कल पार्क से लौटते हुए मनोज को एक पपी मिला था, जिसके पैर में चोट आई थी। उसकी हालत देख मनोज का भी दिल पिघर गया। वो उसे घर ले आए उसकी मरहम-पट्टी की, खाना दिया और कमरे के एक कोने में सोने के लिए बिस्तर भी लगा दिया। ऐसा नहीं था कि उन्हें जानवरों से लगाव था वो तो बस उसका दर्द नहीं देख पाए इसीलिए उसे घर ले आए लेकिन एक दिन में ही उनकी हालत ख़राब हो गई और फिर हद तो तब हो गई जब उस पप्पी ने घर में ही पॉटी कर दी। मनोज समझ गए कि ये उनके बस की बात नहीं वो उस पपी को बाहर छोड़ आए। जब वो लौटने लगे तो उसका चेहरा ऐसा था जैसे वो कह रहा हो कि उसे ऐसे छोड़ कर ना जाओ, उसका पैर दर्द कर रहा है इसलिए उसने ऐसे किया, वो बहुत अच्छे से रहेगा, प्लीज़ उसे साथ ले चलो।

एक बार को तो मनोज को फिर से तरस आया लेकिन वो अपना दिल मजबूत कर के वहां से चले आए। अभी पार्क जाने में दो घंटे बचे थे। मनोज सो सकते थे लेकिन अब उनकी आंखों में नींद कहाँ थी? वो लगातार उस पपी के बारे में सोचे जा रहे थे। क़रीब एक घंटा बीतने के बाद उन्हें ख्याल आया कि कल उनका पूरा दिन कैसे बीता उन्हें पता ही नहीं चला। वो कभी उस पप्पी के लिए खाना बना रहे थे, कभी उसके ज़ख्म पर दवाई लगा रहे थे। कभी उसे चैन की नींद सोते देख रहे थे। इन्हीं सबके बीच उनका दिन बड़े आराम और सुकून से कटा और सबसे बड़ी बात उन्हें एक बार भी ड्रिंक करने का ख्याल नहीं आया।

मनोज को झट से याद आया कि जब वो हॉबीज़ की लिस्ट ढूँढ रहे थे तो उन्होंने पढ़ा था Pet पालना भी एक हॉबी ही है। मनोज को लगा कि शायद ये उनके लिए इशारा था। वो उस पपी को घर में रख सकते हैं, उसे training दे सकते हैं जिससे वो पॉटी सूसू सब रूम से बाहर जा कर करे। हो सकता है कि ये जानवर उनकी ज़िंदगी में फैले सूनेपन को कुछ हद तक भर दे। यही सोच कर वो उठे और उसे वापस लाने के लिए निकल पड़े। मनोज जब वहां पहुँचे तो उन्होंने देखा वो पपी वहां नहीं था। उसकी बोरी वहीं पड़ी हुई थी लेकिन वो ग़ायब था। मनोज चारों तरफ़ उसे ढूंढने लगे। कुछ देर इधर उधर देखने के बाद उन्होंने देखा कि वो बेचारा कचरे से कुछ खाने के लिए ढूँढने की कोशिश कर रहा था। चलने की कोशिश में उसके पैरों की पट्टी भी खुल गई थी। मनोज को देखते ही वो पपी फिर से चहकने लगा, जैसे कह रहा हो मुझे छोड़ कर कहाँ चले गए थे? मनोज ने उसे उठाया और घर ले आए।

उन्होंने उसके ज़ख़्म को फिर से साफ़ किया उसकी मरहम पट्टी की और फिर उसके लिए एक बढ़िया सा बिस्तर लगा दिया। उन्हें अब इस बात की फ़िक्र नहीं थी कि वो उस बिस्तर को गंदा कर देगा। उन्होंने उसको खाने के लिए कुछ दिया और फिर ख़ुद पार्क जाने के लिए तैयार होने लगे। मनोज को समझ नहीं आ रहा था कि उसे आराम से खाता देख उन्हें अच्छा क्यों लग रहा है? वो धीरे धीरे समझने लगे कि जब हम किसी को अपनी वजह से खुश होता देखते हैं तो वो ख़ुशी वापस हमारे पास ही आती है। उन्हें अब खुश रहने का एक नया मंत्र मिल गया कि ख़ुद खुश रहने के लिए दूसरों को खुश रखो।

