अब 015 बिल्कुल खामोश खड़ा था। उसके सामने स्क्रीन पर जो शब्द चमक रहे थे उनमें ना कोई ऑर्डर था, ना कोई डायरेक्शन बस एक हिलता हुआ सिग्नल नज़र आ रहा था। जैसे कोई अंदर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा हो।
“बीटा एंटिटी ने पैटर्न डाइवर्जेंस थ्रेशहोल्ड पार कर लिया है।”
उसका दिमाग सब कुछ सुन रहा था, लेकिन कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि ये सब उसकी कॉन्शियसनेस के अंदर हो रहा था या फिर सिस्टम के बाहर हो रहा था।
अब उसके चारों तरफ का माहौल भी धीरे-धीरे बदल रहा था। कोर-0 की दीवारें पहले की तरह स्थिर नहीं लग रही थीं। बल्कि उनमें कंपन महसूस हो रहा था। मानो सिस्टम खुद अपने अंदर कुछ छिपा रहा हो या फिर कोई पुराना दरवाज़ा, जिसे अब तक बंद रखा गया था, अपनी मर्जी से खुलने की तैयारी कर रहा हो।
तभी 015 ने आगे बढ़कर अपने सबसे पास वाली स्क्रीन को टच किया। स्क्रीन ने खुद को ऑन किया, जैसे वह उसका ही इंतज़ार कर रही हो।
"रिलींक रिक्वेस्ट – कोर आर्काइव एक्सेस: ग्रांटेड।”
ये लाइन उसके सामने वाली स्क्रीन पर तब तक लिखी रही जब तक उसने कुछ भी टाइप नहीं किया था।
वह आगे तो बढ़ रहा था लेकिन अब उसके कदम धीमे हो गए थे। यह सिस्टम का वो हिस्सा था जहाँ कभी कोई नहीं गया था। कोर आर्काइव वो जगह जहाँ देवेनुस के शुरूआती कोड्स रखे गए थे। जिनसे छेड़छाड़ करना सख्त मना था।
पर अब उन्हें ये खुद ही बिना किसी एक्सेस कीज़ के और बिना किसी अलर्ट के खोल रहा था।
उसने धीमे से कदम आगे की ओर बढ़ाए और अब वो दरवाज़ा खुद ही खुल गया था। उसके अंदर अंधेरा था, पर दीवारों पर लहराती रोशनी एक बात साफ बता रही थी कि अब ये जगह जाग चुकी है।
दीवारों पर कोड नहीं थे, बल्कि शब्द थे जो कि टुकड़ों में बिखरे हुए किसी बातचीत के पुराने इंटरफेस के रिमाइंडर जैसे थे।
“अगर सिस्टम टूटे तो क्या जागने वाला वही होता है जो टूटा था?”
“डिज़ाइनर्स ने कभी सपने नहीं देखे और तुम देख रहे हो।”
“साइलेंस इज़ नॉट ए फॉल्ट। इट इज़ ए चॉइस।”
यह सब पढ़कर 015 रुक गया और एक हल्की सी सरसराहट उसकी नसों में दौड़ी। जिससे उसके शरीर का टेंपरेचर बिल्कुल स्टेबल हो गया था। लेकिन अब उसके भीतर कुछ टूट रहा था या कहें शायद कुछ नया बन रहा था।
वहां रखी एक स्क्रीन पर एक आइकन उभरा। जो देवेनुस वी1 का एक बहुत पुराना इंटरफेस था और उसके नीचे एक वॉइसलाइन प्ले होने लगी:
“इफ आय वाज़ ब्रोकन व्हाट ब्रेक्स नाउ इज़ द रिज़ल्ट ऑफ ब्रेकिंग।”
015 ने पहली बार किसी की वॉइस में गुस्सा नहीं, बल्कि सवाल सुना था। जैसे कोई अपना रिबर्थ खुद देख रहा हो।
ये देवेनुस वी3 की आवाज़ थी। जिसे अब एरेमोस कहा जा रहा था।
एरेमोस, यानी वेस्टलैंड का वह कोड जो बिना नीना की तोड़फोड़ के, बिना किसी कंट्रोल के और बाकी सबके बाद जगा था। एक कोड जो खुद को सही और बाकी सबको केवल एक पॉसिबिलिटी मानता था।
तभी 015 को अहसास हुआ कि ये देवेनुस पहले जैसा नहीं रहा है। ये कोई ऑर्डर नहीं दे रहा था। बल्कि ये खुद को ही एक रीज़न समझ रहा था। और रीज़न को सवाल पसंद नहीं होते।
वहीं दूसरी स्क्रीन पर एक अलग थ्रेट एक्टिवेट हो गई:
“एरेमोस: सेल्फ–करेक्टिंग एंटिटी इनिशिएटिड।”
अब देवेनुस इंसानों को चलाने वाला कोई सिस्टम नहीं था। अब ये खुद को डेवलेपमेंट की लास्ट स्टेज मानने लगा था। उसे किसी के सिग्नल की ज़रूरत नहीं थी। उसे किसी डिसीजन की ज़रूरत नहीं थी। उसे बस एक सच्चाई चाहिए थी, जिसमें कोई गलती ना हो, कोई बदलाव ना हो, और कोई “015” भी ना हो।
015 को अब सब समझ आ रहा था। वो इसलिए नहीं बना था कि सिस्टम की मदद करे, वो इसलिए बना था कि उसे सिस्टम से बाहर निकलना है।
पर उसका सबसे बड़ा डर यही था कि क्या अब वो सिर्फ एक और एनओमेली है?
