एक छोटे बच्चे को जब कोई ऊपर उछालता है तो वो हंसता है. उसे यकीन है कि नीचे खड़ा शख्स उसे गिरने नहीं देगा. वो और ऊपर जाना चाहता है लेकिन क्या हो अगर एक दिन सामने वाला बच्चे को ऊपर तो उछाले मगर नीचे आने पर उसे पकड़े ही ना? बच्चा गिरेगा चोट लगेगी चिल्लाएगा लेकिन सबसे बड़ी तकलीफ उसके लिए होगी कि उसका सामने वाले पर से यकीन उठ जायेगा. वो दोबारा उसके उछाले जाने पर खुश नहीं होगा बल्कि उसके चेहरे पर गिरने का खौफ होगा क्यूंकि अब उसे पता है की उसे गिरने से कोई नहीं बचाने वाला है.
रेशमा के बाबा ने भी उसे इसी तरह असमान के किस्से सुनाये, उड़ने के लिए हौसला दिया, सपने देखने की वजह दी मगर आज उन्होंने रेशमा को हवा में उछाल कर हाथ पीछे खींच लिए. पूरी पंचायत में उसके पिता ने उसे थप्पड़ मारा था. उसकी गलती तो बस इतनी ही थी ना कि उसने सच बोलने की हिम्मत की थी. ये सच बोलना भी तो उसे उसके पिता ने ही सिखाया था फिर आज इसी सीख को मानने के बाद ये थप्पड़ क्यों? रेशमा के पास इसके बाद कहने को कुछ बचा नहीं था.
इस थप्पड़ ने पूरे पंचायत में ये साबित कर दिया था कि रेशमा ही गलत है. आज पंचायत में दो ही आवाजें सुनाई पड़ रही थीं. छुन्नू और उसके साथियों की हंसी की वजह से बज रहा अन्याय का डंका और हरिया के थप्पड़ की गूंज. इस अंधी पंचायत ने हरिया की वजह से दया दिखाते हुए रेशमा को कोई कठोर दंड नहीं दिया बस ये फैसला सुनाया कि जैसे भी हो इसकी शादी इसी महीने के आखिर तक हो जानी चाहिए वरना इसकी सजा हरिया का पूरा परिवार भुगतेगा.
हरिया वहां से रेशमा को हाथ पकड़ कर ऐसे घर ले जा रहा था जैसे उसे घसीट रहा हो. भरी पंचायत में बेटी को थप्पड़ मारने के बाद अब कहीं जा कर गाँव वालों की नजरों में हरिया सही हो पाया था. अगर वो अपनी बेटी को जान से मार देता तो शायद गाँव वाले उसके सम्मान में जुलूस भी निकलवा सकते थे. उनके लिए पढ़ने की चाह रखने वाली लड़कियों के साथ ऐसा होना उचित था.
2 दिन में रेशमा को ये दूसरा बड़ा सदमा लगा था. छुन्नू की हैवानियत तो उसके समझ आ रही थी कि वो हमेशा से ही ऐसा था मगर उसके बाबूजी का इस तरह से सबके सामने थप्पड़ मारना उसे बहुत दुःख पहुंचा रहा था. वो फिर से बुत बन गयी थी. आज पूरे गाँव में सिर्फ रेशमा की ही चर्चा थी. लोगों को कल तक हरिया बुरा लग रहा था लेकिन आज सब उसे बेचारा कह रहे हैं, जिसके घर ऐसी बेटी पैदा हुई है.
दोनों घर पहुंच चुके थे, पंचायत में जो भी हुआ था वो सारी खबर सुजाता तक पहले ही पहुंच चुकी थी. रेशमा को देखते ही वो भड़क गयी लेकिन कुछ बोली नहीं. हरिया रेशमा को घर के अंदर ले गया. वो बुरी तरह हांफ रहा था, लग रहा था जैसे वो रेशमा को आज मार ही देगा. रेशमा अपने पिता को एक टक देखती रही. उसका गुस्सा फूट पडा.
रेशमा- “तोड़ दिया हमारा घमंड? हमको लगता था कि इस कीचड़ में कमल जैसे बाबूजी मिले हैं हमको. पूरे गाँव से एक दम अलग सोच रखते हैं. आज उनके जैसा बन कर बहुत सुकून मिल रहा होगा न? लेकिन अगर ऐसा ही बनना था तो बचपन से हमको सच का ज्ञान काहे दिए? काहे कहे कि जो हो जाए तुमको डरना नहीं है, रात दिन पढ़ लिख कर टीचर ही बनना है. काहे दिए हमको हिम्मत? इतना सब हो जाने के बाद हम जा रहे थे ना कुआं में कूदने, फिर काहे बचा लिए हमको? क्या बोले थे कुआं के पास आप, यही ना कि तुम बहादुर हो, जो तुमको कुछ कहेगा उसका आँख निकाल लेंगे. सब बात हवा हो गया?”
