मनोज के लिए बारिश हमेशा एक मुसीबत ही रही थी। कभी ये बारिश उन्हें ऑफ़िस जाने के लिए लेट करवा देती, कभी बारिश की वजह से उन्हें घर आने में देर हो जाती और कभी कभी तो ये बारिश उन्हें बीमार तक कर देती थी। बारिश का मनोज की ज़िंदगी में बस यही रोल रहा था। उन्हें नहीं पता था कि बारिश किसी के लिए favorite भी हो सकती है। उन्होंने कभी तपती ज़मीन पर बारिश की बूँदें पड़ने के बाद ज़मीन को मिली राहत से उठने वाली सौंधी मिट्टी की महक का आनंद नहीं लिया। उन्होंने कभी बारिश में उछलते बच्चों के चेहरे की ख़ुशी नहीं देखी, उन्हें नहीं पता कि जब बारिश की एक एक बूँद नीचे जमा पानी पर पड़ती है तो लगता है जैसे आसमान से मोती बरस रहे हों। उन्हें बारिश में भीगने का सुख नहीं मालूम। वो बारिश के सिर्फ़ sad effects ही जानते थे।
आज जब मनोज और पिंकी पार्क पहुँचे तो बारिश होने लगी और बारिश लगातार बढ़ती जा रही थी। तब मनोज ने पहली बार जाना कि लोगों को बारिश भी पसंद होती है। उन्होंने पिंकी से कहा कि बारिश तेज़ हो गई है अब घर जाने में देर हो जाएगी तब पिंकी ने बताया कि उन्हें बारिश पसंद है वैसे भी घर पर उनका इंतज़ार करने वाल कोई नहीं है।
मनोज ने पूछा कि उनकी फैमिली कहाँ है, जो वो अकेली रहती हैं? पिंकी ने इस सवाल पर उनकी तरफ़ देखा और मुस्कुरा कर कहा कि उसने उसे कहा था उसे जिस सवाल का जवाब ना देना हो वो उसे मना कर सकती है। तो वो इस सवाल का जवाब फिर कभी देना चाहेंगी। मनोज समझ गए कि वो इस बारे में बात नहीं करना चाहतीं। मनोज सोचने लगे कि पिंकी भी तो अकेली है फिर वो इतना खुश कैसे रह लेती हैं? मनोज को इस तरह सोच में डूबा देख पिंकी को लगा शायद उसके सवाल का जवाब ना देने की वजह से वो चुप हो गए हैं।
पिंकी ने बात शुरू करने के लिए मनोज से कहा कि उन्होंने तो उससे उसकी age पूछ ली मगर अपनी नहीं बतायी, ये ग़लत है। मनोज ने कहा उन्होंने पूछी नहीं इसलिए उन्होंने बतायी भी नहीं, अब पूछ रही हैं तो बता देते हैं। उन्होंने कहा, ‘’मैं पुणे के पास के एक गांव में पैदा हुआ था, वहां कोई अपनी उम्र याद नहीं रखता। किसी को याद नहीं रहता कि वो कब पैदा हुआ था लेकिन मैं थोड़ा लक्की था। मेरी माँ ने मेरी जन्म तारीख़ याद रखी थी, मैं 5 जून 1964 को पैदा हुआ था। अगले महीने मैं 61 साल का हो जाऊंगा। मेरी माँ को मेरी एक एक चीज़ के बारे में पता था। बाबा को मतलब नहीं रहता था। उनके लिए उनके खेत ही सब कुछ थे। वही खेत उन्हें और मेरी माँ को मुझसे चीन कर ले गए। गांव में बाढ़ आई, लोग गांव छोड़ कर भागने लगे। सबने बाबा को बहुत समझाया मगर बाबा कहने लगे कि बाढ़ तो हर साल आती है तो क्या वो इसके लिए अपना घरबार छोड़ कर चले जाएं? ये ज़मीन उनकी माँ की तरह है और वो अपनी माँ को छोड़कर नहीं जाएँगे। उन्होंने अपनी माँ को नहीं छोड़ा और माँ ने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा। बाढ़ तो सच में हर साल आती थी लेकिन उस साल शायद उसे बाबा की बात चुभ गई और उसने सब तबाह कर दिया। बाबा के साथ माँ भी उस बाढ़ में बह गई। उनकी लाश तक नहीं मिली। मैं घर छोड़ कर नौकरी करने लगा था। मुझे नहीं पता था कि गांव में क्या हुआ। जब मुझे लगा कि बाबा का गुस्सा अब शांत हो गया होगा तब मैं माँ बाबा से मिलने गांव गया। वहां कुछ नहीं बचा था। मैं उनको खो चुका था और मुझे पता भी नहीं था कि मैं अनाथ हो गया हूँ। 21 साल उम्र थी मेरी तब। अब मैं 60 का हूँ। ‘’
