रेशमा की सुंदरता लोगों ने उसके रूप से तय की, लेकिन वो सुन्दर इसीलिए थी क्यूंकि वो हमेशा खुश रहती थी. उसके चेहरे पर चमक थी. अब, अब उसके शरीर पर सिर्फ मांस है, उसके अंदर की आत्मा जैसे मर चुकी है. दुनिया को उसका बदन सुन्दर लग रहा है मगर उसके चेहरे की खोई चमक किसी को नहीं दिख रही. उसे लगने लगा है कि उसके बाबूजी भी अब उसे एक बोझ मानने लगे हैं इसलिए जैसे भी हो बस उससे छुटकारा चाहते हैं.
आंसू अगर रंगीन होते तो रेशमा के चेहरे पर इसके निशान गहरे बन गए होते. सप्ताह भर बीत चुका है पंचायत वाली घटना को. वो अभी भी कोठरी में बंद है. उसके लिए खाना जाता है जिसे वो ऐसे ही छोड़ देती है. जीने की चाह ख़त्म ही हो चुकी है उसके अंदर. हरिया का मन फिर भी नहीं पिघला. सुजाता की ममता कभी कभी जाग उठती है लेकिन फिर लोक लाज का डर उसे खुद को सख्त करने पर मजबूर कर देता है.
पिछले सात दिनों से रेशमा ने नाम बराबर खाना खाया है. उसकी ऐसी हालत देख कल रात सुजाता उसे समझाने गई थी. उसने उससे कहा कि कई बार सिर्फ ज़िंदा रहना ज़रूरी होता है, फिर फर्क नहीं पड़ता हम कैसे और किसके साथ जी रहे हैं. रेशमा ने इसके जवाब में कहा की उसके लिए सिर्फ जिंदा रहना जरूरी नहीं है. उसे सिर्फ सांस लेने भर की इजाजत हो तो वो इससे बेहतर मर जाना पसंद करेगी. वो ये भी धमकी देती है कि अगर उसकी शादी उस शराबी से हुई तो वो खुद को मार लेगी. सुजाता घबरा कर ये बात हरिया को बताती है लेकिन हरिया तो जैसे कुछ सुनने को ही तैयार नहीं. वो कहता है की उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. बस उसकी शादी हो जाये उसके बाद उसके साथ कुछ भी हो उसे मतलब नहीं. रेशमा समझ नहीं पा रही कि छल कपट से दूर रहने वाले उसके बाबूजी आखिर ऐसे निर्दयी कैसे हो गए.
इरावती ने सुजाता के हामी भरने के दूसरे ही दिन अपने मामा के पास ये खबर पहुंचा दी थी. इरावती ने उन्हें रेशमा के बारे में सारी बात बताई. अब लाश दिख जाए तो भला उसे एक गिद्ध कैसे नोचेगा, उस पर तो जिस भी गिद्ध की नजर पड़ेगी सब उसे नोचना चाहेंगे. मामा को इस बात से दिक्कत नहीं थी कि लड़की के साथ रेप हुआ है. उन्हें ख़ुशी इस बात की थी कि इस पर हम ज़्यादा दहेज़ ले सकते हैं. इस पर इरावती ने बताया कि उसने दहेज़ की बात कर ली है और वो एक लाख देने को तैयार हैं.
उसने मामा को उसकी शर्त भी याद करायी कि जो रिश्ता लाएगा दहेज़ उसी का होगा. इस पर मामा ने शैतानी हंसी हंस कर कहा कि उनकी ज़रुरत बड़ी है इसका फायदा उठाना चाहिए. जहाँ वो 1 दे रहे वहां दो लाख भी दे सकते हैं. एक लाख वो रखे और एक लाख मामा के होंगे. इरावती को अपना हिस्सा मिल रहा था फिर उसे क्या दिक्कत थी. बस उसे डर था कि कहीं हरिया दहेज़ के लिए शादी से ना इनकार कर दे. इरावती ने सुजाता को बताया कि वो लोग इतवार को आयेंगे.
आज इतवार है, लड़के वाले रेशमा को देखने और बात पक्की करने आ रहे हैं. हरिया इस बात से अभी तक अनजान है कि दहेज़ की रकम बढ़ने वाली है. वो लड़के वालों के स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ है. रेशमा जिंदा लाश बनी हुई है और उसकी सहेलियां उस लाश को सजाने में लगी हुई हैं. वो अब चीख चिल्ला कर थक चुकी है. उसे पता चल चुका है कि अब उसके अपनों के दिलों से नर्म इस घर की दीवारें हैं जो कम से कम उसकी बातें सुन तो लेती हैं. उसने सोच लिया है कि वो कुछ नहीं बोलेगी. जो होगा वो उसे मंज़ूर है लेकिन उसके बाद वो खुद को मार लेगी. वो चाहती है कि अब ये शादी जल्द से जल्द हो और वो यहाँ से निकलते ही खुद को खत्म कर ले.
