मनोज पिंकी को अपना दोस्त बनाना चाहते थे लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रही थी कि आख़िर वो ये बात उनसे कैसे कहें? तभी पिंकी ने कहा कि उन्हें पता है उनके दिल में क्या चल रहा है। अब वो ये सोचकर हैरान थे कि आख़िर पिंकी को कैसे पता चला कि उनके मन में क्या चल रहा है। उनके बोलने से पहले ही पिंकी ने कहा कि वो जानती है उन्हें उनका योगा session अच्छा लगा इसलिए वो अब क्लास ज्वाइन करना चाहते हैं। पिंकी ने अपनी तारीफ़ करते हुए कहा कि उसे तो पहले से ही यकीन था वो योगा क्लास ज्वाइन करने आयेंगे ही क्योंकि वो सिखाती ही इतना अच्छा हैं। मनोज अब समझे कि पिंकी दोस्ती नहीं बल्कि योगा क्लास के बारे में बात कर रही थी।
अब तो मनोज की और भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो पिंकी को फ्रेंडशिप के लिए प्रपोज़ करें। दूर खड़ा राजू अपनी टपरी से ही ये सब देख रहा था। उसको अब मनोज जी पर गुस्सा आ रहा था कि वो आख़िर पिंकी से अपने दिल की बात कह क्यों नहीं पा रहे? उसे लगा कि अब उसे ही मोर्चा संभलना होगा नहीं तो मनोज और पिंकी की दोस्ती कभी नहीं हो पाएगी। इधर पिंकी अपनी योगा क्लास का पूरा पैकेज मनोज को समझा चुकी थीं। भले ही मनोज को उनकी एक भी बात समझ में नहीं आई थी मगर फिर भी वो हर बात पर सिर हिला रहे थे। पिंकी अभी भी अपनी क्लास के बारे में बता रही थी तभी उन्होंने सामने से राजू को आते देखा।
पिछले कुछ दिनों से वो राजू से अच्छे से नहीं मिल पायी थी इसलिए उसे अपनी तरफ़ आते देख वो खुश हो गईं। राजू ने उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते कहा, जिसका जवाब देते हुए पिंकी ने उसके बाल सहला कर उसे आशीर्वाद दिया। उन्होंने राजू का हाल चाल पूछा। मनोज राजू को देख कर और परेशान हो गए क्योंकि उन्हें पता था ये बदमाश कोई ना कोई बदमाशी ज़रूर करेगा। उन्हें नहीं पता था कि पिंकी और राजू एक दूसरे को इतनी अच्छी तरह जानते हैं। राजू ने मनोज की तरफ़ इशारा करते हुए पिंकी से पूछा कि क्या वो इनसे मिली हैं? पिंकी ने कहा कि अभी अच्छे से मुलाक़ात तो नहीं हो पायी है लेकिन फिर भी वो उनको काफ़ी हद तक जान गई हैं।
राजू ने कहा कि इनका नाम मनोज देसाई है और ये रेलवे में अनाउंसर थे। अपने शहर के स्टेशन पर सबसे ज़्यादा सुनाई पड़ने वाली अनाउंसमेंट यही किया करते थे। अभी कुछ दिनों पहले ही रिटायर हुए हैं। राजू मनोज का introduction ऐसे दे रहा था जैसे वो मनोज का guardian हो और वो कोई बच्चे हों जिसका स्कूल में एडमिशन कराना है। मनोज हाथ बाँधे और सिर झुकाये पिंकी के सामने खड़े थे और राजू उनके बारे में बताए जा रहा था। ये देखकर पिंकी को हँसी आ गई। मनोज हैरानी से उन्हें देखने लगे कि भला इसमें हँसने की क्या बात है? राजू ने पूछा वो क्यों हंस रही हैं? पिंकी ने कहा कि मनोज जी का introduction वो क्यों दे रहा है?
