राजू ने पिंकी को बताया था कि मनोज बहुत बीमार हैं, पिंकी ने सोचा शायद उन्हें कोई सीरियस बीमारी हुई है। वो घबरा गई और मनोज का हाल पूछने उनके घर चली गईं। वहां जाकर उन्हें पता लगा कि मनोज बीमार तो हैं लेकिन उन्हें दस्त लगे हैं और उन्हें बार बार टॉयलेट भागना पड़ रहा है। ये देख पिंकी हँसने लगीं और मनोज को इसपर गुस्सा आ गया। उन्होंने पिंकी को सुना दिया जिसके बाद पिंकी वहां से चली गईं। इधर मनोज ख़ुद पर गुस्सा होने लगे कि आख़िर उन्होंने पिंकी को क्यों डाँट दिया। इसी बीच उन्हें फिर से टॉयलेट भागना पड़ा।

कुछ मिनटों बाद मनोज गंदी सी शक्ल बनाए बाहर निकले और अपने कमरे में चले गए। वो वहां बैठ कर सोचने लगे कि उन्होंने पिंकी को दाँट कर अच्छा नहीं किया। वो किसी से बात करना चाहते थे लेकिन उनके पास बात करने को कोई नहीं था। गिल्लू भी मस्त नींद खींच रहा था। मनोज अपने बिस्तर पर लेट गए और आँखें बंद कर कुछ सोचने लगे। तभी उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई घर में घुसा हो। उन्हें याद आया कि पिंकी के जाने के बाद उन्होंने दरवाज़ा बंद नहीं किया था। वो उठे ही थे कि पिंकी सामने आ गईं। पिंकी को दोबारा ऐसे अचानक सामने देख मनोज डर से गए। पिंकी ने पूछा कि क्या वो इतनी डरावनी है कि उन्हें देख वो डर गए? मनोज ने कहा नहीं ऐसी बात नहीं है, वो बस....  इससे आगे वो कुछ बोलते उससे पहले ही पिंकी ने उनकी तरफ़ एक लिफाफा बढ़ाते हुए कहा…

पिंकी(नार्मल)- इसमें से दो टेबलेट सुबह शाम खानी हैं, ये liquid तीन टाइम लेना है और ये जूस है इसे दिन भर में थोड़ा थोड़ा कर पाँच टाइम पीना होगा। बाहर का कुछ नहीं खाना है। घर में खिचड़ी बनाइये और कुछ दिनों तक वही खाइए और हाँ मुझे आपकी फ़िक्र है। हँसी बस इस बात से आ गई थी कि राजू ने कहा था आप बहुत बीमार हैं, मुझे लगा शायद कुछ सीरियस होगा मगर जब सुना कि आपको बस लूज़ मोशन हैं तो हँसी आ गई जिसके लिए मैं माफी चाहती हूँ और खुश हूँ इस बात से कि आपको कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं है। जब आप दवा नहीं लेते, डॉक्टर के पास नहीं जाते तो कोई भी छोटी प्रॉब्लम बड़ी हो जाती, वैसे ये बहुत कॉमन प्रॉब्लम है लेकिन अपनी लापरवाही से आपने इसे बढ़ा दिया। अब दवा लीजिए और देखिए कल से कैसे आप दौड़ने लगते हैं।

पिंकी के लिए मनोज के मन में जितनी भी नेग्टिव बातें चल रही थीं वो सब इस एक पल में ग़ायब हो गई। अब वो सोच रहे थे कि पिंकी कितनी अच्छी हैं और उनका कितना ख्याल रखती हैं वरना किसी के डाँटने के बाद उसके लिए मेडिसिन कौन लाता है? उनका दिल सच में बहुत अच्छा है। वो उनकी बातें गौर से सुनते रहे लेकिन कुछ बोले नहीं, बल्कि अपनी नज़रें झुका लीं। इस पर पिंकी ने कहा…

पिंकी(नार्मल)- देखिए मनोज जी ये दुनिया बैलेंस से चलती है। मैंने आपको डांटा आपको बुरा लगा, आपने मुझे डांटा मुझे भी थोड़ा बुरा लगा। अब जब दोनों ने एक दूसरे को डाँट दिया और दोनों को बुरा लग गया तो बात बैलेंस को गई ना? अब हम अपनी दोस्ती को फिर से शुरू कर सकते हैं। मुझे पूरा यकीन है आप इस नाचीज़ को अपनी दोस्ती के लायक़ समझ कर एक मौक़ा तो और दे ही देंगे।

