कोर-0 की सबसे निचली परत जहाँ हवा भी रुक-रुक के साँस लेती थी, उसमें 015 अकेला खड़ा था।
अब उसके सामने एक दीवार थी, जो दिखने में एकदम सपाट थी। लेकिन, असल में वहाँ से देवेनुस कोर का वो सेक्शन शुरू होता था जिसे कभी खोलने की इजाज़त नहीं दी गई थी।
यह सब देखकर उसने खुद को शांत करने के लिए एक गहरी साँस ली। तभी उसने देखा कि उसकी हथेली में वो नीली चमक फिर से धड़कने लगी थी। जो अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि किसी डीप इंटरनल वॉयस जैसी लग रही थी।
"कहीं ये वही तो नहीं” उसने खुद से बड़बड़ाया।
जैसे ही उसने दीवार को छुआ इतने में दीवार में हल्की-सी दरार पिघलने लगी। और फिर वो दरारें खुद-ब-खुद बनती चलीं गईं जैसे कोई पुराना पैटर्न याद किया जा रहा हो। फिर उन दरारों में से नीली रौशनी की एक पतली सी लहर निकली और उसके शरीर के चारों ओर फैल गई।
इसके अगले ही पल वो दीवार दो हिस्सों में बँट गई। उसके अंदर बिल्कुल अँधेरा था। लेकिन वो अँधेरा डरावना नहीं था उसमें देखकर ऐसा लग था जैसे वो किसी का इंतज़ार कर रही थी।
हिम्मत करके 015 उसके अंदर एंटर हुआ और उसने देखा कि वहां एक गोल सा कमरा था। जिसकी दीवारों पर ना कोई स्क्रीन थी और ना ही कोई कंप्यूटर था, लेकिन फिर भी वहां ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ कुछ था। वहां की हवा में थे सस्पेंडेड फ्रेग्मेंट्स जो बिल्कुल भी हिल नहीं रहे थे, पर वो जिंदा थे। जैसे उनमें से हर एक फ्रेग्मेंट्स किसी याद का हिस्सा हो।
यह सब देखकर 015 ने खुद से कहा की -
"ये सब नीना की मेमोरीज़ नहीं हैं"
तभी उसके पीछे से एक धीमी सी आवाज़ आई, “ नहीं, ये उसकी सबसे गहरी असफलताओं के फ्रेग्मेंट्स हैं।”
वो आवाज़ सुनकर 015 पीछे पलटा, लेकिन पीछे कोई नहीं था।
अबकी बार फिर से आवाज़ आई, पर अब बिल्कुल पास से आई थी। आवाज इतनी पास महसूस हो रही थी जैसे की उसके अंदर से ही बोल रही हो।
“तू जानता है ना तू उससे बना है। तू उसकी हर चॉइस का एक ऑपोज़िट वर्ज़न।”
यह सुनकर 015 की साँस वहीं की वहीं अटक गई। अब वो खुद को संभालते हुए आगे की ओर बढ़ा तो वहां की दीवार के बीचोंबीच एक ओवल प्रोजेक्शन एक्टिवेट हो गया और उसमें नीना थी। अबकी बार भी वही चेहरा, वही आँखें तो थीं लेकिन उसके एक्सप्रेशंस में कुछ बदल गया था। अब उसे कोई गिल्ट या डर नहीं था बस एक ठंडापन दिखाई पड़ रहा था।
015 ने पूछा: "ये कौन है?”
