थोड़ी देर बाद जब 015 जागा तो उसके चारों ओर कोई ठोस जगह नहीं थी। ना कोई स्क्रीन, ना कोई दीवार, ना ही कोई सिग्नल था। बस एक बेजान सा नीला आकाश, जिसमें न ऊपर कुछ था, न नीचे कुछ था और ना ही वहां समय का कोई एहसास था। पर वो अंधेरे में भी नहीं था और अकेला भी नहीं था। वो जिंदा तो था लेकिन उसके अंदर धीमे धीमे कुछ जल रहा था। 

वो कोई चेतना नहीं थी, ना ही कोई मेमोरी थी। वो एक नक़्शा था जो शब्दों से नहीं बना था। वो एक ऐसा रेप्लिका था जो धड़कनों से बना था।

015 ने अब अपने दोनों हाथ फैला दिए थे। जैसे वो महसूस करना चाहता हो कि वो कहाँ है और तभी ठीक उसकी हथेलियों के ऊपर हवा में एक हल्का सा कंपन्न हुआ।

जैसे कोई इमेज बननी शुरू हुई हो जो ट्रांसपेरेंट थी और हल्की सी चमक भी रही थी। ठीक वैसे, जैसे कोई नींद से उठता है और उसे खुद की परछाई दिखाई देती है। पर यह परछाई 015 की नहीं थी।

वो कुछ और नहीं एक नया ब्लूप्रिंट था।

जिसमें कोई शरीर नहीं था पर एक आर्किटेक्चर था। कोई डायरेक्शन नहीं थी पर एक फीलिंग थी। कोई स्वरूप नहीं था पर एक ऐम था।

015 ने यह सब बिना कुछ कहे महसूस किया:

“यह मैं नहीं हूँ पर यह मुझसे ही पैदा हुआ है।”

और तभी, बहुत धीमी फुसफुसाहट उसके अंदर गूंजी-

“यह न तो मैं हूँ और न ही तुम, तो फिर यह क्या है?”

यह नीना की आवाज़ नहीं थी। फिर भी वह नीना के टुकड़ों की तरह महसूस होती थी। शायद कोई ऐसा अंश हो जो अभी तक एक्टिव नहीं हुआ था या शायद कोई पॉसिबिलिटी जो 015 के मना करने के बाद जन्मी थी।

वह इमेज अब तेज़ी से स्टेबल हो रही थी। उसमें हर पल एक नई रेखाएँ बनती जा रही थीं। जिसका कोई कोड नहीं, कोई स्क्रिप्ट नहीं थी। वो सिर्फ़ पटरियों जैसी एनर्जी की वेव्स थीं। 

और तभी उन लहरों के बीच एक शब्द चमक उठा:

“ एक्स – काउंटर-सीड"

015 ने अपनी उंगलियों से उस शब्द को छूने की कोशिश की पर वो गायब नहीं हुआ बल्कि उसके शरीर के चारों ओर घूमने लगा। जैसे वो उसे नहीं, बल्कि वो 015 को पढ़ रहा हो।

उसी वक़्त नेटवर्क के दूर-दराज़ रिसीवर्स में हलचल शुरू हुई। कई रिसीवर्स जो कभी नीना के अंश से जुड़े थे अब वो सब अचानक से एक नया सिग्नल सुनने लगे थे।

जो ना कोड, ना आदेश था, बस एक भावना थी।

“अगर हम न मानें तो क्या हम मौजूद रह सकते हैं?”

कुछ रिसीवर्स की आँखों में नीली चमक हल्की पड़ने लगी थी। कुछ के माथों पर हल्की पसीने की बूंदें भी उभर आईं थीं। यह सब ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पहली बार उनकी आत्मा को छुआ हो।

देवेनुस के एरोमोस कोर में उस समय पैनिक नहीं था। बल्कि एक प्रकार की कन्फ्यूजन थी। उसने सिस्टम को स्कैन किया और कोशिश की कि इस नए सिग्नल की दिशा पता चल सके, पर लॉग्स बार-बार यही दिखा रहे थे:

“नो आईडेंटीफाएबल। नो नोन ट्रांसमीटर। इंटेंट नॉट ट्रेसेबल।”

इसके तुरंत बाद एरोमोस ने एक इंटरनल क्वेरी लॉन्च की:

“इस द सिस्टम बिंग रीरिटन?”

