नए दोस्त बनाने के चक्कर में मनोज को पार्क में काफ़ी टाइम लग गया। वैसे तो उनके पास टाइम ही टाइम था, वो चाहते तो अपना पूरा दिन कहीं भी बिता सकते थे लेकिन सुबह उनके घर नया मेहमान आया था और उसे चोट भी लगी थी। मनोज ने सोचा कहीं वो मेहमान नींद से उठ ना गया हो। वो ख़ुद को अकेला देख कर घबरा जाए शायद, या फिर से उसने उनका घर ना गंदा कर दिया हो। यही सब सोच कर वो घर की तरफ़ भागे। उन्होंने दरवाजा खोला तो देखा उनका नन्हा मेहमान जाग गया था और शायद उनका ही इंतज़ार कर रहा था। मनोज उससे इंसानों की तरह बात कर रहे थे। उन्होंने उससे कहा, ‘’सॉरी दोस्त, आज काफ़ी देर हो गई। ये राजू की बातें शुरू होती हैं तो खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं। लगता है काफ़ी देर पहले ही नींद खुल गई थी।''
अब बेचारा वो पपी उन्हें कैसे जवाब दे और क्या बताये कि उसकी क्या हालत हो रही थी? वो अचानक से लंगड़ाता हुआ घर से बाहर भागा। उसके चलने से लग रहा था कि उसके पैर की चोट में आराम है लेकिन इस तरह की उछल कूद से वो फिर से अपना पैर जख्मी कर सकता है। मनोज का कमरा फर्स्ट फ्लोर पर था। वो पपी सीढ़ियां देख कर रुक गया और इधर उधर देखने लगा। मनोज चौंक गए कि आख़िर वो जा कहाँ रहा है? वो सीढ़ियों के पास खड़ा होकर भौंकने लगा। मनोज समझ गए कि वो सीढ़ियां देख घबरा गया है।
उन्होंने उसे उठाया और सीढ़ियां उतार कर फिर से नीचे रख दिया। जिसके बाद वो भागता हुआ बाहर चला गया। मनोज वहीं खड़े रहे। वो देखना चाहते थे कि वो कर क्या रहा है। कुछ देर बाद वो ख़ुद ही वापस आ गया। मनोज उसे देख मुस्कुराए, वो समझ गए कि उनका नन्हा मेहमान काफ़ी समझदार है। दरअसल, उसे रात की बात याद थी कि जब उसने घर गंदा किया तो मनोज उसे बाहर छोड़ आए थे। इसीलिए वो दरवाज़ा खुलते ही बाहर भागा जिससे कि उनका घर ना गंदा हो। मनोज ने उसे उठा लिया। वो उससे कह रहे थे कि वो तो उनकी उम्मीद से भी ज़्यादा समझदार है। इतनी जल्दी तो इंसान नहीं बात समझते जितनी जल्दी उसने उनका इशारा समझ लिया।
उन्होंने उससे कहा कि अब तो वो कुछ दिन उनके ही पास रहने वाला है तो उसके लिए कोई नाम भी सोचना पड़ेगा, जिससे कि वो उसे पुकार सकें लेकिन उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि वो उसका क्या नाम रखें? वो उसके सामने इंसानों वाले नाम लेने लगे। वो जो भी नाम लेते पपी कूँ कूँ की आवाज़ निकालते हुए इधर उधर देखने लगता। इससे मनोज समझ रहे थे कि उन्हें उनके बताये नाम पसंद नहीं आ रहे। उन्होंने राजेश, रमेश, सुरेश, राहुल, गौरव, जैसे जितने भी नाम सुने थे सब उसके सामने लिए लेकिन वो इनमें से किसी भी नाम में interested नहीं था। वो बोल पाता तो उनसे कहता “दादा जी ऐसे नाम इंसानों के होते हैं। हमारे नाम अलग हैं।”
वो ऐसा बोल नहीं सकता था लेकिन मनोज ये समझ ज़रूर सकते थे। उन्हें लगा कि उन्हें एकबार इंटरनेट की मदद लेनी चाहिए। उन्होंने अपना कीपैड वाला पुराना फ़ोन निकाला और इंटरनेट ब्राउज़र पर कुत्तों के नाम सर्च करने लगे। छोटी सी स्क्रीन पर वो बड़ी मुश्किल से पढ़ पा रहे थे। उन्होंने ब्रूनो, चार्ली, मैक्स जैसे कुछ नाम देखें मगर उन्हें ख़ुद ये नाम पसंद नहीं आए। वो उसका कुछ देसी नाम रखना चाहते थे जिससे उन्हें उसे पुकारने में आसानी हो।
