मनोज ने पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन राजू और पिंकी अभी तक नहीं आए थे। हमेशा टाइम के पाबंद रहने वाले मनोज को ये लेट-लतीफ़ी पसंद नहीं आ रही थी। तभी उनके दरवाज़े पर दस्तक हुई, इस दस्तक के साथ ही उनके चेहरे की चिढ़ ने एक ख़ुशी और मुस्कुराहट का रूप ले लिए। उन्होंने जल्दी से दवाज़ा खोला। सामने हरे रंग की साड़ी पहले हुए पिंकी खड़ी थीं। वो उन्हें देख कर बहुत खुश हुए। पिंकी ने उनकी तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया। मनोज ने उनसे हाथ मिलाया। पिंकी को देखते हुए, वो इतना खो गए थे कि राजू के बारे में पूछना ही भूल गए। उन्होंने देखा राजू नहीं आया था। पिंकी ने बताया कि उसे कोई ज़रूरी काम आ गया था इस वजह से वो नहीं आ पाया। उसने उनसे इसके लिए माफी माँगी है।

ये सुन कर मनोज के अंदर एक डर पैदा हो गया। वो सोचने लगे कि वो अकेले पिंकी को कैसे संभालेंगे और वैसे भी उन्हें किसी महिला के साथ डिनर करने का experience नहीं है। वो ये सोच रहे थे तभी पिंकी ने कहा कि क्या वो मेहमानों को यहीं दरवाज़े पर खाना खिला के वापस भेज देते हैं? तभी मनोज को अचानक याद आया कि उन्होंने पिंकी को अभी तक दरवाज़े पर ही खड़ा रखा था। मनोज ने इसके लिए उनसे माफी माँगी और उन्हें अपने घर में आने को कहा। पिंकी घर में घुसते ही घर की हालात देख हैरान रह गई। उसने आते ही मन ही मन सोचा कि इन मर्दों को लगता है कि वो सब कुछ कर सकते हैं लेकिन इन्हें नहीं पता कि एक घर को घर बनाए रखने के लिए एक औरत का होना कितना ज़रूरी है।

पिंकी घर की हालत देख कर मुस्कुरायी। इसके बाद वो गिल्लू से मिली। वो उसे पुचकारने लगीं। मनोज ने उन्हें बताया कि उन्होंने इसका नाम गिल्लू रखा है। पिंकी को ये नाम बहुत पसंद आया। उन्होंने दीवारों पर नज़र मारते ही समझ लिया कि ये सारी paintings मनोज आज ही लाए हैं। वो ये सब देख कर हंस रही थी, मनोज समझ नहीं पा रहे थे कि आख़िर वो हंस क्यों रही हैं? वो कुछ ज़्यादा बोल नहीं पा रहे थे। अभी तक जितनी भी बातें हुई थीं सब पिंकी की तरफ़ से ही हुई थीं।

मनोज ने खाना लगा दिया था। दोनों खाना खाने लगे। कमरे में एकदम सन्नाटा था। तभी पिंकी ने इस सन्नाटे को तोड़ते हुए कहा कि अगर ऐसे ही करना था तो उन्होंने उन्हें बुलाया ही क्यों? ये सुनते ही मनोज परेशान हो गए। वो सोचने लगे कि आख़िर उनसे ऐसा क्या हो गया जो पिंकी ने ऐसा कह दिया? उन्होंने पूछा कि उनसे क्या गलती हुई है? पिंकी ने कहा कि बताइए भला कोई अपने घर मेहमान को बुला कर ऐसे चुप रहता है। मनोज की सांस में साँस आई, उन्हें लगा था शायद उन्होंने खाना अच्छा नहीं बनाया इस बात से पिंकी नाराज हो गई हैं। मनोज ने कहा कि उन्हें बातचीत करनी नहीं आती। वो तो उनसे सीख रहा है इसलिए चुपचाप उन्हें सुनता है।

पिंकी ने कहा कि ऐसे बहाने नहीं चलेंगे उन्हें बोलना ही होगा। इसके बाद पिंकी ने उनसे कहा कि वो दोनों एक दूसरे के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानते। उन्हें अपनी बातें एक दूसरे से शेयर करनी चाहिए। मनोज ने कहा कि उनके पास जितना शेयर करने को था वो उन्होंने कल पार्क में ही बता दिया। माँ बाबा के जाने के बाद से तो उनकी ज़िंदगी में जो था वो बस उनका काम था। इसी काम के लिए वो ना दोस्त बना पाये, ना बाहरी दुनिया के तौर तरीक़े सीख पाए। उन्होंने अपने लिए एक अलग ही दुनिया बना ली थी जिसमें सिर्फ़ उनका काम और उनके नियम क़ानून थे। उनकी बस इतनी सी ही कहानी है।