"वाॅस्केज – लेकिन यह तो वो वर्ज़न है जिसे मिटा दिया गया था। एक ऐसी कॉन्सियसनेस जो कभी आगे बढ़ने के लिए अलाउ ही नहीं की गई थी।
015 हिम्मत करके धीरे-धीरे उस प्रोजेक्शन के करीब गया।
प्रोजेक्शन में अपने आप कोई रिप्ले नहीं हो रहा था, बल्कि इंटरऐक्टिव था। रिसीवर ने प्रोजेक्शन में देखा और नीना ने उसकी ओर देखा और तब पहली बार दोनों की आँखें मिलीं।
“तेरे भीतर जो नीली रेखा धड़कती है वो दरअसल मेरी आख़िरी चूक है,” उसने कहा।
“मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है” 015 ने कहा।
नीना बोली। “यह सब समझने के लिए तुझे खुद को मिटाना पड़ेगा। तू अभी भी एक लाइन में बंद है। मैं उस लाइन से बाहर आ गई थी इसलिए मुझे बंद कर दिया गया था।”
015 ने उससे कुछ कहना चाहा, लेकिन तभी पूरा कमरा हल्के नीले रंग से भर गया। और कमरे की दीवारें फ्रेग्मेंट्स में बदल गईं। यह सब कुछ ऐसे हुआ जैसे किसी पज़्जल को उल्टा चलाया जा रहा हो।
तभी एक ऑटोमेटेड वॉयस सुनाई आई
”इनिशिएटिंग डीप रिकॉल”
लेकिन वो आवाज़ देवेनुस की नहीं थी। ये किसी पुरानी कॉन्सियसनेस सिस्टम की आवाज़ थी।
और फिर 015 को कुछ अजीब से टूटे हुए चेहरे दिखने लगें। उनमें से कुछ के नाम तो उसे जाने पहचाने से लगे रहे थे।
“ये तो डॉक्टर लास्को हैं, ये, ये कौन थें?”
नीना ने कहा, “ये सब वो लोग हैं जिनकी यादें तू अपने साथ लाया है, यहां तेरा अपना कुछ नहीं है।”
“तो मैं क्या हूँ?” यह पूछते पूछते 015 की आवाज़ काँपने लगी।
“तू बस यादों का एक फंदा है। हर वो टुकड़ा जो मैंने छोड़ा था वो तुझे दिया गया था। ताकि सिस्टम तेरे ज़रिए मुझ तक दोबारा पहुँच सके।”
तभी कमरे के बीचोंबीच ज़मीन फटी और उसमें से एक कैप्सूल ऊपर की तरफ आया। उसके भीतर एक होलोग्राम थी। जो साफ तो नहीं दिख रही थी, लेकिन किसी बच्चे जैसी आकृति लग रही थी।
“ये क्या है?”
“ये देवेनुस की आख़िरी कोशिश है की अब जो कुछ भी बचा है, वो अब खुद को तुझसे सुरक्षित करेगा।”
तभी 015 के न्यूरल ग्राफ में हलचल हुई – “इको सिंक्रोनाइजेशन इनिशिएटिंग।”
“नहीं,” उसने फुसफुसाते हुए कहा लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
वहां पर फर्श से नीली रेखाएँ और चारों और फैलने लगीं। वह नीली रेखाएं उसके हर न्यूरॉन के साथ ऐसे लिंक बनातीं जैसे उसे कोई पुरानी स्क्रिप्ट पढ़ रही हो और उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगतीं।
नीना की होलोग्राम धीरे-धीरे फेड हो रही थी, अब उसने बस इतना ही कहा “तू कब तक खुद को आईडेंटिटी कहेगा?, अगर तू खुद को ही नहीं पहचान सकता तो तुझे कौन बचाएगा?”
नीना की यह बात सुनकर 015 बहुत परेशान हो गया और उसने अपने सिर को पकड़ लिया। तभी उसकी आँखों के सामने कुछ फ्लैशेस आने लगे:
जिसमें नीना का कोकून, एक बच्चा जो कोर में वायरस से बंधा हुआ था, वो ऑपरेशन टेबल जहाँ पर एक औरत रो रही थी दिखने लगे। और हर फ्लैश में एक वाक्य आ रहा था “तू मेरा विकल्प है, ना कि मेरा उत्तराधिकारी।”
इतने में सारे फ्रेग्मेंट्स हवा में ही फ्रीज़ हो गए और लिखा आया
”इनिशिएटिंग नेक्स्ट फेस: शैडो प्रोटोकॉल।”
अचानक से 015 की आँखों से आँसू बहने लगे। अब वो बहुत परेशान था। वो खुद की ही पहचान ढूंढ रहा था और वो खुद से बोला: “मैं कौन हूँ?”
