अपनी आँखों के सामने किसी की मौत होते देखना दिल दहला देने वाला होता है पर जब वो मौत किसी अनदेखी रहस्यमयी शक्ति से हुई हो तो डर की कोई सीमा नहीं रह जाती। समीर एक एक कर के इतनी सारी रहस्यमयी मौतों का गवाह बना है कि अब उसे कुछ भी इससे ज़्यादा खतरनाक नहीं लगता। समीर वो नक्शा उस बैटरी नुमा बक्से में बंद कर देता है जिस बक्से में वो चाबी ले कर आया था। शायद ये बक्सा साये की नजर उस चीज पर पड़ने नहीं देता जो इस बक्से में बंद है। तभी डॉक्टर रवि इसे बैटरी बुलाते हैं। समीर हिम्मत जुटा छैल के बस स्टैंड पर उतर शहर की तरफ चलता है। छैल मे इस समय भी एक अजीब सा बादलों का घेरा है। समीर उस ठंडी हवा में छुपे उस डर को मेहसूस कर सकता था। जैसे जैसे वो अपने घर की तरफ बढ़ रहा था उसका डर भी बढ़ता जा रहा था। समीर शहर मे किसी से भी नजर नहीं मिला रहा था जैसे उसे पता हो कि साया कहीं भी हो सकता है। वो घर का दरवाजा खोलता है और देखता है कि उस घर में एक काली बिल्ली बैठी है जो समीर को देखते ही उसके पास आ कर उसके पैरों के बीच घूमने लग जाती है जैसे समीर से प्यार जता रही हो। समीर को समझ नहीं आता कि ये बिल्ली वहाँ कहाँ से आयी। वो उस संग्रहालय में नक्शा छुपा कर उस किताब को खोलता है जिसमें विधि है उस नक्शे को प्रयोग कर उस तिलस्मी किताब तक पहुंचने की जिसमें साया कैद होता है। समीर उस किताब को पढ़ता है और देखता है कि बार बार उस किताब में उस काले मंदिर का जिक्र है जो मंदिर इस शहर मे कहीं उसे दिखा ही नहीं।
अब समीर का सवाल ये है कि ये मंदिर है कहाँ जहां वो किताब और उससे जुड़ी विधि की जाती है। वो सोच ही रहा होता है कि वो बिल्ली ऊपर उस किताबों के संग्रहालय पर से कूदती है और उसके साथ एक किताब नीचे गिरती है जिसपर लिखा था काला मंदिर।
समीर समझ जाता है कि ये बिल्ली हो ना हो कोई ऐसी शक्ति है जिसे यहां उसकी मदद करने के लिए भेजा गया है। समीर उस किताब को खोलकर देखता है वो मंदिर काले पत्थरों से बना है और उसपर लिखा है -
काली शक्ति काला पत्थर अब दोनों है काले मे।
गुप्त अंधेरा उस जगह है और बंद है ताले में।
शक्ति उसकी चल ना पाए वो ऐसी एक काया है
रोशनी की चाबी है बस वही वहां की माया है।
समीर बार बार इसे पढ़ता है और समझ जाता है इस शहर में ऐसी सिर्फ एक जगह है जहां उस साये की शक्तियों का असर नहीं होता, और वहाँ अंधेरा ही अंधेरा है जो इस सुनहरी लालटेन की रोशनी से रोशन होता है। वो सुरंग! रात हो चुकी थी और समीर खाना बना रहा था। जहां जहां वो घर में जा रहा था, वो काली बिल्ली भी उसके साथ चल रही थी। समीर खाना खा कर उस बिल्ली को भी खाना खिलाता है और उस संग्रहालय मे बिखरी किताबों को समेट कर सोने चला जाता है।
अगली सुबह शुक्रवार की सुबह थी और ये दिन समीर की जिंदगी का अब तक का सबसे अहम दिन है। वो डॉक्टर रवि से बात करना चाह रहा था पर उसे डर था कि डॉक्टर रवि से बात करते उसे कहीं वो साया ना सुन ले। समीर कोशिश करता है रवि को ये बताने की कि वो अभी तक अपने मकसद में कामयाब हो चुका है और पूछना भी चाहता है कि आज की रात उसे किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। समीर डॉक्टर रवि को हर जगह खोजता है पर वो कहीं नहीं दिखते। डॉक्टर रवि को खोजते खोजते समीर उनके हिल हाऊस तक पहुंच जाता है जहां बाहर वो मुखौटा अभी भी लगा हुआ है। बाहर से देखने पर अंदर बिल्कुल सन्नाटा है जैसे घर पर कोई भी नहीं है हिम्मत कर के जैसे ही समीर उस दरवाजे की घंटी को बजाने वाला होता है, पीछे से एक आवाज़ आती है।
रवि - जी क्या आप मुझे ढूँढ रहे है?