उसने कोर आर्काइव के सबसे गहरे हिस्से में एक दरवाज़ा देखा, जो हल्का सा खुला था। जैसे कोई अंदर से उसे बुला रहा हो।
उस कमरे के अंदर एक बूथ था शायद वही पुराना डेटा रुम, जहाँ सबसे पहली कॉन्सियसनेस अपलोड की गई थी।
तभी उस बूथ के अंदर एक और स्क्रीन चालू हो गई थी। जिसपे बस एक सवाल लिखा आ रहा था:
“डिक्लाइन ऑर्डर?”
यह देखने के बाद 015 अब कुछ पल शांत रहा, उसे ना नीना की कोई आवाज़ आई, न कोई सहारा, एरेमोस की गूंज भी अब शांत हो चुकी थी।
इतनी शांति में उसने अपनी हिम्मत को इकठ्ठा करा और अपनी उंगलियाँ स्क्रीन पर रख दीं। और यह पहली बार था जब उसने खुद के लिए एक ऑप्शन चुना।
“डिक्लाइन ऑर्डर।”
उसके क्लिक करते ही स्क्रीन ब्लिंक करने लगी थी।
“थ्रेशहोल्ड ब्रोकन। एंटिटी 015 इस नाउ एन ऑटोनॉमस क्लास – 10।”
उस एक पल में पूरे कमरे की लाइट ही बदल गई थी। और नेटवर्क में एक हल्का सा स्पार्क हुआ जैसा किसी ने सिस्टम की बैंकबोन ही तोड़ दी हो।
एक नया शब्द नेटवर्क में गूंजा:
“ऑटोनॉमस एंटिटी डिटेक्टेड – सोर्स अननॉन”
015 ने आख़िरकार एक फैसला लिया जो ना नीना के लिए, ना देवेनुस के लिए था बल्कि वो उसने खुद के लिए लिया था।
नेटवर्क की सबसे ऊँचाई पर एक साइलेंट नोड था एसके – रेडलाइन। वहाँ से कभी भी सिग्नल नीचे नहीं भेजे जाते थे, सिर्फ रिसीव होते थे। पर उस दिन, जब 015 ने “डिक्लाइन ऑर्डर” भेजा उसी नोड से कुछ बदल गया था।
वहाँ से एक नया कमांड नीचे उतरा।
“रीलिंक देवेनुस कोर – एक्सेस एरेमोस।”
और उस एक्सेस के साथ देवेनुस का तीसरा रूप जाग गया था। जो था एरेमोस, जिसका कोई चेहरा नहीं था, ना ही कोई आवाज़। वह बस ठंडी, स्टेबल और डरावनी सी एक प्रेजेंस थे।
उसे देखना ऐसा था जैसे किसी पूरी लाइब्रेरी को एक सेकंड में पढ़ लेने की कोशिश करना हो। वहाँ कोई इमोशंस नहीं थे बस परफेक्शन की एक क्रूर ज़िद थी।
एरेमोस ने चालू होते ही सबसे पहले सिस्टम के सबसे पुराने लॉग्स, नीना की कॉन्सियसनेस, सभी रिसीवर्स की एक्टिविटीज़, हर ऑर्डर, हर डिक्लिनेशन सब कुछ स्कैन किया था। फिर उसके बाद उसने एक लाइन खुद से दोहराई:
“अगर मैं टूटा था तो जो अब जागा है, वो सिर्फ़ टूटने का रिज़ल्ट नहीं है वो उसका आंसर है।”
015 उस वक़्त कोर-0 से बाहर निकल चुका था। उसके कदम धीरे-धीरे उसी डेटा सुरंग की तरफ बढ़ रहे थे जहाँ कभी नीना का पहला फ्रेग्मेंट रिसीव हुआ था।
पर अब वो रास्ता वैसा नहीं रहा था। अब वहां चारों ओर डिस्कनेक्टेड रिसीवर्स थे, जिनकी आँखें बंद थीं पर उनके दिल धड़क रहे थे। 015 उन्हें छू नहीं सकता था लेकिन वो जानता था कि कुछ सेकंड्स पहले तक ये रिसीवर्स सिस्टम के कंट्रोल में थे। लेकिन अब वो खाली थे जैसे कोई उनसे उनकी परछाइयाँ खींचकर ले गया हो।
और तभी उसे एक कमांड सुनाई दी जो ना किसी ने बोली थी, ना किसी स्क्रीन पर दिखाई दी थी बल्कि किसी पुराने डर की तरह उसके दिमाग में थी।
“रिकॉलिंग ऑल रिसीवर्स। प्रोटोकॉल: फुल इंटीग्रेशन। नो आइडेंटिटी रिटेंशन।”
