अन्नू ने पानी पीकर खिड़की से बाहर देखा तो ग़ुलाब के बगीचे में एक जाना-पहचाना चेहरा देखकर हैरान रह गयी। वो चेहरा आर्यन का था, जो उसकी तरफ़ देखकर मुस्कुरा रहा था। अन्नू तुरंत पीछे पलटी और देखा, आर्यन रूम के अंदर गहरी नींद में सोया हुआ था।
अन्नू ने अपनी आंखें मली और फिर से खिड़की के बाहर देखा, आर्यन मुस्कुरा कर उसको अपने पास बुला रहा था। अन्नू के पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी। उसको समझ नहीं आ रहा था, आर्यन तो यहाँ सोया हुआ है, फिर बाहर आर्यन जैसा दिखने वाला ये शख़्स कौन है? और वो मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराकर मुझे बुला क्यों रहा है?
अनु डरते-डरते, धीरे-धीरे आर्यन के पास गयी। आर्यन थककर बहुत गहरी नींद में सोया हुआ था। अन्नू ने उसकी नाक के पास अपनी ऊँगली लगाई, आर्यन की गर्म सांसे चल रही थी।
अन्नू को यक़ीन हो गया, आर्यन यहीं है और सोया हुआ है। अब उसका दिमाग़ घूमने लगा था. वो तेज़-तेज़ कदमों से वापस खिड़की के पास गयी, और जैसे ही बाहर देखने के लिए अपना सर बाहर निकाला, आर्यन उसके रूम की खिड़की पर लटका हुआ था। अन्नू डर कर चीख़ी और अपनी पूरी ताकत से खिड़की बंद कर दी. रात के सन्नाटे में उसको अपनी ही तेज़-तेज़ चलती सांसे सुनाई दे रही थी।
अन्नू की चीख़ सुनकर गहरी नींद में सोया आर्यन डर गया था। उसने अचानक उठाकर देखा तो, अन्नू खिड़की के पास, दीवार से लगकर खड़ी थी, उसकी सांसे चढ़ी हुई थी और वो अपनी आंखे बड़ी करके हैरानी से आर्यन को ही देख रही थी. आर्यन ने घबराते हुए उससे पूछा,
आर्यन : अनु! क्या हुआ अन्नू? तुम इतनी रात को यहाँ खिड़की के पास क्या कर रही हो।
अन्नू बदहवास खड़ी होकर आर्यन को ऐसे देख रही थी, जैसे उसने कोई बुरा और डरवना सपना देखा हो. आर्यन ने उसको पकड़कर ज़ोर से हिलाया और पूछा,
आर्यन : अन्नू तुमने कोई बुरा सपना देखा है क्या?, क्या हुआ? इतनी ज़ोर से क्यों चीख़ी तुम?
अन्नू : अ…. आर्यन... वो…. बाहर ..... वो.....
अन्नू इतनी डरी हुई थी कि वो ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी. उसने खिड़की की तरफ़ इशारा किया, आर्यन के खिड़की खोल के बाहर देखा, वहां कोई नहीं था.
आर्यन : क्या अन्नू, बाहर क्या? क्या बोल रही हो तुम मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है.
अनु : आर्यन मैं..... ने....... बाहर एक आदमी देखा... वो….वो तुम्हारी ही तरह दिख रहा था। और........और वो मेरी तरफ़ देख के धीमें-धीमें मुस्करा रहा था. और, और वो मुझे अपने हाथों के इशारे से अपने पास बुला रहा था.....आर्यन मैं सच बोल रही हूँ।
अन्नू बहुत डरी और कन्फ्यूज़ थी। लेकिन ऐसे टाइम में भी आर्यन को उसकी बातें मज़ाक लग रही थी। आर्यन ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और कहा,
“अच्छा ....... मैं अब समझा। मैंने दिन में तुम्हारे साथ प्रैन्क किया था, इसलिए अब तुम उसका बदला ले रही हो. लेकिन तुम्हें अपनी एक्टिंग स्किल्स सुधारनी होगी अन्नू, क्योंकि मैंने तुम्हें पकड़ लिया।
अन्नू ग़ुस्सा हो गयी थी. उसने आर्यन की आँखों में देखते हुए ग़ुस्से में कहा।
अन्नू: “मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ आर्यन, मैंने उसे अपनी आँखों से देखा है. मैंने उसको जब पहली बार देखा तो तुरंत तुम्हारे पास आई, तुम गहरी नींद में थे. मैने दोबारा खिड़की के पास जाकर देखा, तो वो खिड़की तक आ चुका था, इसीलिए मैंने डरकर खिड़की लगाई थी आर्यन।”
आर्यन को अन्नू की आँखों में सच्चाई तो दिख रही थी, लेकिन अन्नू जो दावा कर रही थी, वो आर्यन के गले नहीं उतर रहा था। उसने अन्नू से सीरियस होकर कहा,
आर्यन : “अन्नू, हो सकता है तुमने सपना देखा हो? वैसे इतनी रात को तुम खिड़की के पास कर क्या रही थी?”
