राजू का दुख सुन कर मनोज पिंकी के बारे में उससे बात करना ही भूल गए थे। वो बस सोचे जा रहे थे कि राजू की ज़िंदगी कितनी टफ़ है हालांकि राजू ने आगे जो कहा उसे सुन कर मनोज को अच्छा लगा। उसने कहा कि उसकी ज़िंदगी में बहुत सारे दुख हैं लेकिन वो इन दुख, तकलीफ़ों से नहीं डरता क्योंकि उसे पता है ये सब भी बीत जाएगा। वो ऐसे हालातों से सीख रहा है जो आगे उसके बहुत काम आने वाला है। ये बात तय है कि एक दिन वो अपनी मेहनत से पूरे देश भर में फेमस हो जाएगा और लोग उसकी कहानियां बच्चों को सुना कर उन्हें मोटिवेट किया करेंगे अगर सिर्फ़ घर ही चलाना हो तो वो कोई भी काम कर सकता है।

उसके अब इतने जानने वाले हो गए हैं कि कोई भी उसकी मदद के लिए पैसे भी दे सकता है। पिंकी जी ने भी कई बार उसे कहा है कि उसे जब भी पैसों की ज़रूरत हो उनसे माँग ले। उसे ज़रूरत भी पड़ती है लेकिन वो किसी से नहीं माँगता क्योंकि अगर उसने एक बार पैसे माँग कर अपना काम चला लिया तो उसे ऐसे जीने की आदत पड़ जाएगी और वो उतना ऊपर कभी नहीं जा पाएगा जहाँ तक पहुंचने का उसने सपना देखा है। राजू की बातें सुन कर मनोज खड़े हो कर उसकी पीठ थपथपाने लगे। उन्होंने कहा कि वो पक्का एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा।

राजू ने अब उनसे पूछा कि उन्होंने कल क्या किया? जिसके बाद मनोज ने कल पिंकी के साथ हुई सारी बात उसे बतायी और कहा कि उन्हें उससे सलाह चाहिए। राजू ने पूछा कैसी सलाह? तब मनोज बोले कि अगर वो पिंकी को अपने घर डिनर पर बुलाए तो कैसा रहेगा? राजू ने कुछ देर सोचा और फिर बोला, ‘’नहीं नहीं ऐसी गलती भी मत कीजिएगा, अभी के अभी पुलिस आपको पकड़ कर ले जाएगी। उसके बाद ना जाने कितने साल की सज़ा हो आपको। ये तो भूल के मत कीजिएगा। आपको नहीं पता किसी से खाने पर आने के लिए पूछना अपने देश में बहुत बड़ा अपराध है?''

ये ज़ाहिर सी बात थी कि राजू मज़ाक़ कर रहा था लेकिन हैरानी इस बात की थी कि मनोज इस मज़ाक़ को भी सीरियसली सोचने लग गए थे। उन्हें लगने लगा कि उन्हें कितना कम पता है। एक नौवीं पास लड़का रेलवे के एक पूर्व कर्मचारी को बेवकूफ बना रहा था। राजू ने हैरानी से पूछा कि कहीं वो उसकी कही बातों से डर तो नहीं गए? वो मज़ाक़ कर रहा था। भला किसी दोस्त को खाने पर बुलाने में क्या बुरायी हो सकती है? पिंकी आंटी तो उल्टा खुश हो जाएंगी ये सुन कर। मनोज ने उससे फिर पूछा कि वो पक्का उन्हें बोल दे? राजू ने कहा, बिल्कुल बिना देरी किए बोल दीजिए। फिर मनोज ने कहा कि सिर्फ़ उन्हें ही नहीं बल्कि राजू को भी आना है। वो अपने दोनों दोस्तों को डिनर पर बुलाना चाहता है।

राजू हैरान रह गया क्योंकि आजतक उसे किसी ने भी अपने घर खाने पर नहीं बुलाया था। राजू ने ये कहते हुए मना किया कि वो भला उन दोनों के बीच क्या करेगा? मनोज ने कहा कि वो और पिंकी उनके दोस्त हैं इसलिए या तो वो दोनों को बुलायेगा या फिर किसी को नहीं। हार कर राजू को मानना पड़ा। क्योंकि अगर वो ना जाता तो फिर मनोज पिंकी को भी नहीं बुलाते। मनोज ने कहा कि उसे क्या क्या करना चाहिए? राजू ने कहा पहले उन्हें इन्वाइट तो कीजिए उसके बाद इस बारे में बात करेंगे। मनोज ने सोचा कि ये बात भी ठीक है क्योंकि किसी कारण से अगर पिंकी ने आने से मना कर दिया तो उनकी सारी प्लानिंग धरी रह जाएगी।