उनका नया दोस्त खा पी कर मस्त सो गया था। उन्होंने सोचा जबतक वो उठेगा तब तक वो पार्क से वापस आ जाएंगे और फिर उसे बाहर ले जाएंगे। यही सोच कर वो पार्क के लिए निकल गए। उन्हें लगा कि उन्हें अब नए दोस्त बनाने चाहिए क्योंकि इसी तरह से उनकी ज़िंदगी का सूनापन दूर होगा। फ़िलहाल वो राजू और पिंकी के बारे में सोच रहे थे। भले ही राजू उम्र में उनसे बहुत छोटा था लेकिन उसकी बातें उन्हें बहुत कुछ सिखा रही थीं। उन्हें समझ आ रहा था कि सिर्फ़ हम उम्र ही उनके दोस्त हों ऐसा ज़रूरी नहीं होता, जिनसे मिलना बातें करना और उनकी समझायी बातों को ज़िंदगी में उतारना आपको पसंद हो वो सब आपके दोस्त होते हैं।

मनोज आज कुछ ऐसा करने की सोच रहे थे जो आज से पहले उनके लिए नामुमकिन जैसा था। उन्होंने पार्क से पहले एक फ्लावर शॉप से ढेर सारे गुलाब के फूल लिए और सोचा कि वो आज लोगों को गुलाब देकर उन्हें खुश करेंगे। उनका सबसे पहला गुलाब उनके उस टीचर को जाने वाला है जो उन्हें ज़िंदगी जीने के तरीक़े सीखा रहा है। जब वो पार्क में पहुंचे तो एक अलग ही रंग में लग रहे थे। उनके चेहरे पर स्माइल और हाथों में रंग बिरंगे गुलाब थे। सबसे पहले वो राजू के पास गए। राजू उन्हें देख कर हैरान हो गया। उसने देखा कि आज मनोज बहुत बदले लग रहे हैं मगर उसे समझ नहीं आया कि उन्होंने इतने सारे गुलाब क्यों लिए हुए हैं? उसने तो देखा था कि कोई जब किसी से प्यार करता है तब उसे गुलाब देता है। राजू सोचने लगा कि कहीं रेलवे वाले बाबू को भी इस उम्र में किसी से प्यार तो नहीं हो गया? उसने मनोज से कहा, ‘’ सर हमने आपको दोस्त बनाने की सलाह दी थी। आपने तो अपने लिए गर्लफ्रेंड ही चुन ली लेकिन ध्यान से हमने गुलाब देने वालों को प्यार और मार दोनों मिलते देखा है।''

मनोज(खुल कर हँसते हुए)- बदमाश कहीं का, अरे ये सब मैं दोस्त बनाने के लिए ही लाया हूँ। प्यार व्यार वाली उम्र नहीं रही अब हमारी।

राजू(नार्मल)- ऐसा मत कहिए सर, आप बस हाँ करिए फिर देखिए कितनी आंटी जी लोग आपके आगे पीछे फिरेंगी। वैसे किस किस को दोस्त बनाने वाले हैं आप? पिंकी आंटी को तो पक्का दोस्त बनाएंगे आप।

मनोज(शर्माते हुए)- वो तो बाद की बात है लेकिन सबसे पहला दोस्ती का गुलाब जेंटलमैन राजू की दोस्ती में पेश करना चाहेंगे हम। राजू जी क्या आपको इस बुड्ढे की दोस्ती मंज़ूर है?

राजू को यकीन नहीं हो रहा था कि मनोज उसे गुलाब देकर उनकी तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं। उसकी आँखों में आँसू साफ़ दिखने लगे। मनोज हैरान रह गए कि उन्होंने ऐसा क्या कह दिया जो राजू ऐसे emotional हो गया। उसके आसपास तो इतने लोग होते हैं, उससे बातें करते हैं, उसे पसंद करते हैं लेकिन फिर वो उनके गुलाब देने पर ऐसे क्यों रोनी सूरत बना रहा है? उन्होंने राजू से पूछा कि वो क्यों रोने लगा? राजू ने कहा, ‘’सर, पूरा दिन भीड़ से घिरे रहते हैं, बहुत लोग आते हैं, चाय पीते हैं हँसते हैं, तारीफ़ करते हैं लेकिन इन सबके बीच ना एक ग़रीबी और अमीरी की बारीक सी लाइन है जिसे क्रॉस कर के किसी ने आजतक नहीं कहा कि राजू तुम हमारे दोस्त हो। हम सबके लिए एक अच्छे चाय वाले से ज़्यादा कुछ नहीं हैं सर और इस बात का हमें दुख नहीं बल्कि ख़ुशी होती है मगर आप जैसे बाबू लोग आज जब ये गुलाब देकर हमसे दोस्ती करने को कह रहे हैं तो लग रहा है जैसे कोई खजाना मिल गया हो हमको। आपकी दोस्ती हमको एकदम मंजूर है सर।''

