अन्नू की नज़र अपने मोबाइल की स्क्रीन पर टिकी थी, तभी अचानक उसको अपने मोबाइल की स्क्रीन पर एक साया दिखा। वो उसके सर के ऊपर से उसके मोबाइल की स्क्रीन पर ही झांक रहा था। उनको देखते ही अन्नू चीख़ी।
अन्नू के चीखते ही आर्यन दाँत निकाल कर ज़ोर से हँस पड़ा। वो साया और कोई नहीं बल्कि आर्यन की परछाई थी, जो अन्नू को मोबाइल में खोया देख, उसको डराने की कोशिश कर रहा था लेकिन इतनी डर गयी थी कि वो अभी तक कांप रही थी। उसने जैसे ही आर्यन को देखा, वो रो पड़ी।
*****
घड़ी में दिन के लगभग 3 बज़ रहे थे, जब अचानक आर्यन की नींद खुली और वो हड़बड़ाकर उठ बैठा। उसने अपनी नजरें आसपास घुमायी तब उसको याद आया,कि वो और अन्नू एक होम-स्टे के अंदर है।
आर्यन ने अपनी गर्दन घुमाकर देखा, उसके साइड अन्नू गहरी नींद में सो रही थी। आर्यन को याद आया, उसने सुबह में एक बेहूदा मज़ाक करके अन्नू को रुला दिया था।
उसने अन्नू की तरफ़ देखते हुए अपने मन में कहा, “मैंने कहीं पढ़ा था, रोने के बाद इंसान और ज़्यादा ख़ूबसूरत हो जाता है और आज लग रहा है, वो बात 100% सच थी। आज रोने के बाद कितनी क्युट लग रही हो न तुम, बिलकुल बेबी की तरह।
आर्यन थोड़ी देर अपना मोबाइल चलाता रहा लेकिन अन्नू तब भी नहीं उठी। उसने अन्नू को उठाने की कोशिश की,
आर्यन - अन्नू…. अन्नू उठो, यहां वेकेशन इन्जॉय करने आई हो या फिर सोने के लिए? चलो जल्दी फ्रेश हो जाओ, फिर हम नौकुचियाताल घूमने चलेंगे।
अन्नू हड़बड़ाते हुए उठ बैठी। उसने अपने मोबाइल में टाइम देखा तो दिन के 3 बज रहे थे। अन्नू अभी तक आर्यन से ग़ुस्सा थी। उसने दूसरी तरफ़ करवट बदलते हुए कहा “
अन्नू : मेरी क्या ज़रूरत, अजय को ले जाओ न अपने साथ”
आर्यन : “ठीक है उसको ले जाता हूँ, वो ख़ुद ही भूत की तरह दीखता है, इसलिए तुम्हारी तरह वो कम से कम, बात-बात में डरेगा तो नहीं”.
आर्यन ने अन्नू को ज़वाब देते हुए कहा, तो अन्नू ने उसको तकिया फेंक कर मारा और रेडी होने के लिए उठ कर बैठ गयी। लगभग 5 बज चुके थे उन्हें वहां से निकलते हुए.
अजय : “शाम 7 बजे के बाद मेन गेट बंद हो जाता है, इसलिए 7 बजे से पहले आ जाना।”
एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनकर आर्यन और अन्नू के पैर वही रुक गए, क्योंकि वो जानी-पहचानी आवाज़ अजय की थी।
आर्यन और अनु, अजय की मनहूस शक़्ल देखने से बचने के लिए वहां से चुपचाप निकलना चाहते थे। वो दोनों लकड़ी की उस पुरानी सीढ़ी पर एक-एक पैर बिलकुल आहिस्ता-आहिस्ता रख के इस तरह उतर रहे थे, जैसे इंसान नहीं बिल्ली उतर रही हो।
आर्यन आगे था और अन्नू उसके पीछे। आर्यन को पता था, सबसे नीचे की सीढ़ी आवाज़ करती है इसलिए उसने, उस सीढ़ी पर अपना पैर रखा ही नहीं। उसने अन्नू से भी ऐसा ही करने के लिए कहा। तभी सीढ़ियों पर अनु का बैलेंस बिगड़ा और अन्नू ने उस सीढ़ी पर अपना पैर रख दिया।
चरररर्र........ एक तेज़ आवाज़, सन्नाटे को चीरते हुए अजय के कानों में पड़ी और उन दोनों को मज़बूरी में अजय का मनहूस चेहरा देखना पड़ा। आर्यन ने सीधे अजय की तरफ़ देखने की जग़ह, इधर-उधर देखते हुए कहा,
आर्यन - 7 बजे से पहले हम आराम से आ जायेंगे।
आर्यन और अन्नू बाहर निकले ही थे उसकी नज़र ग़ुलाब के गार्डन पर पड़ी। उसने अन्नू से कहा, “तुम यही रुको, मैं एक मिनट में अभी आया।” आर्यन मुड़ा और वापस अजय के पास आकर पूछा,
आर्यन : आपसे एक बात और पूछनी थी, इस गुलाब की बगिया में ऐसा क्या है, जिसकी वज़ह से हमें उसके पास जाने नहीं दे रहे?
