मनोज को ढूँढते हुए राजू उनके घर तक आ गया था। उसने देखा मनोज किसी बात से परेशान दारू पी रहे हैं। वो उनसे परेशानी की वजह पूछने लगा लेकिन मनोज ने उसकी बात का जवाब ना देते हुए उससे पूछा कि क्या वो शराब पीता है। जिसके जवाब में राजू ने कहा कि उसका मन तो करता है लेकिन वो तभी पियेगा जब अमीर बन जाएगा। मनोज के लिए उसका ये जवाब हैरान करने वाला था। मनोज ने पूछा कि अमीर बनने के बाद क्या शराब का नशा बढ़ जाता है? राजू ने जवाब दिया नशे का तो वही जानें जो नशा करने के लिए शराब पीते हैं।

उसने कहा कि शराब पीने के अलग अलग माइने होते हैं। एक होते हैं शराबी जिन्हें किसी मौके से मतलब नहीं होता, उन्हें बस शराब चाहिए, उनके पास पैसे नहीं होते तो वो गंदी से गंदी शराब भी पीने लगते हैं। उसे ऐसे लोगों से नफ़रत है। फिर आते हैं वो लोग जो किसी वजह से शराब पीते हैं, जैसे कि मनोज आज परेशान है इसलिए पी रहे हैं, कोई ख़ुशी का बहाना बना कर पीता है तो कोई थकान मिटाने के लिए। फिर आते हैं उसके जैसे लोग जो शराब को अमीरों का शौक मानते हैं, क्योंकि शराब बहुत ख़राब है लेकिन ये तब ख़राब नहीं होती जब अच्छी शराब को, अच्छे वक्त में, अच्छे लोगों के साथ पी जाए। महंगी शराब के कुछ पेग लीजिए, दोस्तों के साथ गप्पें मारिए मस्त खाना खाइए और आराम से सो जाइए। राजू ने उन्हें शराब का पूरा चेप्टर पढ़ा दिया लेकिन उसे फिर याद आया कि वो तो मनोज का हाल चाल लेने आया है फिर भला इन बातों में क्यों पड़ गया? राजू ने फिर से उन्हें सारी बात बताने को कहा। मनोज बोले…

मनोज(नशे में)- क्या बताऊँ यार किस्मत ही ख़राब चल रही है। मैं कुछ भी अच्छा सोच कर करता हूँ और हो बुरा जाता है। कल मैं पिंकी जी का दुख बाँटने गया था जिससे कि वो अच्छा महसूस करें लेकिन उन्होंने मुझे इतना सुनाया जितना आज तक मैंने अपने बाबा के बाद किसी और से नहीं सुना। ख़ुद उन्होंने कहा था कि हम दोस्त हैं और मैं उनसे कुछ भी पूछ सकता हूँ लेकिन जब मैंने उनसे उनके दुख के बारे में पूछा तो मुझे हद में रहने के लिए कहने लगीं। उन्होंने मुझसे कहा कि वो कोई रिटायर नहीं हुई हैं जो उनके पास गप्पे मरने का टाइम ही टाइम हो। बताओ यार मैं कोई जान बूझ कर रिटायर हुआ हूँ क्या? मुझे लगता है यार मैं अकेला ही ठीक था। कम से कम किसी से हर्ट होने का डर तो नहीं रहता था ना।

राजू को भी ये सुनकर बुरा लग रहा था। वो सोच रहा था कि मनोज की इसमें क्या गलती है, पिंकी ने उन्हें क्यों डांटा? राजू ने मनोज को समझाया कि उनकी कोई गलती नहीं थी बस वक्त ग़लत चुन लिया गया था शायद। हो सकता है उस वक्त पिंकी किसी और बात को लेकर परेशान हों जिसका गुस्सा उन पर निकल गया। उसने कहा वो पिंकी आंटी को अच्छे से जानता है। वो बेवजह ऐसे ही किसी पर नहीं चिल्लातीं। ज़रूर वो कुछ ज़्यादा ही परेशान होंगी। मनोज नशे की हालात में थे, उन्हें ये सुनकर गुस्सा आया और वो बोले कि तो उनका मूड उन्होंने नहीं ख़राब किया था ना, जो वो उनपर बरस पड़ीं। मनोज ने कहा कि वो अपनी लाइफ में खुश रहें, आज के बाद वो कभी उनके सामने नहीं जाएंगे। राजू ने उन्हें समझाया कि वो ऐसा ना सोचें। कुछ ही दिनों में सब ठीक हो जाएगा मगर मनोज मान ही नहीं रहे थे। राजू समझ गया कि वो नशे में हैं इसलिए वो ये सब बोल रहे हैं। कल नशा उतरने के बाद वो पार्क में उनसे बात करेगा।

