अन्नु और आर्यन, पहाड़ियों की सड़कों पर  घुमावदार मोड़ों से गुजरते हुए, नौकुचियाताल पहुंच गए थे। चारों ओर ऊंचे-ऊंचे देवदार के पेड़ और नीचे झील का नीला पानी, इन वादियों की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था। उत्तराखंड की जमा देने वाली सर्दी, दिन में भी महसूस हो रही थी, इसलिए आर्यन ने हीटर की स्पीड और बड़ा दी और कार side में रोककर अन्नू से पूछा,

 

आर्यन -  पहले होम-स्टे चले या फिर पहले नौकुचियाताल लेक देखने, अन्नू?  

 

बाहर के ख़ूबसूरत नज़ारों में अन्नू इतना खो गयी थी कि उसको कुछ पता ही नहीं चला। उसने चौकते हुए आर्यन से पूछा, “हम पहुंच गए क्या नौकुचियाताल?  

 

आर्यन : हां, यहाँ से नौकुचियाताल बस 1 किलोमीटर दूर रह गया है पर मैं ड्राइव करते-करते बहुत थक चुका हूँ, अन्नू।  

 

अन्नू :  तुम तो बड़े हैवी ड्राइवर निकले, आर्यन।  

 

आर्यन ने ये मीम, सोशल मीडिया पर देखा था, इसलिए अन्नू का इशारा समझ कर मुस्कुरा दिया और अपने मोबाइल के मैप पर होम स्टे की लोकेशन डाली। उनका होम-स्टे  नौकुचियाताल ताल से लगभग 4 किलोमीटर दूर था।  

 

आर्यन ने अपनी कार मेप पर दिख रही लोकेशन की डायरेक्शन में घुमाई और कार का एक्सीलेटर दबा दिया। होम स्टे एक पहाड़ी और सुनसान जग़ह पर बना हुआ था, जहां पहुंचने के लिए पहाड़ काट कर एक बिलकुल खड़ी और घुमावदार रोड बनाई गयी थी। इस रोड को देख कर ही ऐसा लग रहा था की किसी ने अपने होम स्टे को बड़े ही प्यार से बनाया है और लोकेशन भी स्पेसिफिक चूज़ की है।    

 

आर्यन की कार उसी घुमावदार रोड पर थी। साइड में इतनी गहरी खाई कि एक छोटी सी गलती और ज़िंदगी ख़त्म। अन्नू ने खाई की तरफ़ निचे देखा और घबराकर अपनी आंखें बंद करली। अभी गाड़ी कुछ दूर ही गयी थी कि अचानक कार में झटके लगा और बंद हो गयी। अन्नू ने घबराकर आर्यन की तरफ़ देखा, वो कार स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था।

 

अन्नू : ये स्टार्ट क्यों नहीं हो रही आर्यन? क्या हो गया इसमें? प्लीज़ कुछ करो।  

 

आर्यन लगातार, कार स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कार थी कि स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रही थी। आर्यन ने फ्रस्टेट होकर ग़ुस्से में कार के स्टेयरिंग पर एक जोर का मुक्का मारा। मुक्का मारते ही कार थोड़ी आगे बड़ गयी। आर्यन ने घबराकर कार का स्टेरिंग पकड़ा और एक बार फिर ज़ोर से चाबी घुमाई, इस बार कर स्टार्ट होकर आगे बढ़ गयी थी।  

 

आर्यन ने कार के एक्सीलेटर पर इतना ज़ोर से पैर रखा कि, फिर कार तेज़ स्पीड से ऊपर चढ़ते हुए सीधे एक बड़े से विला के सामने जाकर रुकी। आर्यन ने एक गहरी साँस ली और मेप पर देखा।  

वो लोग अब होम-स्टे के सामने खड़े थे। लेकिन घाटी पर खड़ी बंद कार में मुक्का मारते ही कार आगे कैसे बड़ी, ये एक ऐसा राज़ था जिसकी तरफ़ न आर्यन का ध्यान गया था और न ही अन्नू का।  

ये राज़ बस वो ही जानता था, जो बंद कार में धक्का लगाकर आर्यन और अन्नू को अपने पास खींच लाया था। और अब अपनी पहली जीत पर हँस रहा था।  

 

अन्नू - “इतना बड़ा विला? ये ही हमारा होम-स्टे है क्या आर्यन?”  

