मनोज ने पार्क में जा कर आज पहली बार पिंकी को आवाज़ देकर बुलाया था। पिंकी भी उनके इस बदले बिहेवियर से हैरान थी। उसे क्लास छोड़ मनोज के पास जाते देख बहुत से लोग जल भुन गए थे। मनोज पिंकी को अपनी तरफ़ आता देख मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने अपनी जेब से कुछ निकाल कर हाथ में रख लिया था लेकिन पिंकी ने ये नहीं देखा था। उन्होंने पिंकी के नजदीक आने पर उन्हें हाय कहा, पिंकी ने भी जवाब दिया। पिंकी ने उनसे पूछा कि कोई खास बात थी जो उन्होंने उसे बीच क्लास से बुला लिया? मनोज ने कहा कि उन्हें बस रात के बारे में बात करनी थी।

पिंकी ने गहरी साँस ली और कहा कि वो क्लास खत्म होने के बाद आकार बात करेगी। इतना कह कर वो चली गई। मनोज वहीं पार्क में बैठ कर क्लास ओवर होने का इंतज़ार करने लगे। तब तक उन्होंने अपने नए बने कुछ दोस्तों के मिलने पर उनका हाल चल लिया। बीस मिनट बाद पिंकी की क्लास ओवर हो गई। पिंकी अपना समान उठा कर जाने लगीं तभी फिर से मनोज ने उन्हें आवाज़ दी। पिंकी ने कहा सॉरी वो भूल गई थी कि मनोज उनका इंतज़ार कर रहे हैं। इसके बाद दोनों एक बेंच पर बैठ गए। पिंकी ने सीधे पूछा कि उन्हें क्या बात करनी थी? मनोज ने हिम्मत कर के पूछा कि वो रात रोने क्यों लगी थीं और उनके यहां से चली क्यों गई थीं? आख़िर उन्हें क्या दुख है, वो उन्हें बता सकती हैं।

पिंकी ने पहले ही सोच लिया था कि वो मनोज को ज़्यादा क्लोज़ नहीं आने देंगी। उन्हें दिख रहा था कि मनोज उनमें कुछ ज़्यादा ही दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्हें गुस्सा आ रहा था लेकिन फिर भी वो अपने गुस्से को दबाते हुए बोलीं, ‘’ मनोज जी पुराने दिनों को याद कर के मैं थोड़ी इमोशनल हो गई थी। मुझे वहां ऐसा करना अच्छा नहीं लगा इसीलिए मैं वापस आ गई। ऐसे उठ कर आने के लिए मैं माफी चाहती हूँ। ‘’

मनोज(सॉफ़्टली)- नहीं आप माफी मत माँगिए। बस मैं इस बात से परेशान हूँ कि आप दुखी थीं और मैं कुछ कर नहीं पाया आपके लिए।

पिंकी(नार्मल)- नहीं मैं ठीक हूँ। आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं।

मनोज(नार्मल)- नहीं आप अभी भी उदास लग रही हैं। आप मुझे बता सकती हैं कि क्या बात है…

अब पिंकी के बर्दाश्त की हद हो गई थी। उसे नहीं पसंद था कि कोई उसके पास्ट को लेकर बात करे। पिंकी समझ गई कि मनोज जी को अब लगने लगा है कि वो उनके बहुत क्लोज़ हैं और उनसे किसी भी तरह की बात कर सकते हैं। कल को शायद वो ये ना सोचने लगें कि पिंकी भी उनसे प्यार करती है। उन्होंने फैसला किया कि मनोज को अब रोका नहीं गया तो वो अपने अंदर बहुत सी गलतफहमियाँ पाल लेंगे। उन्होंने कहा, ‘’आपको क्यों मैं कुछ बताऊं? हम बस अभी अभी दोस्त बने हैं, आप इतने भी क्लोज़ नहीं हैं कि मैं अपनी लाइफ़ की हर बात आपसे डिस्कस करूँ। इतने साल से मैंने ख़ुद को अकेले ही संभाला है और आगे भी सम्भाल लुंगी। आपको मेरी फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं। आपकी अपनी लाइफ़ आपसे संभल नहीं रही और आप मुझे संभालने की बातें कर रहे हैं। इंसान को अपनी हद पता होनी चाहिए मनोज जी। अगर मैं मना कर रही हूँ आपसे अपने पास्ट के बारे में बात करने से तो कोई वजह होगी ना? आपको भी समझना चाहिए कि क्या पूछना है और क्या नहीं। आप मेरे इतने भी क्लोज़ फ्रेंड नहीं हैं कि मुझ पर इस तरह से हक जता सकें। आगे से हद में रहिएगा नहीं तो हमारे बीच ये जो थोड़ी बहुत दोस्ती है वो भी नहीं रहेगी। अब मुझे जाना होगा, बहुत से काम होते हैं मुझे… मैं कोई retired नहीं हुई हूं जो बैठ कर सिर्फ़ गप्पें मारती रहूँ। ‘’