राजू ने मनोज का दिया हुआ पीला गुलाब लेकर अपने माथे से लगा लिया और उसे सम्भाल कर रख दिया। राजू ने पूछा कि वो बाकि के गुलाब किसे देने वाले हैं? मनोज ने कहा, जो लोग उन्हें इतने दिनों में पहचानने लगे हैं वो उन सबको गुलाब देंगे और उन्हें अपना दोस्त बनाने की कोशिश करेंगे। राजू ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें शर्म नहीं आ रही कि लोग क्या कहेंगे? मनोज ने मुस्कुराते हुए कहा कि उन्हें उनके एक नन्हे दोस्त ने कहा था कि अगर वो लोगों के बारे में सोचेंगे, तो हमेशा अकेले ही रह जायेंगे, इसलिए जो मन में आए वो कर लेना चाहिए। राजू समझ गया कि उन्होंने उसकी कहीं बातों पर गौर किया था। राजू ने मज़ाक़ में कहा उनका दोस्त काफ़ी समझदार लगता है। मनोज मुस्कुराए और वहां से चल दिए।

मनोज आज उन सबको गुलाब दे रहे थे जो उन्हें हर रोज़ दूर से ही सिर हिला कर Hi कहा करते थे। वो सबको गुलाब देते हुए पूछते कि क्या वो उनके दोस्त बनेंगे? हर कोई आगे से मुस्कुरा कर जवाब देता “हाँ, वो अब से दोस्त हैं।” जैसे जैसे उनके दोस्तों की संख्या बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे उनकी ख़ुशी भी सातवें आसमान पर पहुँच रही थी लेकिन अचानक से उनके दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर ऐसा हो क्यों रहा है, उन्होंने तो सिर्फ़ सामने से पिंकी जी को आते देखा था। पिंकी जी ये देख कर सोच में पड़ गई कि मनोज जी आज सबको गुलाब क्यों बांट रहे हैं? फिर उन्हें लगा शायद उनका बर्थ डे हो इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं। वो उनके नजदीक आ गई थीं। मनोज के हाथ में अब बस एक लाल गुलाब ही बचा था।

पिंकी जी ने पूछा क्या आज उनका बर्थडे है? मनोज कुछ बोल नहीं पा रहे थे। उन्होंने बस सिर हिला दिया। वो चाहते थे कि वो पिंकी को भी रोज़ दें लेकिन उन्होंने इंटरनेट पर पढ़ा था कि रेड रोज़ प्रपोज़ करने के लिए अपनी लवर को दिया जाता है। उन्हें डर लग रहा था कि कहीं पिंकी उन्हें ग़लत ना समझ ले। पिंकी ने पूछा कि वो ऐसे सबको गुलाब क्यों दे रहे हैं? मनोज को कुछ सूझा नहीं तो उन्होंने कह दिया उनके छोटे से balcony गार्डन में काफ़ी गुलाब खिले थे तो उन्होंने सोचा क्यों ना सबको एक एक गुलाब दे दिया जाये। बस इसीलिए वो सबको गुलाब दे रहे थे। इससे सबको बहुत ख़ुशी हो रही है और उन्हें खुश देखकर वो भी खुश हैं।

इतने में पिंकी ने ख़ुद ही उनके हाथों से गुलाब लेते हुए कहा तब तो वो भी एक लेंगी। क्योंकि वो मनोज जी को खुश देखना चाहती हैं। उन्होंने जाते हुए उनके फूल की तारीफ़ की। मनोज उन्हें जाने नहीं देना चाहते थे। उनका मन था कि वो आज उनसे बात करें और उन्हें अपनी दोस्ती ऑफ़र करें लेकिन वो ख़ुद में इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। वो फिर भी हिम्मत कर के पिंकी के पास गए। पिंकी ने उन्हें अपनी तरफ़ आते देख पूछ लिया कि क्या उन्हें कुछ बात करनी है?

मनोज ने हाँ में सिर हिलाया। पिंकी को पक्का यकीन था कि कल उन्हें योगा session पसंद आया होगा इसलिए वो योगा क्लास ज्वाइन करने के बारे में ही बात कर रहे होंगे। पिंकी को नहीं पता था कि मनोज के दिल में क्या चल रहा है। पिंकी ने कहा वो जानती हैं उनके मन में क्या सवाल चल रहे हैं। मनोज ये सोच कर हैरान थे कि पिंकी को कैसे पता चला कि वो उनसे दोस्ती करना चाहते हैं!

क्या मनोज पिंकी से अपने दिल की बात कह पायेंगे? क्या पिंकी और मनोज की दोस्ती हो पाएगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

     

 

 

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