 

विला की तरफ़ हैरानी से देख कर कार से निचे उतरते हुए अन्नू ने पूछा।  

 

आर्यन  : हां, बुकिंग साइट पर भी इसी विला का फ़ोटो डला हुआ है अन्नू। चलो अंदर चलकर देखते है।  

 

कार से निचे उतरकर दोनों उस विला के चारों और का नज़ारा देखकर हैरान रह गए थे।  

वो होम स्टे शहर के कॉन्क्रीट से दूर उन्हें बेहद सुकून दे रहा था। चारों ओर सिर्फ हरियाली ही हरियाली और सिर के ऊपर नीला आसमान, जहाँ बीच-बीच में सफ़ेद बादल थे. ठीक वैसे ही जैसा बचपन की ड्राइंग में हम बनाया करते थे. यहाँ कानों में चुभते गाड़ियों के हॉर्न नहीं बल्कि कानों को सुकून देने वाली चिड़िया की आवाज़ें आ रही थी. किसी ने सच ही कहा था “नेचर इज़ अ थैरेपी”.  

 

वहां सर्दी में दिन के समय में पहाड़ों की धुंध और भी ज़्यादा डार्क थी । अन्नू ने पहाड़ों की तरफ़ हाथ से इशारा करते हुए आर्यन से कहा,

 

अन्नू : वाउ! आर्यन, ये जग़ह किसी जन्नत से कम नहीं है, कितनी शांति और सुकून है यहाँ। आर्यन वो देखो, ऐसा लग रहा है जैसे बादल, पहाड़ की गोद में बैठा हो। क्या बात है, थैन्क्स आर्यन!  

 

 

आर्यन : मैं अब समझा, निशांत ने इतनी दूर होम-स्टे क्यों बुक किया था।  

 

उस विला के बाहर एक बड़ा सा मेन गेट था जिसकी डिज़ाइन थोड़ी अज़ीब और पुरानी थी, लेकिन आर्यन और अन्नू ने उसपर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।  आर्यन सामान निकालने के लिए कार के पीछे की तरफ़ गया। तभी अचानक आर्यन की नज़र कार की डिग्गी पर गयी और वो बुरी तरह चौंक गया।  

 

कार की डिग्गी पर जमी धूल और मिट्टी में 2 इंसानी हाथ के पंजे बने थे, जैसे किसी ने कार को पीछे से धक्का लगाया हो। आर्यन सुन्न हो गया था। उसको समझ नहीं आ रहा था, हाथ के ये निशान कब, कहां और किसने बनाए? उसने अन्नू को तेज़ आवाज़ लगाई।  

 

आर्यन :  अन्नू, यहां आओ जल्दी......  

 

आर्यन की आवाज़ सुनकर अन्नू कार के पीछे आई और आर्यन के दिखाए हाथ के निशान देखकर अन्नू सोच में पड़ गयी। तभी, उसको याद आया और उसने आर्यन को बताया,

 

अन्नू : “जब हम रेस्टोरेंट पर रुके थे न? तब एक लड़का कार के पास खड़ा था, उसी ने बनाये है ये, अब चलो आर्यन, मैं बहुत थक गयी हूँ।  

 

आर्यन और अन्नू अपना सामान लेकर जैसे ही आगे बड़े, पंजे के निशान भी गायब हो गए थे।  

 

विला में उस अज़ीब से मेन गेट से अंदर जाते ही उनको  गुलाबों का एक लहराता गार्डन दिखा, इसमें ऐसे गुलाब लगे थे जो उन्होंने पहले कभी नहीं दिखे थे. उस रोज़ गार्डन को देखकर, अनुप्रिया का मुँह खुला रह गया। उसने आर्यन से कहा,  

 

अनुप्रिया :  वाउ! इतनी ख़ूबसूरत जग़ह पर अगर 2-4 दिन रहने के लिए मिल जाये, तो फिर लाइफ में और क्या चाहिए आर्यन? इन गुलाबों को तो देखो, कितने लाल सुर्ख और बड़े गुलाब के फूल है ये, इनको देखकर ऐसा नहीं लगता? जैसे माली ने एक-एक ग़ुलाब की एक-एक पंखुड़ी को बहुत शिद्दत से लाल पेंट किया हो?  

