मनोज ने पार्क जाना छोड़ दिया था इसलिए राजू ही उनसे मिलने उनके घर आ जाता था। आज भी राजू उनके घर आया और वो इधर उधर की बातें करने लगा लेकिन मनोज चाहते थे वो पिंकी की बात बताये। उन्होंने भी राजू को बताया कि आज पिंकी उन्हें रास्ते में मिली थी और वो उसे देख कर छुप गए। जब राजू ने कहा कि अगर वो एक दूसरे के सामने ही नहीं आयेंगे तो बात कैस बनेगी? जिसके बाद मनोज ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा कि उन्हें कोई बात नहीं बनानी वो जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं। राजू उनके expressions से ही समझ रहा था कि वो ये बात ऊपर ऊपर से बोल रहे हैं।

राजू ने कहा ठीक है फिर वो भी नहीं बताएगा कि पिंकी आंटी आज उन्हें पार्क में हर तरफ ढूँढ रही थीं। मनोज को लगा कहीं उसका नाटक उल्टा ही ना पड़ जाये इसलिए उन्होंने कहा कि वो अपनी बात बता सकता है उसकी कोई पिंकी जी से दुश्मनी थोड़े ना है जो वो उनकी बात नहीं सुनेंगे। राजू उनकी बात सुनकर हँसने लगा और बोला कि वो उन्हें नहीं ढूँढ रही थी। वो तो बस उनका झूठ सामने लाने के लिए उनसे मज़ाक़ कर रहा था। जिसके बाद मनोज का मुँह बन गया। राजू समझ रहा था वो हमेशा अकेले ही रहे हैं इसलिए उन्होंने कभी किसी की नाराज़गी ही नहीं झेली जो उन्हें पता हो कि इसमें करना क्या होता है।

उसने उन्हें अपने छोटे से experience से एक गहरी बात निकालते हुए ज्ञान दिया कि लेडीज़ लोग जब नाराज होती हैं तो उनका गुस्सा जल्दी शांत नहीं होता भले उनकी अपनी ही गलती क्यों ना हो। उन्हें नार्मल होने में टाइम लगता है। इस बीच उन्हें थोड़ा टाइम देना चाहिए जिससे वो चीज़ों को समझ सकें। राजू ने कहा कि वो पिंकी आंटी को बहुत अच्छे से जानता है। वो उनके पास ज़रूर लौट कर आयेंगी और ख़ुद से दोस्ती का हाथ बढ़ायेंगी। मनोज उसकी बातों पर कुछ नहीं बोले। वो खाना बनाने लगे।

राजू ऐसे ही रोज़ रात को काम के बाद उनके घर चला आया करता। इसी तरह हफ़्ता बीत गया था। इधर पिंकी मनोज जी के दिए गिफ्ट को आज खोल रही थी। उन्हें मनोज हफ्ते भर से नहीं दिखे थे पार्क में। इस बात का अहसास तो उन्हें हो ही गया कि वो उनकी वजह से ही पार्क नहीं आ रहे। पिंकी किसी से पूछ भी नहीं सकती थी उसे लग रहा था कि वो अगर उनके ना आने के बारे में किसी से बात करेगी तो लोग उन्हें ग़लत समझेंगे। थक हार कर आज उन्होंने मनोज का गिफ्ट खोल लिया। उसमें एक सुंदर सी घड़ी थी और उसके साथ ही पर्ची भी थी जिसपर मनोज ने लिखा था- अपनी प्यारी दोस्त को घड़ी देते हुए ये उम्मीद कर रहा हूँ कि आने वाले वक्त में उनकी दोस्ती और गहरी हो और उनकी दोस्ती का वक्त हमेशा अच्छा रहे। वो पर्ची पढ़ कर पिंकी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

वो सोचने लगी कि मनोज कितने भले इंसान हैं और उसने बिना मतलब उन्हें इतना डाँट दिया। पिंकी को भी ये पता था कि उस दिन मनोज की कोई गलती नहीं थी वो बेचारे तो बस उनका दुख बाँटना चाहते थे। पिंकी ने तो उन्हें इसलिए डाँटा था कि वो उसके और नज़दीक ना आ जायें, लेकिन अब पिंकी को बुरा लगने लगा। वो अब ज़्यादातर मनोज के बारे में ही सोचने लगीं। राजू भी ये नोटिस कर रहा था कि वो बहाने से उनके पास आती हैं और बात करने की कोशिश करती हैं जिससे कि उन्हें मनोज के बारे में पता चल सके।