मनोज को इस वक्त ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उन्हें सिर का ताज बना कर फिर उसी ताज को ज़मीन पर फेंककर, रौंद दिया हो। रिटायरमेंट के बाद पिंकी और राजू के साथ ने उन्हें जो थोड़ा बहुत confidence दिया था वो अब चोरी हो चुका था। पिंकी ने ही तो उन्हें अपना दोस्त कहा था और बताया था कि दोस्त कैसे ट्रीट करते हैं एक दूसरे को। मनोज समझ नहीं पा रहे थे कि अब उन्हें क्या करना चाहिए? क्या वो पिंकी को पलट कर जवाब दें? या फिर वो चुप रहें? उनकी भी तो सेल्फ रिस्पेक्ट है ना? कोई ऐसे ही उन्हें सुना कर नहीं जा सकता लेकिन मनोज ने ऐसा कुछ नहीं किया।

उन्होंने पिंकी को रोका और उनकी तरफ़ कुछ कदम बढ़ाते हुए कहा कि ये गिफ्ट वो उनके लिए लाए थे  लेकिन रात उन्हें देने का मौक़ा नहीं मिला। मनोज ने कहा वो पहली बार घर आई थीं ना इसलिए वो उन्हें ख़ाली हाथ नहीं जाने देना चाहते थे। उन्होंने अपनी दूसरी जेब से एक और गिफ्ट निकालते हुए कहा कि वो राजू के लिए भी गिफ्ट लाए हैं। ये उन्होंने इसलिए कहा था कि कहीं पिंकी फिर से उन्हें ग़लत ना समझ ले कि वो उन्हें इंप्रेस करने के लिए सिर्फ़ उनके लिए ही गिफ्ट लाए। पिंकी गिफ्ट लेने के लिए मना करती इससे पहले ही मनोज वहां से चले गए। आते हुए वो राजू से भी नहीं मिले, सीधा घर चले गए। राजू ने उन्हें जाते हुए देखा और सोचने लगा कि आख़िर वो उनसे मिलकर क्यों नहीं गए? उसे भी जानना था कि आख़िर पिंकी आंटी ने उन्हें क्या बताया।

घर आते ही वो सीधे लेट गए, आज उन्होंने गिल्लू से भी बात नहीं की। उन्होंने अपने पैर नीचे लटकाये हुए थे और गिल्लू उनके पैरों के आसपास घूमते हुए उन्हें बुलाने की कोशिश कर रहा था। उस बेचारे  जानवर को क्या पता कि मनोज पर आज क्या बीत रही है। मनोज सोचने लगे कि शायद इसीलिए वो पूरी ज़िंदगी खुश होने से डरते रहे क्योंकि ख़ुशी जितनी बड़ी होती है उतना ही बड़ा दुख भी देकर जाती है। उन्हें लगने लगा कि वो अपनी अकेली दुनिया में ही ज़्यादा सही थे, जहाँ ना किसी को उनसे कोई उम्मीद थी और ना उन्हें किसी से। जब लोग ही नहीं थे उनके आसपास तो ना किसी को तकलीफ़ देने का खतरा था और ना किसी से तकलीफ़ होने का डर।

मनोज ने देखा कि गिल्लू बार बार उनके पास आ रहा है। ख़ुद को संभालते हुए वो उठे और नीचे गिल्लू के पास ही बैठ गए। उन्होंने गिल्लू से बात करनी शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘’यार गिल्लू ये दुनिया बड़ी अजीब है। लोग ख़ुद क़रीब आते हैं और फिर बाद में ख़ुद ही हदें बताते हैं। मैंने तो बस पिंकी जी की मदद करने की कोशिश की थी। उन्होंने ही कहा था कि वो लोग दोस्त हैं, मुझे नहीं पता था कि दोस्त अच्छे या बुरे भी होते हैं। मैं तो यही समझ रहा था कि दोस्त सिर्फ़ दोस्त होते हैं। शायद मुझसे ही गलती हो गई। मुझे समझना चाहिए था कि ये दुनिया मुझ जैसों के लिए नहीं बनी है। मेरी वजह से पिंकी जी भी परेशान हो गई, है न? अब मुझे किसी से दोस्ती नहीं करनी। अब बस हम ही दोनों है इस दुनिया में। तू तो मुझे छोड़ कर नहीं जाएगा ना दोस्त?''

