आर्यन ने अपने दोस्त, निशांत से जैसे ही होम स्टे की आई.डी देने का बोला, निशांत चौंक गया। “क्या! तू सच में अनुप्रिया के साथ हनीमून पर जाना चाहता हैं?” निशांत ने चौंकते हुए आर्यन से पूछा।  

 

आर्यन: “हां भाई, उसमें इतनी हैरानी की कौन सी बात है?”

 

“चल मैं तुझे होम स्टे की बुकिंग आई.डी और लोकेशन सेंड करता हूँ लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा, जो बंदा अपने दोस्तों को चाय पिलाने में 2 बार सोचता है, वो अपनी वाइफ को हनीमून पर कैसे लेकर जा सकता है?  एक बात बता, तू सच में अपनी ही वाइफ को लेकर जाएगा या किसी और की वाइफ को?” निशांत ने आर्यन से टोंट मारते हुए पूछा, और दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े।

 

******

 

आर्यन और अनुप्रिया अपने पहले हनीमून के बाद कभी वेकेशन पर नहीं गए थे। अनुप्रिया जब भी आर्यन से कहीं घुमाने के लिए कहती, वो ऑफिस वर्कलोड का बहाना बना देता  और अन्नू अपना मन-मारकर रह जाती।  

 

आर्यन रात को थोड़ी जल्दी ही घर आ गया था। उस वक़्त अन्नू उसके कपड़े घड़ी कर रही थी। आर्यन जाकर बेड पर बैठ गया और हर बार की तरह अनुप्रिया से कहा, “चलो अन्नू कही घूमने  चलते है”.

आर्यन का इस तरह अचानक बोलना अन्नू को थोड़ा अज़ीब तो लगा, लेकिन आर्यन ये बात हर बार बोलता था, इसलिए उसने बिना किसी रिएक्शन के आर्यन से कहा, “आर्यन मुझे पता है, इस जन्म में तो तुम मुझे कही घुमाने नहीं वाले, फिर बार-बार बोलकर मुझे ग़ुस्सा क्यों दिलाते हो?  

 

आर्यन : अन्नू, तुम्हें तो पता ही है, ऑफिस में कितने काम रहते है और वेकेशन पर जाने की इच्छा तो मेरी भी करती है  पर ऑफिस से लीव ही नहीं मिलती, मैं क्या करुँ, तुम्हीं बताओ?

 

अन्नू को अब हल्का ग़ुस्सा आने लगा और उसने अपने हाथों के कपड़े बेड पर फेंकते हुए आर्यन से कहा,  

 

अनुप्रिया - “फिर अपने मैनेजर से ही शादी कर लेते न, मुझसे क्यों की? लाइफ ख़राब हो गयी मेरी तुमसे शादी करने के बाद।  

 

अन्नू बहुत देर तक बड़बड़ाती रही और आर्यन उसको देखकर हँसता रहा। थोड़ी देर बाद आर्यन ने अन्नू को अपना लैपटॉप दिखाया। लैपटॉप की स्क्रीन पर आर्यन और अनुप्रिया के नाम की बुकिंग दिखाई दे रही थी। अन्नू ने जैसे ही बुकिंग देखी, वो ख़ुशी से उछल पड़ी। उसने अपनी आंखें बड़ी करते हुए आर्यन से पूछा,  

 

अनुप्रिया - “आर्यन हम कल नौकुचियाताल जा रहे हैं? ये कब किया तुमने? तुमने मुझे पहले बताया क्यों नहीं? मेरे पास पहनने के लिए कुछ कपड़े भी नहीं है।”

 

अन्नू एक्साइटमेंट में एक ही साँस में इतना कुछ बोल गयी थी कि, ख़ुद उसको भी पता नहीं था, उसने क्या-क्या बोला है। आर्यन, अन्नू की बातें सुनकर ज़ोर से हँस पड़ा।  

 

 

इसके अगले ही दिन आर्यन अपनी वाइफ अनुप्रिया के साथ कार से नौकुचियाताल के लिए निकल गया। इस ट्रिप को लेकर अनुप्रिया सबसे ज़्यादा एक्साइटेड थी, क्योंकि उनके हनीमून के बाद पिछले 1 साल से वे लोग कही घूमने नहीं गए थे।  

 