अब बात अन्नू के आपे से बाहर हो गयी थी। उसने सन्नाटे को चीर देने वाली आवाज़ में लगभग चीख़ते हुए कहा,
अन्नू: “आर्यन........ तुमने मुझे बेवकूफ़ समझ रखा है क्या? मैंने उसको सपने में नहीं रियल में देखा है। मैं पानी पीने के बाद खिड़की के पास गयी थी तब। समझे?
आर्यन को अन्नू का इतनी तेज़ चिल्लाना पसंद नहीं आया। आर्यन अब अपना आपा खोने लगा और उसकी आवाज़ अचानक भारी होने लगी। उसने भारी और मिस्टीरीअस वॉयस में बोलना शुरू किया।
आर्यन : हां! वो मैं ही था। रूम में जो सो रहा था वो भी मैं ही था, और बाहर भी मैं ही था।
अन्नू थोड़ा चौंकी! लेकिन उसको लगा आर्यन ग़ुस्से में ऐसा बोल रहा है। उसने आर्यन से पूछा,
अन्नू - आर्यन सच बताओ वो कौन था? तुमने उसे पहले कभी देखा है क्या यहां? और ये तुम्हारी आवाज़ को क्या हो गया अचानक? तुम्हारे अंदर किसी की आत्मा तो नहीं आ गयी?
आर्यन : आर्यन? कौन आर्यन? आर्यन का वज़ूद कब का ख़त्म हो गया है? अब यहां कोई आर्यन नहीं है। इस विला में सिर्फ एक ही मर्द रह सकता है और वो है “अजय ठाकुर” (laugh).
आर्यन अब धीरे-धीरे अपना असली रूप बदलने लगा. उसने अजीब और भारी आवाज़ में चीखना शुरू कर दिया, उसको देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे कोई उसके अंदर से बाहर आने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन बाहर निकल नहीं पा रहा हो। आर्यन दर्द से भयंकर कराह रहा था।
अन्नू उसको देखकर अपना होशों-हवास खो बैठी। उसने चीखने की कोशिश की लेकिन आर्यन के चीखने की आवाज़ में उसकी आवाज़ कही दब कर रह गई. अन्नू ने खिड़की से भागने की कोशिश की. और तभी बंद खिड़की के कांच टूटने लगे और लाल सुर्ख़ गुलाब की पत्तियां आकर आर्यन के शरीर से चिपकने लगी।
उन गुलाब की पत्तियों ने उसको पूरा ढ़क दिया था. बाहर इतनी तेज़ आंधी चलने लगी थी जैसे आज प्रलय आने वाला हो। तभी अचानक आर्यन ने लगभग चीखते हुए वे पत्तियां अपने शरीर से हटाई, और अन्नू उसको देखकर खींच पड़ी.
आर्यन अब अजय बन चुका था।
अन्नू समझ गयी, आर्यन ने उसको धोका दिया है। अन्नू के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं बचा था, और वो डरना छोड़कर शांत हो गयी थी। उसने सपाट आवाज़ में अजय यानि आर्यन से पूछा,
अन्नू : आर्यन तुमने मुझे धोखा क्यों दिया? तुमने मुझे बताया क्यों नहीं तुम ही अजय हो?