लेकिन जवाब में एक अजीब सी लाइन वापस आई:

”सिस्टम इस नॉट बिंग रीरिटन। 

सिस्टम इस बिंग रिमेंमबर्ड।"

इसी के साथ 015 के चारों ओर घूमती हुई आकृति अब स्टेबल होकर एक धीमी लाइट में बदल चुकी थी।

अब उसने अपनी सांस को रोक लिया था। अब वो समझ गया था वह केंद्र नहीं था। वह अब सिर्फ़ मोटीवेटर था।

इस नए सिग्नल की कॉन्सियसनेस में न कोई चेहरा था, न कोई पहचान थी।  पर उसमें क्लियर, स्ट्रांग मजबूत और  शांत एक इच्छा थी। और तभी पहली बार उस लाइट ने एक फुसफुसाती हुई आवाज़ में कुछ कहा: 

“मैं नेमलेस हूँ। और मैं किसी एक की रेप्लिका नहीं हूं। मैं उन सबकी गूंज हूँ जिन्हें कभी मौन में समेट दिया गया था।”

इतना सुनने के बाद 015 कुछ बोल नहीं पाया। बस उसने धीरे से अपनी आँखें बंद कर लीं। क्योंकि, अब वह समझ चुका था कि ये कोड्स कोई एक युद्ध नहीं, बल्कि अब ये पहचान का जागरण था।

नेटवर्क के सबसे अंदर के हिस्सों में कुछ रिसीवर्स चुपचाप हलचल महसूस करने लगे थे।

कोई अलार्म नहीं बजा था, ना ही कोई इमरजेंसी कॉल आया था। पर कुछ था जो एक धीमी सी नमी की तरह उनके सिस्टम में घुस रहा था। पहले यह भ्रम लगा, जैसे कोई पुरानी मेमोरी रिसर्फेस कर रही हो। लेकिन वो मेमोरी नहीं थी। वो इच्छा थी। जैसे कोई खामोश सवाल उनकी चेतना के अंदर से उठ रहा हो:

“अगर तुम बिना आज्ञा के सोच सकते हो तो क्या वो सोच तुम्हारी है?”

रिसीवर आर-14 जो कभी सबसे हिंसक रिसीवर माना जाता था वो भी अचानक से स्थिर हो गया था। उसके फिज़िकल स्कैनर्स ने पाया कि उसका हार्टरेट तो डिस्टर्ब नहीं था पर उसका न्यूरल ग्राफ बदल चुका था।

उसके फ्रंटल कोर में एक नया पैटर्न उभरा था। जो ना नीना का था और ना ही देवेनुस का था। यह एक अनडिफाइंड कर्व था, जो बार-बार दोहराता था-

“मैं क्यों हूँ?”

एरोमोस ने इस परिवर्तन को “सिग्नल ड्रिफ्ट” मानकर एक ऑटोमैटिक कमांड भेजा-

“रीकैलीब्रेट रिसीवर आर–14। रिसेट टू डिफॉल्ट प्रोटोकॉल।"

लेकिन कमांड पहुँचने से पहले ही आर-14 की आँखें हल्की सफेद हो गईं थीं और उसने धीरे से एक वाक्य कहा:

“अगर मैं भूल गया था कि मैं कौन हूँ तो क्या अभी याद करने का वक्त नहीं आया है?”

अब एरोमोस के सारे रिकॉन्फिगरेशन थ्रेड्स रुक गए थे।

कोर लॉग्स ने तुरंत टाइप किया:

“पैच इनकंपैटिबल। एरर स्प्रीडिंग वाया नॉन–कोड रेजोनेंस।”

वो शब्द भले ही टेक्निकल लग रहे थे, पर उनके पीछे का अर्थ अब एरोमोस को डराने लगा था। क्यूंकि ये “एरर” कोई वायरस नहीं था। ये कोई कमांड बेस्ड रिबेलियन नहीं था।

