पिंकी ने मनोज को शराब पीते रंगे हाथों पकड़ लिया था। राजू बस उनके साथ बैठा था लेकिन पिंकी को लगा कि वो भी उनके साथ ड्रिंक कर रहा है। बस फिर क्या था पिंकी का गुस्सा दोनों पर बरस पड़ा। राजू बिना किसी कसूर के ही पिंकी की डाँट सुनता रहा क्योंकि उसे उनकी डाँट सुनना अच्छा लग रहा था। उसे एक ही दिन में पिता और माँ का प्यार मिल गया था। वो सोच रहा था कि पिंकी कैसे उसके भले के लिए उसे डाँट रही हैं। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। उसे रोता देख नशे में झूम रहे मनोज को अचानक याद आया कि उस बेचारे की तो कोई गलती ही नहीं। उन्होंने पिंकी से लड़खड़ाती ज़ुबान में कहा कि राजू की कोई गलती नहीं। वो तो पीता भी नहीं। उल्टा वो उसे रोक रहा था। वो तो तबसे उसकी बोरिंग बातें सुनता हुआ उसे कंपनी देने की कोशिश कर रहा था। 

पिंकी ने पूछा क्या वो शक्ल से बेवक़ूफ़ लगती है? वो देख रही है कि राजू के सामने ग्लास पड़ा हुआ और वो लड़खड़ा भी रहा है। मनोज ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो राजू को डांटती रहीं। मनोज ने राजू से कहा वो चुप क्यों है? सच क्यों नहीं बोल रहा कि उसने नहीं पी है। राजू ने कहा क्योंकि उसे पिंकी आंटी का ऐसे डाँटना अच्छा लग रहा है। वो उस पर अपना हक जता कर बोल रही हैं इसलिए उसे लग रहा जैसे वो माँ से डाँट खा रहा हो और माँ से जो डाँट मिलती है वो दुनिया के प्यार से भी बढ़ कर होती है। राजू की इस बात ने पिंकी के दिल को छू लिया था। उसे अहसास होने लगा कि शायद उसने राजू को ग़लत डाँट दिया। उन्होंने उससे पूछा कि वो सच सच बोले उसने पक्का ड्रिंक नहीं की। राजू ने कहा नहीं वो नहीं पीता। पिंकी ने उसका मुँह भी सूँघा मगर उसे शराब की गंध नहीं आई। उन्होंने पूछा कि फिर ये दो ग्लास क्यों रखें हुए हैं? राजू ने बताया कि मनोज सर दो ग्लास रखते हैं जिससे कि उन्हें ये फ़ील आ सके कि कोई उन्हें कंपनी दे रहा है। 

पिंकी ने ये सुन कर माथा पीट लिया और सोचने लगी कि ये इंसान अकेलेपन की हद तक पहुँच चुका है। उसके बाद उन्होंने राजू से सॉरी कहा। राजू ने कहा उन्हें सॉरी नहीं बल्कि उल्टा उसे थैंक्यू बोलना चाहिए कि उन्होंने उसे इस काबिल समझा कि अपने बच्चे की तरह डांटा। थोड़ी देर में पिंकी का मूड थोड़ा ठीक हुआ। उन्होंने राजू के बाल सहलाते हुए मनोज से पूछा कि क्या शराब से ही वो पेट भर लेंगे? वो उनके लिए खिचड़ी लायी है जल्दी से उसे खा लें। राजू ने उनका टिफ़िन खोला, मनोज ने राजू को भी खाने के लिए कहा। राजू बोला वो पिंकी आंटी के हाथ का खाना तो ज़रूर खायेगा। पिंकी उन दोनों को खाता देख मुस्कुराने लगी। राजू बार बार मनोज को इशारा कर रहे थे कि वो पिंकी से भी खाने के लिए पूछें लेकिन मनोज तो मस्त खिचड़ी खाने में बिज़ी थे। फिर उन्हें ख़ुद से एहसास हुआ कि उन्होंने तो पिंकी से खाने के लिए पूछा ही नहीं।   

जिसके बाद उन्होंने पिंकी से कहा कि वो भी उन्हें ज्वाइन करें। पिंकी ने कहा नहीं उसे अभी घर जाना होगा, रात काफ़ी हो गई है। मनोज ने उन्हें रोकना चाहा लेकिन फिर से उन्हें रोक नहीं पाया। इधर राजू जब तक हाथ धो कर आया तब तक पिंकी जा चुकी थीं। उसका मन था कि वो उन दोनों के साथ कुछ और देर रुकता लेकिन ऐसा हो ना सका। जिसके बाद राजू भी अपने घर चला गया। मनोज जी पिंकी के बारे में सोचने लगे। वो कैसे उन्हें हक से डाँट रही थीं। वो नशे की हालत में गिल्लू को बताने लगे कि पिंकी कितनी अच्छी है और उनका कितना ख्याल रखती है। उससे बात करते करते वो वहीं ज़मीन पर सो गए। गिल्लू भी उनकी बातों को गौर से सुनते हुए सो गया। 

