आर्यन और अनुप्रिया का नाम सुनकर अजय की शक़्ल बिगड़ने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे अजय चाहता ही नहीं था, ये लोग उसके विला में आए। इधर आर्यन और अन्नू उसकी इस हरकत से परेशान हो रहे थे। वो दोनों समझ नहीं पा रहे थे, आख़िर अजय को गेस्ट चेंज होने से प्रॉब्लम क्या है? आर्यन ने अजय से पूछा,

 

आर्यन - कोई प्रॉब्लम है?  

 

 

अजय ने आर्यन के सवाल का कोई ज़वाब नहीं दिया। वो बहुत देर तक अपने मन में कुछ बड़बड़ाता रहा और फिर सिचुएशन को समझ कर चुप हो गया। फिर उसने कुछ देर बाद खुद को संभालते हुए कहा, “आपकी इनफार्मेशन अपडेट नहीं हुई है. यहाँ नेटवर्क का थोड़ा इशू रहता है.  

 

 

अनुप्रिया ने महसूस किया, अजय के आते ही वहां एक अज़ीब सी स्मेल आने लगी थी।  बाहर से खूबसूरत दिख रहे उस होम-स्टे के अंदर अनुप्रिया को कुछ ऐसा लग रहा था, जो थोड़ा अज़ीब था। अन्नु ने अजय को एक बार फिर, ऊपर से नीचे तक गौर से देखा, उसे अजय ठाकुर का लुक और बिहैवियर अभी भी मिस्टीरियस लग रहा था. आर्यन के कान में कहा,

 

अनुप्रिया: “आर्यन मुझे ये आदमी और ये जगह कुछ ठीक नहीं लग रही, हम लोग कोई दूसरा होम स्टे नहीं ले सकते क्या?”

 

आर्यन : “फ्री से अच्छा, इस दुनिया में कुछ भी नहीं होता अनु, तुम ख़ामख़ा इस-पर शक कर रही हो। और हो सकता है किसी एक्सीडेंट या फिर उम्र की वज़ह से इसका “चेहरा ” बिगड़ गया हो और दिमाग़ हिल गया हो?”  

 

नरेशन: आर्यन ने हस्ते हुए अनुप्रिया के कान में कहा और अजय  के साथ अपने रूम में जाने के लिए आगे बढ़ गया।

 

 

ऊपर के फ्लोर पर जाने के लिए लकड़ियों की सीढ़ियां लगी थी, लेकिन अँधेरे की वज़ह से सीढ़ियां ठीक से दिखाई भी नहीं दे रही थी। आर्यन ने अँधेरे में सीढ़ी पर अपना पहला पैर रखा तो चर्रर्रररररर  की एक तेज़ आवाज़ आई। आर्यन डर कर पीछे हट गया।  

 

अजय - “थोड़ी पुरानी है, इसलिए ऐसी आवाज़ कर रही है, लेकिन टूटेगी नहीं”  

 

 

सेकंड फ्लोर पर पहुंचकर अनुप्रिया और आर्यन ने इधर-उधर देखा। इतने बड़े घर में  उनके और केयर टेकर के अलावा, और कोई नहीं था। बस दीवारों पर कुछ विंटेज़ फ़ोटो लटके थे। अब आर्यन को भी ये सब थोड़ा अजीब लगने लगा था। उसने थोड़ा झिझकते हुए अजय से पूछा,  

 

 

आर्यन : ये जग़ह इतनी सुनसान और ऐसी क्यों लग रही है, जैसे यहां सालों से कोई नहीं आया हो?

 

अजय ठाकुर : यही तो दुनिया का रूल है। जब-तक एक आता है, तब-तक दूसरा जा चुका होता है। इंसान अकेला आता है और अकेला ही जाता है, फिर किसी और के बारे में इतना क्या सोचना। जब आये ही अकेले हो तो फिर अकेले ही रुको, जब तक रुकना हो और फिर अकेले ही......  