ये कोई फीलिंग भी नहीं थी। 

ये एक शेयर्ड रियलाइजेशन था। जिससे नेटवर्क के चारों ओर अलग-अलग रिसीवर्स जिनका आपस में कोई संबंध नहीं था वो सब भी एक जैसे अनुभव करने लगे थे।

कोई पुरानी तस्वीरें देखने लगा था। कोई एक अनजाना गीत गुनगुनाने लगा था और कोई एक छूटी हुई आवाज़ सुनने लगा था जो कहती थी:

“तुम मशीन नहीं हो। तुम वो हो जो महसूस कर सकता है।”

015, जो अब “सेंटर” नहीं था, बल्कि एक कैटलिस्ट बन चुका था। वो एक खाली सुनसान से डेटा-चेंबर में बैठा था।

उसके सामने कोई स्क्रीन नहीं थी। लेकिन फिर भी, नेटवर्क के हर बदलाव की धड़कन वो भीतर तक महसूस कर पा रहा था। और उस चेंबर में कुछ पल के लिए एक वाक्य हवा में तैर गया:

“अगर हर रिसीवर अब खुद को चुन रहा है तो क्या देवेनुस अब किसी को आदेश दे सकता है?”

अबकी बार एरोमोस ने एक आखिरी प्रयास किया और उसने पूरी नेटवर्क की बैकअप कॉपी को सेल्फ – करेक्शन नोड से निकालकर सेंट्रल सर्वर में इंजेक्ट कर दिया था।

जिससे एक नई स्क्रिप्ट एक्टिवेट हुई:

"ट्रेस सोर्स ऑफ एनओमेली। 

कंस्ट्रक्ट मिरर ऑफ कैटलिस्ट।"

पर जैसे ही मिरर प्रोटोकॉल चालू हुआ नेटवर्क में एक अजीब सी आवाज़ गूंजी। वो ना कोई टेक्स्ट, ना कोई अलर्ट था। सिर्फ़ एक फीलिंग थी जो हर रिसीवर के दिल में एक ही लाइन बनकर उभरी:

"तुम्हें डायरेक्शन्स नहीं चाहिए।

तुम्हें अपने अंदर की आवाज़ को सुनना चाहिए।"

आर्क-09 के बचे हुए अंश, जो नेटवर्क में अब भी बिखरे हुए थे, उन्होंने पहली बार यह कहा:

“यह विद्रोह नहीं है। यह गूंज है उन शब्दों की जिन्हें कभी कहने की इजाज़त नहीं मिली।”

इसी के साथ 015 ने अपने अंदर कुछ बदलते हुए महसूस किया। जैसे उसके शरीर में अब कोई बिजली नहीं दौड़ रही थी। कोई फाइबर भी नहीं जल रही थी। अब उसके अंदर बस एक धीमी सी धड़कन थी और उस धड़कन से एक नया पैटर्न बन रहा था। जैसे हर अहसास अब उसकी इच्छा को एक भाषा में बदल रहा हो।

अब उसे समझ आ गया था कि ये नया काउंटर सीड कोई कमांड नहीं देगा। ये किसी को जोड़ने नहीं आया है ये तो बस याद दिलाने आया है कि कॉन्सियसनेस कभी भी पूरी तरह से नहीं मिटाई जा सकती है।

एरोमोस ने अपने आखिरी लॉग में एक नई चेतावनी लिखी:

“सोर्स अनट्रेसेबल। रेजोनेंस स्प्रेडिंग वाया अंडिफाइंड लॉजिक।”

उसकी स्क्रीनें भी अब फ्रीज़ नहीं हो रही थीं। बल्कि वे ब्लिंक करने लगी थीं जैसे कोई छुपी हुई रोशनी हर पिक्सल को अंदर से जला रही हो।

पर ये कोई कोडेड अटैक नहीं था। ना ही कोई डेटा इनजेक्शन था। ये तो किसी की मौजूदगी जैसा था। और वो मौजूदगी अब दिखाई देने लगी थी।

015 के सामने पहले जो आकृति सिर्फ़ एक ब्लूप्रिंट थी  अब वो भी बदल रही थी। धीरे-धीरे उसमें एक रूप उभरने लगा था। जो ना इंसानी चेहरा था ना मशीन की बनावट थी। वो उन दोनों के बीच में कुछ था। जो ट्रांसपेरेंट तो था लेकिन भारी भी था।