पिंकी को डिनर पर इन्वाइट करने के इरादे से वो पार्क में गए। जहाँ पिंकी अपनी योगा क्लास में बिज़ी थीं। वो वहां चुपचाप तब तक खड़े रहे जब तक पिंकी की नज़र उनपर नहीं पड़ी। मनोज को देखते ही पिंकी के चेहरे पर स्माइल आ गई और उन्होंने वहीं से अपना हाथ हवा में हिलाया। मनोज जैसे कल के आए बंदे के लिए पिंकी को excited देख वहां कितने बुड्ढों के दिल जले थे। अंदर ही अंदर उन सबने मनोज को अपना competition मान लिया था। मनोज ने भी उनकी हाय का जवाब अजय देवगन स्टाइल में गर्दन टेढ़ी कर हाथ हिलाते हुए दिया और साथ ही दो मिनट के लिए उनकी बात सुनने को कहा।

पिंकी उनके पास आते हुए बोली कि वो योगा क्लास की बात करने तो आए नहीं होंगे क्योंकि वो समझ चुकी हैं कि उनका इस क्लास में कोई ख़ास इंट्रस्ट नहीं है। मनोज ने कहा कि नहीं ऐसी बात नहीं वो जलदी ही ज्वाइन कर लेंगे। फ़िलहाल वो कुछ और बात करने आए हैं। पिंकी ने कहा कि वो उनकी बात सुन रही है। मनोज ने कहा, ‘’वो बात ऐसी थी कि मैं सोच रहा था, कि आपने कहा था कि वो, मेरे ख्याल से…''

पिंकी (बात काट कर हँसते हुए)- ये कौन सी भाषा है मनोज जी? मुझे भी सीखनी है। अरे जो बात है साफ़ साफ़ कहिए ना।

मनोज (घबरा कर)- वो आपने कल कहा था ना आप गिल्लू को देखने आयेंगी तो मैंने सोचा क्यों ना मैं आपको, मेरा मतलब है आपको अकेले नहीं बल्कि राजू और आपको आज रात डिनर पर इन्वाइट करूँ।

ये सारी बात मनोज ने बिना रुके एक साँस में ही बोल दी थी। बात पूरी करने के बाद उन्होंने एक गहरी साँस ली। उन्हें देख पिंकी अपनी हँसी रोकने की कोशिश कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इतनी सी बात के लिए उन्हें कितनी हिम्मत जुटानी पड़ी? उन्होंने कहा कि वो पहुँच जायेंगी शाम को साथ में राजू को भी ले आयेंगी। वो अपना address उन्हें भेज दें। मनोज ये सुन कर खुश हो गए। वो नार्मल इंसानों की तरह हरकत कर रहे होते तो पिंकी की हाँ सुन कर ख़ुशी से चिल्लाने लगते लेकिन फ़िलहाल उन्होंने मुस्कुरा कर ही काम चलाया। वो जाने लगे तो पिंकी ने कहा कि अगर उन्होंने उन्हें अकेले भी बुलाया होता डिनर पर, फिर भी उनका जवाब हाँ ही होता। इसके बाद वो अपनी योगा क्लास लेने चली गईं।

मनोज शर्माते हुए वापस राजू की टपरी पर आ गए। राजू ने पूछा क्या हुआ? मनोज ने मुँह बना कर कहा कि उसने तो बोला था कि ये नार्मल बात है फिर पिंकी उनका invitation सुन कर ऐसे चिल्लाने क्यों लगीं? राजू घबरा गया, वो कहने लगा पिंकी आंटी तो ऐसे नहीं चिल्लातीं फिर उन पर क्यों गुस्सा हो गईं? तभी मनोज ने हँसते हुए कहा कि उन्हें भी मज़ाक़ करना आता है। वो मज़ाक़ ही कर रहे थे, पिंकी आ रही हैं, और वो उसे भी उनके घर लेते आयेंगी। मनोज ने राजू को अपना फ़ोन नंबर और एड्रेस लिखवा दिया। उसके बाद वो उससे पूछने लगे कि उन्हें पिंकी के लिए क्या करना चाहिए? राजू ने पूछा उन्हें अच्छा खाना बनाना आता है? मनोज ने कहा पूरी ज़िंदगी उन्होंने अपने लिए ख़ुद ही खाना बनाया है, उन्हें बाहर खाना पसंद नहीं और उनको लगता है कि वो अच्छा खाना बना लेते हैं। राजू ने कहा फिर वो सबसे पहले तो अच्छा खाना बनायें और अपने घर को थोड़ा सजा लें। इसके साथ ही वो उनके लिए कोई गिफ्ट ले लें, जिसे उनकी दोस्ती की शुरुआत की निशानी की तरह रखा जा सके। बस उन्हें इतना ही करना है।