 

“अकेले ही चले जाना, है ना अजय?” आर्यन ने अजय की अज़ीब और mysterious सी लगने वाली बात को बीच में काटते हुए कहा। आर्यन को अजय का अंदाज़ बहुत funny लग रहा था लेकिन अनुप्रिया को अजय की बात कुछ सही नहीं लगी।  

 

 

फर्स्ट फ्लोर के बरामदे से होते हुए अजय, आर्यन और अनुप्रिया को उनका रूम मास्टर बेड़रूम दिखाकर वापस नीचे आ गया। आर्यन ने जैसे ही रूम का दरवाज़ा खोला, अनुप्रिया चीख़ पड़ी।  

 

 

 

अनुप्रिया इतनी ज़ोर से चीख़ी थी कि उसने आर्यन को भी डरा दिया था। उसकी आवाज़ सुनकर, अजय वहां आया और पूछा

 

केयर टेकर:: “क्या हुआ?”

 

अनुप्रिया : “कुछ नहीं गेट खोलते ही मेरे सामने एक बड़ा सा क्रोकरोज आ गया था। (angry) आपने कैसा रूम दिया है हमें?  

 

आर्यन ने तुरंत ही अजय को बुलाया, और गुस्से से कहा “यहां रूम के अंदर कॉकरोच  घूम रहे हैं” ।  

 

 

केयर टेकर: “अगर इतनी ही प्रॉब्लम है कॉकरोच से तो यहां जंगल में आना ही नहीं था न आप लोगों को”  

 

अजय भी अब थोड़ा ग़ुस्सा हो गया था। आर्यन और अनुप्रिया ने उसकी तरफ़ देखा।  

उसने अपना ग़ुस्सा कम करते हुए कहा,  

 

 

 

केयर टेकर: “अब ऐसा है न आर्यन साहब....... जंगल के जानवर, हमारी जगह में नहीं घुस रहे, हम उनकी जगह में घुस रहे है। भई, आख़िर जानवर, जंगल में नहीं रहेंगे तो फिर कहां रहेंगे? शहरों में तो हम उनको रहने नहीं देते, हैं न?  

 

अब हम उनके जंगल में घुसने के बाद सोचे कि वे हमारे घर में न घुसे तो ऐसा थोड़ी न होता हे न मेडम, सहीं बोल रहा हूँ न मैं?

 

अनुप्रिया ने पहले अजय  को देखा और फिर आर्यन को ग़ुस्से में इस तरह देखा, जैसे कह रही हो “बहुत फ्री का वेकेशन इंजॉय करना था न तुम्हें? अब करो इस ज्ञानी बाबा के साथ इंजॉय, फ्री में ज्ञान दे रहा है वो, झेलों अब इसको फ्री में।”

 

आर्यन और अनुप्रिया, अपना वेकेशन इन्जॉय करने आए थे लेकिन उस होम-स्टे के पहले ही दिन ने उनका मूड ख़राब कर दिया था। वो होम-स्टे बाहर से देखने में जितना ख़ूबसूरत और शांत था, अंदर से उतना ही मिस्टीरीअस और अज़ीब।  

 

आर्यन और अनुप्रिया को अपने रूम के अंदर आये हुए अभी आधा घंटा भी नहीं हुआ था कि अनुप्रिया की वहां से वापस जाने की इच्छा होने लगी। रूम के अंदर से आती अज़ीब सी स्मेल, हॉन्टेड प्लेस जैसा सन्नाटा और विजय जैसे केयर-टेकर को देखकर, अनुप्रिया को अंदर ही अंदर घुटन और बेचैनी होने लगी थी।  

 

 

आर्यन, सफ़र की थकान मिटाने के लिए फ्रेश होने, वॉशरूम में चला गया। अनुप्रिया रूम में अकेली बैठी थी। यहाँ आते टाइम अन्नू कितनी ख़ुश थी लेकिन इस होम-स्टे में आने के बाद उसको ऐसा लग रहा था जैसे वो वेकेशन मनाने नहीं बल्कि किसी के मातम में आकर बैठ गयी हो।  

 

उधर आर्यन अपनी ही दुनिया में मस्त था। वो वॉशरूम के अंदर से अज़ीब-अज़ीब डरावनी आवाजें निकाल कर अनुप्रिया को और डराने की कोशिश कर रहा था। अनुप्रिया ने चिढ़कर आर्यन से कहा,  

 