इधर पिंकी अपने घर पहुंच गई हैं। उनके दिमाग़ में अभी भी मनोज की बातें ही चल रही थीं। वो सोच रही थीं कि मनोज एक भले इंसान हैं, अगर उन्हें सही टाइम पर कोई पार्टनर मिला होता तो आज उनकी ज़िंदगी बहुत खुशहाल होती। पिंकी समझ गई थीं कि शराब जैसी बुरी आदतें भी उन्हें अकेलेपन के कारण ही लगी होंगी। काश कि मनोज ने उस लड़की की बात मान ली होती और उसके साथ पुणे जा कर घर बसा लिया होता तो उनकी ज़िंदगी आज कुछ और ही होती। पिंकी के दिमाग़ में ये सवाल अचानक से आया कि क्या मनोज इस उम्र में भी अपना घर बसा सकते हैं? वो सोचने लगीं कि वो दिखने में अभी भी 60 के नहीं लगते। वो स्मार्ट दिखते हैं, केयरिंग हैं, कुछ एक आदतें अगर सुधार लें तो वो आज भी परफेक्ट husband material बन जायेंगे। सबसे बड़ी बात है कि वो अपनी वाइफ़ की हर बात मानेंगे, जो कि लेडीज़ चाहती हैं। उन्हें ऐसे मर्द पसंद होते हैं जो उनके कहने में हों और मनोज तो एक आवाज़ पर कुछ भी कर जाने वालों में से हैं। 

मनोज को लेकर पिंकी की सोच का दायरा बढ़ने लगता है। वो सोचती हैं कि कैसे वो उन्हें सैड देख कर उनका दुख बाँटने चले आए थे और जब उन्होंने मनोज को बेवजह डांटा तो उन्होंने पलट कर जवाब भी नहीं दिया। उन्हें अगर उनसे शादी करनी होती तो वो सोचने में एक मिनट का टाइम भी ना लेती। शादी के बारे में सोचते ही पिंकी ने ख़ुद से ही कहा कि उसे ये क्या हो गया है? मनोज बस एक दोस्त हैं जो कुछ दिनों पहले ही उन्हें मिले हैं। इस शहर में उनसे अच्छे अच्छे मेल फ्रेंड्स हैं पिंकी के लेकिन उनके बारे में तो उसने कभी ऐसा नहीं सोचा फिर मनोज के बारे में वो इतना क्यों सोच रही हैं? पिंकी को लगा कि उसका तो उनके ड्रिंक करने पर भी उन्हें डाँटना नहीं बनता था, वो वहां भी उन्हें ऐसे डाँट रही थी जैसे उन पर पूरा हक हो। पिंकी ने ख़ुद को समझाया कि उनका मनोज के बारे में इतना ज़्यादा सोचना सही नहीं है। पिंकी को राजू के लिए भी बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि उस बेचारे ने बिना मतलब ही उससे डाँट खाई लेकिन डाँट खाने के बाद भी वो कितना खुश था। पिंकी सोच रही थी कि अगर उसका डिवोर्स नहीं हुआ होता तो उनके भी बच्चे राजू की उम्र के ही होते। फिर पिंकी को याद आया कि मनोज के बारे में भी तो उसने यही कहा था कि उसकी शादी हुई होती तो इतना बड़ा उसका बेटा होता। पिंकी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी हर बात घूम फिर कर मनोज पर ही क्यों चली आ रही है? उसने सोचा उसका सो जाना ही सही रहेगा हालांकि आज उसने मनोज के बारे में इतना कुछ सोच लिया था कि शायद नींद में भी मनोज ही दिखने वाले थे। 

अगली सुबह ख़ास थी, मनोज बेहतर महसूस कर रहे थे। रात को उन्हें दो बार टॉयलेट के चक्कर लगाने पड़े थे लेकिन उसके बाद सब सही था। उन्हें रात की पिंकी की डाँट अच्छे से याद थी लेकिन ये वाली डाँट उनके लिए खास थी। उन्होंने गिल्लू को खाना दिया और फैले हुए कमरे को समेटने में लग गए। उन्हें भी अहसास हो रहा था कि उन्होंने रिटायरमेंट के बाद से शराब को कुछ ज़्यादा ही अहमियत दे दी है। वो दुखी होते तब भी पीते और खुश होते तब भी। उन्होंने सोचा कि उन्हें अपनी शराबी वाली इमेज को सुधारना ही होगा वरना पिंकी से भी उनकी दोस्ती टूट जाएगी। आज उनका पार्क जाने का मन था लेकिन उन्हें डर लग रहा था कि कहीं वहां जा कर उन्हें टॉयलेट की ज़रूरत पड़ी तो वो क्या करेंगे? यही सोच कर उन्होंने पार्क जाने का अपना प्लान कैंसिल कर दिया। 

