पिंकी ने मनोज को आज वो बातें बतायी थीं जो उन्होंने किसी के साथ शेयर नहीं की थीं। उन्होंने बताया कि उन्होंने जिस लड़के से प्यार किया कैसे उसी ने उनकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी। जिस उम्र में उन्हें एक पार्टनर की ज़रूरत थी उस उम्र में वो अकेली हो गईं। इसके बाद उनका शादी से यकीन ही उठ गया। तब से वो अकेली ही खुश रहने के तरीक़े ढूँढती आ रही हैं। अपनी पूरी कहानी बताने के बाद पिंकी की आँखें भर आई थीं। वो मनोज के सामने रोना नहीं चाहती थीं। इसलिए उन्होंने कहा कि उन्हें एक काम याद आ गया है, उन्हें जाना होगा। ये कह कर वो चली गईं। मनोज की हिम्मत नहीं हो पायी कि वो उन्हें रोक पाएं। वो बस उन्हें जाता देखते रहे।
पिंकी के जाने के बाद मनोज अपनी ही अलग दुनिया में खो गए थे। पिंकी उनके घर से चली गई थी लेकिन उनके ख्यालों में वो अभी भी थी। वो जिधर देख रहे थे उन्हें वहीं पिंकी दिख रही थी। उन्हें लगा जैसे पिंकी उनके लिए किचन में खाना बना रही हैं। कभी वो देख रहे थे कि पिंकी उन्हें घर गंदा करने के लिए डाँट रही है। कभी पिंकी उनसे पूछती है कि क्या वो उनके लिए चाय बना दे। कुल मिलाकर इस समय मनोज और उनका पूरा घर पिंकी मय हो चुका था और तो और उन्हें तो दीवार पर टंगी paintings में भी उनकी और पिंकी की तस्वीरें नज़र आ रही थीं।
उन्हें समझ नहीं आ रहा था बिना शराब पिए उन्हें ये कैसा नशा हो रहा है जिससे उन्हें हर तरफ़ पिंकी ही पिंकी दिख रही हैं। फिर एकदम से मनोज को पिंकी की बड़ी बड़ी आँखों के किनारों पर लटके आँसू याद आए। वो सोचने लगे कि दूसरों को हमेशा हंसाने वाली पिंकी के अंदर कितना दर्द भरा हुआ है। मनोज को उनका रोता हुआ चेहरा बिल्कुल पसंद नहीं आया था। उनका बस चलता तो वो पिंकी की ज़िंदगी से एक एक दुख को चुन चुन कर बाहर कर देते। मनोज सोचने लगे कि आख़िर वो पिंकी को खुश कैसे करें? कैसे उन्हें दिलासा देते हुए उनकी हिम्मत बढ़ाएँ और कहें कि जो बीत गई सो बात गई। यही सब सोचते हुए मनोज सो गए।
अगली सुबह पिंकी ने मनोज को बड़े प्यार से जगाया। जब उनकी आँख खुली तो उन्होंने देखा उनके पूरे घर का नक़्शा ही बदल गया है। पिंकी ने एक एक चीज़ को अपनी सही जगह पर रख दिया था। पिंकी उनके सामने चाय लिए खड़ी थीं। मनोज उन्हें देखें जा रहे थे जिस पर पिंकी ने पूछा कि वो उन्हें कब तक ऐसे घूरते रहेंगे? वो जल्दी से चाय पी लें फिर उन्हें वाक पर भी जाना है। मनोज चाय की चुस्कियां लेते हुए पिंकी के पायलों की छन छन को अपने पसंदीदा म्यूजिक की तरह सुन रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि गिल्लू भी एकदम फिट उनके साथ वॉक पर जाने को तैयार है। पिंकी ने उसका भी हुलिया बदल दिया था, अब गिल्लू किसी भी angle से सड़क से उठाया पप्पी नहीं लग रहा था। मनोज की चाय खत्म होते ही दोनों गिल्लू को साथ लेकर पार्क चल दिए।
वहां राजू उन दोनों को देख खुश हो गया। वो गिल्लू को टहलाने ले गया और मनोज-पिंकी एक दूसरे का हाथ पकड़ वॉक करने लगे। पिंकी ने मनोज का हाथ कस के पकड़ रखा था। फिर जब वो लोग वापस घर आए तो पिंकी ने उनके लिए नाश्ता बनाया। दोपहर में मनोज ने पिंकी के लिए खाना बनाया। दोनों एक साथ बैठे, दोनों ने बहुत सी बातें कीं और फिर पिंकी अचानक से रोने लगीं। मनोज पूछने लगे क्या हुआ पिंकी जी? वो लगातार यही पूछे जा रहे थे लेकिन पिंकी बोल नहीं रही थीं। यही पूछते पूछते मनोज की आँख खुल गईं।