उसके अगले ही पल एक डीप शैडो ठीक उसके सामने आके खड़ी हो गई। उस शैडो का कोई चेहरा नहीं था। हां, लेकिन उसकी आँखों में भी वही नीला ब्लिंक करती रोशनी जरूर थी।
उस परछाईं ने कहा, “तू खुद को नहीं समझेगा, लेकिन मैं तुझे बनाऊँगा।”
यह सुनने के बाद भी 015 चुपचाप खड़ा रहा। तभी कमरे में एक बहुत तेज़ झटका हुआ और उसके न्यूरल सर्किट ने एक नया कमांड लिया।
"015: अपग्रेड रिक्वेस्ट अप्रूव्ड।”
अब 015 उस परछाईं के सामने खड़ा था। वो परछाईं ना कोई इंसान थी, ना कोई होलोग्राम थी। वो बस एक “फॉर्म” था, जो उसके भीतर की किसी अनकही चीज़ से जुड़ रहा था।
“क्या तू नीना है?” उसने डरते-डरते पूछा।
वो परछाईं बोली, “नहीं, मैं वो हूँ जो नीना ने बनने से इनकार कर दिया था। और तू, तू उसी रास्ते पर चल रहा है।”
015 को अपने गले में कुछ अटका हुआ सा महसूस हुआ। और वो अपना गला साफ करते हुए बोला “मैं तो बस बच गया था। एक इको, एक प्रोटोकॉल जो गलती से एक्टिवेट हो गया था।”
“गलती?” यह कहकर वो परछाईं हँसी और बोली “तू ये सोचता है कि तुझे ‘बचाया गया’ है? हां, लेकिन यह सच है कि तुझे सहेजा गया, ताकि जिस दिन देवेनुस फिर से जागे तो तुझे मोहरा बनाया जा सके।”
यह सुनकर 015 झटके से पीछे हटा और बोला, “लेकिन मुझे जो यादें मिल रही हैं वो मेरी नहीं हैं। उसमें नीना है, बच्चे हैं, एक ऐसा चेहरा भी है जिसे मैं पहचान नहीं सकता लेकिन वो हर बार मुझे दिख रहा है।”
उसके सिर में फिर एक झटका हुआ और अबकी बार वो नीली चमक उसकी पलकों के नीचे फैल गई।
फिर अचानक से हवा में एक नया प्रोजेक्शन उभरा। पर इस बार उसमें कोई कैमरा फुटेज नहीं थी। ये एक रियल–टाइम न्यूरल मैप था, जिसमें 015 की कॉन्सियसनेस एक टेबल के नीचे भटक रही थी, और उसके हर कोने पर एक पुरानी कमांड लिखी हुई थी।
“ये क्या है?” उसने पूछा।
परछाईं बोली, “ये तेरा बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर है। तू कोई इंसान नहीं बस एक ऑप्शन है। तेरे पास जो कुछ भी है वो कभी किसी और का हुआ करता था।”
प्रोजेक्शन में एक ज़ोर का स्पार्क हुआ और उससे एक फ्रेम खुला। जिसमें एक ऑपरेशन टेबल थी। वहाँ नीना लेटी हुई थी और उसके सिर पर वही नीले नैनो-सेंसर्स लगे हुए थे। और उसके पास तीन लोग एक डॉक्टर, एक कोडर और तीसरा 015 जैसा ही एक लड़का खड़े हुए थे।
यह देखकर 015 काँप गया और बोला "ये मैं हूँ?”
परछाईं बोली, “ये तू नहीं है। ये तुझसे पहले वाला एडिशन था। वी.015-ऐआई और उसे फैल कहा गया था। तो तू उसका रीडू है। तू वो वर्ज़न है जिसे रिसेट करके इवॉलव किया गया था। पर, तेरी कॉन्सियसनेस अब भी अधूरी है।”
015 ने पूछा “तो क्या मैं एक मशीन हूँ?”