राजू की बात ख़त्म होने पर मनोज ने अपनी घड़ी देखी और कहा फिर तो उन्हें निकलना चाहिए क्योंकि ये सब करने में उन्हें काफ़ी टाइम लग जाएगा। राजू ने कहा ठीक है वो लोग शाम को मिलेंगे। राजू को ये बोल कर मनोज घर की तरफ़ चल दिए। घर पहुंचते ही जैसे उन्होंने दरवाज़ा खोला वैसे ही गिल्लू बाहर की तरफ़ भागा। अब उसका पैर ठीक लग रहा था क्योंकि वो ख़ुद ही सीढ़ियां उत्तर गया। उसे ऐसे भागता देख मनोज का खिला हुआ चेहरा और खिल गया। थोड़ी देर में गिल्लू वापस लौट आया। उन्होंने उसे सामने बिठा कर कहा बेटा गिल्लू आज उनके कुछ दोस्त खाने पर आ रहे हैं और वो उससे भी मिलना चाहते हैं इसलिए वो अच्छा बच्चा बन कर रहे नहीं तो वो जानता है मनोज उसके साथ क्या करेंगे। मनोज की बात सुन कर गिल्लू ने एक अच्छे बच्चे की तरह अपनी पूंछ हिलाते हुए उन्हें कहा कि वो फ़िक्र ना करें ऐसा ही होगा।

फिर मनोज नहाने चले गए। तैयार हो कर उन्होंने अपना पर्स उठाया और गिल्लू से बोले कि वो सारा सामान लेकर अभी आते हैं। अब उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि वो अपने इस घर को सजाएं कैसे? उन्हें तो पहले भी इसमें कोई कमी नहीं लग रही थी। फिर उन्हें ख़याल आया कि उन्हें दीवारों पर कुछ पेंटिंग्स लगानी चाहिए जिससे कि उनका घर अच्छा दिखे। इसके बाद वो बाज़ार गए, जो जो डिश उन्हें  बनानी थी उसका सामान लिया और फिर पेंटिंग्स ख़रीदीं। उनके पास इतना सामान हो गया था कि उन्हें पेंटिंग की दुकान से एक लड़के को सामान घर पहुँचाने के लिए बोलना पड़ा। कुछ देर बाद, वो सारा सामान घर ले आए थे। उन्होंने गिफ्ट्स भी लिए थे।  

थोड़ी देर की मेहनत के बाद उन्होंने पूरे कमरे में ढेर सारी paintings लगा दीं हालांकि उन्हें उन पेंटिंग्स का कोई मतलब नहीं पता था। वो बस घर को थोड़ा भरा भरा रखना चाहते थे। दरअसल, उन्हें नहीं पता था कि घर को सजाने के लिए सबसे पहले वहां के सामान को अपनी सही जगह पर रखा जाता है। उन्होंने अपने किचन का आधा सामान अपने कमरे के फर्श पर रखा हुआ था। जबकि रसोई में ठीक ठाक जगह थी। उनकी अलमारी भी ग़लत तरह से रखी हुई थी। किचन का फ्रिज उन्होंने अपने कमरे में लगा रखा था। बालकॉनी में जगह होने के बाद भी उन्होंने वहां का बहुत सारा सामान कमरे के अंदर रखा था। ये सब उनके घर को अजीब बना रहा था, जिसकी उन्हें जरा भी खबर नहीं थी।

उन्होंने बेड की चादरें, सोफे के कवर, टेबल क्लॉथ सब चेंज कर दिया था। गिल्लू को उसका खाना दे कर अब वो महमानों के लिए खाना तैयार करने में लग गए। उन्हें नहीं पता था कि राजू और पिंकी को क्या पसंद है। उनके लिए तो खाना बस खाना था, उन्होंने अपनी ही पसंद की डिश बनाने का फैसला किया। उन्होंने कुछ घंटों की मेहनत कर के दम आलू, शाही पनीर, भिंडी, दाल और रोटी चावल तैयार कर दिया। अब भी आठ बजने में एक घंटा बाक़ी था। इसके बाद वो ख़ुद तैयार हुए। गिल्लू का बिस्तर बदला और उसे फिर से समझाने लगे कि वो मेहमानों के सामने कोई शरारत ना करे। गिल्लू ने भी पूंछ हिला कर उनकी बात को मान लिया। अब उन्हें अपने दोस्तों का इंतज़ार करना था। आठ बाज चुके थे लेकिन अभी तक दोनों आए नहीं थे। उन्हें अब बेचैनी होने लगी, वो ख़ुद समय के जितने पाबंद थे, दूसरों से भी वैसी ही उम्मीद करते थे हालांकि आज वो उनके लेट होने पर गुस्सा नहीं थे लेकिन वो बेचैन ज़रूर होने लगे थे।

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई…

क्या मनोज एक अच्छे होस्ट साबित होंगे? क्या उनका बनाया खाना पिंकी और राजू को पसंद आएगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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