राजू जाने लगा लेकिन मनोज ने उसे रोका और उसे उसका गिफ्ट दिया। राजू हैरान हो गया कि वो उसे ये क्या दे रहे हैं? उसके पूछने पर मनोज ने कहा कि वो उसके लिए गिफ्ट लाए थे कल, लेकिन वो आया नहीं और सुबह मूड ख़राब था इसलिए वो ये दे नहीं पाए। राजू ने पूछा कि वो उसे गिफ्ट दे क्यों रहे हैं जिस पर मनोज ने कहा कि वो उनका दोस्त है, वो उनके घर पहली बार आने वाला था इसलिए पिंकी और उसके लिए गिफ्ट ख़रीदा था। मनोज ने कहा कि वो इसे घर जा कर खोले। राजू को पहली बार किसी से गिफ्ट मिला था, वो इमोशनल हो गया लेकिन कुछ बोल नहीं पाया और ये कहते हुए जाने लगा कि कल पार्क में मिलेंगे लेकिन उसके कदम तब रुक गए जब मनोज ने कहा कि वो अब पार्क में नहीं आएंगे। जिस पर राजू ने पूछा कि तो फिर उनकी मुलाक़ात कैसे होगी? क्या वो सिर्फ़ पिंकी आंटी के लिए पार्क जाते थे, राजू उनका कुछ नहीं लगता जो वो पार्क आने से मना कर रहे हैं? राजू ने कहा कि अभी वो उसे दोस्त कह कर गिफ्ट दे रहे थे और अभी वो उसे पराया कर रहे हैं। राजू को देखकर लग रहा था कि वो अभी के अभी रो देगा। मनोज ने उसे समझाते हुए कहा…

मनोज(नशे में)- पागल है क्या यार, हम अब दोस्त से भी ज़्यादा हैं। मैं ऐसे ही किसी को घर नहीं बुलाता, और प्लीज़ इस बार ज़िद मत कर। मैं अब पिंकी जी का सामना नहीं कर पाऊँगा। जब भी उन्हें देखूंगा तब मुझे उनकी कहीं बातें याद आएंगी और फिर धीरे धीरे मैं उनके बारे में बुरा सोचने लगूंगा लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता। उनके साथ जो दो चार दिन बीते मुझे उसी की खूबसूरत याद रखनी है अपने ज़हन में और रही तुमसे मिलने की बात तो अब तुम घर के आदमी हो यार जब चाहे घर चले आना।

राजू को भी लगा कि उन्हें कुछ वक्त चाहिए। इसलिए उसने ज़्यादा फोर्स नहीं किया। मनोज ने उसे खाने के लिए रोकने की कोशिश की लेकिन उसने ये कहते हुए मना कर दिया कि उसकी माँ और बहन इंतज़ार कर रही होंगी। किसी दिन वो उन्हें बता कर आयेगा फिर वो रात उन्हीं के पास रुक जाएगा। मनोज ने भी ज़िद नहीं की और उसे जाने दिया। राजू जब आया तब गिल्लू सोया हुआ था। उसके जाते ही गिल्लू भी उठ गया। मनोज नशे में गिल्लू को दुलारने लगे। वो उसी के साथ खेलते हुए कब सो गए उन्हें पता ही नहीं चला।

हमेशा की तरह सुबह उनकी आँख टाइम पर खुली, उनका मन हुआ कि वो पार्क चले जाएं लेकिन फिर उन्हें पिंकी याद आ गईं जिसके बाद उन्होंने पार्क जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। उन्होंने अपने लिए चाय बनाई, पौधों में पानी दिया, गिल्लू को नाश्ता दिया। ये सब करते हुए बड़ी मुश्किल से एक घंटा बीता था, वो फिर से आ कर बेड पर लेट गए। उन्हें आज घर का कुछ सामान लेने भी जाना था लेकिन अभी दुकानें खुलने का समय नहीं हुआ था। वो आंखें बंद कर कुछ कुछ सोचने लगे। बार बार उनकी नज़र घड़ी पर जा रही थी। उन्हें अब सुबह सुबह बाहर जाने की आदत सी हो गई थी। इसलिए वो बाहर जाने का बहाना ढूँढ रहे थे।