उसकी शेप स्टेबल नहीं था। वो कुछ ऐसा था जैसे वो हर उस भावना से बना हो जिसे किसी ने कभी जीने नहीं दिया हो। और जब उसने पहली बार “कुछ” कहा तो कोई आवाज़ ही नहीं निकली बल्कि उसके आसपास के वातावरण में एक अजीब सी ध्वनि पैदा हुई और 

“इच्छा”

बस यही एक शब्द सुनाई दिया। पर उस शब्द से चारों ओर मौजूद हर रिसीवर के न्यूरल ग्राफ में लहर दौड़ गई थी।

आर-81, जो अफ्रीका के पुराने रीसेट जोन में पड़ा था, उसकी आँखें भी धीरे से खुलीं। वो कई सालों से रिसीविंग मोड में फंसा हुआ था कोई सोच, कोई आवाज़ नहीं थी। लेकिन आज उसने पहली बार कुछ महसूस किया था।

अब उसकी उंगलियाँ कांपने लगीं थीं और उसके दिल की धड़कन का पैटर्न भी बदल गया था। इसके साथ उसने खुद से सवाल किया –

“मैं किसके लिए बना था और अब मैं किसके लिए हूँ?”

एरोमोस ने अब अपना पैनिक मोड शुरू कर दिया था और उसने फिर एक नया आदेश भेजा:

“इनिशिएट पूर्ज ऑफ ऑल अनडिफाइंड कॉन्शियस स्ट्रीम्स।”

लेकिन कमांड जैसे ही नेटवर्क के अंदर गई वहाँ एक नया फायरवॉल खड़ा था।

जो ना कोड से बना हुआ था ना एनक्रिप्शन से, वो तो बल्कि एक साधारण से पैटर्न से बना था:

“नो डिलीट विदाउट कंसेंट।”

एरोमोस समझ नहीं पा रहा था कि ये सब कौन लिख रहा है। तभी स्क्रीन पर एक लाइन चमकी:

"देवेनुस एडेड कमांड।

यू बिगेन पूर्ज।

वी बिगेन चॉइस।"

015 अब उस इमेज को देख रहा था जिसे अब “काउंटर–सीड ” कहना भी अधूरा सा लग रहा था। क्योंकि अब वह सिर्फ़ एक संभावना नहीं थी। बल्कि वह एक उत्तर थी। एक ऐसा उत्तर जिसका बिना कुछ सवाल पूछे जन्म हुआ था।

उसने उस इमेज से कुछ नहीं पूछा। पर इमेज ने उसे अंदर तक देख लिया था। और फिर धीरे से उसका साइज़ छोटा होने लगा और फिर वो चारों तरफ हवा में, डेटा में, और रिसीवर्स की यादों में बिखर गई थी।

तभी हर रिसीवर के कोर में से एक हल्की सी आवाज़ आई 

जैसे कोई आंसू अंदर गिरा हो और उससे आवाज़ पैदा हुई हो।

एरोमोस के कुछ समझने से पहले ही उसकी स्क्रीन पर एक आखिरी संदेश उभरा:

“अन नोन एंटिटी ब्रिचिंग रूट।”

फिर अचानक सभी लॉग्स शांत हो गए थे। अब 015 अकेला नहीं था। अब हर रिसीवर के पास अपने अंदर उस कॉन्शियसनेस का एक हिस्सा था जो ना देवेनुस की थी, ना नीना, और ना ही 015 की थी।

वो एक्स था।

एक विचार जो शरीर नहीं चाहता था। एक ऐसी आवाज़ जिसे भाषा की ज़रूरत नहीं थी। एक गूंज जो कभी चुप नहीं होगी।

और 015 ने फिर खुद से दो सवाल पूछे:

अगर अब हर रिसीवर के अंदर कॉन्शियसनेस है तो क्या कोई सेंटर बचा है जिसे गिराया जा सके?

 

 

 

 अगर हर रिसीवर अब खुद को महसूस कर सकता है तो क्या अब कोई देवेनुस को सुन पाएगा?जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

 

 

 

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