राजू ने कहा यही तो इनकी दिक्कत है। ये सारी उम्र काम में इतना डूबे रहे कि बाहरी दुनिया से इनका कोई कनेक्शन ही नहीं रहा। वो ये जो कुछ भी देख रही हैं ये सब बदलाव इनमें पिछले एक हफ्ते में ही आया है, वरना ये तो सारा दिन अपने कमरे में ही पड़े रहते थे। इन्हें लोगों से बात करने में भी डर लगता है। इन्हें लगता है सामने वाला इन्हें खा जाएगा। पिंकी ने कहा ये तो ग़लत बात है, अगर आपकी बात सही हो तो फिर उसे कहने में कोई हर्ज नहीं।
राजू ने कहा यही तो वो कबसे इन्हें समझा रहा है कि सही बात हो तो बिना डरे कह देनी चाहिए। राजू ने पिंकी से पूछा कि अब वही बतायें कि दोस्ती करना सही बात है या ग़लत? पिंकी ने कहा बिल्कुल सही है, दोस्त नहीं होंगे तो ज़िंदगी में सूनापन ही भरा रहेगा। लोग बातें किससे करेंगे, अपनी प्रॉब्लम्स किससे शेयर करेंगे? राजू ने कहा, ‘’ पिंकी आंटी हम भी सेम यही बात इन्हें कब से समझा रहे हैं लेकिन ये हैं कि समझने का नाम ही नहीं ले रहे। अब देखिए ना इन्होंने आज हमें फूल देकर हमसे दोस्ती की, ऐसे ही इन्होंने बाकियों को भी फूल दिया और उनसे पूछा कि क्या वो इनके दोस्त बनेंगे? सबने हाँ कहा और फूल देखकर खूब खुश हुए। ऐसे ही ये आपको भी अपना दोस्त बनाना चाहते हैं, इसमें कुछ ग़लत तो है नहीं। फूल आपने ले ही लिया है अब बस इनका पूछना बाक़ी है कि पिंकी जी क्या आप मेरी दोस्त बनेंगी? मुझे पक्का यकीन है आप मना थोड़े ना करेंगी। सबसे इन्होंने पूछ लिया आपसे पता नहीं क्यों डर रहे हैं?''
राजू की बातें सुन कुछ seconds के लिए उन तीनों के आसपास सन्नाटा छा गया। मनोज का तो मन हुआ एक रख कर दे राजू को। उन्हें डर लग रहा था कि अब पता नहीं पिंकी उनके बारे में क्या सोचेंगी। पिंकी बोलीं कि अब उनके बोलने की क्या ज़रूरत है, सारी बातें तो राजू ने बोल दीं अब दोस्ती के लिए भी वही पूछ ले। मनोज को लगा पिंकी ने ये सब गुस्से में कहा है। पिंकी ने उनका गुलाब उन्हें वापस कर दिया और उनसे दूर जा कर खड़ी हो गईं। मनोज समझ गया कि राजू ने सब गुड़ गोबर कर दिया अब पिंकी उनसे नाराज हो गई लेकिन तभी पिंकी उन्हें डांटते हुए बोलीं कि वो खड़े खड़े देख क्या रहे हैं? पास आएं और जैसे दूसरों से दोस्ती के लिए पूछा वैसे ही उन्हें भी फूल देकर दोस्ती के लिए पूछें। मनोज ये सुनकर हैरान थे। तभी राजू ने उन्हें धीरे से धक्का देते हुए कहा कि अब उनके पास जाइए।
मनोज आगे बढ़े और पिंकी की ओर लाल गुलाब बढ़ाते हुए बोले कि क्या वो उनसे दोस्ती करेंगी? पिंकी ने मुस्कुराते हुए उनसे गुलाब लिया और बोलीं कि बिल्कुल बनेंगी, अब से वो उनकी दोस्त हैं। वो कभी भी उनसे मिल सकते हैं, किसी भी तरह की बात शेयर कर सकते हैं और तो और अब उन्हें योगा क्लास ज्वाइन करने पर स्पेशल डिस्काउंट भी मिलेगा। सभी हँसने लगे। पिंकी ने कहा देखा ये इतना भी मुश्किल नहीं था। उन्हें अपने अंदर के सारे डर को बाहर निकालना होगा और अपनी बात को बिना डरे कहना सीखना होगा। मनोज ने कहा कि वो आगे से ऐसा ही करेंगे।
राजू उन दोनों की दोस्ती देख कर बहुत खुश था। इसके बाद पिंकी अपनी क्लास लेने में बिज़ी हो गईं। उन्होंने मनोज से पूछा कि क्या वो क्लास ज्वाइन करेंगे? मनोज ने कहा कि वो कल से ज्वाइन करेंगे। इसके बाद राजू और मनोज उसकी टपरी पर लौट आए। मनोज ने देखा कि राजू अपनी टपरी ऐसे ही छोड़ कर चला गया था। उन्होंने उसे डांटते हुए कहा कि उसने ऐसा क्यों किया? इतनी देर में उसके कितने कप चाय के बिक जाते। राजू ने कहा कि काम उसके लिए ज़रूरी है लेकिन हमेशा काम को सबसे ज़रूरी माना जाये ये भी सही नहीं। उसकी ज़िंदगी के दो सबसे फ़ेवरेट लोगों की दोस्ती कराना फ़िलहाल काम से ज़्यादा ज़रूरी था इसलिए वो टपरी छोड़ कर गया था।