किसी तरह घड़ी में साढ़े आठ बजे और वो समान लेने बाहर चले गए लेकिन वो ये भूल गए कि ये पिंकी के पार्क से लौटने का टाइम होता है। वो नज़रें नीची किए चले जा रहे थे, तभी पिंकी का घर आया उन्होंने नज़रें उठायीं तो देखा कि सामने से पिंकी चली आ रही थी। अभी पिंकी की उन पर नज़र नहीं पड़ी थी। मनोज हड़बड़ा गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें? जब उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो वो सामने वाली गली में छुप गए। जब तक पिंकी अपने घर के अंदर नहीं चली गई तब तक वो बाहर नहीं निकले। उसके जाने के बाद वो जितना तेज़ चल सकते थे उतना तेज़ चलते हुए आगे बढ़ते गए। पिंकी को देख वो इतना हड़बड़ा गए थे कि आधा सामान तो भूल ही गये थे। जैसे तैसे उन्होंने सामान लिया और इस डर के साथ वापस लौट आए कि कहीं पिंकी उन्हें फिर से ना दिख जाये लेकिन उन्हें पिंकी नहीं दिखीं।

घर पहुंच कर उन्होंने चैन की साँस ली। उन्होंने गिल्लू से कहा कि आज तो वो बाल बाल बचे हैं। उन्होंने कहा कहीं पिंकी उन्हें देख लेती तो फिर से सुनाने लगती। वो गिल्लू को ऐसे अपनी बातें सुना रहे थे जैसे वो सच में उनकी बातों में interested हो। उन्हें अगर कोई ऐसा करते देख लेता तो पक्का ये समझता कि वो पागल हो चुके हैं लेकिन अकेला इंसान तो दीवारों और आईनों तक से बातें करने लगता है। गिल्लू तो फिर भी एक प्यार सा जानवर है। मनोज का आज का दिन भी ऐसा ही बीता लेकिन उन्होंने आज शराब की बोतल नहीं खोली। वो इतना समझ गए कि शराब उनकी परेशानी का permanent solution नहीं बन सकती। वो खाना बना रहे थे तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। उन्हें अब अंदाज़ा था कि ये कौन हो सकता है।

हाँ, ये राजू ही था। राजू ने आते ही कहा कि उसे लगा था वो पार्क में आयेंगे लेकिन वो तो सच में नहीं आए। मनोज इसपर कुछ नहीं बोले। अंदर आने पर उसने गिल्लू को घूमते देखा। राजू को कुत्तों से बहुत डर लगता था। बचपन में एक कुत्ते ने उसे काट जो लिया था। उसके काटने से उसे जितना दर्द नहीं हुआ उतना 14 injection लेने से हुआ था। तब के बाद से कुत्तों को दूर से देख कर ही राजू अपना रास्ता बदल लिया करता था। वो गिल्लू से डरने लगा और गिल्लू उससे। मनोज कहने लगे कि वो दोनों डरपोक हैं। दोनों एक दूसरे से दोस्ती कर लो दोनों का डर दूर हो जाएगा।

मनोज ने राजू को एक बिस्कुट का पैकेट दिया और कहा कि जाओ उसके कटोरे में रख कर उसे खिला दो वो कुछ नहीं कहेगा। राजू हिम्मत कर के आगे बढ़ा। डरते डरते उसने बिस्कुट उसके आगे बढ़ाया और गिल्लू डरते डरते खाने लगा। थोड़ी देर बाद सच में दोनों का डर दूर हो गया। उसके बाद मनोज खाना बनाने लगे और राजू किचन में खड़ा होकर उनसे बातें करने लगा। राजू इधर उधर की बातें किए जा रहा था लेकिन मनोज चाह रहे थे कि वो पिंकी के बारे में बताये। क्या वो पार्क में आई थी, क्या उसने उससे मनोज के बारे में पूछा था, क्या उसकी नज़रें मनोज को ढूँढ रही थीं? लेकिन राजू था कि ऐसी कोई बात ही नहीं कर रहा था।

हार कर मनोज ने ही पिंकी की बात छेड़ी और कहा कि आज रास्ते में पिंकी उनसे टकरा गई थीं। राजू ये सुन कर excited हो गया। उसे लगा कि दोनों के बीच में कुछ बात हुई होगी। उसने पूछा कि फिर क्या हुआ? मनोज बोले कुछ नहीं हुआ, वो उनसे बचने के लिए छुप गया। राजू ने ये सुनते ही अपना माथा पकड़ लिया। उसने पूछा कि वो छुपे क्यों? उन्होंने कोई चोरी तो नहीं की या पिंकी आंटी ने उन्हें ये तो नहीं कहा ना कि वो कभी उनके सामने ना आयें। वो उनके सामने ही नहीं जाएंगे तो फिर बात बनेगी कैसे? मनोज ने गुस्से में कहा कि उन्हें कोई बात नहीं बनानी। वो जैसे हैं वैसे ही ठीक है।


क्या पिंकी और मनोज की फिर से दोस्ती नहीं हो पाएगी? क्या राजू ये सारा तमाशा चुपचाप देखता रहेगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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