इतना कह कर वो गिल्लू को गले लगाकर रोने लगे। गिल्लू बोल पाता तो ज़रूर कहता कि नहीं सर मैं आपको छोड़ कर कभी नहीं जाऊंगा। कुछ देर बाद मनोज ने ख़ुद को संभाला और फिर से अपने घर के काम में लग गए। एक बार फिर से उनके पास करने के लिए कुछ ख़ास नहीं था। पिछले कुछ दिनों में तो उनका ज़्यादा वक्त पिंकी के बारे में सोचने में कट जाता था। वो अभी भी उन्हीं के बारे में सोच रहे थे लेकिन पहले सब अच्छा था और अब सिर्फ़ पिंकी की डाँट सुनाई पड़ रही थी।

अगले दिन उनकी पार्क जाने की भी हिम्मत नहीं हुई। राजू उनका इंतज़ार करता रहा लेकिन वो नहीं आए। राजू ने उन्हें दो बार फ़ोन भी किया लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया। उसे उनकी चिंता होने लगी। वो समझ गया कि कल पक्का पिंकी और उनके बीच कुछ ग़लत हुआ है। आज पिंकी की भी क्लास ऑफ थी इसलिए वो भी नहीं आई थीं, नहीं तो वो उनसे ही जा कर पूछ लेता।

मनोज का आज का दिन भी मायूसी में ही बीता था, थोड़ा बहुत अगर उनका मन लग भी रहा था तो ये सिर्फ़ गिल्लू की वजह से था। कल उन्होंने किसी तरह बर्दाश्त कर लिया लेकिन आज उन्हें शराब की सख़्त ज़रूरत महसूस होने लगी। शराब की तलब से लड़ते हुए आख़िरकार शाम को शराब की ही जीत हुई। उन्होंने बोतल खोल ली और अपना ग़म भुलाने की कोशिश में जुट गए। क़रीब नौ बजे के आसपास किसी ने उनका दरवाज़ा खटखटाया। उनके दो पेग अंदर जा चुके थे। नशा तो नहीं हुआ था लेकिन वो अच्छे ख़ासे सुरूर में थे। वो दरवाजे की दस्तक सुन हैरान हो गए, एक तो उनके घर कोई आता नहीं था और किसी को आना भी होगा तो कोई रात में क्यों आयेगा, हालांकि दरवाज़ा तो खोलना ही था क्योंकि सामने वाला लगातार उनका दरवाज़ा पीट रहा था। उन्होंने शराब के नशे में सोचा कहीं पिंकी जी उन्हें और सुनने तो नहीं आई हैं? फिर भी हिम्मत कर के उन्होंने दरवाज़ा खोला। सामने राजू खड़ा था। उन्होंने सोचा कि राजू भला इस वक्त उनके यहाँ क्या कर रहा है? राजू ने ये भी इंतज़ार नहीं किया कि वो उन्हें अंदर बुलायें। वो ख़ुद ही अंदर घुसते हुए बोला, ‘’कमाल आदमी हैं आप भी, एक तो कल बिना बताये चले आए ऊपर से आज भी पार्क नहीं आए। आदमी कम से कम ये तो बताता है कि हुआ क्या है या ख़ुद को कमरे में बंद कर लेता है? हाँ जब किसी को अपना पता लिख कर दिया करें तो ये भी बताएं कि आप कौन से फ्लोर पर रहते हैं। नीचे वालों से डाँट खा कर आ रहे हैं। ‘’

मनोज ने उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं दिया। राजू कमरे में आ चुका था। उसने देखा मनोज ने तो मस्त दारू की बोतल खोली हुई है। उसने taunt मारते हुए कहा कि उसे तो लग रहा था वो दुखी होंगे किसी बात से शायद इसलिए पार्क नहीं आए लेकिन वो तो मस्त दारू पार्टी कर रहे हैं। मनोज ने कहा ग़म भुलाने वाली पार्टी है। राजू ने आगे से कहा कि यही तो वो जानने आया है कि आख़िर उन्हें हुआ क्या है? किस बात का इतना दुख है कि उन्होंने ख़ुद को फिर से इस कमरे में बंद कर लिया है? मनोज ने इस सवाल का जवाब देने की बजाए राजू से पूछा कि क्या वो भी शराब पीता है? राजू ने कहा नहीं, उसका मन करता है लेकिन वो तभी पियेगा जब उसका बिजनेस चल पड़ेगा और वो एक अमीर इंसान बन जाएगा।

मनोज ने ऐसा जवाब पहली बार सुना था, या तो लोग कहते हैं वो पीते हैं या नहीं पीते। अमीर होने के बाद पियेंगे, ऐसा जवाब कोई नहीं देता।

क्या मनोज राजू को बता पायेंगे कि कैसे पिंकी ने उनकी बेइज्जती कर दी है? क्या राजू एक बार फिर से मनोज की मदद कर पायेगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.