आर्यन की कार, दिल्ली की भीड़भाड़ वाले इलाको को पार करने के बाद गाज़ियाबाद --हापुड़-हल्द्वानी वाले रास्तें से होकर एक हाइवे पर आ चुकी थी। आर्यन लगभग  किलोमीटर तक लगातार ड्राइविंग करता रहा, लेकिन अब उसको एक रेस्ट लेने की ज़रूरत फील होने लगी इसलिए एक अच्छा सा रेस्टोरेंट देखकर आर्यन ने अपनी कार रोक दी।  

 

आर्यन - चलो अन्नू, कुछ खा लेते हैं, इसी बहाने मुझे थोड़ा रेस्ट करने का टाइम भी मिल जायेगा।  

आर्यन और अन्नू, फाइव स्टार होटल में लगी एक टेबल पर जाकर बैठ गए। होटल में दिन के टाइम रश थोड़ा कम ही था। उन्होंने वेटर को खाने का आर्डर दिया और रीलैक्स होकर बैठे ही थे कि तभी,

 

उनके साइड की टेबल से आ रही एक आवाज़ उन दोनों के कानों में पड़ी। आर्यन और अनुप्रिया ने पलट कर उस टेबल की तरफ़ देखा। वहां 4 लड़के अपने एक दोस्त के साथ नौकुचियाताल में आज से 8 साल पहले हुए एक रहस्य्मय इंसिडेंट के बारें में बात कर रहे थे, जिसमें उनके दोस्त की मौत हो गयी थी। उन लोगों की बातें सुनकर ही अन्नू के पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी थी, उसने आर्यन से पूछा,  

 

अन्नू: आर्यन, सच में नौकुचियाताल में डरावनी जगहें है क्या? इन लड़कों की बात सुनकर मुझे डर लग रहा है।  

 

 

अन्नू की डरी हुई शक़्ल देखकर आर्यन हँस पड़ा। उसने अपनी हसी रोकने की कोशिश करते हुए अन्नू से कहा,  

आर्यन : ऐसे भूत दिल्ली में क्यों नहीं मिलते यार? अगर मिलते न तो मैं तो पक्का उसको रेंट पर ले लेता। अब तुम मुझसे तो डरती नहीं हो, कम से कम भूत से तो डरती।  

 

उन लड़कों की बात, आर्यन ने तो हँसी में टाल दी, लेकिन उनकी बात अनुप्रिया के दिल में बैठ गयी थी। 5 स्टार रेस्टोरेंट के खाने का लुत्फ़ लेने और रेस्ट करने के बाद आर्यन और अनुप्रिया अब आगे बढ़ने के लिए फिर से तैयार थे। आर्यन की कार अब फिर से हाइवे पर आ गयी थी।  

 

 

वे लोग अब उस रेस्टोरेंट से बहुत दूर आ गए थे, लेकिन उन लड़कों की बातें अभी तक अनुप्रिया के दिमाग़ में गूँज रही थी। आर्यन ने उसका माइंड डायवर्ट करने के लिए अपने कार में चल रहे रोमांटिक गाने की आवाज़ और कार की स्पीड तेज़ कर दी।  

 

अनुप्रिया : आर्यन? पागल हो गए हो क्या? मारना चाहते हो क्या मुझे? pls कार की स्पीड कम करो, मुझे बहुत डर लग रहा है।  

 

आर्यन को अपनी कॉलेज लाइफ में कार रेसिंग का शौक था लेकिन शादी के बाद से उसने कभी इतनी तेज़ स्पीड में कार नहीं चलाई थी। आज मौका मिलते ही आर्यन अपनी कॉलेज लाइफ को फिर से ताज़ा कर रहा था। अचानक अनुप्रिया ज़ोर से चिल्लाई,  

 

अनुप्रिया : आर्यन, सामने से ट्रक आ रहा है, क्या कर रहे हो तुम? आर्यन स्लो करो न कार.......  

 

 

अन्नू चिल्लाती रही और आर्यन ने सामने से आ रहे ट्रक के साइड से अपनी कार इतनी तेज़ स्पीड में निकाली कि अन्नू सुन्न रह गयी। उसके दिल की धड़कने, कार की स्पीड से रेस लगा रही थी। आख़िर में जब आर्यन नहीं माना तो अन्नू अपनी आंखें बंद करके बैठ गयी और आर्यन उसी तरह रेश ड्रायविंग करता रहा। लगभग आधे घंटे बाद आर्यन ने अन्नू की तरफ़ देखा। अन्नू अभी भी अपनी आंखे बंद किये बैठी थी।  

आर्यन ने अपनी स्पीड कम करते हुए अनु से कहा,

 

आर्यन - अन्नू तुमने एक बात नोटिस की?