राजू समझ गया कि दोनों ज़िद्दी हैं, एक दूसरे के बारे में सोचते रहेंगे लेकिन कोई बात करने की पहल नहीं करेगा। उसने सोचा कि अब उसे ही कुछ करना पड़ेगा क्योंकि वो देख रहा था कि उधर मनोज उससे पिंकी के बारे में बात करते रहते थे, इधर पिंकी मनोज के बारे में कोई खबर सुनना चाहती थीं लेकिन खुल कर एक दूसरे के बारे में दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था।

आज जब पिंकी राजू के पास आयी तो इधर उधर की बातें करने लगीं। उनका असली मकसद था मनोज के बारे में जानना कि वो ठीक हैं ना। वो राजू से पूछने लगीं कि उसकी तबीयत तो ठीक है ना? राजू ने कहा हाँ वो तो ठीक है मगर उनका एक दोस्त बहुत बीमार है। पिंकी ने हैरानी से पूछा कौन? तब राजू बोला…

राजू(सीरियस मोड में) वो अपने मनोज सर नहीं हैं? वो बेचारे ज़िंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। बहुत ज़्यादा बीमार हैं। हमने उनसे कहा भी कि डॉक्टर के यहाँ ले चलते हैं लेकिन वो हैं कि ज़िद पर अड़े हुए हैं। अकेले वो अपना ख्याल भी नहीं रख पा रहे हैं। देखेंगी तो पहचान नहीं पाएंगी।

राजू की बातें सुन पिंकी घबरा गईं। उन्होंने कहा कि लेकिन वो हफ्ते भर पहले तो ठीक थे। ये कुछ ही दिनों में उन्हें ऐसा क्या हो गया? राजू को भी ख़याल आया कि लगता है उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया, मगर बात बनाने में तो उसका कोई जवाब ही नहीं था ना। उसने सीरियस हो कर कहा “बुरा वक्त आने में वक्त ही कितना समय लगता है। बस ये कुछ दिन से ही ऐसी बीमारी ने उन्हें जकड़ा है कि एक पल का चैन नहीं उन्हें।”

पिंकी ये सोच कर घबरा गई कि आख़िर उन्हें अचानक से ऐसा क्या हो गया। वो यही सोचती हुई वहां से चली गईं कि क्या उनके डाँटने की वजह से मनोज की ये हालत हुई है? अगर ऐसा हुआ तो वो ख़ुद को कभी माफ नहीं कर पाएंगी। राजू ने कोई झूठ नहीं बोला था मनोज सच में बीमार थे और उन्हें एक पल का भी चैन नहीं आ रहा था।

पिंकी ने घर आ कर योगा ड्रेस चेंज की और मन बना लिया कि वो मनोज से मिल कर आयेगी और अगर ज़रूरत पड़ी तो उसे डॉक्टर के पास लेकर जाएगी लेकिन फिर उनके मन में ये ख़याल आने लगा कि क्या उनका ऐसा करना ठीक रहेगा? कहीं वो ग़लत ना समझी जाये। आख़िर में पिंकी ने फैसला किया कि वो बीमार हैं और उन्हें किसी की ज़रूरत है। ये बात सही और ग़लत से बहुत ऊपर की है इसलिए कोई कुछ भी सोचे वो उनसे मिलने उनके घर ज़रूर जायेंगी। यही सोच कर वो उनके घर चली गईं।

वहीं मनोज बिस्तर पर लेटे लंबी लंबी साँसें ले रहे थे। तभी उनके दरवाज़े पर दस्तक हुई। उन्होंने सोचा कि भला इस वक्त कौन हो सकता है क्योंकि राजू तो रात में आया करता था। उन्हें लगा शायद उनका हाल चाल पूछने वो थोड़ा वक्त निकाल कर आ गया हो। जब उन्होंने दरवाज़ा खोला तो हैरान रह गए। उन्होंने नहीं सोचा था कि पिंकी उनसे मिलने आएंगी। मनोज का चेहरा सच में पहले से वीक लग रहा था। दरवाजे पर खड़ी पिंकी को देख वो कुछ ज़्यादा ही कमजोर हो गए। पिंकी ने अफ़सोस जताते हुए मनोज से कहा कि ये सब कैसे हो गया? मनोज समझ नहीं पाए कि उनकी बीमारी के बारे में भला पिंकी को कैसे पता चला? पिंकी बोलीं…

पिंकी(घबरा कर)- मुझे तो जबसे राजू ने बताया है तबसे आपकी ही चिंता हो रहगी है। आप कितने कमजोर हो गए हैं।

ये कहते हुए पिंकी अंदर आ गई और मनोज को बैठने के लिए कहा। पिंकी ने पूछा कि कबसे उन्हें ये दिक्कत थी, उन्होंने कभी कुछ बताया क्यों नहीं? मनोज ने कहा ये तो अचानक हो गया, वो भला इसके बारे में उन्हें कैसे बताते? पिंकी ने पूछा कि उन्होंने डॉक्टर को दिखाया?