पिंकी ने पूछा कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की? क्या उन्हें कभी कोई लड़की पसंद ही नहीं आई? इस सवाल पर मनोज बड़ी दर्द भरी मुस्कान मुस्कुराए। उन्होंने कहा कि पसंद तो आयी थी लेकिन अपने काम से ज़्यादा पसंद नहीं थी। इसलिए उन्होंने काम को पकड़े रखा और उसे जाने दिया। दरअसल, जब मनोज इस शहर में नए आए थे और उनकी नई नई नौकरी लगी थी, तभी उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था। उनकी ये प्रेम कहानी भी बहुत अलग तरह की थी। मनोज की ड्यूटी तब कई बार enquiry में लग जया करती थी। एक दिन मनोज enquiry में अकेले बैठे तभी एक लड़की उनसे एक ट्रेन के बारे में पूछने आई। लड़की ने इन्हें देखा और इन्होंने उस लड़की को और दोनों एक दूसरे को देखते ही रह गए। ये पहली नज़र का प्यार था।

दोनों में से किसी ने किसी को कुछ नहीं कहा। लड़की ने शर्माते हुए ट्रेन के बारे में पूछा और चली गई। अब वो हर रोज़ उन्हें ढूँढती हुई आने लगी। वो एक ही ट्रेन के बारे में हर बार पूछती और चली जाती। वो अगर enquiry में किसी और को देख लेती तो बिना कुछ पूछे ही चली जाती। दोनों की हर रोज़ बस एक ये छोटी सी मुलाक़ात होती थी। जिस दिन ये मुलाक़ात ना हो दोनों बेचैन हो जाते थे। मनोज को भी पता था वो लड़की उन्हें पसंद करती है लेकिन उनमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसे रोक कर अपने दिल की बात कह सकें। ये सिलसिला दो साल तक चला।

इन दो सालों में ये छोटी सी मुलाक़ात थी और उस लड़की के सपने थे बस इसके सिवा और कुछ भी नहीं। यही वो टाइम था जब मनोज अपने काम से भी ज़्यादा किसी को पसंद करने लगे थे। फिर एक दिन वो हुआ जो आमतौर पर प्रेम कहानियों में नहीं होता। वो लड़की आई, मनोज को पता था उसको क्या पूछना है लेकिन वो तब हैरान रह गए जब उन्होंने उस लड़की को कहते सुना कि वो बाहर आए उसे कुछ बात करनी है। दो साल में ये पहली बार हुआ था जब उस लड़की ने ट्रेन के बारे में पूछने के अलावा कोई और बात की थी।

मनोज हड़बड़ाए हुए बाहर आए। लड़की ने कहा कि बैठ के बात करते हैं। दोनों स्टेशन की एक बेंच पर बैठ गए। ट्रेन इंजनों के शोर के बीच उस लड़की ने उनसे कहना शुरू किया कि उसका नाम अनु है। वो इसी शहर में रहती है और पढ़ाने के लिए रोज़ दूसरे शहर जाती है। वो पिछले दो साल से इंतज़ार कर रही थी कि मनोज उससे अपने दिल की बात कहेंगे लेकिन उसे समझ आ गया कि ये लड़का कुछ बोलने वाला नहीं है। शायद वो भी आज हिम्मत ना कर पाती लेकिन वो दोराहे पर खड़ी है इसलिए उसे आज साफ़ साफ़ बात करनी ही पड़ेगी। मनोज उसकी बातों को सुनते हुए खुश हो रहे थे। उनकी मन माँगी मुराद पूरी हो रही थी। वो बस मुस्कुरा रहे थे।

लड़की ने कहा कि वो उनसे प्यार करती है और शादी करना चाहती है। मनोज की मुस्कुराहट और गहरी हो गई। लड़की ने आगे कहा लेकिन उसे आज ही ज्वाइनिंग लेटर मिला है। उसकी पुणे में एक बड़ी पोस्ट पर जॉब लगी है। वो चाहती थी कि मनोज भी उसके साथ चले। वो वहां तैयारी कर के इससे भी अच्छी जॉब ले सकता है। ये सुनते ही मनोज की मुस्कुराहट कहीं गुम हो गई। उस लड़की को नहीं पता था कि ये सिर्फ़ उनके लिए जॉब नहीं है, बल्कि उनका पैशन है। मनोज ने पूछा कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि वो अपनी जॉब छोड़ कर यहीं रहे? लड़की ने कहा कि उसकी कुछ मजबूरियाँ हैं। उसके पिता नहीं हैं और उस पर उसकी माँ और भाई बहनों की ज़िम्मेदारी है। अभी तक वो प्राइवेट स्कूल में पढ़ा कर किसी तरह गुज़ारा कर रही थी। इस जॉब के लिए उसने सालों मेहनत की है, इससे उसकी सारी मुश्किलें दूर हो सकती हैं। इस वजह से वो इस जॉब को मना नहीं कर सकती।