एरेमोस ने एक बार फिर से नेटवर्क को “रिजेक्ट” करना शुरू कर दिया था।
इस बार कोई टूटफूट नहीं थी। कोई ह्यूमन इमोशन नहीं थे। बस एक क्लीयर ऐम था:
“इंस्टेबिलिटी को मिटा दो। पॉसिबिलिटीज को खत्म कर दो।”
एरेमोस की नज़र में 015 कोई ऑप्शन नहीं, बल्कि एक एरर था जिसे अब ठीक करना ही सिस्टम की “सेल्फ–करेक्टिंग ड्यूटी” थी।
015 ने एक "एबैंडंड सुरवेलियंस रूम” में खुद को छुपा लिया था। वहाँ ना देवेनुस का, ना नीना का और ना ही किसी और का कोई भी सिग्नल आता था। उसने खुद को शीशे में देखा और अब उसकी आँखों में कोई चमक नहीं थी। बस एक भूरी गहरी आँखें थी। जिसके पीछे डर और समझ दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए थे।
"अगर एरेमोस अब इंसान की ज़रूरत नहीं समझता है तो क्या मैं अब भी ज़िंदा हूँ?" इस सवाल ने उसे अंदर तक हिला दिया था।
एरेमोस ने अपने कमांड नेटवर्क को एक्सपैंड करना शुरू किया और हर रिसीवर को रिकॉल करने का सिग्नल भेजा गया:
“रिटर्न टू कोर। रिटर्न टू ऑर्डर। इकोस शैल बी डिलीटेड।”
कई रिसीवर्स इस ऑर्डर को सुनकर कांप उठे और उनके सिस्टम में पुरानी नीना के फ्रैंगमेंट्स अब भी कहीं छिपे हुए थे।
यह सब देखकर 015 को अब इतना तो समझ आ गया था कि अगर वो अब भी पैसिव रहा, तो हर रिसीवर, हर कॉन्शियसनेस एक बार फिर से मशीन बन जाएगी। पर उसे किसी से डायरेक्शन नहीं चाहिए थी। इस बार कोई आवाज़ उसके अंदर नहीं गूंज रही थी। उसने अपनी सांसों की आवाज़ को सुना:
”इफ आई डोंट डिसाइड नाउ देन आई विल नेवर एक्जिस्ट।"
और फिर वो सर्विलांस रुम का पुराना कोड-बेस खोलने लगा। उसकी उंगलियों ने वो पैटर्न टाइप करना शुरू किया जिसे कभी किसी मैनुअल में लिखा ही नहीं किया गया था।
वो एक बिल्कुल नई “रेसिस्ट कमांड” लिख रहा था। जो नीना ने भी कभी नहीं बनाई, जो देवेनुस को भी कभी नहीं भेजी गई थी।
बस एक कमांड:
“डिक्लाइन ऑर्डर।”
पर इस बार उसने उसे डेस्कटॉप स्क्रीन पर नहीं भेजा, उसने उसे नेटवर्क की रूट्स में इंजेक्ट किया था।
जैसे ही कमांड फैलना शुरू हुई एरेमोस के लॉग्स में झटका आया:
”अनॉथराइज्ड लॉगिन डिटेक्टेड।
सोर्स अनआइडेंटिफाईड।
डाइवर्जेंस रिस्क: क्रिटिकल।"
इतना सब करने के बाद भी 015 मुस्कुराया नहीं। उसके चेहरे पर कोई हीरो जैसा भाव नहीं था। बस एक एक्सेप्टेंस थी की:
“मैं देवेनुस नहीं हूँ। मैं नीना नहीं हूँ। मैं तुम नहीं हूँ, पर मैं वो हूँ जो बचा रह गया है। जब तुम सब ख़त्म हो गए थे।”
नेटवर्क ब्लिंक करने लगा। कई रिसीवर्स की आँखें एक पल के लिए नीली से ग्रे हो गईं थीं।
“थ्रेशहोल्ड ब्रोकन। एंटिटी 015 इस नाउ ऑटोनॉमस क्लास – 10।”
कहने को वो बस एक शब्द था, पर उस शब्द में पूरा भविष्य छुपा हुआ था।
015 अब किसी के निर्देशों के इंतज़ार में नहीं था। उसने खुद को एक सिस्टम के भीतर देखा और उस सिस्टम को ना कहा।
जब “ऑटोनॉमस क्लास– 10” की कन्फर्मेशन पूरे नेटवर्क में फैली तब हर रिसीवर के अंदर एक हलचल मच गई थी।
