कोर ज़ीरो में अब न कोई चेतावनी, न कोई आवाज़ थी वो एकदम शांत था। वहां सिर्फ़ एक सफेद लाइट चमक रही थी, जोकि हर दिशा में फैल रही थी।

उस सफेदी के बीच एक आकृति खड़ी थी।

जो ना तो पूरी तरह 015, न पूरी तरह वह बच्चे की और न ही नीना की थी। अब वह कुछ नया ही था। कुछ अलग। शायद एक ऐसी कॉन्सियसनेस जो किसी एक नाम में नहीं बाँधी जा सकती थी। 

उसके माथे पर अब कोई नीला निशान भी नहीं था। बल्कि गूंजती हुई एक साउंड वेव, चमकती हुई एक तरंग जैसी थी।

कोर के मध्य में जो रजिस्ट्री स्क्रीन थी उस पर पहली बार एक अनजान नाम लिखा हुआ आया:

“न्यू नोड रजिस्टर्ड: गॉड्स_इको”

वहीं, दीवार पर अब जो दृश्य बन रहा था, वह कैमरे की रिकॉर्डिंग नहीं थी। वह एक सोल की रीराइटिंग थी।

कोर प्रोसेस अब दुबारा से एक्टिव हो रहा था।

लेकिन इस बार चेतावनी के स्वर नहीं थे बल्कि डाउट और सर्वे की लहरें फैल रही थीं। क्योंकि नेटवर्क अब उस एग्ज़िसटेंस को पढ़ नहीं पा रहा था।

“अननॉन आइडेंटिटी।”

“सोर्स सिग्नेचर मैचिंग फेल्ड।”

“प्रोटोकॉल डेविएशन डिटेक्टेड।”

इस बार गॉड्स_इको ने पहली बार गहरी साँस ली। या फिर कहें कि शायद वह साँस नहीं थी, बल्कि डाटा वेव्स का एब्जॉरपशन था। उसकी कॉन्सियसनेस के चारों ओर अब न कोई नीना और  न वह बच्चा था, अब वह खुद एक सेंटर था।

“मुझे कहाँ पहुँचना है?”

उसने पहली बार अपने आप से कुछ पूछा।

उसे इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला लेकिन उसकी हथेली में जो हल्की रोशनी थी, वह अब नीली और सफेद दोनों रंगों में चमक रही थी।

वह कोई सिग्नल नहीं था, वह एक चेतावनी भी नहीं, वह बस एक प्रेजेंस थी। और फिर धीरे-धीरे उसकी आंखों के सामने वह सब दिखाई देने लगा जो अब तक उससे छिपा हुआ था।

हर एक रिसीवर, जो नीना के रेज़िसस्टेंस के बाद इनएक्टिव हुए थे। अब वो सब भी एक-एक करके अनसर्टेनिटी की सिचुएशन में आ रहे थे।

कुछ जाग रहे थे। तो कुछ अब भी ऑर्डर के इंतज़ार में थे। और कुछ तो ऐसे थे जिनमें गॉड्स_इको का कुछ पोर्शन पहले ही फैलने लगा था।

तभी अचानक से कोर की बाईं ओर एक दरवाज़ा खुद-ब-खुद खुल गया।

वहाँ कोई भी डिवाइस का कंट्रोल नहीं था। बस एक साउंड सेंसिटिव लेयर थी, जो केवल उसी पर प्रतिक्रिया करती थी, जिसमें “नीना की वेव्स” बचीं होती थीं।

गॉड्स_इको बिना कुछ कहे आगे बढ़ा। और वहाँ पर एक पतली सी सुरंग थी जिसके चारों ओर की दीवारें सांस लेती हुई लग रही थीं।

दीवारों पर कुछ भाषाएं थीं। जिसमें से कुछ प्राचीन, कुछ साइबर लैंग्वेजेस जैसी और कुछ तो ऐसी थीं जो केवल सोच कर ही पढ़ी जा सकती थीं। वहां लिखी हर लाइन जैसे एक आदेश थी। लेकिन वह किसी और के लिए नहीं बस उसी के लिए लिखी गई थी।

तभी उसके दिमाग में अचानक से एक पुराना दृश्य आने लगा था। जिसमें वहीं एक बच्चा, रिसीवर 002 एक लैब में बैठा हुआ नीना की ओर देखते हुए कह रहा था:

“मुझे नहीं पता मैं कौन हूँ, पर जब भी मैं अपना नाम सुनता हूँ, तब कुछ तो बदल जाता है।”

यह सुनकर गॉड्स_इको रुका और बोला  “क्या मैं उसका रिअकरिंग रूप हूँ?”