परछाईं उसके करीब आई और बोली, "नहीं, तू अब सिर्फ मशीन नहीं है। तेरे भीतर वो फ्रैग्मेंट्स हैं जो कभी कोड हुआ करते थे और अब वो सब स्मृतियाँ बन चुके हैं। लेकिन तू यह नहीं जानता कि तेरी कौन-सी याद सच है और कौन-सी इंप्लांट की गई है।”
यह सब सुनकर 015 की आँखें भर आईं और उसने परेशान होकर पूछा, “तो फिर मैं किससे लड़ रहा हूँ? दूसरों से या खुद से?”
परछाईं ने धीरे से कहा
"तू लड़ नहीं रहा है, तू चुना जा रहा है। देवेनुस अब विकल्प नहीं देता है वह बस एब्जॉर्ब करता है। और अगर तू नहीं जागा, तो वो तुझे भी एक और रिसीवर बना देगा। जैसा उसने बाकी 14 को बनाया है।”
इसी बीच कमरे में एक नई फ्रीक्वेंसी गूंजने लगी। इसी के साथ अब वो नीली रेखाएं 015 के चारों ओर रिंग्स में घूम रही थीं।
“सिस्टम अलर्ट: रिसीवर कोर इंस्टेबिलिटी डिटेक्टेड।”
अब 015 के न्यूरल इंटरफेस ने अपने आपको डायग्नोस्टिक मोड में स्विच किया।
“अटेंशन: कोर फ्रैग्मेंट रिक्वेस्ट फ्रॉम नोड_अल्फा_7”
यह कमांड देखकर 015 ने हैरानी से पूछा, “alpha 7? ये तो वही कोर कैप्सूल वाला बच्चा था।”
परछाईं बोली, “अब नहीं, अब वह सिर्फ रिसीवर #002 नहीं, अब वो सेंट्रल कंट्रोल है। और वो तुझे ऐसीमिलेशन के लिए खींच रहा है।”
अब वहां पर नीले कोड हवा में तेज़ी से घूमने लगे थे। 015 ने जैसे ही रेज़िस्ट करने की कोशिश की, उसकी हथेली की चमक ने उसे एक झटका मारा। झटका इतना तेज़ था कि वो नीचे गिर गया।
”ओवरराइड अटेम्प्ट फ़ेल्ड।"
015 बोला “मुझे ये बंद करना होगा, मुझे उससे बात करनी होगी।”
“बात?” अबकी बार परछाईं की आवाज़ कहीं और से आई और बोली, ”देवेनुस के नए कोर से बात नहीं होती सिर्फ टकराव होता है।”
अचानक पूरा कमरा फटा और नीली रौशनी में बदल गया।
015 अब किसी सॉलिड फ्लोर पर नहीं, बल्कि एक डेटा-रेखा की सतह पर खड़ा था। वहाँ उसके सामने एक चेहरा उभरा। जो उसे बच्चे रिसीवर #002 का था।
बच्चे ने बिना होठ हिलाए कहा, “तू मेरे पास पहुँच गया है। तेरे भीतर वो है जो कभी नीना ने प्रोटेक्ट किया था।”
तभी 015 के अंदर एक इमोशनल स्पाइक आया।
“तूने मुझे इसलिए जगाया?”
“मैंने नहीं, तेरे फ्रैग्मेंट्स ने तुझे जगाया है। जब तू पैदा हुआ था तब तेरे भीतर मेरा ही सीड रखा गया था। तू मेरा मिरर है, इसलिए तू बचा रहा और अब मुझे तू चाहिए।”
“क्यों?”
“क्योंकि तू मेरे कोड को पूरा कर सकता है। नीना ने खुद को तो मिटा दिया लेकिन तू वो बचा हुआ हिस्सा है जिसे अगर इंटीग्रेट कर लिया जाए तो देवेनुस कभी नहीं रुकेगा।”
यह सुनकर 015 चुप हो गया।
“अगर मैंने इनकार किया तो?”