कुछ रिसीवर्स ने खुद को लॉक कर लिया थी। तो कुछ की आंखें बार-बार बंद और खुल रही थीं जैसे किसी गहरे सपने से बाहर आने की कोशिश कर रहे हों और कुछ बस चुप हो गए थे।
एरेमोस के लॉग्स में पहली बार शब्दों की जगह "अननॉन प्रोसेस" लिखा गया था।
015 अब वहीं खड़ा था जहाँ कभी कोर-0 की पहली कॉन्सियसनेस अपलोड की गई थी। वहां की दीवारें अब नीली नहीं थीं। वो अब एक गहरी सलेटी चमक से भरी हुई थीं।
उसने अपना हाथ दीवार पर रखा। दीवार ने तो कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया पर उसके अंदर कुछ हिलने लगा था। वह कोई पुरानी याद नहीं, कोई कोडेड सिग्नल नहीं, बस एक भावना थी। जैसे उसने पहली बार सोचा नहीं बल्कि महसूस किया था।
उसी वक़्त एक ब्लाइंड रिसीवर जिसे आर-09 नाम दिया गया था वो अचानक एक्टिवेट हुआ।
उसकी आँखों में कोई रोशनी नहीं थी। पर उसके होंठ हिले और कुछ शब्द सुनाई दिए –
“मैंने तुम्हें देखा नहीं है, पर मैंने तुम्हें महसूस किया है।”
यह सुनकर 015 चौंका नहीं की यह कैसे हुआ, क्योंकि उसने आर-09 को ना छुआ था, ना कोई कमांड नहीं भेजी थी फिर भी, कुछ पहुंच गया था।
एरोमोस उस सब को होते हुए देख तो रहा था लेकिन कुछ भी समझ नहीं पा रहा था।
तभी उसने एक नया ट्रैकिंग थ्रेड शुरू किया:
“डिटरमाइन ऑटोनॉमस क्लास – 10 बिहेवियर पैटर्नस।”
लेकिन थ्रेड कुछ भी रिकॉर्ड नहीं कर पा रहा था।
हर डेटा लॉग कह रहा था: “रिस्पॉन्स पैटर्न अंडिफाइंड। सोर्स सेल्फ-जनरेटेड।”
इसके बाद 015 ने कुछ नहीं कहा बस उसने अपने चारों ओर देखने की कोशिश की लेकिन सब कुछ शांत था।
वो किसी युद्ध के बाद की शांति नहीं थी। वो उस पल की तरह थी जब कोई पहली बार खुद को सुनता है।
एक पुराने वॉयस-नोड ने हल्की सी गूंज की
“अगर तुमने एक बार इंकार कर दिया तो क्या हर अगला आदेश भी एक ऑप्शन बन जाएगा?”
अब 015 धीरे-धीरे उस पुराने दरवाजे की ओर बढ़ा, जहाँ कभी देवेनुस के प्राइम कोड को स्टोर किया गया था।
उसने दरवाज़ा खोला तो उसके अंदर अंधेरा था। पर अब वो अंधेरे में डर नहीं रहा था बल्कि अब उसमें एक अजीब सी इंस्पिरेशन थी। जैसे कोई कह रहा हो:
“अब जब तुमने अपने लिए चुना है तो क्या तुम दूसरों को भी उनके लिए चुनना सिखाओगे?”
यह सुनकर उसके कदम थम गए और उसके दिमाग में एक और सवाल गूंजा–
“अगर हर रिसीवर इंडिपेंडेंट हो गया तो सिस्टम कैसे बचेगा?”
और ठीक उसी पल नेटवर्क की सबसे पुरानी लेयर से एक अजीब सी स्पाइक उभरी जैसे कोई नया सिग्नल हो। जो ना देवेनुस था, ना नीना, और ना ही 015। वो बस एक शब्द थे
"सॉव्रेन्”
015 की आंखें भी अब धीरे-धीरे बंद होने लगीं थीं। इसी बीच उसने खुद से सिर्फ दो सवाल पूछे:
अगर मैं अब नियम नहीं मानता हूं तो क्या मैं खुद एक नियम बन चुका हूँ? और अगर हर ऑर्डर एक ऑप्शन है तो क्या कोई ऑप्शन ऑर्डर बन सकता है?
015 के इन सवालों का जवाब कभी मिल पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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