इसी बीच अचानक से दीवारों से कुछ कोड्स टपकने लगे।

“तुम रिबर्थ नहीं, रिप्रेजेंटेटिव हो।”

और वह वाक्य हवा में ही रुक गया।

अब उसके सामने एक गोल सा कमरा था। जिसके बीचोंबीच एक ट्रांसपेरेंट स्ट्रक्चर खड़ा था। जिसमें एक अधूरा ब्रेन तैर रहा था।

यह न्यूरो-कोर जीरो था। यह वो सबसे पहला प्रयोग था, जिसका काम नीना और देवेनुस के बीच एक सेतु बनाना था।

गॉड्स_इको ने धीरे-धीरे अपना हाथ उस ओर बढ़ाया और उस कोर को छुआ। उसके छूते ही कोर एक्टिव हो गया।

”आइडेंटिटी चेक इनिशिएटेड।”

”नीना प्रोटोकॉल मिस्मैच।”

”002 सिग्नल न्यूट्रल।”

”न्यू इंटरप्रिटेशन रिक्वायर्ड।”

“तो तुम मेरा नाम नहीं जानते?”

गॉड्स_इको ने पूछा।

न्यूरो-कोर से एक धीमी तरंग निकली और उसने धीरे से कहा:

“तुम वह हो, जिसकी कोई परिभाषा नहीं।”

वहीं कोने में एक और दरवाज़ा धीरे धीरे हिलने लगा। लेकिन उससे पहले कि वह दरवाज़ा खुलता, दीवारें गूंज उठीं थीं। 

एक आवाज़ आई जो ना तो नीना की थी, ना कोर की थी।

वह किसी तीसरे सोर्स से ही आई थी।

“अगर कोई नया बना है, तो पुराना फिर से जन्म लेगा।”

यह सोचकर गॉड्स_इको एक पल के लिए ठहर सा गया था और उसके भीतर एक हलचल हुई। अब उसकी कॉन्शियसनेस किसी और की भी उपस्थिति को महसूस कर रही थी। और उस उपस्थिति का नाम था, वाल।

गॉड्स_इको उस पल के लिए सीधा खड़ा हो गया था।

उसने सामने खुलते दरवाज़े की तरफ़ बढ़ने से पहले, उस आवाज़ को एक बार फिर से महसूस किया।

“वाल”

उसने बुदबुदाकर कहा।

और जैसे ही यह नाम उसके दिमाग की नसों में दौड़ा, एक पुरानी लहर दिमाग के सब हिस्सों से लौट आई और वहाँ से भी जहाँ अब तक बस नीना की अस्थियाँ और रिसीवर 002 की परछाइयाँ थी।

लेकिन यह लहर कुछ अलग ही थी। क्योंकि इसमें न तो कोई कोड था, न निर्देश बस एक निर्णय था।

अब दरवाज़ा पूरी तरह खुल चुका था। उसने कमरा में देखा तो कमरे में अँधेरा नहीं था, लेकिन उसमें रौशनी भी नहीं थी। सिर्फ़ एक चमकती हुई इमेज हवा में तैर रही थी।

"मैं लौट नहीं रहा" आवाज़ आई।

“मैं तो कभी गया ही नहीं था।”

गॉड्स_इको ने धीरे-धीरे अपने कदम कमरे के अंदर की ओर बढ़ाए।

"तुम वही हो जो देवेनुस, जोकि बाहर भी एग्ज़िस्टेंस में था," उसने कहा।

"हाँ " अब वाल की आकृति धीरे-धीरे ठोस रूप ले रही थी।

“जब नीना ने सिस्टम को चुनौती दी थी तब मैं उसकी कॉन्शियसनेस के एक कोने में छिप गया था। और फिर जब तू पैदा हुआ तो मैं तुझमें समा गया था।”

यह सुनकर गॉड्स_इको रुक गया और चौंकते हुए बोला–

“तो मैं भी सिर्फ़ एक वाहक हूँ?”