अन्नू को अब लग रहा था की, उसका पति आर्यन ही अजय है। उसकी बात सुनकर अजय बहुत देर तक ज़ोर-ज़ोर से हँसता रहा। और फिर अन्नू को उसने सच बताते हुए बोला,
अजय : कौन आर्यन? तेरे आर्यन को मैंने तभी मार दिया था, जब तुम दोनों नौकुचियाताल घूमने जा रहे थे (laugh) . (fake सिम्पेथी) मैं उसको मारना नहीं चाहता था, लेकिन उसने मेरे प्यारे गुलाब तोड़ने की जुर्रत की, मेरे मना करने के बाद भी, फिर उसकी सज़ा मैंने तय की (angry)
अन्नू को अभी भी अजय की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था। उसको लग रहा था, आर्यन उससे झूठ बोल रहा है। उसने थोड़ा ग़ुस्सा दिखाते हुए बोला, “झूठ मत बोलो आर्यन, मुझे पता है तुम आर्यन ही हो।”
अजय को ग़ुस्सा आया और उसने गुर्राते हुए अन्नू का गला कस के पकड़ा और हवा में लटका दिया। अन्नू अपनी जान बचाने के लिए छटपटा रही थी।थोड़ी देर बाद अजय का ग़ुस्सा कम हुआ, उसने अन्नू के गले की कसावट कम की। अन्नू हवा में लटकी हुई बुरी तरह ख़ास रही थी।
अजय ने फ़ेक सिम्पथी दिखाते हुए अन्नू से कहा,
अजय : लड़की तू जानना चाहती है, मैंने आर्यन को क्यों मारा? तो सुन! जब तुम नौकुचियाताल जाने के लिए नीचे आये थे न, तब मैंने तुम दोनों को देख लिया था. तुम दोनों मेन गेट से बाहर चले गए थे, लेकिन आर्यन तुझे वहीं छोड़कर मेरे पास आया और मुझसे उसने पूछा था “आपने हमसे गुलाब के बग़ीचे में जाने से क्यों मना किया था? कुछ स्पेशल रीज़न है क्या?”
मैंने उसे वॉर्निंग देकर कहा था कि “मैं तुम्हें इसके पीछे का कारण नहीं बता सकता, लेकिन मैंने कहा ना कि, तुम लोग उसमे नहीं जा सकते, तो फिर नहीं जा सकते।”
वो मुझ पर हँस रहा था। उसने जाते-जाते मुझसे कहा था “इतने भी कोई ख़ास नहीं है आपके गुलाब, किसी दिन घुस जाऊंगा और एक गुलाब तो तोड़ ही लूंगा अपनी अनु के लिए, उसको बहुत पसंद है गुलाब।”
“मेरे गुलाब है ये, खून से सींचे है, फिर कैसे सहन कर लेता मैं? तू ही बता लड़की।
मेरा ग़ुस्सा बढ़ने लगा था, लेकिन मैंने उससे कुछ नहीं कहा और अंदर चला आया । उसने सोचा मैं देख नहीं रहा और उसने बगिया में घुसकर मेरा गुलाब तोड़ लिया।
मैं सहन नहीं कर पाया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसने गुलाब नहीं, मेरा एक हाथ तोड़ा हो। ग़ुस्से में मैंने उसकी जान सोख ली.
तेरा आर्यन थोड़ी देर अपने हाथ-पैर चलाता रहा और फिर शांत हो गया। वो मर चुका था, मैंने उसके टुकड़े-टुकड़े करके अपने गुलाबों के बग़ीचे में दफ़ना दिए, और फिर मैं तेरे साथ नौकुचियाताल घूमने निकल गया।”
अजय ने अन्नु की तरफ़ देखा, उसकी डेथ बॉडी अजय के हाथ में झूल रही थी। अजय, आर्यन को मारने की बात बताते हुए, अन्नू भी जान ले बैठा था. अन्नू उसके हाथ में छटपटाती रही, पर गुलाबों के लिए पागल अजय ने उसका उसके शरीर से उसका सर ऐसे अलग किया, जैसे कोई गुलाबों को उसकी टहनी से तोड़ता है। आर्यन और अन्नु अब दोनों ही मर चुके थे.
क्या आर्यन और अन्नू की मौत की ख़बर निशांत को जल्द ही लगेगी? क्या निशांत उनकी मौत की मिस्ट्री सुलझा पायेगा? या फिर ख़ुद भी बन कर रह जायेगा एक अनसुलझी मिस्ट्री? जानने के लिए पढ़ते रहिये “सूखे-गुलाब” का अगला एपिसोड।
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