाँ की पुलिस या बड़ी से बड़ी अथॉरिटी की, (अपनी पैंट की पॉकेट में हाथ डालते हुए, एकदम नवाबी अंदाज़ में) तो शाही खानदान से ताल्लुक रखते हैं हम और इतनी सोर्स तो हमारी भी है कि इस सब में पड़कर आप सिवाय अपने और हमारे वक्त को जाया करने के और कुछ नहीं कर पाएँगी। सिवाय इसके कि आपकी गलतियों का खामियाज़ा आपके आर्यन, आपके प्यार को ही भुगतना पड़े!”

ध्रुवी (डर और घबराहट के मिले-जुले भाव के साथ, कुछ पल बाद): “प्लीज… प्लीज… मेरे आर्यन को कुछ मत करना। मुझे… (एक पल को अपनी आँखें बेबसी से बंद करते हुए) मुझे… मुझे मंज़ूर है, तुम जो भी मुझसे चाहते हो, मैं वह करने के लिए तैयार हूँ। लेकिन इसके बदले मुझे मेरा आर्यन बिल्कुल सही-सलामत चाहिए!”

अर्जुन (संजीदगी भरे लहजे से): “हम ठाकुर खानदान से रिश्ते रखते हैं और अपने वादे और जुबान के बिल्कुल पक्के हैं। अगर हम कह रहे हैं कि हम अपनी जुबान से पीछे नहीं हटेंगे, तो मतलब नहीं हटेंगे। और जैसा कि हमने आपसे कहा कि इस वक्त आपके पास अपनी कोई भी शर्त रखने या हमारी बात ना मानने का कोई ऑप्शन है ही नहीं, तो यकीनन आपको यही करना ही होगा। (थोड़ी देर की खामोशी के बाद) लेकिन… (एक पल रुककर)… इसके अलावा हमारी एक शर्त और है जिसे आपको पूरा करना होगा, तभी उसके बाद हम आप पर भरोसा कर सकेंगे और आपको अपनी आगे की प्लानिंग बताएँगे!”

ध्रुवी अर्जुन के मुँह से एक बार फिर एक नई शर्त का नाम सुनकर कहीं ना कहीं सकते में आ गई थी कि आखिर अर्जुन अब उसके आगे न जाने कौन सी और क्या नई शर्त रखेगा। और इस सब से भी ज़्यादा उसे इस वक्त अपनी बेबसी और लाचारी पर गुस्सा आ रहा था कि वह ना चाहते हुए भी किसी अनजान इंसान के हाथों की कठपुतली बन बैठी है, जिसे वह लाख कोशिशों के बाद भी, चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी। और ये सारी बातें अर्जुन महज़ उसके चेहरे के भाव पढ़कर ही साफ तौर पर समझ पा रहा था। लेकिन अर्जुन ने सब जानते-बूझते और समझते हुए भी इस वक्त सिर्फ खामोश रहना ही बेहतर समझा क्योंकि अपने मकसद को हासिल और पूरा करने के लिए अर्जुन को यह हर हाल और कीमत करना ही था, फिर चाहे इस वक्त इसमें ध्रुवी को कितनी भी तकलीफ़ और बेबसी से ही होकर क्यों ना गुज़रना पड़ रहा था!

अर्जुन (कुछ पल बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, बिना किसी भाव के): “तो अब फाइनली हम आपका फैसला जानना चाहते हैं? जिसे जानकर ही हम अपना अगला कदम उठाएँगे!”

ध्रुवी (अपने इमोशन्स को कंट्रोल करने के लिए अपनी मुट्ठियों को कसकर भींचते हुए): “ठीक है… मुझे मंज़ूर है… तुम जो भी चाहते हो… (एक लम्हा रुककर)… मैं वह करने के लिए तैयार हूँ!”

अर्जुन (चेहरे पर एक संतुष्टि भरे भाव के साथ): “हम जानते थे आपका फैसला यही होगा और हमें असल में आपसे इसी समझदारी की उम्मीद भी थी। (ध्रुवी के चेहरे पर आए नफ़रत और गुस्से के भाव देखकर एक पल बाद) खैर, जब आप अब सही फैसला कर ही चुकी हैं, तो हमें उम्मीद है कि आगे भी आप सब सही फैसले ही करेंगी!”

ध्रुवी ने अर्जुन की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह बस गुस्से से अपनी दोनों मुट्ठियाँ भींचे, एकटक बस शून्य को निहारती रही!

अर्जुन (एक पल रुककर): “जैसा कि हमने आपको बताया कि आपको हमारे साथ जाने से पहले और हमारा भरोसा हासिल करने के लिए सबसे पहले हमारी एक सबसे अहम शर्त को पूरा करना होगा और वह शर्त यह होगी… (कॉन्ट्रैक्ट फ़ाइल की ओर इशारा करते हुए)… कि इस कॉन्ट्रैक्ट फ़ाइल पर अभी और इसी वक्त साइन करके हमारे भरोसे को गारंटी देनी होगी। (कॉन्ट्रैक्ट की बात सुनकर अचानक ही ध्रुवी के चेहरे पर आए बेचैनी को भाँपते हुए) और हाँ, डोंट वरी, इस कॉन्ट्रैक्ट का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि इससे जुड़कर आप हमारी बीवी बन जाएँगी या हमारी शादी हो जाएगी। इस कॉन्ट्रैक्ट का महज़ इतना ही मतलब है कि कुछ अरसे के लिए आप हमसे जुड़ जाएँगी और उस बीच आप हमें कोई धोखा देने या हमें बीच राह में छोड़ जाने की बात तक नहीं सोचेंगी। और साथ ही इस कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से उसमें यह भी लिखा होगा कि आपको हमारे साथ आने या हमारी कोई भी बात मानने के लिए हमने या हमारे किसी भी शख्स ने भी आप पर कोई भी और कैसी भी कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की है और आप खुद अपनी मर्ज़ी से हमारे साथ आई हैं!”

ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनकर एक नज़र नफ़रत, गुस्सा, झुंझलाहट से अर्जुन की ओर देखा, जिस पर अर्जुन ने किसी भी तरह का कोई रिएक्शन नहीं दिया। कुछ पल तक ध्रुवी ने अर्जुन की दिशा में घूरा और फिर उसने अपने गौर गालों पर आए गुस्से भरे आँसुओं को अपनी पिछली हथेली से पोछा और फिर बिना किसी भाव के उसने टेबल पर पड़ी उस फ़ाइल को उठाया और अर्जुन की तरफ़ देखे बिना ही उसने अपना हाथ बढ़ाया। अर्जुन ने भी बिना बोले ही उसका इशारा समझा और अपनी जेब में लगा कीमती पेन ध्रुवी की ओर बढ़ा दिया और अगले ही पल ध्रुवी ने बिना एक पल भी सोचे उन पेपर्स पर साइन करके उन पेपर्स को वापस से अर्जुन की ओर बढ़ा दिए। अर्जुन ने एक पल को बेयक़िनी से ध्रुवी की ओर देखा, जैसे उसे यकीन ही नहीं आया हो कि ध्रुवी इतनी जल्दी उसकी बात मान गई और फिर उसने अगले ही पल अपने चेहरे के भाव को सामान्य करते हुए ध्रुवी के हाथ से वह फ़ाइल ले ली। और अब बस यहीं से शुरुआत होनी थी शतरंज की बिसात पर बिछी कई ज़िन्दगियों की एक नई कहानी!

 

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