वो तो एक सपना देख रहे थे, जिसमें हर तरफ़ पिंकी ही पिंकी थी लेकिन सपने के अंत को याद कर उन्हें याद आया कि कल पिंकी ऐसे ही रोते हुए उनके घर से गई थीं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर पिंकी को कैसे खुश किया जाये। यही सोचते हुए मनोज तैयार होते हैं। पार्क में उन्हें सबसे पहले राजू मिला, उसने पहले तो रात डिनर पर ना आ पाने के लिए उनसे माफी मांगी और फिर पूछा कि कल क्या क्या हुआ? मनोज ने उसके सवाल पर मुँह लटका लिया। राजू समझ गया कि पक्का कोई गड़बड़ हुई है। राजू ने पूछा अब उन्होंने क्या कर दिया? मनोज बोले नहीं उन्होंने कुछ नहीं किया, सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन फिर अचानक से सब ख़राब हो गया अपने आप ही।
राजू ने मनोज से कहा कि वो बात को गोल गोल घुमाने की बजाये सीधा क्यों नहीं बताते कि असल में रात हुआ क्या था। मनोज ने उसे बताया कि उसने उन दोनों के लिए मस्त तैयारी की थी लेकिन पिंकी अकेली आई। उसके बाद उन्होंने कुछ बातें कीं और खाना खाने लगे। फिर पिंकी ने पहले उनकी लाइफ के बारे में पूछा और फिर उन्होंने खुद ही अपनी लाइफ़ के बारे में बताना शुरू कर दिया। मनोज ने बताया कि कैसे पिंकी अपने बारे में बताते बताते रोने लगीं और फिर काम का बहाना बना कर वहां से चली गईं। राजू ने मनोज से पूछा कि क्या उन्होंने पिंकी को रोका नहीं? मनोज ने कहा कि उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या करना चाहिए! राजू ने अपना माथा पीट लिया। उसने कहा कि इंसानियत का ये सिंपल सा रूल है कि जब आपके सामने कोई रो रहा हो तो उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। उसे चुप कराने का कोई तरीका ढूँढना चाहिए, कोई ऐसी बात शुरू करनी चाहिए जिससे सामने वाला अपनी तकलीफ़ को कुछ देर के लिए भूल जाए।
मनोज ने भोला सा चेहरा बना कर कहा कि उन्हें इन बातों का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था। उन्हें बस बुरा लगा लेकिन वो कुछ कर नहीं पाए। अभी वो उससे इसी बारे में तो सलाह लेने आए हैं कि अब उन्हें क्या करना चाहिए। कहीं वो इस बारे में पूछने से भड़क ना जाए। इस पर राजू ने अपनी दुनियादारी की छोटी सी समझ से मनोज को सलाह देना शुरू किया। उसने कहा, ‘’ सर जी वैसे तो हमको भी इतना ज़्यादा नॉलेज नहीं है लेडीज़ के बारे में लेकिन जब हमारी अम्मा किसी बात को लेकर उदास होती है और हम पूछते हैं कि काहे उदास हो अम्मा? तो वो बड़े आराम से अपनी सारी बात हमसे बता देती हैं और यकीन मानिए उसके बाद उसका भी मन हल्का हो जाता है। तो हमको लगता है कि अगर किसी इंसान से सीधे जाकर उसके दुख तकलीफ़ के बारे में पूछा जाए तो वो आराम से बता देगा। वैसे भी तो वो आपको अब अपना दोस्त मानती हैं ना, उन्होंने तो ख़ुद कहा है कि आप उनसे कुछ भी पूछ सकते हैं। तो फिर डरना किस बात का है? जाइए और सीधे पूछ लीजिए कि आपको क्या दिक्कत है मैडम पिंकी। ‘’
राजू ने थोड़ा ड्रामा करते हुए अपनी आख़िरी बात कही, जिस पर मनोज भी हंस पड़े। उन्हें याद आया कि पिंकी ने ही तो उन्हें कहा था कि वो कुछ भी पूछ सकते हैं, ज़्यादा से ज़्यादा यही होगा कि अगर उन्हें नहीं बताना होगा तो वो मना कर देंगी। मनोज ने सोचा उनसे जा कर सीधे बात करना ही सही होगा। यही सोच कर वो पार्क की और चल दिए। राजू ने उन्हें बेस्ट ऑफ़ लक कहा।