पिंकी ने मनोज से सिर्फ़ उनकी उम्र पूछी थी और मनोज ने उनके सामने अपनी आधी ज़िंदगी खोल कर रख दी। पिंकी उन्हें सुनते हुए सोच रही थी कि ये इंसान सारी ज़िंदगी कितना अकेला रहा है। इसके अंदर कितना कुछ दबा हुआ है। सिर्फ़ एक सवाल के जवाब में इसने कितना कुछ बता दिया। मनोज को पता नहीं था लेकिन वो इमोशनल हो गए थे। उनकी आखें भीग चुकी थीं। पिंकी ने उन्हें रोका नहीं। वो चाहती थी उनके अंदर का ये ज़ख़्म बाहर आए। उन्होंने पूछा कि उनके बाबा उनसे क्यों नाराज थे? मनोज ने बताया कि उन्होंने रेलवे स्टेशन पर जब पहली बार किसी को announcement करते सुना तभी ठान लिया था कि वो स्टेशन अनाउंसर ही बनेंगे लेकिन उनके पिता चाहते थे वो गांव में रह कर ही किसान बनें उनके खेतों को संभालें। बस इसी ज़िद में उन्होंने घर छोड़ दिया और नौकरी में लग गए।
पिंकी ने कहा उन्होंने अच्छा किया क्योंकि अगर वो किसान बन जाते तो ज़िंदगी के इस मोड़ पर उन्हें इतना अच्छा दोस्त ना मिलता। मनोज मुस्कुराने लगे, उन्हें पिछले दो दिनों में इतना कुछ मिल गया था कि वो समझ ही नहीं पा रहे थे कि इतनी ख़ुशियाँ वो संभाले कैसे? पिंकी के मुँह से अपने लिए अच्छा सुन कर तो उन्हें और भी अच्छा लग रहा था। वो जितना खुश हो रहे थे बारिश उतनी ही बढ़ती जा रही थी। अब उन्हें भी ये बारिश कुछ कुछ अच्छी लगने लगी क्योंकि इस बारिश ने उन्हें पिंकी के क़रीब जो कर दिया था। तभी उनकी नज़र अपनी घड़ी पर गई, 8 बजने वाले थे। वो धीरे से बड़बड़ाए, अरे बाप रे वो उठ गया होगा। उन्होंने पिंकी से कहा कि उन्हें चलना होगा। पिंकी हैरान हो गई क्योंकि अभी बारिश हो ही रही थी। पिंकी ने कहा बारिश रुक जाने दीजिए फिर दोनों साथ में चलेंगे। मनोज ने कहा वो बारिश में ही चले जाएँगे क्योंकि घर पर उनका कोई इंतज़ार कर रहा है। पिंकी ने सोचा इतना ज़रूरी कौन है जिसके लिए वो बारिश में भीगते हुए जाने को भी तैयार हैं? जब मनोज नहीं माने तो पिंकी ने कहा कि वो भी चलेगी, बारिश में भीगे हुए उसे भी बहुत दिन हो गए। मनोज ने उन्हें वार्न भी किया कि वो बीमार हो जायेंगी, पिंकी ने कहा बीमार तो वो भी हो सकते हैं। पिंकी ने हँसते हुए कहा कि अगर हुए तो दोनों एक साथ ही बीमार होंगे। इतना कहते हुए पिंकी शेड से बाहर आ गईं और उन्होंने मनोज का हाथ पकड़ कर उन्हें भी बाहर खींच लिया। एक बार फिर से पिंकी की छुअन से मनोज को एक अलग ही अहसास हुआ।
वो दोनों घर की तरफ़ निकल पड़े। रास्ते में पिंकी ने पूछा कि आख़िर इतना ज़रूरी इंसान कौन है जिसके लिए वो बारिश में भीगते हुए जा रहे हैं? मनोज ने कहा उनका कल ही एक नया दोस्त बना है उसी के लिए वो जा रहे हैं। पिंकी ने हैरान होते हुए पूछा कि उन्होंने एक दिन में कितने दोस्त बना लिए हैं और उन्होंने कल ही किसी को दोस्त बनाया और आज ही अपने घर में भी रख लिया? मनोज ने कहा कि हालात कुछ ऐसे बन गए कि उन्हें उसे अपने घर में रखना पड़ा। इसके बाद उन्होंने गिल्लू की पूरी कहानी पिंकी को सुनायी। पिंकी को अब समझ आया कि वो एक पपी की बात कर रहे हैं। पिंकी ने कहा कि वो भी उनके दोस्त से मिलना चाहेंगी। वो जल्द ही उनके घर आएंगी और गिल्लू से मिलेंगी।