मनोज ने कहा उसी तरह वो भी अपनी जॉब नहीं छोड़ सकता क्योंकि ये उसका पैशन है। उसे ये करने में सुकून मिलता है और उसे नहीं पता कि दोबारा उसे ये वाली जॉब मिले या ना मिले। लड़की ने कहा कि उसकी परसों ट्रेन है, वो उसका इंतज़ार करेगी अगर उसका इरादा बदल जाये तो वो उसके साथ चल पड़े।

तीसरे दिन वो लड़की मनोज का इंतज़ार करती रही लेकिन मनोज उसके सामने नहीं गए। वो छुप कर उस लड़की को तब तक देखते रहे जब तक उसकी ट्रेन नहीं चली गई। ये उन दोनों की आख़िरी मुलाक़ात थी। कुछ दिन बहुत मुश्किल से गुजरे थे। काम में भी उनका मन नहीं लग रहा था लेकिन फिर उन्होंने ख़ुद को समझाया कि जिस नौकरी के लिए उन्होंने अपने प्यार को क़ुर्बान किया उस काम में वो लापरवाही नहीं कर सकते। बस उसी दिन के बाद उनके लिए काम ही सबकुछ हो गया। उनके सिर पर कोई बड़ा नहीं था इसलिए किसी ने उन्हें शादी के लिए कभी फोर्स नहीं किया। उनकी भी लाइफ़ काम के साथ मस्त कटती रही। तो उन्होंने भी कभी शादी की ज़रूरत महसूस नहीं की।

मनोज की ये छोटी सी लव स्टोरी सुन कर पिंकी भी हैरान थीं। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि किसी इंसान ने अपने काम के लिए अपने प्यार को छोड़ दिया। तभी वो काम आज भी इनके अंदर से नहीं निकल पा रहा। पिंकी ने कहा ये सब किस्मत की बात होती है, कुछ लोगों की किस्मत में अकेले रहना लिखा होता है, ज़िंदगी में आने वाले तो बस एक बहाना बनते हैं। पिंकी बताने लगी कि उन्होंने ने तो अपने प्यार को जाने दिया लेकिन उसने तो अपने प्यार के लिए सब छोड़ दिया। उसे कॉलेज में अपने क्लासमेट रणजीत से प्यार हो गया था। रणजीत कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का था। कॉलेज की लड़कियां उस पर मरती थीं और वो पिंकी पर। आख़िर कार दोनों ने एक दूसरे से प्यार का इज़हार कर ही लिया। फिर कॉलेज ख़त्म हुआ तो उन्होंने शादी का फैसला कर लिया। पिंकी के पापा इस शादी के लिए नहीं माने लेकिन वो उनके भी ख़िलाफ़ चली गई और रणजीत शादी के बाद उसे इस शहर में ले आया।

यहाँ पिंकी ने अपना बुटीक शुरू किया और उसमें बिज़ी हो गई। रणजीत उसका बहुत ख्याल रखता था। एक तरह से पिंकी ख़ुद अच्छा खासा कमाने लगी थी, रणजीत का भी छोटा सा एक कैफ़े था। दोनों दिन भर अपने काम में बिज़ी रहते और शाम को अपनी प्यार भरी दुनिया में खो जाते लेकिन शादी के दो साल बाद ही रणजीत बदलने लगा। उसके पास पिंकी के लिए अब टाइम नहीं होता था। पिंकी ने भी ध्यान नहीं दिया लेकिन एक दिन उसने उसे एक लड़की के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया। रणजीत ने बहुत बहाने बनाए लेकिन पिंकी समझ गई कि वो बस अच्छा बनने का नाटक करता आ रहा था असल में वो हमेशा से ऐसा ही था। बस फिर क्या था, उसने रणजीत को डिवोर्स दे दिया और उससे अलग रहने लगी। कुछ सालों बाद रणजीत ने ये शहर छोड़ दिया। तबसे उसकी कोई खबर नहीं है।

अपनी कहानी बताते हुए पिंकी की आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा कि उसे एक ज़रूरी काम याद आ गया है इसलिए वो जा रही है। इतना कह कर वो वहां से चली गई। मनोज उसे रोक भी नहीं पाए।

आख़िर पिंकी मनोज के घर से अचानक क्यों चली गई? पिंकी की कहानी का मनोज पर कैसा असर पड़ेगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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