फिर उन्हें महादेवी वर्मा की लिखी हुई कहानी गिल्लू की याद आई। उन्हें ये नाम पसंद था। उन्होंने सोचा कि जब एक गिलहरी का ये नाम हो सकता है तो फिर एक पपी का क्यों नहीं? यही सोच कर उनके मुँह से निकल गया गिल्लू! जिसे सुनते वो पपी उठ खड़ा हुआ और जीभ निकाल कर अपनी पूंछ हिलाने लगा। मनोज समझ गए कि उसे भी ये नाम पसंद आया है। उन्होंने कहा, ‘’ तो दोस्त आज के बाद तुम्हारा नाम गिल्लू हुआ, जब मैं गिल्लू कहूं तो समझ जाना मैं तुम्हें ही बुला रहा हूँ। वैसे यार गिल्लू तुम हो बहुत समझदार। मैं सोच रहा था तुम्हें manners सिखाने पड़ेंगे लेकिन तुम तो ख़ुद से ही सब सीख रहे हो। लगता है किसी संस्कारी परिवार से हो। चलो तुम्हारे लिए नाश्ते का इंतज़ाम किया जाए। हां एक बात और रूखा सूखा जो मिले वो खाना पड़ेगा। मैं अंडा छोड़ कर और कुछ नॉनवेज नहीं खाता। इसलिए चिकन विकन तो तुम भूल ही जाओ। एक आध बार तुम्हारे लिए ऑमलेट बनाया जाएगा। पसंद आया तो ठीक नहीं तो फिर कुछ और देखेंगे। आगे का पता नहीं लेकिन मॉर्निंग में मैं वॉक पर जाता हूं तो तुम उतनी देर मैनेज कर लेना। उसके बाद से मैं घर पर ही रहूँगा, तब कोई टेंशन नहीं होगी। तुम थोड़ा ठीक हो जाओ तो मैं बाहर घुमाने भी ले जाऊँगा। रात को मुझे disturb मत करना, मैं चिढ़ जाता हूँ। बाक़ी अगर इस घर के नियम क़ानून नहीं माने तो जानते हो ना, मैं क्या करूंगा? सही समझे उठा के वहीं रख आऊंगा जहाँ से लाया हूँ। ‘’
गिल्लू उनकी हर बात को बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसके बाद मनोज ने गिल्लू के लिए ऑमलेट बनाया जिसे वो मिनटों में चट कर गया। मनोज ने सोचा ऑमलेट इसे पसंद तो आया लेकिन शायद इसे कुछ ज़्यादा खाने को चाहिए। वो घर के काम करते हुए सोचने लगे गिल्लू को खाने में क्या दिया जाए। उन्होंने एक दो चीज़े फाइनल कीं, जो गिल्लू को भी पसंद आईं। इसके बाद उन्होंने उसे नहलाया और उसकी पट्टी बदली। उसका पैर का ज़ख़्म जल्दी भर रहा था। यही सब करते हुए पूरा दिन कब बीत गया उन्हें पता भी नहीं चला। धीरे धीरे वो उससे बातें भी करने लगे थे। मनोज को उतना एहसास भले ना हो रहा हो लेकिन वो आम दिनों के मुक़ाबले आज काफ़ी ज़्यादा खुश थे। उन्हें बिना शराब के आज बेहद सुकून की नींद आई।
जैसे जैसे उन्हें ख़ुद को खुश रखने के तरीक़े मिल रहे थे वैसे-वैसे वो ट्रेन वाले सपने उन्हें कम दिखने लगे थे। हमेशा की तरह वो तैयार हुए और वॉक के लिए पार्क निकल गए। वो अभी पार्क पहुंचे ही थे कि इतने में बारिश शुरू हो गई। आज वो कुछ जल्दी आ गए थे। राजू भी अभी तक नहीं आया था। वो अब वापस घर जाते तो भीग जाते इसीलिए वो पार्क में बनी शेड की तरफ़ चले गए। पार्क में अभी काफ़ी कम लोग थे। जैसे ही वो शेड में पहुंचे उन्होंने देखा कि पिंकी वहाँ बैठी बाहर हो रही बारिश को निहार रही थीं। मनोज बारिश होने पर जितने अपसेट थे, पिंकी को देख उससे ज़्यादा खुश हो गए। वो बिना कुछ बोले पिंकी के बगल में जा कर बैठ गए। उनके आने की आहट की वजह से पिंकी का ध्यान बारिश की तरफ़ से हट कर उनपर चला गया। पिंकी ने देखा मनोज नजरें चुरा रहे थे। पिंकी ने बात की शुरुआत करते हुए कहा, ‘’अगर ऐसे ही चुपचाप रहना था तो फिर दोस्ती ही क्यों की? आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि जब हम दोस्तों से मिलते हैं तो हैलो हाय करते हैं, उनका हाल चाल पूछते हैं। ऐसे बगल में आ कर चुपचाप नहीं बैठ जाते।''
मनोज(घबराते हुए)- नहीं वो मैंने देखा आप बारिश enjoy कर रही थीं इसलिए आपको disturb नहीं किया।