बारिश में भीगते हुए वो लोग पिंकी के घर तक आ गए। पिंकी ने कहा कि वो अंदर आएं और चाय पी कर जाएं, मनोज ने कहा कि बिजली चमक रही है शायद गिल्लू डर रहा होगा। वो फिर किसी दिन आयेगा। इतना कह कर वो चले गए लेकिन पिंकी उन्हें देखती रही। वो सोचने लगी कि अगर railways ने इन्हें रिटायर ना किया होता तो ये दुनिया एक बेहतरीन इंसान का वजूद खो देती। उनके अंदर जानवरों तक के लिए प्यार है। वो इतने soft hearted हैं लेकिन इस बात का उन्हें कभी पता ही नहीं चला। अब जब वो बाहरी दुनिया में घुल मिल रहे हैं तो उनके अंदर का सच्चा इंसान धीरे धीरे बाहर आ रहा है। पिंकी उन्हें तब तक देखती रहीं जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गए।
मनोज जब घर पहुँचे तो उन्होंने देखा कि वही हुआ था जिसका उन्हें डर था। गिल्लू ने अंदर ही गंदगी फैला दी थी। वो ऐसे सहमा बैठा था जैसे उसे आज पक्का डाँट पड़ने वाली हो लेकिन मनोज ने मुस्कुराते हुए कहा कि डरने की बात नहीं, उन्हें पता है बादलों की गरज से वो डर गया होगा और डर के मारे उसका सब कुछ यहीं निकल गया। उन्होंने उसे प्यार से सहलाया जिसके बाद गिल्लू खुश हो कर उनके आसपास नाचने लगा। उन्होंने कहा कि वो मस्ती भी करेंगे लेकिन अभी वो पहले उसकी गंदगी हटा लें। फिर मनोज ने घर साफ़ किया, गिल्लू को कुछ खाने के लिए दिया और फिर पिंकी से आज हुई मुलाक़ात के बारे में सोचने लगे।
उन्हें याद आया कि पिंकी ने कहा कि वो उनके घर आयेंगी। क्या उन्हें पिंकी को घर खाने पर बुलाना चाहिए? कहीं वो ऐसा पूछने पर बुरा तो नहीं मान जाएंगी? नहीं, नहीं उन्होंने तो ख़ुद वादा लिया है कि वो उसे कुछ भी कह और पूछ सकते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा वो मना ही कर देंगी लेकिन कहीं उन्होंने उन्हें ग़लत समझ लिया तो? मनोज इस समय ख़ुद ही सवाल भी कर रहे थे और ख़ुद से ही जवाब भी दे रहे थे। आज पूरा दिन उनके दिमाग़ में यही चलता रहा। आख़िर में उन्होंने फैसला किया कि वो इसके बारे में राजू से सलाह लेंगे वही उन्हें बतायेगा कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
अगले दिन जब पार्क में वो राजू से मिले तो उन्होंने पूछा कि वो कल क्यों नहीं आया? राजू ने कहा जब वो उठा तो उसने देखा बादल छाये हुए थे। बारिश में एकदम से सब समेटना उसके लिए आफ़त हो जाता है इसलिए जब बारिश जैसा मौसम होता है तो वो नहीं आता। मनोज ने पूछा फिर तो उसका कल नुक़सान हुआ होगा? राजू ने बताया कि वो एक दिन भी नुक़सान नहीं झेल सकता इसलिए जब ऐसा कुछ होता है तो वो कोई दूसरा काम कर लेता है। बहुत ख़राब किस्मत होती है तब उसे ख़ाली बैठना पड़ता है। कहीं लगातार दो चार दिन ऐसा कुछ हो जाए कि उसे ख़ाली बैठना पड़े फिर तो घर का चूल्हा जलना भी मुश्किल हो जाता है लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं, सबके आशीर्वाद से उसे कोई ना कोई काम ज़रूर मिल ही जाता है। जैसे कि वो कल अपने एक मोहल्ले के एक भैया के साथ चला गया था। उनका लकड़ी का काम है। Indoor काम में बारिश से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता इसलिए उसे वहां मजदूरी मिल गई।
मनोज सोचने लगे कि राजू की ज़िंदगी कितनी मुश्किल है फिर भी वो कैसे इतना हंस लेता है। वो उसके बारे में सोचते हुए ये भूल ही गए कि उन्हें राजू से पिंकी को डिनर पर बुलाने के बारे में सलाह लेनी थी।
क्या मनोज पिंकी को डिनर के लिए पूछने की हिम्मत कर पाएंगे? आखिर राजू क्या सलाह देगा मनोज को?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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