मनोज अपने कुछ यंग जूनियर्स को पार्क में देखकर योगा session बीच में ही छोड़ कर भाग आए थे। वो राजू के पास आ कर छुप गए थे। जिसके बाद राजू ने उन्हें समझाया कि वो जो करना चाहते हैं वो करें, लोगों के बारे में इतना ना सोचें। मनोज उसकी बातों को गौर से सोचने लगे। उन्हें याद आया कि एक वो मनोज भी था जिसने पहली बार रेलवे अनाउंसर की आवाज़ सुनी और तय कर लिया कि वो बड़ा होकर यही बनेगा। उसने इसके लिए कितनी मेहनत की। उसके पिता चाहते थे वो किसान बने लेकिन उन्होंने उनकी भी नहीं सुनी और वही किया जो उनको अच्छा लग रहा था लेकिन आज उन्हें क्या हो गया है, वो क्यों हर बात में सबसे पहले लोगों के बारे में सोचने लगते हैं?
 

वो तो कुछ भी ग़लत नहीं कर रहे फिर उन्हें लोगों का डर क्यों है? उन्हें समझ आने लगा कि उनके अकेले होने का कारण ये ओवर थिंकिंग ही है। वो अगर इतना ना सोचते तो आज शायद उनका भी परिवार होता, दोस्त होते, कोई हॉबी होती। मनोज जान गए थे कि अगर वो अब भी लोगों से डरते रहे तो अपनी बची हुई ज़िंदगी भी सही से नहीं जी सकेंगे। उन्हें सबका सामना करना सीखना होगा। ये सब सोचने के बाद उन्होंने राजू से कहा कि वो चार कप चाय निकाले तब तक वो चार लोगों को बुला कर लाते हैं और उनके साथ वो आँखों में आँखें डाल कर बात करेंगे।
 

ये सुनते ही राजू के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। मनोज पार्क में गए और अपने जूनियर्स को आवाज़ देकर बुलाया। वो लोग उन्हें देख खुश हो गए और भागते हुए उनके पास आए। सबने उन्हें नमस्ते कहा। मनोज ने सबका हाल चाल पूछा और उन्हें चाय पीने के लिए कहा। वो अपने जूनियर्स को लगातार हैरान किए जा रहे थे। उन लोगों ने जिस मनोज सर को देखा था वो तो सीधे मुँह किसी से बात तक नहीं करते थे। वो बस अपने काम से मतलब रखते थे, उनका कोई दोस्त नहीं था। फिर ये मनोज सर कौन हैं? ये चेंज आख़िर इनमें आया कैसे, वो भी कुछ ही दिनों में? यही सब सोचते हुए सब राजू की टपरी पर आ गए। सबके बीच रेलवे स्टेशन की बातें होने लगीं।
 

राजू ने उन सबसे कहा कि वो एक रिक्वेस्ट करना चाहता है। सब एक दूसरे का मुँह देखने लगे कि ये क्या कहने वाला है। राजू ने कहा घबराने की बात नहीं है वो कोई बहुत बड़ी चीज़ नहीं मांगने वाला। वो बस इतना कहना चाहता है कि सब लोग मिलकर मनोज सर से रिक्वेस्ट करें कि वो अपनी आवाज़ में एक बार अनाउंसमेंट कर देते तो मजा आ जा जाता। वो लोग उनके साथ काम करते हैं तो शायद वो उनकी बात मान लें। मनोज ने इस बात पर राजू को घूर कर देखा लेकिन उनके जूनियर्स को राजू की बात सही लगी। वो कहने लगे कि उनके जाने के बाद अब अनाउंसमेंट सुनने में वो मजा नहीं आता। उन्हें एक बार प्लीज़ फिर से अनाउंसमेंट सुननी होगी।
 

मनोज पहले ऐसा कुछ सुनते तो चिढ़ जाते लेकिन अभी वो सोच रहे थे कि उनके पास एक ही तो हुनर है जिसके दम पर उनकी पहचान है। वो तैयार हो गए और बोलना शुरू किया, ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें, राजू की टपरी से चलकर ग्राहकों के होठों से लगने वाली अदरक मसाला एक्सप्रेस, अपने निर्धारित समय पर आप सबके पास पहुँच रही है।’
 

