अन्नू ने आर्यन को नौकुचियाताल की कपकपाती ठंड में लगभग 1 घंटे तक बाहर खड़ा कर रखा। कुमाऊं के पहाड़ों से आने वाली बर्फीली हवा, आर्यन की बॉडी से टकराती और वो अंदर तक हिल जाता। उसने कई बार अन्नू से अपने कान पकड़कर माफ़ी मांगी, तब लगभग 1 घंटे बाद अन्नू ने कार का गेट खोला। अन्नू ने जैसे ही कार का गेट खोला,आर्यन सीधा कार के अंदर जाने लगा लेकिन अन्नू ने उसे बाहर ही रोक दिया और कहा,

 

अन्नू : अंदर कहाँ घुस रहे हो? पहले प्रॉमिस करो अब कभी भी इस तरह की हरकत नहीं करोगे।  

 

आर्यन अभी ऐसी सिचवेशन में था कि प्रॉमिस तो क्या, दुनिया का कोई भी काम कर सकता था। उसने तुरंत प्रॉमिस किया, लेकिन उसके दांत कंपकपाने की वज़ह से अन्नू को उसका प्रॉमिस सुनाई ही नहीं आया। अन्नू अब आर्यन से अपना बदला ले रही थी, उसने आर्यन से कहा,

 

अन्नू - मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा, अपने दांत बजाना बंद करो और फिर से बोलो, “मैं,अब कभी प्रैंक नहीं करूंगा।”  

 

आर्यन ने कई बार कोशिश की तब ठीक से बोल पाया और उसके बाद सीधे कार के हीटर में जाकर बैठ गया। हीटर में बैठने के बाद भी उसकी बॉडी में गर्मी आने तक उसके दांत बजते रहे और अन्नू उसको अपने दांत दिखाकर हँसती रही।  

 

आर्यन की बॉडी जैसे ही गर्म हुई, उसने 2 स्वेटर और उसके ऊपर 1 जैकेट पहनी और बाहर निकलते हुए अन्नू से बोला,  

 

आर्यन : चलो अन्नू नौकुचियाताल लेक की ख़ूबसूरत लेक में बोटिंग करेंगे।  

 

आर्यन और अन्नू, लगभग 2 घंटे तक नौकुचियाताल लेक में बोटिंग, राफ्टिंग जैसी एक्टिविटी का लुत्फ़ लेते रहे। लेकिन आर्यन अब थकने लगा था, जो उसके चेहरे से समझ आने लगा था लेकिन अन्नू ने पैराग्लाइडिंग की ज़िद पकड़ ली और आर्यन को अन्नू के आगे झुकना पड़ा।  

 

थोड़ी देर बाद आर्यन और अन्नू, दोनों एक ही पैराग्लाइड में नौकुचियाताल के आसमान में ठंडी हवा से बाते कर रहे थे। अन्नू को कुछ ज़्यादा ही लुत्फ़ आ रहा था लेकिन बर्फ़ीली हवाओं में आर्यन के हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगे। उसने   तेज़ आवाज़ में अनु से कहा,

 

आर्यन : चलों अन्नू अब वापस चलते है।  

 

अनु : आर्यन बस थोड़ी देर और pls, देखो कितना शानदार व्यू है “नौचुकियाताल” का।  

 

आर्यन : अन्नू इस जगह का नाम “नौचुकियाताल” नहीं नौकुचियाताल है, कम से नाम तो सही याद रख लिया करो।  

 

अन्नू : आर्यन जब हम पिछली बार नैनीताल गए थे तो वहां पर शोर-शराबा बहुत था लेकिन यहां कितनी शांति और सुकून है यार।  

 

आर्यन और अन्नू अभी बातें कर ही रहे थे कि तभी उनकी पेराग्लाइडिंग का छत निकलकर आसमान में उड़ गया। वे दोनों अचानक तेज़ी से निचे आने लगे और अन्नू जो थोड़ी देर पहले पेराग्लाइडिंग का लुत्फ़ ले रही थी, अब डरकर चीखने लगी, लेकिन आर्यन शांत था जैसे उसको पता हो, ऐसी सिचवेशन में क्या करना चाहिए। उसने अन्नू से कहा,

 

आर्यन : अन्नू, चीखने-चिल्लाने से कुछ नहीं होगा। अपने दोनों हाथों से मुझे पकड़ लो और मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा।  