पिंकी(नार्मल)- Oh Come on! मनोज जी, दोस्ती में कोई formality नहीं होती बल्कि दोस्त तो उल्टा डिस्टर्ब करते हैं जिससे कि सामने वाला उनकी ओर ध्यान दे। आपको अब मुझसे बात करने के लिए कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं है। आप मुझसे कोई भी बात शेयर कर सकते हैं, कुछ भी पूछ सकते हैं। मैं हर बात का जवाब दूँगी और मान लीजिए कि मुझे जवाब देने का मन नहीं तो ज़्यादा से ज़्यादा आपको मना कर दूँगी। इसमें इतना क्या सोचना? तो promise करिए कि अब के बाद आप मुझे कुछ भी कहने से डरेंगे नहीं।
पिंकी ने इतना कहते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मनोज ने भी शर्माते हुए उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया। वैसे तो रिटायरमेंट के बाद बहुत कुछ ऐसा था जो मनोज की ज़िंदगी में पहली बार हुआ था लेकिन किसी लेडी से उनका पहला टच सबसे खास था। उन्हें अपने अंदर एक अलग सी sensation महसूस हुई। जबकि उन्होंने अभी तक पिंकी को सिर्फ़ दोस्ती वाले नजरिये से ही देखा था। उन्हें समझ नहीं आया कि आख़िर उन्हें ये क्या हो रहा है लेकिन जो भी था वो एक गुदगुदी की तरह था जिससे उन्हें अच्छा महसूस हुआ था।
इधर उधर की कुछ बातें करने के बाद मनोज ने पूछा कि आपकी उम्र कितनी होगी? ये सवाल सुन के पिंकी का मुंह हैरानी से ऐसे खुला जैसे मनोज ने कितना ग़लत सवाल पूछ लिया हो। मनोज की तो साँसें ही रुक गईं। वो मन ही मन सोच रहे थे कि उन्होंने आख़िर ऐसा क्या ग़लत पूछ लिया जो पिंकी हैरान हो गई। पिंकी ने पूछा, क्या उन्हें नहीं पता लेडीज़ से उनकी उम्र नहीं पूछी जाती? मनोज ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उन्होंने ही तो अभी अभी कहा कि वो दोस्त हैं और कुछ भी पूछ सकते हैं। पिंकी ये सुनकर हँसने लगीं और मनोज उनकी हँसी में खो गए। पिंकी ने कहा बात तो ठीक कही आपने। पिंकी ने अपनी सही age बताते हुए कहा कि वो 55 साल की हैं next month वो 56 की होने वाली हैं।
मनोज ने कहा हाँ उन्होंने भी यही सोचा था कि उनकी उम्र 55 के आसपास होगी। पिंकी को इस बात पर भी हँसी आ गई क्योंकि उन्हें अपनी उम्र बताने के बाद सामने वालों से ऐसे नार्मल reaction की आदत नहीं थी। उन्होंने अपनी बॉडी को अच्छे से maintain किया हुआ था इसलिए वो जब भी किसी को अपनी असली उम्र बताती थीं तो सामने वाले उनकी बात को सच मानने के बावजूद हैरान होने का नाटक करते हुए कहते थे कि देखने से नहीं लगता कि उनकी इतनी उम्र होगी, वो तो मुश्किल 35-40 की लगती हैं। भले ही तब पिंकी तब खुश होने का दिखावा करती हों लेकिन उन्हें लोगों का ऐसे बटरिंग करना बिल्कुल पसंद नहीं था। मनोज पहले इंसान थे जिन्होंने सच बोलते हुए कहा था कि वो 55 की लगती हैं और पिंकी को ये बात पसंद आई थी।
बारिश पहले के मुक़ाबले तेज़ हो गई थी। मनोज ने ये फ़िक्र जतायी कि तेज़ बारिश में उनका घर जाना मुश्किल हो जाएगा। पिंकी ने जवाब दिया घर में है ही कौन जिसके लिए वो घर जाएं? उसे बारिश को बरसते देखना अच्छा लगता है। मनोज सोचने लगे कि बारिश तो बारिश होती है, इसमें भीगने से इंसान बीमार होता है बस। फिर इसे बरसते हुए देखने में क्या मजा हो सकता है? वो इस बारे में सोचते रहे और पिंकी बरसती बूँदों को मुस्कराते हुए देखती रही।
क्या ये बारिश इन दोनों की दोस्ती को और मजबूत करेगी? क्या होगा मनोज की ज़िंदगी में आगे?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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