समीर - जी डॉक्टर साहब वो आज मैं आपसे बीमारी के बारे में कुछ सवाल पूछने आया था।
रवि - कल दवाई ली थी ?
समीर - जी दवाई ली है। मेरे पास है.. पर वो..
रवि - आज मैं बहुत व्यस्त हूं आप कल मिलिए मुझसे और मुझे ऐसे ना देखो मेरा रास्ता छोड़ो आपको काली आंखों के पास आपके हर सवाल का जवाब मिलेगा।
इतना कह डॉक्टर रवि दरवाजा खोल कर घर के अंदर चले जाते हैं और दरवाजा बंद कर देते हैं।
समीर एक पल के लिए समझ ही नहीं पाया कि डॉक्टर रवि ने उससे क्या कहा। वो जल्दी से अपने घर की तरफ निकल पड़ा और अंदर जा कर दरवाजे बंद कर शीशे में खुद को देखने लगा और अभी भी उसे कुछ समझ नहीं आया। जब वक़्त कम हो और दिमाग में इतना कुछ चल रहा हो तब छोटी सी बात भी समझ नहीं आती इंसान को। समीर सोच ही रहा होता है तभी उसे अपने पैरों मे किसी चीज़ के छूने का एहसास होता है। वो बिल्ली जो उस घर में टहल रही थी। बिल्ली जिसकी आंखें काली हैं। डॉक्टर रवि के काली आंखों का मतलब इस बिल्ली से था। समीर उस बिल्ली को उठाए उस संग्रहालय में जाता है जहां उस नक्शे वाला बक्सा है और जैसे ही उस बक्से को खोलने वाला होता है वो बिल्ली उस पर आ कर बैठ जाती है। जैसे वो बिल्ली मना कर रही हो उस बक्से को खोलने से। नक्शा खोलना सुरक्षित नहीं है। समीर बिल्ली से पूछता है कि रात को उसे वो किताब कहाँ मिलेगी? वो बिल्ली जो शायद इंसानी बातें समझ लेती है, अपने पंजे से एक क्रॉस का निशान बनाती है इसका मतलब है कि किताब नहीं मिलेगी। समीर को याद आता है कि उस किताब में लिखा था -
रोशनी की चाबी है बस वही वहां की माया है।
ये रोशनी उस सुनहरी लालटेन की रोशनी नहीं हो सकती। इसका मतलब समीर को काले मंदिर तक ये नक्शा पहुंचा देगा लेकिन उस किताब तक पहुँचने के लिए उसे किसी चाबी की जरूरत होगी जो उसके पास नहीं है। वो एक जगह बैठ कर सोचता है और उसे समझ आता है कि ये इतना आसान नहीं है। समीर आज सिर्फ साये का शिकार रोक उसे कमजोर कर सकता है पर उसे उस किताब में कैद नहीं कर सकता।
धीरे धीरे सूरज दूसरे पहर की तरफ बढ़ रहा था और शहर में दहशत का माहौल बढ़ रहा था। लोग जल्दी जल्दी अपना काम निपटा कर जाना चाहते थे। आज फिर कुछ होने वाला है। समीर को पता था कि साये ने अथर्व के सहारे अपना शिकार चुन लिया है। वो महिला tourist जो उस रात वॉक मैन मे इयरफोन लगा कर गाने सुन रही थी और साया उसे घूर रहा था। आज उसकी मौत का दिन है पर साथ ही साया हर एक आत्मा को हरने के बाद और भी ताकतवर होता जा रहा है जिस शक्ति को अब अथर्व नहीं सह सकता और उसकी जान जा सकती है।