उन्हें चाय पीने का मन कर रहा था लेकिन दूध खत्म था, अपने लिए वो भले ही दूध ना लाते मगर गिल्लू के लिए उन्हें दूध चाहिए था। पार्क ना जाने की वजह से वो लेट ही उठे थे। घड़ी में साढ़े आठ बाज रहे थे।  उन्होंने कपड़े बदले और दूध लेने निकल पड़े। जैसे ही वो पिंकी के घर के पास पहुँचे उन्हें पिंकी पार्क की तरफ़ से आती हुई दिखीं। उन्हें देख कर मनोज के कदम रुक गए। रात वाली हरकत से वो पिंकी के सामने जाने से डर रहे थे लेकिन इस बार वो बच नहीं सकते थे क्योंकि पिंकी ने उन्हें देख लिया था। पिंकी उनके नजदीक आ गई थीं। उन्होंने पूछा कि उनकी तबीयत सही नहीं फिर वो बाहर क्या कर रहे हैं?

मनोज ने बताया कि वो गिल्लू के लिए दूध लेने जा रहे थे। पिंकी ने उन्हें ताना मारते हुए कहा कि वो अपने लिए शराब की बोतल भी ले लें और उन्हें भला शाम का इंतजार करने की क्या ज़रूरत है? अभी से बोतल खोल कर बैठ जाएं। उनका तो खाना पीना चैन सुकून सब शराब ही है ना। मनोज शर्मिंदा हो गए। उन्होंने कहा आज के बाद ऐसा नहीं होगा। पिंकी ने जवाब दिया नहीं ऐसा करने की क्या ज़रूरत है, उनकी वजह से ही तो देश में शराब का revenue बढ़ता है, शराब बेचने वालों का घर चलता है। वो अगर पीना छोड़ देंगे तो कितने लोग बर्बाद हो जाएंगे। मनोज इतने शर्मिंदा हो रहे थे कि कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। पिंकी को लगा कि वो कुछ ज़्यादा ही react कर रही है, वो भी बीच सड़क पर खड़ी हो कर। मनोज का झुका हुआ सिर देख कर उन्हें उन पर दया आ गई। 

पिंकी ने उन्हें अपने घर चलने को कहा मगर मनोज ने मना कर दिया, इसके बाद पिंकी ने उन्हें ऐसी आँख दिखायी कि बेचारे मनोज उनके पीछे पीछे सिर झुकाए उनके घर के अंदर एंटर हो गए। पिंकी को पता था मनोज को सुबह की चाय पीने की आदत हो गई है। इसलिए उन्होंने उन्हें बैठने के लिए कहा और ख़ुद चाय बनाने चली गई। मनोज पहली बार पिंकी के घर आए थे। उनका घर काफ़ी बड़ा था और पूरी तरह से सजा हुआ। उन्होंने इतना साफ़ सुथरा घर किसी का नहीं देखा था। वो अपने colleagues  में ही रहते थे। बाहरी दुनिया में उनका कोई जान पहचान वाला नहीं था इसलिए वो किसी के यहाँ कभी गए ही नहीं थे। 

इतना सुंदर और साफ़ घर देख उन्हें लग रहा था कि ऐसे भी घर दुनिया में होते हैं? पिंकी के घर की सजावट देख कर उन्हें समझ आ रहा था कि वो जब उनके घर आई थीं तो इतना हंस क्यों रही थी। उनके घर के आगे तो मनोज को अपना घर कबाड़ खाना लग रहा था। वो एक एक चीज़ को बड़े गौर से देख रहे थे। पिंकी किचन से ही उन्हें देख रही थी कि वो कैसे उनके घर को हैरानी से देख रहे हैं। पिंकी को अंदाज़ा लग गया कि वो ऐसा सजा हुआ घर पहली बार देख रहे हैं। 

क्या पिंकी मनोज को शराब पीने के लिए माफ कर देंगी? क्या पिंकी और मनोज की फिर से पहले की तरह दोस्ती हो पाएगी? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
 

Continue to next

No reviews available for this chapter.