आर्यन ने महसूस किया रोज़ गार्डन का जिक्र करते ही अजय के चेहरे का रंग बदलने लगा और उसकी आवाज़ भारी होने लगी थी। आर्यन को ऐसा लग रहा था जैसे,
“अजय, एक दूसरा शख़्स बनने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन अजय उसको अपने पर हावी नहीं होने दे रहा हो।”
अजय को देखकर, सर्दी के मौसम में भी आर्यन के माथें पर पसीने की बूंदे उभर आई। अजय डरकर वहां से जाने ही वाला था तभी, अजय ने मिस्टीरीअस आवाज़ में कहा,
अजय : वो गुलाब की बगिया नहीं, कब्र है और एक-एक फूल, उसके ख़ून में रंगा है। तू दूर रहना उससे, वरना मारा जायेगा।
अजय की आवाज़ सुनकर, आर्यन का रंग पीला पड़ने लगा और उसने इतनी तेज़ दौड़ लगाई कि सीधा, मेन गेट के बाहर अन्नू के पास जाकर रुका। उसकी सांसे चढ़ी हुई थी, चेहरे का रंग पीला पड़ हुआ था। अजय बुरी तरह कांपते हुए जल्दी-जल्दी अन्नू से कुछ बोल रहा था लेकिन अन्नू को कुछ समझ नहीं आ रहा था, आर्यन क्या बोल रहा है।
आर्यन ने अन्नू को जल्दी कार में बैठने का इशारा किया। अन्नू, आर्यन के साथ-साथ भागती हुई कार के पास पहुंची और जल्दी से अंदर बैठ गयी। आर्यन ने जल्दी से कार स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन डर और घबराहट की वज़ह से उसके हाथ कांप रहे थे। डरा, घबराया और पसीने से भीगा हुआ आर्यन कभी पीछे देखता और फिर चाबी लगाने की कोशिश करता।
अचानक उसको ऐसा लगा, जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है। उसने जल्दी से चाबी लगाई और ज़ोर से कार का एक्सीलेटर दबा दिया। आर्यन को डरा, घबराया देख अब अन्नू भी डरने लगी थी। अन्नू बार-बार आर्यन से पूछ रही थी।
अन्नू : आर्यन, आख़िर हुआ क्या है? आर्यन बात क्या है? तुम इतने डरे हुए क्यों हो आर्यन… कुछ तो बोलो आर्यन।।
आर्यन ने ढलान पर भी कार की स्पीड कम नहीं की, उसको देखकर ऐसा लगा रहा था जैसे उसको कहीं पहुंचने की जल्दी हो। अचानक उसको लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है. उसने पीछे देखा लेकिन वहां कोई नहीं था। उसने घबराते हुए अन्नू से कहा,
आर्यन : अन्नू....... वो........ वो...... हमारे पीछे आ रहा है, वो हमें मार डालेगा।
अन्नू ने घबराकर पीछे देखा। वहां कोई नहीं था।
अन्नू : कौन आर्यन ? हमारे पीछे कोई नहीं है!
आर्यन : अन्नू , वो अजय हमारे पीछे आ रहा है, वो इंसान नहीं, शैतान है अन्नू।
अन्नू : आर्यन तुम pls कार रोको, हमारे पीछे कोई नहीं है। पहले मुझे ये बताओ हुआ क्या है?