मनोज बोले कि इसमें डॉक्टर को क्या दिखाना, अपने आप ठीक हो जाएगा। पिंकी को लगा कि वो ज़िद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कैसे अपने आप ठीक हो जाएगा? वो उनके साथ चलें वो उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएगी। मनोज परेशान हो गए कि भला इतनी सी बात के लिए वो क्यों डॉक्टर के पास जाएं? तभी अचानक उन्हें कुछ महसूस हुआ और वो पिंकी को बैठने के लिए बोल अंदर की तरफ़ भागे। उन्हें ऐसे भागता देख पिंकी समझ नहीं पायीं कि आख़िर वो कर क्या रहे हैं।

पिंकी उनके पीछे गई और पूछने लगीं कि उन्हें कोई परेशानी है क्या? क्या वो उनकी मदद कर सकती हैं? मनोज ने कहा वो भला इसमें उनकी क्या मदद करेंगी। उन्हें अकेले ही इससे निपटना होगा। पिंकी को लगा कि वो नाराज़गी के मारे ऐसा बोल रहे हैं। शायद वो उस दिन की बात से नाराज हो कर ख़ुद को अकेला मान रहे हैं इसलिए कह रहे हैं कि जो भी करना होगा उन्हें अकेले ही करना होगा। पिंकी ने थोड़ी देर wait किया, फिर बोली कि ऐसे कैसे वो अकेले सब कर लेंगे? वो भी उनके साथ हैं और इस बीमारी से वो सब मिलकर लड़ेंगे। ये कहते हुए पिंकी आगे बढ़ीं तो देखा कि मनोज हाँफते हुए टॉयलेट से बाहर निकल रहे थे।

उन्होंने कहा कि भला मेरे लूज़ मोशन से हम सब एक साथ मिलकर कैसे लड़ सकते हैं भला? पिंकी ने हैरान होकर पूछा कि उन्हें लूज़ मोशन हुआ है? मनोज ने कहा और नहीं तो क्या, परसो रात उन्होंने बाहर से खाना मंगा कर खा लिया, लाइफ़ में उन्होंने दूसरी बार ये गलती की और इस बार भी उन्हें भुगतना पड़ा। उन्हें लगा शायद पिंकी उनकी प्रॉब्लम के बारे में सुन कर अफ़सोस जतायेंगी लेकिन इसके बजाए पिंकी की हँसी छूट गई। उन्हें हँसता देख मनोज को समझ नहीं आया कि आख़िर उन्होंने ऐसा कौनसा चुटकुला मार दिया जो वो हँसने लगीं। मनोज कुछ बोलते इससे पहले ही उनके पेट में फिर से गुड़गुड होने लगी। वो उल्टे पाँव फिर से टॉयलेट में भाग गए। ये देख पिंकी की हँसी और बढ़ गई, वो चुप ही नहीं हो रही थीं।

कुछ मिनटों बाद मनोज बाहर निकले, एक तो वो अपने दस्त से परेशान थे ऊपर से पिंकी का उनकी बीमारी पर हँसना, उन्हें गुस्सा आने लगा। उन्होंने पूछा कि उनमें इंसानियत नाम की चीज़ है कि नहीं? उनका बुरा हाल हुआ जा रहा है और वो हैं कि हँसे जा रही हैं। क्या उनकी जान की कोई क़ीमत नहीं? उन्होंने कहा कि बार बार टॉयलेट जाने से उनके पैर दर्द करने लगे हैं, अंदर से उन्हें कमजोर महसूस हो रहा है और वो उन पर हंस रही हैं। ये ठीक बात नहीं है।

पिंकी ने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी और उन्हें सॉरी बोल कर बिना कुछ कहे वहां से चली गईं। उनके जाने के बाद मनोज को अहसास हुआ कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती कर दी है। वो ख़ुद पिंकी के पास जाना चाहते थे और अपनी बिगड़ी दोस्ती को सुधरना चाहते थे लेकिन आज जब पिंकी ख़ुद चल कर उनके घर आई तो उन्होंने उस पर गुस्सा कर उसे भगा दिया। उसे उनसे पूछना तो चाहिए था कम से कम कि आख़िर वो हंस क्यों रही हैं और उनकी हँसी इतनी प्यारी है तो अगर वो हँसने भी लगीं तो इसमें क्या दिक्कत है? उसे तो बस उन्हें देखते रहना चाहिए था। ये सब सोचते हुए मनोज का पेट एक बार फिर से गुड़गुड़ करने लगा। उन्हें ख़ुद पर गुस्सा आया और वो फिर से टॉयलेट में घुस गए।

 

क्या मनोज ने पिंकी से दोबारा दोस्ती का एक मौक़ा गंवा दिया? क्या पिंकी अब नहीं लौटेंगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।  

        

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