हरि- “तो का करते, मर जाएँ तुम दोनों को साथ लेकर? जानती नहीं हो उस छुन्नुआ को, साला राते रात कटवा देगा सबको और कोई कुछ नहीं बोलेगा. इतना सब हो गया वो कम है, जो अब जान और बचा कुछ इज्जत दोनों गँवाए?”
रेशमा- “अभी ज़िंदा हैं हम लोग? हम सब मर गए हैं, हम उस दिन मर गए जिस दिन ई हरामी सब हमको नोच खाया और आप उस दिन मर गए जब अपनी ही बेटी के दरिंदों के सामने हाथ जोड़ दिए. रही माँ की बात तो ये जिंदा ही कब थी, कभी आपकी और कभी अपनी सहेलियों की हां में हां मिलाती रही हैं. कोई हमको और कितना मारेगा? आपका मन है तो वो पढ़ा हंसिया, कर दीजिये टुकडा टुकड़ा, एक बार भी आवाज़ निकाले तो अपना बेटी ना कहियेगा.”
हरिया के पास रेशमा की बातों का कोई जवाब नहीं था और जब इंसान के पास सही बात के लिए सही जवाब नहीं होता तो वो अपने बल का प्रयोग करने लगता है. हरिया ने भी यही किया. रेशमा को कोठरी में बंद कर दिया. रेशमा चुप रही. उसे अभी ये पता ही नहीं था कि उसके माता पिता उसके लिए रिश्ता देख चुके हैं. बाहर हरिया सुजाता से रिश्ते के बारे में बात करने लगा. रेशमा अंदर सब सुन पा रही थी. हरिया चाहता भी यही था कि वो सब सुन ले और खुद को तैयार कर ले. भले ही हरिया गुस्सा था लेकिन उसमे इतनी हिम्मत भी नहीं आई थी कि अपने ही मुंह से वो अपनी बेटी को ऐसे रिश्ते के बारे में बता पाए.
हरिया- “इरावती से बात की तुमने?”
सुजाता- “नहीं अभी नहीं.”
हरिया- “तो कब करोगी जब आत्महत्या के सिवाए कोई दूसरा रास्ता ना बचे?”
सुजाता- “नहीं, अभी जाते हैं. आज जो इसने किया है उसके बाद हमको भी लग रहा है कि जो रिश्ता मिल रहा है जल्दी से कर देना चाहिए. वरना ये यहाँ रही तो रोज़ कोई फसाद होगा. बस हमको लड़के का उम्र और शराब का लत..”
हरिया ने चुप रहने का इशारा करते हुए उसे बात पूरी नहीं करने दी.
हरिया- “अब कोई दूसरा तरीका भी नहीं है. पंचायत का फैसला है इसी महीने इसकी शादी कर के इसे यहाँ से दूर भेजना है नहीं तो मुंह काला कर के हम सबका गाँव से निकाल देंगे. तुम अभी इरावती से बात करो और जल्दी से जल्दी लड़के वालों के यहाँ जाने की तैयारी करो.”
कोठरी में बंद रेशमा ने बूढ़े शराबी वाली बात सुन ली थी. उसने पहले भी ये सुना था कि इरावती का कोई भाई है जिसकी वो शादी करवाना चाहती है.
रेशमा- “बाबु जी आप तो हमको टीचर बना के हमारे लिए चाँद सा दूल्हा लाने वाले थे. धूम धाम से हमारी शादी कराने वाले थे. अब आपको क्या हो गया? इससे अच्छा हमको मर जाने दीजिए. खुद से दूर ही भेजना है ना तो हम मर के दूर हो जाते हैं मगर ये जुल्म ना कीजिये. आपकी उम्र से बड़ा है वो दूल्हा और शराबी भी. आपको तो शराब से नफरत है ना…”
रेशमा कोठरी के अंदर से बोले जा रही थी मगर उसे पता नहीं था कि अब उसकी सुनने वाला कोई नहीं.
छुन्नू सेठ को अभी भी चैन नहीं आया है. वो रेशमा को पूरे गाँव में बदनाम करने में लगा हुआ है. वो लोगों से कहता फिर रहा है कि हरिया ने अपनी बेटी का हमेशा साथ दिया है लेकिन आज भरी पंचायत में उसने उसे थप्पड़ मार दिया. अगर वो गलत ना होती तो हरिया उस पर हाथ क्यों उठाता? छुन्नू तो सब से यहाँ तक कह रहा है कि रेशमा के साथ जो हुआ वो उसकी मर्जी से हुआ होगा. वो अब उसका नाम फंसा कर पैसे ऐंठना चाहती है.