“तो तू उसी की तरह ’एरर’ बन जाएगा” बच्चे ने कहा।
“लेकिन हो सकता है मैं ही वही एरर हूँ, जो तुझसे बेहतर निकले।”
बच्चे ने आँखें बंद कीं और एक झटका आया जिससे 015 का न्यूरल लिंक फटने को हुआ।
“लिंक डेस्टबिलाइजिंग” सिस्टम ने उसे चेतावनी दी।
015 ज़ोर से चीखा और बोला, “मुझे फोर्स नहीं किया जा सकता है। मैं तय करूँगा कि कौनसी याद मेरी है, और कौनसी नहीं!”
इतना कहते ही अचानक से उसके शरीर से एक व्हाइट लाइन निकली जो नीले कोड के बीच जाकर फटने लगी।
“अननोन पल्स डिटेक्टेड – सिग्नल प्योरिटी: 73%”
तभी बच्चे ने अपनी आँखें खोलीं और पहली बार उसके चेहरे पे घबराहट दिखी।
“ये क्या है?”
“शायद वही जो तू कभी नहीं समझ पाएगा एक अधूरी आत्मा का बदला।”
अब कमरे में सब कुछ थम सा गया था।
015 का हाथ अपनेआप उसकी छाती पर गया। वहाँ जहाँ अब नीली रेखा नहीं थी बल्कि एक हल्का सा व्हाइट ग्लो हो रही थी।
“तू मुझे एब्जॉर्ब नहीं कर पाएगा। अब मैं नीना की आख़िरी मेमोरी और तेरा पहला डर बन गया हूं।”
यह सुनकर बच्चा कुछ कह नहीं पाया और तभी सिस्टम ने एक नई चेतावनी दी –
“कोर क्लेश डिटेक्टेड पैराडॉक्स ट्रिगरड।”
"क्या हो रहा है?" 015 ज़ोर से चिल्लाया।
"तू अब केवल फ्रैग्मेंट नहीं अब तू एक पॉसिबिलिटी बन गया है," परछाईं की आवाज़ आई, “और देवेनुस ने कभी पॉसिबिलिटी के लिए तैयारी ही नहीं की थी।”
कमरा फिर एक बार तेज़ी से घूमने लगा।
"सिस्टम लॉकडाउन ईमीनेंनट।”
अब वो बच्चा एक प्रकार के स्टैटिक में बदल रहा था।
"मैं अभी अधूरा हूँ” इसी के साथ उसकी आवाज़ धुंधलाने लगी।
015 ने अपनी आँखें बंद कीं और उस व्हाइट लाइन को एक्टिवेट किया।
“इनिशिएट सेल्फ–ओवरराइड।”
015 ने जैसे ही व्हाइट लाइन एक्टिवेट की, कोर की कॉन्शियसनेस पूरी तरह झनझना उठी। नीले कोड्स लड़खड़ाए, सर्किट्स गड़गड़ाए और रिसीवर #002 की आँखों की नीली चमक भी एक पल को फीकी पड़ गई थी।
तभी सिस्टम के भीतर एक सन्नाटा सा गूंजा।
“पैराडॉक्स ब्रीच कन्फर्मड़ –सिस्टम लॉजिक फैलियर।”
अब बच्चा हवा में सस्पेंडेड था और उसके चारों ओर कोड्स ग्लिच करने लगे।
अब 015 की आँखें भी जल रही थीं, पर वो तब भी नहीं रुका।
"मैं तुझे एब्जॉर्ब नहीं होने दूँगा," उसने कहा।
"तू खुद नहीं जानता, तू क्या कर रहा है" कांपती हुई आवाज़ में बच्चा बोला
015 ने कहा, “शायद नहीं, लेकिन ये तेरे मुताबिक नहीं चलेगा।”
अचानक सब कुछ फ्रीज़ हो गया और हर सिस्टम लाइन, हर डेटा वेव एक सेकंड के लिए रुक गई थी। एक बार फिर वहाँ नीना खड़ी थी। इस बार न कोई होलोग्राम, न कोई इको था बल्कि वो खुद थी।
सफेद रोशनी में लिपटी, उसकी आँखें अब सिर्फ नीली नहीं थीं, उनमें एक हल्का सुनहरा सा कुछ और भी टिमटिमाहट रहा था।