अनुप्रिया : आर्यन प्लीज स्टॉप डूइंग दिस नॉनसेन्स! एक तो वैसे ही इस भूतिया जग़ह पर लाकर बैठा दिया और ऊपर से डरावनी आवाज़े निकाल कर मुझें डरा रहे हो, मैं चली जाउंगी यहां से।  

 

आर्यन - हाहाहाहा ये भूत-वूत सब मन का भ्रम होता है अन्नू। अगर हम डरते है, तो हमें अपनी ख़ुद की परछाई भी भूत लगने लगती है, लेकिन रियलिटी में ऐसा कुछ होता नहीं है अन्नू।  

 

 

आर्यन, वॉशरूम के अंदर से ही अन्नु को समझाने की कोशिश कर रहा था। अन्नू ने उससे कहा, “अच्छा ठीक है बाबा नहीं डरूँगी, लेकिन pls तुम जल्दी बाहर निकलों, मुझे अकेले बहुत अज़ीब लग रहा है।  

 

आर्यन के समझाने के बाद अनुप्रिया, अपने दिमाग़ को शांत रखने की कोशिश कर रही थी। उसने अपना माइंड डायवर्ट करने के लिए उसने अपना फ़ोन जैसे ही उठाया, उसमे नो सिग्नल नोटिफिक्टाइव ने उसे और बेचैन कर दिया। उसने अजय के पास जाने का फैसला लिया और उससे इंटरनेट का पासवर्ड मांगना चाहा। अन्नू जैसे ही नीचे वाले फ्लोर पर पहुँचती है वहां उसे अजय दीखता है. वो अजय से कहती है  

 

अन्नू : मुझे यहाँ के इंटरनेट का पासवर्ड चाहिए।  

 

अजय : सूखे गुलाब !!!  

 

अन्नू : पर गुलाब तो यहाँ के खिले हुए है  

 

अजय : एक मिस्टीरियस स्माइल के साथ कहता है, सूखे गुलाब यहाँ के इंटरनेट का पसवर्ड है मैडम।  

 

अन्नू को उसका बेहेवियर और भी तंग करने लगता है, पर वो इग्नोर कर के अपने रूम में आ जाती है. अन्नू अब इंटरनेट कनेक्ट होने से खुश थी क्योंकि अब वो रील्स देख के अपना दिमाग डाइवर्ट कर सकती थी।  reels देखते-देखते अन्नू उसमे इतना खो गयी थी कि उसको ये भी याद नहीं रहा, वो कहां बैठी है और उसके आसपास क्या हो रहा है।  

 

तभी अचानक अन्नू को ऐसा लगा जैसे एक काला साया उस रूम की दीवार पर से बहुत तेज़ी से गुज़रा। अन्नू ने जल्दी से अपना मोबाइल बंद किया लेकिन अपना सिर उठाकर इधर-उधर देखने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी।  

 

 

उसको याद आया, आर्यन वॉशरूम के अंदर था लेकिन अब वॉशरूम के अंदर से आर्यन और नल दोनों की आवाज़ बिलकुल बंद हो गयी थी। नल से बूंद-बूंद टपकता पानी अनुप्रिया के दिल की धड़कने बड़ा रहा था। उसकी नज़र अभी भी मोबाइल की ब्लैक स्क्रीन पर ही थी।  

 

 

अनुप्रिया ने डरते हुए आवाज़ लगाई,  

 

अन्नू : “आर्यन......... आर्यन........ प्लीज़ मुझे बहुत डर लग रहा है, जल्दी बाहर निकलो।”

 

 

आर्यन ने कोई रिस्पॉन्स नहीं किया। कमरें में फैला सन्नाटा और नल से टपकते  पानी ने अन्नू के दिल की धड़कनें और बड़ा दी थी। तभी अन्नू ने अपने मोबाइल की ब्लैक स्क्रीन पर देखा। वो काला साया, उसके सिर के ऊपर ही खड़ा था। उसको देखते ही अन्नू ज़ोर से चीख़ पड़ी।  

 

आख़िर क्या था उस काले साये का राज़? और क्या चाहता था वो अन्नू से? जानने के लिए पढ़ते रहिये “सूखे गुलाब” का अगले एपिसोड।  

Continue to next

No reviews available for this chapter.