 

ऐसा ही हुआ, अन्नू ने आर्यन को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और डर के मारे अपनी दोनों आंखें बंद कर ली। वे लोग अभी भी तेज़ी से निचे गिर रहे थे। सायं-सायं करती ठंडी हवा उनकी ठिठुरन और ज़्यादा बड़ा रही थी आर्यन को लगने लगा था, हम दोनों बस थोड़ी देर में घने जंगलों में गिरने ही वाले है, लेकिन तभी आर्यन ने कुछ किया और उनकी स्पीड फिर से नार्मल हो गयी और वे बड़ी आसानी से जमीन पर लैंड कर गए।  

पैर जमीन पर टिकते ही अन्नू ने हैरानी से ऑंखें खोली। सेफ लैंडिंग से वो बहुत खुश भी थी और हैरान भी। उसने कहा,

 

अन्नू : थैंक् गॉड! हम बच गए, वरना आज परमानेंट फ्लाइंग करने वाले थे हम लोग लेकिन ये मिरेकल हुआ कैसे आर्यन? तुमने कैसे किया ये? तुम कुछ ट्रिक जानते हो क्या?

 

अन्नू ने आर्यन से पूछा लेकिन उसने हँस कर बात टाल दी। वो लोग नीचे कैसे उतरे? ये राज़ या तो आर्यन जानता था या फिर भविष्य।  

 

वो दोनों अपनी कार से बहुत दूर थे, इसलिए कार तक पहुंचते-पहुंचते उनको बहुत टाइम लग गया और उनको अच्छी ख़ासी मेहनत करनी पड़ी। चलते-चलते आर्यन के चेहरें पर इतनी ठंड में भी पसीने की बूंदें आ गयी.  थकी हुई तो अन्नू भी थी लेकिन उसकी थकान, भीमताल में खिलें ख़ूबसूरत कमल की पंखुड़ियां गिनने की उसकी इच्छा मार नहीं पाई थी।

 

अन्नू : आर्यन, अब आये है तो भीमताल भी चले क्या, मैंने एक video में देखा था, भीमताल में हजारों कमल की बड़ी-बड़ी पत्तियों पर ओस की बूंदे, सुबह की धूप में मोती जैसा लुक दे रही थी।  

 

आर्यन : अन्नू मैं इतना थक चुका हूँ न, कि भीमताल तो छोड़ों, 4 कदम भी नहीं चल पाउँगा। मेरे पैर ख़ुद ही फ्लॉवर बने हुए है। और अभी तो हम यहाँ 8 दिन और रुकेंगे। हम कल फिर आ जायेंगे न, इतनी जल्दी क्या है तुम्हें?

 

आर्यन सहीं बोल रहा था, इसलिए अन्नू ने उसकी बात मानी और फिर से अपने होम-स्टे जाने के लिए कार में बैठ चुके थे। लगभग 10 मिनट ले बाद, कार फिर से विला जाने वाले रास्तें की घाटी चढ़ रही थी। आर्यन और अन्नू को पिछले बार इस घाटी पर चढ़ते और उतरते वक़्त उनके साथ जो इंसिडेंट हुआ था, वो फिर से याद आ गया था लेकिन इस बार न जाने क्यों, न आर्यन डरा और न ही अन्नू? अब ऐसा क्यों हो रहा था, ये तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा।  

 

कार घाटी पार करके विला के मेन गेट के सामने पहुंची ही थी कि आर्यन को अजय की कहीं बात याद आई और उसने घबराकर घड़ी देखी। घड़ी में रात के 8.10 हो चुके थे। आर्यन ने थोड़ा घबराते हुए अन्नू से कहा,

 

आर्यन : अन्नू, अजय ने हमें 7 बजे से पहले आने का कहाँ था लेकिन हम पूरे 1 घंटा 10 मिनट लेट है, अगर उसने गेट लॉक कर लिया होगा तो?

 

ये सुनकर अन्नू टेंशन में आ गयी थी। उसने कहा,  

 

अन्नू : चलो आर्यन जल्दी, कार में ही बैठे रहोगे क्या?

 

वे दोनों जल्दी से भागकर मेन गेट के पास आये। गेट लगा हुआ था। वे दोनों अब टेंशन में आ गए थे।  

 

अन्नू  -  “अब क्या करे आर्यन,अगर हम आवाज़ देंगे तब भी नहीं सुनेगा वो अजय”.  