लड़के वाले आ गए हैं. इरावती का मामा अपने साथ कुछ रिश्तेदारों और लड़के को लेकर आया है. लड़के को देख कर पता चल रहा है कि लड़का शराब नहीं पीता बल्कि शराब लड़के को पी रही है. उसके शरीर पर मांस नहीं बस चमड़ी है. उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई है जो लगभग पूरी तरह ही सफ़ेद हो चुकी है. शायद वो अभी भी नशे में है, ये उसकी आँखों और उससे आने वाली बदबू से अंदाजा लगाया जा सकता है. उसकी उम्र का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि हरिया खुद उससे ज्यादा जवान दिख रहा है. सुजाता और हरिया का जब लड़के से परिचय कराया गया तो उन्हें लगा वो लोग कितना गलत करने जा रहे हैं लेकिन ये ख्याल उनके दिल में ज्यादा समय टिक नहीं पाया क्योंकि उनका दिमाग उन्हें बार बार पंचायत का फरमान याद दिला रहा था.
अस्सी साल के मामा ने अपनी बात शुरू की. पहले उसने लड़की साथ हुए हादसे का कोई जिक्र नहीं किया. कुछ इधर उधर की बातों और अपनी शेखी बघारने के बाद वो सीधा दहेज़ के मुद्दे पर आये और दो लाख नकद, और बाकी के कुछ सामान की मांग रखी. जिसे सुनते ही हरिया और सुजाता के पैरों तले जमीन खिसक गयी. उन्होंने बताया कि इरावती ने तो एक लाख कहा था. उनके लिए तो एक लाख भी बहुत बड़ी रकम है ऐसे में वो दो लाख और बाकी खर्च कैसे उठाएंगे. इसके जवाब में उन्हें वो सुनने को मिला जिसके लिए वो पहले से तैयार थे.
मामा- “तुम्हारी बेटी दूध की धुली नहीं है. उसके साथ जो हुआ वो आसपास के सभी गाँवों में पता है. जाओ खोज लाओ लड़का. मिल जाए तो इसके ब्याह का खर्च हमसे ही ले लेना. एक लाख तो लड़के को हमारे खानदान नाम पर ही मिल रहे हैं. इसकी पहली शादी में २ लाख नकद और गहने अलग से मिले थे. दूसरी शादी में तो तीन लाख मिले. जब शरीफ लड़कियों के लिए इतना मिल रहा है हमें तो फिर इसके लिए तो कम से कम 5 मिलने चाहिए. बात जमे तो ठीक नहीं हम चले.”
मामा के इस रवैये से इरावती परेशान हो गयी कि कहीं ये रिश्ता टूट ना जाए, लेकिन मामा जानता था हरिया फंसा हुआ है, उसे जो कहो करना पड़ेगा. हरिया ने मन ही मन कुछ सोचा और दहेज़ के लिए हां कर दी.
उसकी हां से इरावती सबसे ज्यादा खुश हुई. सुजाता हरिया को घूरे जा रही थी. वो पूछना चाहती थी कि इतनी बड़ी बात उसने किस दम पर कह दी. खेत बेच के भी बस एक लाख ही पूरा हो रहा, अभी बाकी के खर्चे भी हैं, ये सब कैसे होगा. लेकिन फ़िलहाल वो चुप रही. लड़के वालों ने लड़की को बुलाने के लिए कहा. रेशमा बाहर आने को तैयार नहीं थी. उसका कहना था जो फैसला करना है कर दो वो बाहर नहीं जाएगी लेकिन सुजाता उसे जैसे तैसे बाहर ले गयी.
उसकी नजर जैसे ही लड़के पर पड़ी उसे लगा उसके साथ फिर से वही घिनौना हादसा दोहराया जा रहा है. लड़के की नजरें उसके शरीर के हर अंग को घूर रही थीं. जो घिनौना काम छुन्नू और उसके साथियों ने किया था वही काम ये शख्स अपनी आँखों से दोहरा रहा था. रेशमा को लगा उसके शरीर पर फिर से एक साथ कई गंदे कीड़े रेंगने लगे हैं. वो चाह रही थी उसे अभी खड़े खड़े मौत आ जाये. वो फूट फूट कर रोने लगी मगर उसके रोने का कोई असर नहीं हुआ. सुजाता उसे जल्दी से अंदर ले गयी. मामा ने कहा कि लड़की उन्हें पसंद है. हरिया को सब शर्तें मंजूर हों तो रिश्ता पक्का कर लिया जाए.