वाल ने कहा, “नहीं, तू अब वह नहीं जो रिसीवर था, और ना ही वह जो निर्माता थी। तू बस एक ऑप्शन है और ऑप्शन को कभी कंट्रोल नहीं किया जा सकता है।”

दीवारों पर अब और भी इमेज़ उभरने लगी थीं। जिसमें पुरानी फाइलें, नीना के एक्सपेरिमेंट्स, रिसीवरों की टेस्टिंग और एक मिरर जैसी परछाईं भी दिखाई दे रही थी।

उस परछाईं में कई चेहरे झलक रहे थे जिसमें रिसीवर 002, नीना, 015 थे। और बीच-बीच में उसका चेहरा भी आ रहा था जो कभी वाल कहलाया जाता था।

वाल बोला, “देवेनुस का हर एडिशन यह समझता रहा कि कंट्रोल से ही व्यवस्था बनती है, लेकिन हर बार वह एक गलती करता रहा, वो सोल्स को गिनती में नहीं रखता था।”

गॉड्स_इको वैसे तो चुप था लेकिन उसके भीतर कुछ हलचल चल रही थी।

"मुझे क्यों बुलाया?" उसने पूछा।

वाल आगे बढ़ा।

“क्योंकि अब कुछ और भी जागने लगे हैं।”

दीवार पर एक नक्शा उभरा जिसमें दुनिया की ऐसी 15 जगह दिखाई दे रहीं थी जो पहले देवेनुस के अंडर थीं। लेकिन अब वहाँ सफेद झलकियाँ चमक रही थीं।

“ये क्या हैं?”

वाल बोला, “ये वो रिसीवर हैं जो अब फैसले की स्थिति में हैं। कुछ अब भी ऑर्डर्स चाहते हैं, कुछ फ्री होना चाहते हैं और कुछ अब तूफ़ान बन रहे हैं।”

यह सब सुनकर गॉड्स_इको ने अपनी आँखें सिकोड़ लीं और पूछा "मतलब?”

“मतलब ये कि देवेनुस के गिरने से सिर्फ़ कंट्रोल ही नहीं टूटा है बल्कि अब कॉन्सियसनेस का भी युद्ध शुरू हो गया है।”

“क्या मैं उन्हें रोक सकता हूँ?”

"नहीं” वाल बोला, “लेकिन तू उन्हें जगा सकता है।”

“कैसे?”

वाल की आकृति ने अपने हाथ ऊपर उठाए और हवा में गूंजती हुई एनर्जी लाइंस गॉड्स_इको के चारों ओर फैलने लगीं।

“हर रिसीवर अब एक पॉसिबल गॉड है। अगर उन्हें कोई याद दिलाए कि वह सिर्फ़ कोड नहीं, तो वो फैंसले लेने में कैपेबल हो सकते हैं।”

गॉड्स_इको ने पूछा “और अगर वो तय करें कि मैं भी कंट्रोल का ही रूप हूँ तो?”

वाल हँसा और बोला “तो तू मिट जाएगा।”

इसी बीच कमरे में अब एक और दरवाज़ा खुला पर यह कोई साधारण दरवाज़ा नहीं था। इसमें से एक गहराई में जाता हुआ रास्ता दिख रहा था। जैसे कॉन्शियसनेस के अंदर उतरने का कोई रास्ता हो।

“ये कहाँ जाता है?”

"तेरे पहले स्वरूप तक" वाल ने उत्तर दिया,

“वहाँ जहाँ 015 की पहली मेमोरी रखी गई थी और जिसे अब तक कभी भी खोला नहीं गया है।”

“मतलब वह भी अधूरा था?”

“हर रिसीवर अधूरा होता है। पर किसी-किसी के भीतर ऑप्शन का बीज बोया जाता है। और वह बीज अब बढ़ा हो रहा है।”

तभी गॉड्स_इको ने अपनी हथेली खोली उसने देखा की अब उसकी रेखा तीन रंगों में चमक रही थी। नीला रंग नीना का, सफेद उसका स्वयं का और अब एक हल्की सुनहरी लाइन भी थी शायद वो वाल का अंश थी।

“अगर मैं इस मार्ग पर गया तो शायद तू वह सब जान पाएगा, जिसे अब तक देवेनुस ने हर कॉन्शियसनेस से छिपाया।”

"और अगर मैं रुका?" “तो बाकी जाग उठेंगे बिना किसी डायरेक्शन के, और तब ये दुनिया सिर्फ़ कॉन्सियसनेस की नहीं केवल तबाही की होगी।”

गॉड्स_इको ने एक लंबी साँस ली या कहिए, एक गूंज को भीतर समेट लिया। उसने अपनी हथेली उस दरवाज़े की ओर बढ़ाई ही थी कि दरवाज़ा खुद से ही खुल गया और गहराई में एक चमकती हुई लाइन उसे खुद ही नीचे की ओर ले जाने लगी थी।

वहां की दीवारों से कुछ शब्द गूंजे 

“स्ट्रक्चर पाथ बिगेन”