राजू ने मनोज जी को अपने फ़ेवरेट की लिस्ट में रखा था जो सुन कर उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्होंने पूछा कि पिंकी से उसकी जान पहचान कैसे हुई? राजू ने बताया कि उसके पिता गांव में मेहनत मजदूरी कर के घर चलाते थे। वो भी छोटी उम्र से उनके साथ काम करने लगा था। वो नौवीं तक ही पढ़ पाया था। घर के हालात ठीक नहीं थे। ऊपर से तीन साल पहले उसके पिता भी चल बसे। गांव में भी अब इतना कम नहीं था कि घर सही से चल सके। उसे अपनी बहन की शादी के लिए भी पैसे जोड़ने थे। इसीलिए दो साल पहले वो अपने परिवार के साथ इस शहर में चला आया। उसने बहुत जगह छोटा मोटा काम किया लेकिन उसे समझ आ गया कि नौकरी कर के वो कुछ ज़्यादा नहीं कर पायेगा। उसे कोई अपना काम करना पड़ेगा लेकिन उसके लिए पैसे भी तो चाहिए थे। फिर उसने हर जगह घूम कर पता किया तो मालूम पड़ा कि चाय का काम सबसे कम लागत में शुरू हो जाएगा और अगर चल पड़ा तो इसमें कमाई भी काफ़ी हैं। उसने चाय का काम शुरू करने का मन बनाया लेकिन इस शहर में हर जगह चाय की टपरी है। एक दिन वो सुबह किसी काम से बाहर निकला तो उसे इस पार्क में जमा भीड़ देख कर आइडिया आया कि क्यों ना वो पार्क के बाहर चाय बेचे। यहाँ इतने लोग आते हैं और चाय तो लगभग सबकी पसंद है। यही सोच कर उसने एक स्टॉल और चाय बनने का ज़रूरी सामान इकट्ठा किया और यहाँ चाय बेचनी शुरू कर दी।
उसकी बातों और उसकी चाय ने थोड़े ही दिनों में उसका धंधा जमा दिया। तब तक पिंकी आंटी से उनकी नमस्ते जितनी पहचान हो गई थी। दो महीने उसका काम ठीक चला लेकिन फिर एक दिन कुछ लोग आए और उसकी छोटी सी दुकान हटा दी। उन्होंने कहा कि वो ऐसे ही कहीं भी दुकान नहीं खोल सकता। उसे इसके लिए नगर निगम से परमिशन लेनी पड़ेगी। अब गांव के इस राजू को क्या पता कि नगर निगम क्या है और परमिशन कैसे ली जाती है। वो वहां बैठ कर रोने लगा क्योंकि उसने ब्याज पर पैसे लेकर ये काम शुरू किया था। इतने लोग उसके पास आते थे, उसकी चाय पीते अच्छी अच्छी बातें करते लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।
वो अपना सामान समेट कर वहां से जा ही रहा था कि पिंकी आंटी आई और उससे पूछने लगी की वो रो क्यों रहा है? उसने उन्हें सारी बात बतायी जिसके बाद वो अंदर गईं और दस मिनट बाद आ कर उससे कहा कि वो अभी घर जाये और सुबह 10 बजे उसे इसी पार्क के बाहर मिले, उसका काम हो जाएगा। राजू ने बताया कि उन्होंने उसी दिन उसका सारा काम करवा दिया और फिर उसे आजतक किसी ने दुकान के लिए नहीं टोका। वो हमेशा किसी ना किसी तरह लोगों की मदद करती रहती हैं। उसे तो वो बच्चे की तरह मानती हैं। कोई भी त्योहार हो या खास दिन हो वो उसके लिए और उसके परिवार के लिए गिफ्ट्स लाती हैं। हमेशा पूछती रहती हैं कि उसे किसी तरह की दिक्कत तो नहीं।
राजू की बातें सुन कर मनोज को थोड़ी देर के लिए ख़ुद पर गुस्सा भी आया क्योंकि उसने पिंकी को बिना जाने कुछ देर के लिए उसके कपड़ों से जज किया था जबकि वो कौन होता है किसी के बारे में कुछ बोलने वाला? अब राजू से उनके बारे में जान कर मनोज के दिल में उनको लेकर और भी ज़्यादा रिस्पेक्ट बढ़ गई।
आज उन्हें पार्क में काफ़ी टाइम लग गया था। उन्होंने जैसे ही टाइम देखा उन्हें याद आया कि घर पर एक मेहमान उनका इंतज़ार कर रहा होगा। वो अचानक से उठे और तेज़ी से घर की तरफ़ बढ़ चले। राजू भी सोच में पड़ गया कि ये इंसान हमेशा ऐसे अचानक से क्यों भाग जाता है?
पिंकी और मनोज की दोस्ती कैसे बढ़ेगी आगे? क्या मनोज अपने घर आए नए मेहमान के साथ adjust हो पायेंगे?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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