उनकी अनाउंसमेंट सुन कर वहां तालियां बजने लगीं। राजू और उनके जूनियर्स बहुत खुश हुए। हर कोई कह रहा था कि लग रहा है जैसे कंप्यूटर जनरेटेड आवाज़ हो। तालियां बजाने वालों में दो हाथ पिंकी जी के भी थे हालांकि वो मनोज का ये हैप्पी moment ख़राब नहीं करना चाहती थीं इसलिए वहां से चली गईं। उनकी क्लास अटेंड करने आए दो लोगों ने उनका सारा सामान उठा रखा था। मनोज सच में इस पल को इंजॉय कर रहे थे। अब उन्हें इस पार्क में एक नई पहचान मिल गई थी। इस समय राजू की टपरी पर मौजूद सभी लोगों के लिए मनोज रेलवे वाले भाई साहब हो गए।
 

मनोज फिर घर वापस लौट रहे थे। वो आज आम दिनों के मुक़ाबले काफ़ी खुश भी थे लेकिन घर जाने के ख़याल के साथ ही ये टेंशन भी सामने खड़ी हो गई कि आज फिर से बाक़ी का दिन कैसे कटेगा? वो इसी सोच में आगे बढ़ते चले जा रहे थे। तभी अपनी कॉलोनी से थोड़ा पीछे कुछ अजीब सी आवाज़ सुनायी दी। पहले उन्होंने उसे इग्नोर किया लेकिन वो आवाज़ तेज़ होती जा रही थी और उस आवाज़ में इतना दर्द था कि वो कदमों को आगे नहीं बढ़ा सके। उन्होंने इधर उधर नज़रें दौड़ायीं लेकिन उन्हें कुछ नज़र नहीं आया। फिर उन्होंने थोड़ा side में देखा तो उन्हें पता चला कि ये आवाज़ एक पपी की है। कुत्ते के इस छोटे से बच्चे का पैर गटर होल की जाली में फ़ंस गया था। उसे निकालने की कोशिश में उसका पैर काफ़ी ज़ख़्मी हो गया था। वो एक छोटा सा पपी था जो देखने में बहुत प्यारा लग रहा था।
 

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक वो जिन्हें जानवर पसंद होते हैं और दूसरे जिन्हें जानवरों से नफ़रत होती है। मनोज तीसरे किस्म के इंसान थे, उन्हें ना जानवरों से प्यार था और ना नफ़रत। उनके लिए दुनिया में जैसे बाक़ी चीज़ें थीं वैसे ही जानवर थे। कभी उनका वास्ता भी तो नहीं रहा जानवरों से। वो बस अपने घर के बाहर बचा हुआ खाना रख देते थे और कॉलोनी के आवारा कुत्ते बिल्लियाँ आकर उस खाने को खा जाते थे। उन्हें बस इतना ही पता था कि घर का बचा हुआ खाना इनके काम आ जाता है।
 

अभी इस पिल्ले को देख कर उन्हें बुरा लग रहा था क्योंकि वो दर्द से छटपटा रहा था। मनोज से ये देखा नहीं गया। वो उसके पास गए, घुटने पर बैठे और उसका पैर उस गटर होल की जाली से निकालने लगे। कुछ मिनटों की मेहनत के बाद उसका पैर निकल गया लेकिन वो अब चल नहीं पा रहा था। उसका पैर छिल गया था और उसमें से खून भी निकल रहा था। मनोज ने उसको जैसे ही ज़मीन पर रखा वो गिर गया। उठने की बहुत कोशिश करने के बाद भी वो पपी उठ नहीं पा रहा था। मनोज सोचने लगे कि ऐसे तो ये बीच सड़क जा कर गिर गया तो कोई गाड़ी इसे कुचलते हुए चली जाएगी। वो क्या करें उन्हें समझ नहीं आ रहा था।
 

उन्होंने सोचा कि वो घर जा कर उसके ज़ख्म पर कोई क्रीम लगा देंगे और फिर उसे बाहर कहीं छोड़ आएंगे। यही सोच कर वो उसे घर ले आए। उन्होंने उस पिल्ले को एक बोरा बिछा कर उस पर रखा। उसके लिए गर्म पानी ले आए और उसी से उसके ज़ख़्म को हल्के हाथों से पोछने लगे। फिर उन्होंने अपनी फर्स्ट ऐड किट से एक क्रीम निकाली और उसके घाव पर लगा डी और ऊपर से पट्टी बाँध दी। वो पिल्ला कुछ देर में शांत हो गया था। उसे वहीं छोड़ कर मनोज अपने लिए नाश्ता बनाने चले गए। जब वो नाश्ता कर रहे थे तो वो पपी उन्हें देखें जा रहा था। उसके देखने के तरीक़े से मनोज को ख्याल आया कि इन्हें भी तो भूख लगती है। अब उन्हें ये नहीं पता था कि वो क्या खायेगा? उन्होंने दूध में ब्रेड मिक्स कर उस पपी के आगे रख दिया। उन्हें उम्मीद थी कि भूख लगने पर दूध ब्रेड किसी को भी पसंद आएगा। उस पपी ने तुरंत ही सारा दूध ब्रेड चट कर दिया और फिर उसी बोरे को अपना बिस्तर समझ कर बड़े ही चैन से सो गया।
 