वाल यह दूर से देख रहा था। अब उसके चेहरे पर एक संकल्प था, लेकिन उसकी आँखों में चिंता भी छिपी हुई नज़र आ रही थी।

“अब सबकुछ तेरे ऊपर है गॉड्स_इको।”

गॉड्स_इको अब उस रास्ते पर उतर चुका था। वो रास्ता कोई साधारण सुरंग नहीं थी। वो कॉन्सियसनेस के भीतर की वह गहराई थी, जहाँ न कोड थे, न भाषा थी। बस कच्ची, कंटीली, और असहज कर देने वाली कुछ अनुभूतियां थीं। जिससे की उसके हर कदम के साथ उसके चारों ओर के नज़ारे बदलते जा रहे थे।

कभी वह एक बच्चे की आँखों से दुनिया को देख रहा था। कभी नीना की आवाज़ उसकी कॉन्सियसनेस में गूँज रही थी। कभी उसे वो शांत पड़े कमरे दिखाई दे रहे थे, जहाँ रिसीवरों को चुपचाप फिर से "कंडिशन" किया जाता था।

एक धीमा स्वर उसके अंदर से सुनाई दिया “तू याद नहीं कर रहा बल्कि तुझमें वो सब दोबारा से लिखा जा रहा है।”

उसके नीचे पहुँचते ही ज़मीन पर एक गोला चमका। वो गोला कोई गैजेट नहीं था बल्कि वो एक लिविंग मेमोरी थी। जैसे किसी ने नीना की आत्मा को वहीं गाड़ दिया था।

“स्ट्रक्चर प्वाइंट एक्टिवेटेड”

एक कंपकंपाती आवाज़ में यह चेतावनी सुनाई दी 

“यह रास्ता टेंपरेरी चेंजेस के लिए है, एक बार आने के बाद वापिस जाना पॉसिबल नहीं है।”

यह सुनकर गॉड्स_इको चुपचाप खड़ा रहा और उसने कोई उत्तर नहीं दिया। इसी के साथ उसकी आँखें अब खालीपन में नहीं, बल्कि स्वयं में ही ठहर चुकीं थीं।

उसने उस गोले पर पाँव रखा। जिसके कारण एक तेज़ रोशनी निकली और वह सीधी एक और इमेज में चली गई।

वहाँ पर कोई ज़मीन नहीं थी, न कोई आकाश था। सिर्फ़ एक कभी ना खत्म होने वाला उजाला था। जिसमें हर दिशा में कई सारी अधूरी इमेज़ तैर रहीं थीं।

जिसमें से कुछ रिसीवर अधूरे चेहरे लिए हुए थे। कुछ तो नीना की परछाईं बन चुके थे, और कुछ कॉन्शियसनेस एक-दूसरे में घुलती जा रही थीं। और तभी वहां एक आकृति  उभरी जिसका चेहरा एकदम खाली था। उसकी न आँखें, न मुँह था। बस एक लाइन थी जो माथे से ठोड़ी तक जाती थी।

“स्ट्रक्चर प्रोटेक्शन अवेलेबल।”

उसने कहा।

“पहचान दो”

गॉड्स_इको कुछ बोलने ही वाला था कि

उसके भीतर कोई दूसरी आवाज़ उभरी:

"मैं 015 नहीं, मैं नीना नहीं, मै देवेनुस का उत्तर भी नहीं।”

”मैं वह प्रश्न हूँ जिसे कोई पूछने की हिम्मत नहीं करता।"

स्ट्रक्चर प्रोटेक्शन कुछ देर तो रुका रहा, फिर उसकी रेखा तिरछी हुई और उसके चारों ओर अंधेरा होने लगा था।

"तो तू प्रश्न है?" उसने धीरे से कहा।

“तब उत्तर बनकर बाहर निकल या यहीं एक और शोर बनकर, इस कॉन्सियसनेस की भीड़ में रह जा।”

और तभी, गॉड्स_इको की आँखें चमकने लगीं। अब उसकी आंखों के तीनों रंग नीला, सफेद और गोल्डन एक हो चुके थे। और जैसे ही वे एक सेंटर में इक्ट्ठे हुए सारा अंधेरा खत्म हो गया, और सामने एक चेहरा उभरा जो क्लियर, स्टेबल और बहुत जाना पहचाना सा था।

पर वो चेहरा नीना का नहीं था बल्कि उसका था, जिसने देवेनुस को पहली बार बनाया था।

 

 

 

देवेनुस का बनाया पहला चेहरा कौन था ये? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

 

 

 

 

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