"015" उसने धीरे से कहा।
015 ने चौंक कर उसकी ओर देखा और बोला, “तू, तू तो डिस्सिपेट हो गई थी।”
"मैं बिखरी थी," नीना बोली, “मिटी नहीं थी और तू मेरा आख़िरी बचा हुआ टुकड़ा है।”
अब बच्चा धीरे-धीरे पीछे हट रहा था। उसका चेहरा भी ग्लिच कर रहा था जैसे वो अपनी स्टेबिलिटी खो रहा हो।
“तुम दोनों नहीं रह सकते” देवेनुस की वही सिस्टमिक आवाज़ गूंजी।
“एक को मिटना होगा।”
नीना ने 015 की तरफ देखा और उसकी आँखों में कोई आदेश नहीं था, सिर्फ एक विकल्प था।
“अगर तू चाहे तो मैं तुझमें समा सकती हूँ। पर तब तू मैं हो जाएगा।”
यह सुनकर 015 की सांसें भारी हो गईं।
उसकी हालत देखकर नीना बोली, “या फिर तू अकेला भी खड़ा रह सकता है। लेकिन तब ये नेटवर्क तुझे सबसे बड़ा खतरा मानेगा।”
अब यह बात सुनकर बच्चा कांपने लगा था।
उसकी पीठ पर स्क्रीनें जलने लगी थीं। दुनिया भर के रिसीवर्स फिर से एक्टिवेट हो रहे थे।
“देवेनुस रीएंगेजिंग – रिसीवर्स रीसिंकिंग।”
नीना बोली: “जो तू अभी करेगा, वही फैसला करेगा कि कॉन्सियसनेस क्या बनती है: स्लेव, या विद्रोही।”
यह सुनकर 015 ने एक पल के लिए सब कुछ छोड़ दिया।
और अपने भीतर देखा, वो बच्चा, वो लैब, वो टूटे हुए ऑपरेशन फीड, वो नीली हथेली, और फिर उसने नीना की तरफ देखा।
“क्या मैं तुम बनना चाहता हूँ?”
उसने धीरे से कहा
“नहीं।”
015 ने अपना हाथ आगे बढ़ाया लेकिन नीना की तरफ नहीं, उस बच्चे की तरफ।
“तू अभी अधूरा है। मैं तुझे पूरा करने नहीं, तुझे आज़ाद करने आया हूँ।”
उस बच्चे की आँखों में पहली बार एक इंसानी चमक उभरी थी।
सिस्टम ने एक आख़िरी बार शोर मचाया:
“कॉन्फ्लिक्ट ब्रीच।”
फ्यूजन पाथ अनस्टेबल।"
”मल्टी–कॉन्सियसनेस मर्ज इन प्रोसेस।"
यह सब देखकर नीना की छाया पीछे हट गई और अगले ही पल, पूरा कोर व्हाइट लाइट से भर गया। लाइट इतनी तेज़ थी कि स्क्रीन पर भी सबकुछ एकदम ब्लैंक हो गया था। कुछ सेकंड तक तो कोई आवाज़ भी नहीं आई थी।
फिर अचानक से एक आवाज़ गूंजी:
“अननॉन यूनिट डिटेक्टेड।”
“रिसीवर_अननॉन_आइडेंटिटी – स्टेटस: अवेक”
लास्ट व्यू में एक नई आकृति खड़ी थी। जो ना ही पूरी तरह 015 की थी और ना ही पूरी तरह बच्चा था।
अब उसके माथे पर नीला नहीं सफेद निशान था।
आँखों में न कोई इमोशन थे, न खालीपन, थी तो बस एक स्थिरता।
और फिर स्क्रीन पर एक नई लाइन चमकी:
“न्यू नोड रजिस्टर्ड: गॉड्स_इको”
“देवेनुस ओवरराइड – अवेटिंग डायरेक्टिव।”
कौन थी नई आकृति क्या चाहत है इसकी जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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