साया उस बच्चे को तब तक नहीं मार सकता जब तक वो खुद कमजोर हो कर ना मर जाये और उसके बाद उसकी आत्मा साये की कैद मे हो जाएगी हमेशा हमेशा के लिए। समीर को पता था कि आज वो क्या करने जा रहा है। सूरज ढलने ही वाला था इसीलिए समीर उस सुरंग की तरफ बढ़ गया। बिल्ली अभी भी उसी घर में है। समीर जैसे ही उस सुरंग की तरफ कदम बढ़ाता है उसे सुनाई देती हैं वो बादलों की गड़गड़ाहट जिसका मतलब साफ है कि साया अपने शिकार की तैयारी में निकलने ही वाला है। अब समीर के पास सबसे बड़ा काम ये है कि सूरज ढलने से पहले उस काले मंदिर को खोजना, जो उस सुरंग के अंदर ही कहीं दफन है। वो हाथ में सुनहरी लालटेन लिए उस गुफा में घुसता है एक बार फिर चमगादड़ों का झुंड उस रोशनी को देख बाहर की तरफ निकल जाता है। समीर सुरंग में आगे बढ़ता है और कुछ दूर चलकर उसे समझ आता है कि उस अंधेरे मे सुनहरी लालटेन की रोशनी भी काम नहीं कर रही। उस अंधेरे को चीर पाए ऐसी रोशनी उस सुनहरी लालटेन में नहीं। वो वापस पीछे जाता है जहां वो लालटेन की रोशनी में कुछ देख पाए। वो उस लिखावट की तरफ लालटेन की रोशनी करता है और वो निशान जो नक्शे का पता बताते थे उन्हें देख कुछ समझने की कोशिश में लग जाता है। शायद यहां से उसे कोई और रास्ता दिखे।
दूसरी तरफ सूरज ढल चुका था और डॉक्टर रवि अपने हिल हाउस की ऊपर वाली खिड़की से देख रहे थे। अथर्व घर के बाहर डरा हुआ सा खड़ा था और कुछ फुसफुसा रहा था। साया वहाँ किसी भी पल आने वाला है। एक जोर की गड़गड़ाहट के साथ एक धुएं का सैलाब वहाँ आता है। डॉक्टर रवि के आँखों मे पानी का सैलाब उमड़ पड़ता है। उन्हें पता है की आज अगर साये ने अथर्व को जकड़ा तो डॉक्टर रवि अथर्व को हमेशा के लिए खो सकते हैं। जैसे ही साया उस धुएँ की आड़ से निकल अथर्व के पीछे आया एक ज़ोर की गुर्राहट उन वादियों मे गूँज उठी।
वहीं, समीर ने अपने थैले से नक्शा बाहर निकाल लिया था और बाहर निकालते ही नक्शे से वो तेज़ रोशनी निकलने लगी जिसने उस अंधेरे को चीर दिया। समीर को उस सुरंग मे एक पत्थरों का गुप्त दरवाजा दिखा जो इस नक्शे की रोशनी से खुद ब खुद खुल गया। कुछ ही पलों में समीर एक टूटे हुए मंदिर के भीतर था जहां से एक तहखाना अंदर की ओर जा रहा था बस उसकी चाबी समीर के पास नहीं थी।
उधर अथर्व को छोड़ साया गुर्राते हुए उस सुरंग की तरफ भागा। डॉक्टर रवि की जान मे जान आयी। समीर हाथ मे वो नक्शा लिए उस तहखाने के बाहर ही बैठ गया और उसके चारो तरफ एक लाल निशान सा बन गया। समीर की आंखे उस रोशनी को झेल नहीं पा रही थी इसलिए उसने आंखे बंद कर ली थी। फिर उसे अचानक अपने आसपास कुछ ठंड सी महसूस होने लगी। उसने अपने चेहरे पर एक परछाई सी महसूस की और जैसे ही आँख खोली उसकी सांसे अटक गई। वो साया जिसकी लाल आँखे है जिसे समीर ने उस कांच से देखा था एक tourist की मौत के समय, अब वो समीर को गुस्से से घूर रही थी। समीर ने पहली बार इस साये ही गुर्राहट इतने करीब से और इतनी धीमी सुनी थी जिसने उस का दिल दहला दिया! क्या वो साया समीर को वहाँ से जिंदा वापस निकलने देगा? क्या अब ये नक्शा हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगा? क्या होगा इसका अंजाम?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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