इतना कहते हुए पिंकी ने अपना हाथ मनोज की तरफ़ बढ़ा दिया। मनोज ने भी मुस्कुरा कर अपना हाथ आगे कर दिया। मनोज जो पिंकी की दोस्ती के लिए मरे जा रहे थे उनकी भला क्या मजाल थी कि इस ऑफ़र को ठुकरा देते? उन्होंने तो मन ही मन कहा कि वो नाचीज़ नहीं बल्कि बेशक़ीमती  चीज़ हैं। उनका मन हुआ कि वो ये बात पिंकी के सामने कहें लेकिन वो ये सोच कर चुप रह गए कि कहीं फिर से पिंकी इस बात का बुरा ना मान जाए। पिंकी ने उनसे प्रोमिस लिया कि वो ठीक होने के बाद पार्क आना फिर से स्टार्ट करेंगे। मनोज ने कहा हाँ वो पक्का आयेंगे। पिंकी ने उनकी खिचाई करते हुए कहा कि पहले उन्हें बस शक ही था लेकिन अब वो पक्का श्योर हो गई हैं कि वो उनकी ही वजह से पार्क नहीं आ रहे थे।

मनोज ने कहा कि ऐसा नहीं था कि वो उनसे नाराज होकर पार्क नहीं आ रहे थे, बस उन्हें उनको फ़ेस करने में डर लग रहा था। पिंकी ने फिर से पूछा सच बताइए क्या वो इतनी डरावनी दिखती हैं? मनोज ने कहा नहीं वो तो बहुत सुंदर हैं लेकिन उनका गुस्सा डरावना है। इस बात पर दोनों हँसने लगे। उनकी हँसी सुन गिल्लू भी जाग गया और पिंकी के आसपास घूमने लगा। पिंकी ने गिल्लू को थोड़ा प्यार किया और फिर घर चली गई। मनोज ने मन ही मन सोचा कि उसे नहीं पता था कि कई बार बीमार होना एक वरदान साबित हो जाता है। वो बीमार ना हुए होते तो पिंकी जी उनके घर कभी नहीं आतीं। अब वो फिर से सिर्फ़ पिंकी के बारे में ही सोचने लगे।

शाम तक उनकी ख़ुशी इतनी बढ़ गई कि उनका सेलिब्रेट करने का मन करने लगा। उन्होंने अकेले ही अपनी महफ़िल जमा ली। थोड़ी ही देर में राजू भी आ गया। तब तक मनोज को अच्छी भली चढ़ चुकी थी। उन्होंने दरवाजे पर ही राजू को गले लगाते हुए कहा कि वो उनका सच्चा दोस्त है। उसने इतनी बड़ी प्रॉब्लम को कैसे इतनी आसानी से सॉल्व कर दिया। राजू समझ गया कि उसका छोड़ा तीर सही निशाने पर लगा है। फिर मनोज ने पिंकी वाली सारी बात राजू को बतायी हालांकि उन्होंने बीच में से पिंकी के हँसने वाला और मनोज का उन पर गुस्सा करने वाला हिस्सा हटा दिया था। वो नहीं चाहते थे कि अब राजू भी इस बात पर हँसे।

राजू ने शराब की महफ़िल सजी देख कहा कि वो सब तो ठीक है लेकिन आज तो वो खुश हैं फिर क्यों उन्होंने बोतल खोल ली? मनोज ने अपना चौथा पेग गटकते हुए कहा कि आज वो खुश हैं इसलिए सेलिब्रेट कर रहे हैं। राजू ने कहा कि कहा था ना शराबी वो होते हैं जिन्हें बस पीने का बहाना चाहिए।

मनोज ने कहा कि आज वो ज्ञान लेने के मूड में नहीं हैं। ये कहते हुए उन्होंने एक पेग बनाया और राजू के सामने रख दिया। राजू ने कहा उसने बताया था ना कि वो नहीं पीता। मनोज ने कहा कि वो पेग उसके पीने के लिए है भी नहीं और कभी भूल के वो उसके सामने पी भी ना ले क्योंकि उस दिन वो उसे इतना मारेंगे कि पीने का पूरा शौक उतर जाएगा।

राजू ने पूछा कि वो क्यों मारेंगे? वो तो ख़ुद पीते हैं। मनोज ने इस पर कहा कि ज़रूरी नहीं कि जो बुरी आदतें बाप में हों उन्हें बेटा भी अपनाए। उनकी शादी हुई होती तो उसकी उम्र का उनका बेटा होता और वो उनके लिए एक दोस्त के साथ साथ बेटे जैसा भी है। उसके साथ वो इसीलिए खुल पाते हैं क्योंकि उन्हें वो अपने बेटे जैसा लगता है। शराब के नशे में मनोज ने ऐसी बात बोल दी कि राजू का मन कर रहा था वो उन्हें गले लगा ले। उसकी आँखें भर आई थीं।