 

आर्यन : जब बाहर का नज़ारा इतना शानदार हैं तो फिर इस होम स्टे का अंदर का व्यू कितना ख़ूबसूरत होगा अनु, तुम ये सोचो। मुझसे अब ज़्यादा वेट नहीं होगा अनु, चलो जल्दी अंदर चलकर देखते हैं।  

आर्यन और अनुप्रिया, रोज़ गार्डन के साइड के रस्ते से चलकर होम स्टे के अंदर गए, लेकिन उस विला के अंदर कोई नहीं था। इतने बड़े और ख़ूबसूरत विला के अंदर इतना गहरा संन्नाटा था कि आर्यन और अनु को अपनी साँसो की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी।  

 

आर्यन  -“हैलो ....... कोई है?”  

 

आर्यन ने आवाज़ दी, लेकिन उसको कोई ज़वाब नहीं मिला।   

आर्यन ने जल्दी से अपनी बुकिंग आई.डी. से घर का फ़ोटो मैच किया। घर सेम ही था।  

वो दोनों काफ़ी थक गए थे और थकान में अक्सर दिमाग़ काम करना बंद कर देता है। आर्यन, धड़ाम से वहां लगे सोफ़े पर बैठ गया और किसी के आने का इंतज़ार करने लगा।  

 

तभी अनुप्रिया को एक आईडिया आया। उसने आर्यन से कहा,  

 

अनुप्रिया : “आर्यन कोई आए तब-तक, हम इस रोज़ गार्डन में चलकर कुछ फ़ोटो ले क्या?

 

केयर टेकर : दूर रहना उन गुलाबों से!  

अचानक पीछे से आई एक लाउड और रुड आवाज़ से आर्यन और अनुप्रिया, अंदर तक काँप गए। आर्यन जल्दी से पीछे पलटा। वहां एक अज़ीब सा दिखने वाला आदमी खड़ा था, जिसको देखते ही आर्यन और अन्नू के शरीर में सिहरन दौड़ गयी। अन्नू डर के, आर्यन के पीछे छिप गयी. आर्यन ने थोड़ी हिम्मत की और डरते हुए उससे पूछा ,  

 

आर्यन : “क..... कौन हो तुम?”

 

केयर टेकर : इस होम स्टे का केयर-टेकर.....अजय ठाकुर,  बोलो क्या काम है?”  

 

उस अज़ीब से दिख रहे शख़्स ने अपना इंट्रोडक्शन दिया, तब आर्यन और अनुप्रिया की जान में जान आई।  

 

आर्यन : “हमने इस होम-स्टे में एक कपल रूम बुक किया था”  

 

आर्यन ने अपनी आई.डी दिखाते हुए अजय  ठाकुर से कहा। अजय  ने id ली और उस पर लिखा नाम देखकर चौंक गया। उसने आर्यन से इस बारे में थोड़े रूखे लहज़े में पूछा,  

 

 

केयर टेकर : “पहले ये रूम किसी निशांत और निहारिका के नाम से बुक हुआ था न? फिर नाम कैसे बदल गया?”  

 

उसके बेहेवियर से ऐसा लग रहा था, जैसे वो इस तरह अचानक अपना “गेस्ट” बदलने से ख़ुश नहीं था।  

 

अनुप्रिया और आर्यन को उसका बेहेवियर थोड़ा अजीब लगा लेकिन आर्यन ने सिचुएशन समझते हुए पोलाइटली कहा,  

 

आर्यन: “हां, एक्चुअली ये रूम पहले मेरे दोस्त ने उसके नाम से बुक किया था, लेकिन किसी इमर्जेन्सी की वज़ह से वो लोग आ नहीं पाए तो उनकी जग़ह हम लोग वेकेशन इंजॉय करने चले आए. और हमने बुकिंग ट्रासंफर भी करवाई थी ऑनलाइन, क्या पास अपडेट नहीं आई”

आर्यन की बात सुनकर अजय के चेहरे का रंग बदलने लगा था। उसकी शक़्ल पहले से ही थोड़ी अजीब थी लेकिन अब उसकी शक़्ल और भी ज़्यादा अजीब होने लगी थी।  

 

आख़िर क्या थी इस मिस्टरी मैन अजय की सच्चाई?  क्या होगा जब अन्नू पर पड़ेगा एक काला साया? जानने के लिए पढ़ते रहिये “सूखे-गुलाब” का अगला एपिसोड।  

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