कल रात मनोज के यहाँ से लौटने के बाद पिंकी बहुत देर तक रोती रही। वो हर रोज़ ख़ुद को दूसरे कामों में बिज़ी रखने की कोशिश करती है जिससे कि वो अपने पास्ट को याद ना कर पाये वो। काफ़ी हद तक इसमें कामयाब भी हो गई थीं लेकिन आज उन्होंने ख़ुद से ही ख़ुद के ज़ख़्मों को कुरेद लिया था। उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि आख़िरकार मनोज के सामने वो ये सब कैसे बोल गई और वो उस मनोज के इतना क्लोज़ क्यों हो रही हैं। हाँ ये बात है कि वो लोगों का दुख बाँटना चाहती है जिससे उसे अपने दुख का ज़्यादा अहसास ना हो लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि जिस इंसान से वो हफ़्ता भर पहले मिली है उसको अपनी ज़िंदगी के सारे राज बता दे। पिंकी को लगने लगा कि अगर वो मनोज को अपने और नजदीक आने देगी तो उसकी तकलीफ़ और ज़्यादा बढ़ेगी।
उसके अंदर का दूसरा पहलू उसे समझा रहा था कि मनोज एक अच्छा और सुलझा हुआ इंसान है वो उसे किसी तरह की तकलीफ़ नहीं दे सकता लेकिन वहीं उसका एक पहलू कह रहा था कि अच्छा तो रणजीत भी उसे लगा था लेकिन उसने उसे धोखा दे दिया ना, छोड़ दिया ना अकेला तड़पने के लिए। ये मर्द ज़ात ऐसी ही होती है, भोलेपन का नाटक कर लेती है और जब इन्हें पता चल जाता है कि सामने वाली उनके बहुत क्लोज़ हो गई है तब ये अपना असली रूप दिखाते हैं। मनोज भी ऐसा ही करेगा। पिंकी दोनों तरफ़ से सोचती है लेकिन फिर उसके दिमाग़ में ये ख्याल भी आता है कि वो आख़िर उसके बारे में इतना सोच ही क्यों रही है।
उसके साथ कोई रिश्ता नहीं जोड़ना उसे, उसे तो बस एक दोस्ती करनी है वो भी हल्की फुलकी जिसमें कुछ बातें और कुछ हँसी मज़ाक़ हो। वो उसे इतना सीरियस लेना छोड़ कर ख़ुद पर ध्यान दे। उसे ये याद रखना चाहिए कि वो अकेली है और कोई दूसरा उसकी मदद के लिए नहीं आने वाला इसलिए ख़ुद का ख्याल उसे ख़ुद से ही रखना होगा। अगली सुबह जब पिंकी उठी तो वो क्लियर थी कि उसे नार्मल रहना है और किसी के सामने अपना दुख बयान कर रोने वाली गलती अब दोबारा नहीं करनी। इसी सोच के साथ पिंकी आज पार्क गई थी।
वो अपनी क्लास को योगा करा रही थीं। तभी मनोज वहां पहुँचे। आज वो चुपचाप खड़े नहीं रहे बल्कि जाते ही उन्होंने पिंकी जी को आवाज़ लगायी। उनकी आवाज़ सुन कर पूरी क्लास उनकी तरफ़ देखने लगी। पिंकी भी उनके इस अंदाज़ पर हैरान थीं, वो तो कभी ऐसे उन्हें आवाज़ नहीं देते थे, बल्कि तब तक चुपचाप खड़े रहते थे जब तक पिंकी की नज़र ना उन पर पड़ जाये। पिंकी समझ रही थी कि वो उनसे ओपन हो रहे हैं। पहले पिंकी भी यही चाहती थीं कि वो उनसे घुले मिलनें लेकिन अब पिंकी को ये थोड़ा ऑकवर्ड लग रहा था। उन्होंने क्लास से कहा कि वो अपनी प्रैक्टिस करे, तब तक वो आती है।
उन्हें इस तरह क्लास छोड़ कर जाता देख फिर से कुछ लोगों के अंदर आग लग गई। ये वही लोग थे जो अब मनोज को अपना सबसे बड़ा खतरा मानने लगे थे। आसान शब्दों में कहें तो ये सब पिंकी के दीवाने थे। इस क्लास में आधे से ज़्यादा लोग तो सिर्फ़ पिंकी के लिए इस क्लास में आते थे। ये सालों से पिंकी के साथ एक योगा टीचर से ज़्यादा का रिश्ता नहीं बना पाये थे लेकिन मनोज हफ्ते भर में ही पिंकी के इतना क्लोज़ हो गया कि उन्हें आवाज़ दे कर क्लास रोकने पर मजबूर कर दे रहा था। ये सब उन लोगों को पसंद नहीं था।
क्या मनोज पिंकी का दुख कम कर पाएंगे? या पिंकी उन्हें ख़ुद से दूर रहने की हिदायत देगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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