 

अन्नू ने अपनी आंखें खोली और पूछा, “क्या”? विंडो खोलकर बाहर देखो, आर्यन ने कहा। अन्नू ने कार की विंडो खोली और अपना थोड़ा सा सर बाहर निकालकर देखा, तो उसकी आंखें खुली रह गयी थी। वे लोग अब उत्तराखंड की ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच थे।  

 

ठंड के मौसम में उन खूबसूरत पहाड़ियों की धुंध देखकर अन्नू हैरान रह गयी थी। उसने आर्यन से जल्दी से गाड़ी रोकने के लिए कहा। कार अभी ठीक से रुकी भी नहीं थी कि अन्नू कूदकर कार से बाहर निकल गयी थी। आर्यन ने टोकते हुए कहा,  

 

आर्यन - “क्या कर रही हो अन्नू, अभी गिर जाती तो?”

 

अन्नू : वाउ आर्यन। इतनी ख़ूबसूरत हरी भरी वादियाँ मैंने इससे पहले सिर्फ़ T.V. पर ही देखी थी। वो देखो आर्यन…. उस पहाड़ पर बादल उतर रहे है....... वाउ आर्यन, रियली में स्वर्ग है ये जग़ह. मुझे ऐसा लगा रहा है, जैसे मैं बादलों के बीच में खड़ी हूँ।  

 

अन्नू, उत्तराखंड की ख़ूबसूरत वादियों में उतर रही धुंध देखकर हैरान भी थी और एक्साइटेड भी। आर्यन ने  हँसते हुए कहा  

 

आर्यन -  “अन्नू अगर तुम कहों तो तुम्हें यही छोड़ कर मैं अकेला ही चला जाऊंगा दिल्ली वापस, तुम यही रहना।”  

 

अन्नू :  हां आर्यन मैं तैयार हूँ, “और वैसे भी क्या रखा है दिल्ली में, धुएं में फेफड़े जल रहे है और सीमेंट के जंगल में जिंदगी।” असली लाइफ क्या होती है, ये मुझे आज पता चला।” इंसानों ने डेवलपमेंट और कंक्रीट का जाल बिछाने के लिए पूरे नेचर  तबाह कर दिया और अब गमलों में पौधे लगाकर, एनवायरमेंट बचाने चले है।”

 

आर्यन ने अन्नू की तरफ़ ऐसे देखा जैसे सोच रहा हो, “आज इतना ज्ञान कैसे आ गया अन्नू के अंदर?  

 

आर्यन - अब आगे चले या परमानेंट यहीं रहने का इरादा है?  

 

आर्यन के ये कहते ही अनुप्रिया कार में बैठी और वो आगे बढ़ गए। पिछले 15 मिनट में अनु ने अपनी लाइफ के सबसे खूबसूरत पल बिताए थे। अन्नू ने कार की विंडो खोली, म्यूज़िक का वॉल्यूम थोड़ा और बढ़ाया और अपना एक हाथ कार की विंडो पर रखकर बाहर की खूबसूरती निहारते हुए, अन्नू एक अलग दुनिया में खो गयी थी।  

 

लाइफ में ख़ुशी के पल ज़्यादा देर रहते नहीं है,  फिर अनु और आर्यन की लाइफ में कैसे रह जाते? नौकुचियाताल अब ज़्यादा दूर नहीं था। उनकी कार और ज़िंदगी अब उस मोड़ पर आ गयी थी जहां से आगे ख़तरा ही ख़तरा था। आर्यन और अनु नहीं जानते थे, इन हसीन वादियों के पीछे उनकी ज़िंदगी का काला साया छिपा था, एक ऐसा साया, जिससे आज तक कोई नहीं बच पाया।  

आख़िर कौन सा साया, आर्यन और अन्नू को अपनी तरफ़ खींच रहा था? और क्या था उसका राज़? जानने के लिए पढ़ते रहिए “सूखे गुलाब” का अगला एपिसोड।  

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