अन्नू ने घबराते हुए कहा।  

 

आर्यन ने गेट को थोड़ा अंदर की तरफ़ धक्का मारा और गेट खुल गया। वे दोनों हैरान भी थे और ख़ुश भी। आर्यन ने अन्नू से कहा,

 

आर्यन :- अन्नू लगता है, अजय ने हमारे लिए गेट खुला छोड़ दिया होगा। बिना आवाज़ किये धीरे-धीरे अंदर चलों।

 

उन्होंने दरवाज़ा थोड़ा सा ही खोला और दोनों धीरे-धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। तभी अचानक, अन्नू की नज़र गुलाब की बगिया पर पड़ी, जिसके फूल आज कुछ ज़्यादा ही खूबसूरत और बड़े दिखाई दे रहे थे।  

 

चांदनी रात की दूधिया रौशनी में ग़ुलाब की लाली, अन्नू को अपनी तरफ़ खींच रही थी, लेकिन आर्यन ने उसको रोक दिया।  

 

वे लोग धीरे-धीरे चलते हुए सीढ़ी तक जैसे ही पहुँचे, अचानक एक तेज़ हवा के झोंखे के साथ किसी चीज़ के सड़ने की बदबू ने उन दोनों का मन ख़राब कर दिया, लेकिन आर्यन ने जल्दी से एक हाथ से अपनी नाक बंद की और एक हाथ अन्नू के मुँह पर दिया, ताकि वो आवाज़ न करे और दोनों सीढ़ियों पर चुपचाप आगे बढ़ गए।  

 

वो दोनों अपने रूम तक आ गए थे लेकिन अजय उनको कहीं भी दिखाई नहीं दिया। अन्नू को थोड़ी हैरानी हुई, तो आर्यन ने उससे कहा,  

 

आर्यन - चलों अच्छा हुआ, उसकी मनहूस शक्ल देखने से बच गए, वरना रात भर डर लगता।  

 

रूम के अंदर आते ही दिन भर की थकान उन-पर इतनी हावी होने लगी थी कि दोनों सीधे बेड पर गिरकर थोड़ी देर में ही नींद के आग़ोश में समां गए।  

 

****  

 

खुले आसमान के निचे आधी रात में पूरे चाँद की रोशनी में ग़ुलाब के फूल आज कुछ ज़्यादा ही ख़ुश नज़र आ रहे थे। चांदनी रात में सफ़ेद धुएं के साथ बर्फ़ीली हवा, सायं-सायं कर रही थी। लेकिन इतनी ठंडी रात में भी अन्नू को अचानक तेज़ प्यास लगने से उसकी नींद टूट गयी। थकान उसपर अभी भी हावी थी इसलिए वो थोड़ी देर बिस्तर पर ही नींद में बैठी रही।  

 

बाहर से आने वाली ठंडी हवा उनके रूम की खिड़की के कांच से टकरा रही थी। अन्नू ने उठकर पानी पीया और उनके दिमाग़ में न जाने क्या आया कि उसके क़दम सीधे खिड़की की तरफ़ बड़े और उसने खिड़की खोल दी।  

 

अचानक एक ठंडी हवा का झोखा,सीधे अन्नू से टकराया। अन्नू ने जल्दी से खिड़की बंद करने के लिए अभी हाथ बढ़ाया ही था कि अचानक उसकी नज़र ग़ुलाब की बगिया में पड़ी। सुर्ख गुलाब, बर्फ़ की सफ़ेद चादर ओढ़े अन्नू को अपनी तरफ़ ललचा रहे थे। अन्नू ने सोचा “आर्यन सोया हुआ है, क्यों न बगिया में चलकर इन ख़ूबसूरत गुलाबों के साथ सेल्फ़ी ली जाए?”

 

अन्नू अभी सोच ही रही थी कि अचानक उसकी नज़र उन गुलाबों के बीच सफ़ेद चादर ओढ़े  एक जाने - पहचाने चहरे पर पड़ी और अन्नू अंदर तक कांप गयी।  

 

आख़िर कौन था वो अन्नू का जाना-पहचाना चेहरा? और आगे क्या होने वाला था अन्नू के साथ? जानने के लिए पढ़िए “सूखे-ग़ुलाब” का अगला एपिसोड।  

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