उसने ख़ुद को रोने से रोकते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो उन्होंने उसके सामने ये पेग क्यों रखा? मनोज ने कहा कि दो ग्लास रखने से उसे लगता है कि उसके साथ कोई कंपनी दे रहा है। राजू ने कहा उसके लिए imagine करने की क्या ज़रूरत है वो है ना कंपनी देने के लिए। मनोज ने अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा वो तो ये बात भूल ही गए। इतना कह कर वो दूसरा पेग हटाने ही वाले थे कि दरवाज़े पर किसी की दस्तक हुई। दोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगे। राजू ने इशारों में पूछा कि कौन होगा? मनोज ने कंधे उचकाते हुए कहा नहीं मालूम। मनोज इतना नहीं सोच पाये कि वो पिंकी हो सकती हैं। मनोज ने जैसे ही दरवाज़ा खोला उनके तो रंग ही उड़ गए। सामने पिंकी हाथ में एक झोला लिए खड़ी मुस्कुरा रही थीं।

मनोज नहीं चाहते थे कि पिंकी को ये पता चले कि वो ड्रिंक करते हैं। वो हड़बड़ाने लगे। पिंकी ख़ुद ही अंदर आ गईं। अंदर का नजारा देख अब हैरान होने की बारी पिंकी की थी। पिंकी ने देखा शराब की बोतल आधी हो चुकी थी। सामने दो ग्लास थे, एक मनोज का और दूसरा राजू के सामने पड़ा हुआ था। ये देखते ही पिंकी का पारा हाई हो गया। वो गुस्से में बोलीं…

पिंकी(गुस्से में)- ये बढ़िया इलाज चल रहा है लूज़ मोशन का। फिर रो कर कहिएगा कि उनकी किसी को परवाह नहीं है। ऐसे की जाती है परवाह? अगर इतनी ही तलब मचती है तो कुछ दिन रुक जाते फिर पीते। एक तरफ़ पेट नहीं सही दूसरी तरफ़ मस्त चखना और शराब चल रही है। मैं फ़िक्र में मारी जा रही थी कि बेचारे मनोज जी ऐसी हालात में कैसे खाना बनायेंगे, इसलिए आपके लिए खिचड़ी बना कर लायी और आप यहाँ जश्न मना रहे हैं? क्या ऐसे ही अब मूर्ति बने खड़े रहेंगे या बतायेंगे किस ख़ुशी में ये पार्टी चल रही है?

मनोज सिर झुकाये पिंकी का गुस्सा झेल रहे थे। राजू ने सोचा कि उनकी सुई उसकी तरफ़ घूमे इससे पहले ही वो चुपके से यहाँ से खिसक ले। वो उठने लगा लेकिन बुरी किस्मत कि उसका पैर फिसल गया और वो गिर पड़ा। जिसके साथ ही पिंकी की नज़र उस पर पड़ गई और वो बरसने लगीं। उन्हें लगा कि राजू भी मनोज के साथ पी रहा था। उन्होंने उसे डाँटते हुए कहा…

पिंकी(गुस्से में)- और तू राजू, तू तो अभी बच्चा है। तुझे कितना भोला समझती थी मैं और तू इन्हें रोकने की बजाये ख़ुद ही इनके साथ पी रहा है? तेरी अम्मा को ये पता चलेगा तो उनको उतना ही बुरा लगेगा जितना मुझे अभी लग रहा है। क्यों इस उम्र से इन ग़लत चीज़ों में पड़ रहा है? आज सच में तू ने मुझे बहुत निराश किया है बच्चे और आप मनोज जी, अगर आपकी शादी हुई होती इस उम्र का बेटा होता आपका। क्या आप उसे भी अपने साथ बिठा कर शराब पिलाते? बोलिए, दोनों चुप क्यों हैं, जवाब दीजिए?

राजू कह सकता था कि उसने नहीं पी है लेकिन उसे पिंकी की डाँट सुनना अच्छा लग रहा था। उसे लग रहा था जैसे उसकी अम्मा उसे डाँट रही हो। पहले मनोज ने उसे पिता की तरह डाँटा और अब पिंकी माँ की तरह डाँट रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे एक माँ अपने पति और बेटे की क्लास ले रही हो। ये तीनों एक पूरे परिवार की तरह लग रहे थे। गिल्लू इन तीनों चेहरों को बार बार घूरे जा रहा था। शायद मनोज के शराब पीने से गिल्लू भी परेशान था इसलिए वो पिंकी से कहना चाहता था, वो बहुत अच्छा कर रही हैं उन्हें डाँट कर। नशे में झूमते मनोज को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोलें? इधर गुस्से से पिंकी की साँसें तेज़ हो गई थीं। उन्हें ये सब देख बहुत बुरा लग रहा था।

 

क्या मनोज इस situation को संभाल पायेंगे? क्या बेचारा राजू बिना किसी कसूर के पिंकी की नज़रों में बदनाम हो जाएगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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