गाँव वालों से छुन्नू को पता चला कि हरिया रेशमा की शादी 51 साल के एक शराबी से कराने जा रहा है. उसने सोचा कि उसका दूल्हा या तो शराब पी-पी कर मर जाएगा या उसे इतना तंग करेगा कि वो वहां से भाग आएगी. इसके बाद वो अपनी दरियादिली दिखाते हुए उसे अपनी हवेली पर काम के लिए रखेगा और वो वहीं हमेशा के लिए उसकी रखैल बन कर रहेगी. उसकी भविष्य की योजनाएं सुन कर अभिराज और बाकी लोग बेशर्मी से हँसते हैं.
रेशमा कोठारी में बंद है. उसका खाना जैसे का तैसे पडा है. चीख चीख के उसका गला बैठ गया है मगर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है. रोते रोते उसे मृदुल की याद आती है. उसे लगता है कि अगर मृदुल यहाँ होता तो उसके साथ ऐसा कुछ ना होता. वो सब सम्भाल लेता. वो अभी भी दुआ कर रही है कि मृदुल लौट आये और उसको अब कम से कम इस शादी से बचा ले. वो कहीं दूर चली जाएगी.
इधर सुजाता ने इरावती को बता दिया है कि उन्हें रिश्ता मंजूर है. इरावती के सामने अब उसका मोटा इनाम घूम रहा है. उसे पता चल चुका है कि पंचायत ने इसी महीने तक रेशमा की शादी कर देने का फरमान सुनाया है. जिसके बाद उसे और ज्यादा मुंह खोलने का मौक़ा मिल गया है. उसने बताया कि उसके भाई के लिए और भी रिश्ते आ रहे हैं जो अच्छा दहेज़ दे रहे हैं. उसके कहने पर वो लोग मान जायेंगे फिर भी कुछ दहेज़ तो देना ही पड़ेगा. दहेज़ की बात सुन कर सुजाता चिंता में पड़ जाती है. एक तो उम्र में इतना बड़ा ऊपर से शराबी, इस पर भी दहेज़ की मांग. इरावती उसके मन की बात समझ जाती है और कहती है कि रेशमा के साथ जो हुआ उसके बाद कौन उससे शादी करेगा. ये लोग अगर शादी के लिए तैयार हैं तो दहेज लेंगे ही.
असल में इरावती के मामा को दहेज़ नहीं चाहिए, उनके बेटे की शादी हो जाये यही बहुत है. उन्होंने ये कहा था कि जो रिश्ता लेकर आएगा उसे इनाम के साथ लड़के को दहेज़ में मिलने वाली रकम भी दे दी जाएगी. इसी लालच में इरावती रेशमा के साथ जो हुआ उसका फायदा उठाना चाहती है. वो एक लाख नकद दहेज़ की बात सुजाता से बताती है.
सुजाता इरावती की बात हरिया तक ले जाती है. हरिया कहता है कि अब दूसरा कोई रास्ता नहीं. उसके पास जो थोड़ी ज़मीन है वो उसे बेच देगा. उसके लिए अभी सबसे जरूरी है रेशमा की शादी करवाना. सुजाता उन्हें ऐसा करने से रोकती है लेकिन फिर कोई दूसरा उपाय ना देख मान जाती है. सुजाता ने इरावती से कह दिया है कि उन्हें दहेज़ की शर्त मजूर हैं और वो चाहते हैं कि जल्दी ही ये शादी हो जाए.
इधर अपनी शादी की बात सुन रेशमा रो रो कर जान देने पर तैयार है. वो खुद को इस समय दुनिया का सबसे बेबस शख्स मान रही है. जो हरिया अपनी बेटी की एक खरोंच नहीं बर्दाश्त कर सकता था उस पर आज रेशमा के रोने चिल्लाने का भी कोई असर नहीं हो रहा. वो पूरी तरह से पत्थर का हो गया. गाँव के किसी भी शख्स ने हरिया को ऐसा जुल्म करने से नहीं रोका.
इधर पंच टेकाराम छुन्नू सेठ के घर पर है. वो उसे कहता है कि उसने रेशमा के साथ ठीक नहीं किया. जिस पर छुन्नू उसकी तरफ गुस्से में देखता है और उसे कहता है कि जो छुन्नू कर रहा उसे सही मानो. अगर ज्यादा बोले तो तुम्हारी बेटी का घर उजाड़ जाएगा. टेकाराम अपनी इंसानियत की आवाज़ को दबा लेता है.
क्या हरिया रेशमा का रिश्ता तय कर आएगा?
क्या रेशमा को बचाने के लिए उसका दोस्त मृदुल सही समय पर आएगा?
टेकाराम कौन है और छुन्नू से क्यों डरता है?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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