रेशमा की जिंदगी में बर्बादी मची हो और छुन्नू सेठ उसके मजे लेने ना आये ऐसा हो सकता है क्या? उसकी बुलेट ठीक वहीं रुकी जहाँ लड़के वाले बैठे थे. छुन्नू सेठ को भला आसपास के गाँव में कौन नहीं जानता था. उसके आते ही लड़के वालों समेत सभी ने उठ कर उसका स्वागत किया. छुन्नू के चेहरे पर हमेशा की तरह गन्दी वाली हंसी थी. उसने रिश्ते के बारे में सारी जानकारी ली. उसे पता चला कि लड़के वालों ने 2 लाख दहेज़ मांगा है तो उसने खुद को दरियादिल बताते हुए ऐलान किया कि वो हरिया को मदद के तौर पर 50 हजार रुपये देगा. जिसके बाद सब उसकी वाह वाही करते हुए उसे इंसान के रूप में देवता बताने लगे.
छुन्नू सेठ- “वाह हरिया क्या लड़का पसंद किए हो. राज करेगी तुम्हारी बेटी. बाकी शादी की चिंता मत करना. हम हैं, जितनी मदद चाहिए होगी बताना. हम तो तुमको पहले ही बोले थे हमारी हवेली पर इसे काम करने भेज दो. हमारी मानी होती तो घर में पैसा भी आता और इज्जत भी ना जाती. खैर जो हुआ सो हुआ. अब तो शादी की तैयारी करो.”
सच जानने के बाद भी हरिया और सुजाता के हाथ उसके सामने बंधे रहे. छुन्नू सेठ जाते हुए लड़के के पास गया और उसके कान में बोला…
छुन्नू सेठ- “लड़की पूरी नारंगी है, समझे गुरु?”
इसके बाद छुन्नू हैवानों की तरह हँसता हुआ वहां से चला गया. शराब के नशे में धुत्त लड़का भी उसकी हंसी में अपनी हंसी मिलाने लगा.
लड़की वालों ने हरिया की बात मानते हुए अगले ही सप्ताह लगन की तारीख फाइनल कर दी. बात पक्की कर लड़के वाले चले गए. इरावती के पैर आज ज़मीन पर नहीं टिक रहे थे. उसे हर तरफ कड़क नोटों की हरियाली दिख रही थी. इधर सबके जाते ही सुजाता ने हरिया को घेर कर पूछा कि वो इतना सब करेगा कैसे. हरिया ने बताया कि वो ये घर भी बेच देगा. उनकी कौनसी दूसरी औलाद है. इसकी शादी के बाद वो दोनों शहर चले जायेंगे. वहीं कुछ काम कर के अपनी जिंदगी काट लेंगे. कोठरी से सब बातें सुन रही रेशमा ने कहा,
रेशमा- “जब सब बेच कर शहर ही जाना है तो उसके साथ ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है. शादी का सारा लफड़ा ही ख़त्म करो, वो तीनों शहर चले जायेंगे”
“हरिया ने काफी दिनों बाद उसकी किसी बात पर कुछ कहा. वो बोला कि,
हरिया- “बिना शादी के छुन्नू उसे इस गाँव से जाने नहीं देगा. शादी ही एक ऐसा रास्ता है जिससे उसकी जान बची रह सकती है.”
रेशमा चिल्लाती है कि उसे इस तरह की जिंदगी से मौत अच्छी लगेगी. उस शराबी के साथ ब्याहने से अच्छा उसे मार दिया जाए. हरिया उसकी कोई बात नहीं सुनता और घर से बाहर चला जाता है. रेशमा का रो रो कर बुरा हाल है. वो दीवार में सिर मारने लगती है, वो आज अपनी जान दे देना चाहती है.
तभी कोई उसकी खिड़की से एक पत्थर कमरे में फेंकता है उस पत्थर पर एक कागज लिपटा हुआ है. पहले से चिढ़ी हुई रेशमा पत्थर फेंकने वाले को गालियाँ देती है. वो उसका चेहरा नहीं देख पाती लेकिन पिछले कई दिनों से बहुत लड़के उसकी खिड़की के पास आ कर गन्दी गन्दी बातें कह रहे हैं. कंकर पत्थर फेंक रहे. उसे लगता है उन्हीं में से कोई होगा.
फिर उसकी नज़र पत्थर पर लिपटे कागज पर पड़ती है. वो उस कागज को उठाती है. ये एक चिट्ठी है. रेशमा इसे पढ़ती है और अचानक से उसका मुरझाया चेहरा खिलने लगता है. वो मुस्कुराती है और ऊपर देख कर भगवान का धन्यवाद करती है.
कौन है खिड़की से चिट्ठी फेंकने वाला शख्स?
क्या इस चिट्ठी से बदलेगी रेशमा की जिंदगी?
क्या उसे बचाने के लिए भगवान ने किसी को भेजा है?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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