एक बार मनोज का मन हुआ कि वो उसे बाहर छोड़ आते हैं लेकिन उन्होंने सोचा कि अभी वो आराम से सो रहा है जब वो उठेगा वो तब उसे छोड़ आएंगे। इसके बाद मनोज अपने दूसरे कामों में लग गए। उन्होंने पौधों को पानी दिया, कुछ कपड़े धुले, बर्तन साफ़ किए और फिर बेड पर आराम करने चले आए। जैसे ही वो लेटे वो पपी फिर से अजीब आवाज़ें निकालने लगा। बहुत देर तक उसे देखने के बाद मनोज ने अंदाज़ा लगाया कि शायद उसे फिर से भूख लगी है। उन्होंने एक कटोरी दूध ब्रेड फिर से रिपीट कर दिया। उसे भी खाने के बाद पपी फिर से सो गया। ये सब पूरे दिन में 5 बार रिपीट हुआ। जब मनोज सोचते कि वो उसे बाहर छोड़ आते हैं तब उसे या तो भूख लग जाती या फिर वो सो जाता। ऐसे ही रात हो गई और उसके साथ मनोज भी सो गए।
 

वो आज मनोज को सारा दिन ऐसे देखता रहा जैसे उन्हें पहचानने की कोशिश कर रहा हो और मनोज उसे जब जब देखते उन्हें एक अलग तरह का सुकून मिलता। उन्होंने सोचा कल वो जल्दी उठ कर उसे बाहर छोड़ आएंगे। यही सोच कर वो सुबह पाँच बजे का अलार्म लगा कर सो गए। आज उन्होंने सपना देखा था कि उनकी अनाउंसमेंट वाली आवाज़ के लिए उन्हें अवार्ड मिल रहा है। वो अवॉर्ड ले ही रहे थे कि अवार्ड देने वाले प्रधानमंत्री ने कहा ये बदबू कहाँ से आ रही है? सब लोग इधर उधर देखने लगे और बड़बड़ाने लगे ये बदबू कहाँ से आ रही है? बस इसी से मनोज की आँख खुल गई और उनके भी मुँह से उठते ही यही बात निकली कि ये बदबू कहाँ से आ रही है?


उन्होंने लाइट जलाई तो देखा कि उस पपी ने रूम में ही पॉटी कर दी थी। ये उसी की बदबू थी। पॉटी देखते ही मनोज गुस्से से लाल हो गए। उनका मन हुआ वो अभी के अभी इस पिल्ले को उठा कर बाहर फेंक दें। उन्होंने जैसे तैसे मुँह पर कपड़ा बांध कर उसकी पॉटी हटायी और फिर उसे गुस्से से देखने लगे। वो पपी उन्हें ऐसे देख रहा था जैसे कह रहा हो सॉरी मेरी टांग टूटी है तो मैं कहीं और कैसे जा सकता था? उन्हें उस पर गुस्सा भी आ रहा था और तरस भी लेकिन लास्ट में उन्होंने यही डिसाइड किया कि वो इसे बाहर छोड़ आएंगे क्योंकि उनसे ये सब नहीं हो पाएगा।


उन्होंने कपड़े पहने और बोरा समेत उसे उठा लिया और उसे लेकर बाहर चल दिए। थोड़ी दूर जाकर उन्हें ऐसी जगह मिली जहाँ उन्हें लगा कि इसे छोड़ा जा सकता है। उन्होंने उसे बोरा समेत वहां रख दिया और वापस घर आने के लिए मुड़ गए। तभी वो पप्पी भौंक कर उन्हें पुकारने लगा। मनोज पलटे तो देखा उसने ऐसी सूरत बना रखी थी जिसे देख किसी को भी तरस आ जाए। लग रहा था जैसे कह रहा हो कि वो फिर से ऐसी गलती नहीं करेगा, प्लीज़ उसे अपने साथ रख लें। वो बाहर जा कर पॉटी करेगा और ज़्यादा खाना भी नहीं माँगेगा। बदले में वो उनके घर की रखवाली भी करेगा। एक बार को तो मनोज का भी दिल पिघला लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि इतना इमोशनल होना भी ठीक नहीं। वो इसकी जिम्मेदारी नहीं उठा सकते। ये सोच कर मनोज घर लौट आए।


क्या मनोज उस पपी को वापस घर लाएंगे? क्या ये पपी मनोज के अकेलेपन को दूर कर पाएगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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