आर्यन उसी स्पीड में कार भगाता हुआ नौकुचियाताल के पास ले आया था। उसको कुछ लोग दिखाई दिए और उसने कार के ब्रेक लगा दिए। कार के टायर कुछ दूर तक धूल उड़ाते हुए गए और फिर कार एक झटके के साथ रुक गयी लेकिन उसकी सांसे अभी भी बहुत तेज़ चल रही थी।
अन्नू ने उसको पानी पिलाया और उसको रिलेक्स होने का टाइम दिया। आर्यन 5 मिंट बाद धीरे-धीरे रिलेक्स होता जा रहा था। कार के बाहर उत्तराखंड की बर्फ़ीली ठंड अपना आसार दिखा रही थी लेकिन कार के अंदर का माहौल बिना हीटर के ही गर्म था। आर्यन थोड़ा शांत हुआ तो अन्नू ने कार का विंडो ओपन किया और उससे पूछा,
अन्नू : अब बताओ आर्यन क्यों तुम इतने डरे हुए हो? ऐसा क्या देखा था तुमने वहां?
आर्यन ने इधर-उधर देखा और अपनी कार का गेट खोल दिया। अन्नू कुछ समझ नहीं पा रही थी, आर्यन आख़िर करना क्या चाहता है? अन्नू ने हैरान होते हुए आर्यन से फिर पूछा,
अन्नू - आर्यन मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ? और तुम ये गेट क्यों खोल रहे हो?
आर्यन : d रहने दो अन्नू, तुम सुन नहीं पाओगी।
अन्नू ने जिद पकड़ ली थी। आर्यन ने अपने एक हाथ से अभी-भी कार का गेट आधा खोलकर पकड़ रखा था। आर्यन अपना मुँह अन्नू के कान के पास लेकर गया और धीमे से बोला,
आर्यन : अन्नू, मैं तुमको उस विला का एक राज़ बताना चाहता हूँ, जो मैंने अभी-अभी देखा था….
अन्नू : हां.....
आर्यन : अन्नू, मैं तुम्हारे साथ इतनी देर से प्रैंक कर रहा था.......
आर्यन के शब्द अन्नू के कान में तो तुरंत पहुंच गए थे, लेकिन उन शब्दों को समझने में उसको थोड़ा वक़्त लगा। उसको कुछ समझ नहीं आया और उसने आर्यन की तरफ़ देखा। आर्यन हँस रहा था। 10 सेकंड बाद अन्नू के दिमाग की बत्ती जली और उसने चिल्लाते हुए आर्यन को मारने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, लेकिन आर्यन उससे पहले ही हँसते हुए कार से उतर कर दूर भाग चुका था। अन्नू उसे हैरान देखती रही।
पर जब आर्यन के साथ वो इंसिडेंट रियल में हुआ था फिर उसने अन्नू से झूठ क्यों बोला? क्या वो अन्नू को सच बताकर डराना नहीं चाहता था या फिर आर्यन, उसको सच बताना ही नहीं चाहता था! आख़िर उसने अन्नू को सच क्यों नहीं बताया, ये एक ऐसा राज़ था जिसे सिर्फ़ भविष्य के पन्ने पलटकर ही जाना जा सकता था और भविष्य में जाने के लिए आर्यन और अन्नू का उस विला में वापस जाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी था।
अन्नू, आर्यन के बार-बार प्रेंक से, इस बार बहुत ग़ुस्सा हो गयी थी। उसने कार के गेट अंदर से लॉक कर लिए थे, उसको समझ नहीं आ रहा था, आर्यन सीरियस सिचवेशन को भी इतनी लाइटली क्यों लेता है?
आर्यन बहुत देर तक कार के बाहर से ही ठंड में ठिठुरते हुए, अन्नू से माफ़ी मांगता रहा और उससे बाहर आने के लिए रिक्वेस्ट करता रहा, लेकिन अन्नू इस बार उसको माफ़ करने के बिलकुल भी मूड में नहीं थी। अन्नू सोच रही थी,
अन्नु : इसको आज रात भर ठंड में बाहर खड़ा रखूंगी। बर्फीली हवा जब इसके शरीर के अंदर चुभेगी न, इसकी सारी प्रेंकबाजी बाहर निकल जाएगी।
आख़िर क्यों छुपाया था आर्यन ने अन्नू से अजय की कही हुई बात को? क्या आर्यन ने अजय की बात को सीरियसली भी लिया था? अब आगे क्या है आर्यन का प्लान? जानने के लिए पढ़ते रहिये “सूखे-ग़ुलाब” का अगला एपिसोड।
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